Tuesday 30 July 2019

अध्यक्ष पद हेतु कुशराज





हिन्दी साहित्य परिषद्
हंसराज कॉलेज
दिल्ली विश्वविद्यालय

 अध्यक्ष 
 पद हेतु

आपका अपना :
गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज'
(बी० ए० हिन्दी विशेष, तृतीय वर्ष)
पूर्व महासचिव
Kushraaz.blogspot.com
8800171019


प्लीज वोट एण्ड सपोर्ट
🙏🙏🙏



#कुशराज
#हिन्दीसाहित्यपरिषद्
#हिन्दीविभाग
#हंसराजकॉलेज
#दिल्लीविश्वविद्यालय
#विश्वभाषाहिंदी
#हिंदी
#भाषा
#साहित्य
#समाज
#लेखक
#कवि
#हिन्दुस्तान
#हिन्दीभाषा
#राष्ट्रभाषाहिंदी
#हिंदीसाहित्य
#विश्वसाहित्य

Thursday 25 July 2019

यूथ पैनल, हंसराज कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय का घोषणापत्र


क्रान्ति                           परिवर्तन                            विकास
यूथ पैनल, हंसराज कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय का घोषणापत्र
Manifesto of Youth Panel, Hansraj College Delhi University

                             WELCOME FRESHER'S
                               JOIN YOUTH PANEL

भारतीय संविधान के भाग - 3, अनुच्छेद (19 - 22) द्वारा प्रदत्त स्वतंत्रता का अधिकार के तहत हम युवा छात्र - छात्राएँ अपनी आवाज बुलन्द कर रहे हैं........

1. हर साल कॉलेज की फीस बढ़ाने के बजाय फीस कम की जाए।
2. हर जगह प्राचार्या महोदया के साथ हंसराज कॉलेज छात्र - संघ अध्यक्ष के  भी हस्ताक्षर लिए जाएँ।
3. कैण्टीन में फूड क्वालिटी बढ़ायी जाए और ₹40 प्रति थाली शुरू की जाए।
4. गर्ल्स कॉमन रूम (GCR) की भाँति बॉयज कॉमन रूम (BCR) की व्यवस्था की जाए।
5. ECA & स्पोर्ट्स स्टूडेंट्स को कार्यदिवस की Attendance दी जाए।
6. कॉलेज का हर कार्य अंग्रेजी के साथ - साथ राष्ट्रभाषा हिन्दी में भी किया जाए।
7. गर्ल्स हॉस्टल की व्यवस्था जल्द से जल्द हो।
8. छात्र - छात्राओं के साथ आन्तरिक मूल्यांकन में और अन्य किसी भी प्रकार, प्रशासन द्वारा भेदभाव न किया जाए।
9. पुस्तकालय में किताबों की संख्या बढ़ायी जाए और किताबें 15 दिन के लिए इसू की जाएँ।
10. स्टूडेन्ट - ऑफ द ईयर अवॉर्ड शुरू किया जाए।
11. कॉलेज की समस्त छात्रहितों की गतिविधियों को पारदर्शी रखा जाए।
12. हम युवा छात्र - छात्राओं की हर बात की सुनवायी हो।

                   क्रान्ति मन, क्रान्ति तन, क्रान्ति ही मेरा जीवन
               लेकर रहेंगे - लेकर रहेंगे, पूरे अधिकार लेकर रहेंगे

             हम अपने अधिकार माँगते, नहीं किसी से भीख माँगते।
                 छात्रहितों का हनन हुआ तो खून बहेगा सड़कों पे।

                             युवा शक्ति - विश्व शक्ति
                    Youth Power - World Power

                          MAY I HELP YOU

                   : गिरजाशंकर कुशवाहा 'परिवर्तनकारी कुशराज'
                  बी. ए. हिन्दी ऑनर्स, तृतीय वर्ष, हंसराज कॉलेज
                                      24 जुलाई 2019

Whatsapp : 8800171019
Facebook : Youth Panel, Hansraj College Delhi University
Website : youthpanelhrc.blogspot.com
                   Kushraaz.blogspot.com

                 
 

