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बदलाओकारी विचारधारा / कुशराजवाद / किसानवाद के प्रवर्त्तक - किसान गिरजाशंकर कुशवाहा / कुशराज झाँसी / सतेंद सिंघ किसान के साहित्यिक, भाषाई, आंचलिक, क्षेत्रीय, देहाती, शहरी, सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक, शैक्षिक, धार्मिक, नैतिक, वैज्ञानिक, सिनेमाई, पर्यावरणीय, दार्शनिक, ऐतिहासिक, विमर्शीय (किसान विमर्श, स्त्री विमर्श, आदिवासी विमर्श, पुरुष विमर्श, वेश्या विमर्श, दिव्यांग विमर्श, किन्नर विमर्श, पर्यावरण विमर्श...) और अनुदित लेखन का हिन्दी, कछियाई, बुंदेली और अंग्रेजी भाषा में संकलन...
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Showing posts from April, 2023
पर्यावरण, मुँह के छाले और बुंदेलखंडी नुख्से - गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज झाँसी'
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बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झाँसी में आयोजित बुन्देली साहित्य उत्सव में साहित्यकारों ने बुंदेली भाषा और बुन्देली लोक साहित्य का महत्त्व समझाया
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