#कुशराज

#स्वागतम्नवप्रवेशीछात्रछात्राएँ
#हंसराजकॉलेज
#यूथपैनलहंसराजकॉलेज
#दिल्लीविश्वविद्यालय
#क्रान्ति
#परिवर्तन
#विकास
#छात्रराजनीति
#छात्रनेता
#छात्रहित
#राजनीति
#प्रशासन
#परिवर्तनकारी
#परिवर्तनवाद
#कुशराजवाद
#युवाशक्ति
#विश्वशक्ति
#Kushraaz
#WelcomeFreshers
#HansrajCollege
#YouthPanelHansrajCollege
#DelhiUniversity
#Revolution
#Change
#Development
#StudentsPolitics
#StudentLeader
#StudentsWelfare
#Politics
#Administration
#Parivartankari
#Changeism
#Kushraazism
#youthpower
#worldpower




Saturday 20 July 2019

दिल्ली की पूर्व मुख्यमन्त्री और दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती शीला दीक्षित के 81 साल में निधन पर भावभीनी श्रद्धांजलि 💐💐💐


द‍िल्‍ली की  पूर्व मुख्यमंत्री और दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती शीला दीक्षित  का 81 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया है। सेहत खराब हो होने के तुरन्त बाद उन्हें एस्‍कॉर्ट अस्‍पताल में भर्ती कराया गया। पेसमेकर के ठीक से काम न करने पर शनिवार सुबह शीला दीक्षित जी को दिल्ली के एस्कॉर्ट अस्पताल में भर्ती कराया गया और उन्हें आईसीयू में भी रखा गया था।




तकरीबन दस दिन के इलाज के बाद सोमवार को ही वह अस्पताल से वापस घर लौटी थीं। शीला दीक्षित के नेतृत्व में ही कांग्रेस ने लगातार तीन बार दिल्ली में सरकार बनाई और वह साल 1998 से 2013 तक लगातार तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं।

दिल्ली के राजनीतिक इतिहास में वह अब तक की सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहीं। उनका कार्यकाल 15 साल चला और साल 2013 में आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल से खुद चुनाव हारने और दिल्ली की सत्ता गंवाने के बाद वह मुख्यमंत्री पद से हटीं।

शीला दीक्षित जी का जन्म 31 मार्च 1938 को पंजाब के कपूरथला में हुआ था। इसके बाद 2014 में शीला दीक्षित को केरल का राज्‍यपाल बनाया गया। हालांकि, इसके बाद इन्‍होंने 25 अगस्‍त, 2014 को उन्‍होंने राज्‍यपाल के पद से इस्‍तीफा दे दिया था।

हम उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं!!!


✒ कुशराज
_20/7/19_5:00अपरान्ह


#RIPSheelaDixit
#DelhiCM
#Kushraaz
#Bundelkhand

WELCOME FRESHER'S 💞


WELCOME FRESHER'S 💞

May I Help You

Feel free to contact me for any college related queries -:
गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज'
(GirjaShankar Kushwaha 'Kushraaz')
8800171019




#कुशराज
#स्वागतम् _नवप्रवेशीछात्रछात्राएँ
#हंसराजकॉलेज
#यूथपैनलहंसराजकॉलेज
#दिल्लीविश्वविद्यालय
#क्रान्ति
#परिवर्तन
#विकास
#परिवर्तनकारी
#परिवर्तनवाद
#कुशराजवाद
#युवाशक्ति
#विश्वशक्ति
#Kushraaz
#WelcomeFreshers
#HansrajCollege
#YouthPanelHansrajCollege
#DelhiUniversity
#Revolution
#Change
#Development
#Parivartankari
#Changeism
#Kushraazism
#youthpower
#worldpower

Thursday 11 July 2019

गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज', वार्षिक विवरण : 2018 - 19




* गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज'
* बी. ए. हिन्दी ऑनर्स, द्वितीय वर्ष, हंसराज कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय
* वार्षिक विवरण -: 2018 - 19

                      * पुरस्कार *
1. बेस्ट वालंटियर अवॉर्ड 2018 - इक्वल अपॉर्चुनिटी सेल एण्ड इनेब्लिंग यूनिट, हंसराज कॉलेज
2. द्वितीय पुरस्कार - अंतः कक्षा वस्तुनिष्ठ सामान्य हिन्दी प्रतियोगिता, हंसराज कॉलेज एवं अक्षर प्रकाशन दिल्ली
3. द्वितीय पुरस्कार - साहित्यिक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता,  अनुगूँज'19, हिन्दी साहित्य परिषद्, गार्गी कॉलेज
4. प्रोत्साहन पुरस्कार - रचनात्मक लेखन प्रतियोगिता (लेख - रग रग में हिन्दी) , स्पंदन'19, हिन्दी साहित्य सभा, श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स
5. प्रथम पुरस्कार - नारा दो प्रतियोगिता (1. लड़का - लड़की एकसमान। सबको शिक्षा - सबका सम्मान।।) , वागर्थ'19, हिन्दी साहित्य सभा, लेडी श्रीराम कॉलेज फॉर वीमेन
6. प्रोत्साहन पुरस्कार - स्वरचित गद्य रचना पाठ प्रतियोगिता (कहानी - भूत), प्रतिमान'19, हिन्दी साहित्य परिषद्, हंसराज कॉलेज
7. द्वितीय स्थान - कितने सजग आप, वाचिक प्रतियोगिता, अनुगूँज'19, हिन्दी साहित्य परिषद्, गार्गी कॉलेज
8. तृतीय स्थान - साहित्यिक प्रश्नोत्तरी श्रोता प्रतियोगिता,अभिधा'19, हिन्दी साहित्य सभा, हिन्दू कॉलेज


                      * प्रतिभाग *
1. सृजनात्मक लेखन प्रतियोगिता (लघुकथा - समस्या), अनुगूँज'19, हिन्दी साहित्य परिषद्, गार्गी कॉलेज
2. कवि के बोल - स्वरचित कविता पाठ प्रतियोगिता (कविता - इंसानियत लाना है।), स्पंदन'19, हिन्दी साहित्य सभा, श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स
3. रचनात्मक लेखन प्रतियोगिता (लेख - कोस कोस पर बदले पानी, चार कोस पर बानी।), श्रुति'19, हिन्दी संपादकीय समिति, इंद्रप्रस्थ महिला कॉलेज
4. रचनात्मक लेखन प्रतियोगिता (लेख - असामाजिक सोशल मीडिया),अभिधा'19, हिन्दी साहित्य सभा, हिन्दू कॉलेज
5. डॉ. विजयेंद्र स्नातक स्मृति आशुभाषण प्रतियोगिता (विषय - परिवर्तन सुंदरता है।), अभिधा'19, हिन्दी साहित्य सभा, हिन्दू कॉलेज
6. चतुष्पदीय हास्य व्यंग्य प्रतियोगिता, वागर्थ'19, हिन्दी साहित्य सभा, लेडी श्रीराम कॉलेज फॉर वीमेन
7. लघुकथा लेखन प्रतियोगिता, वागर्थ'19, हिन्दी साहित्य सभा, लेडी श्रीराम कॉलेज फॉर वीमेन
8. शीर्षक दो प्रतियोगिता, वागर्थ'19, हिन्दी साहित्य सभा, लेडी श्रीराम कॉलेज फॉर वीमेन

                           * पद *
1. संस्थापक एवं अध्यक्ष - महात्मा हंसराज पैनल (एम एच पी) हंसराज कॉलेज
2. संस्थापक एवं अध्यक्ष - परिवर्तन लेखक समिति, दिल्ली
3. संस्थापक एवं प्रधान संपादक -  बहुभाषी स्वतंत्र युवा लेखक पत्रिका 'परिवर्तन'
4. संयुक्त संपादक - अंतरराष्ट्रीय हिन्दी त्रैमासिक पत्रिका 'वैश्विक साहित्य'
5. महासचिव - हिन्दी साहित्य परिषद्, हिन्दी विभाग, हंसराज कॉलेज
6. महासचिव - इक्वल अपॉर्चुनिटी सेल, हंसराज कॉलेज
7. सहसचिव - निष्ठा, द हंसराज सिविल सर्विसेज सोसायटी, हंसराज कॉलेज
8. एडीटोरियल कॉर्डिनेटर - सोसायटी ऑफ जनरल अवेयरनेस, हंसराज कॉलेज
9. एडीटोरियल मेम्बर - विजन, द मीडिया सोसायटी, हंसराज कॉलेज
10. सक्रिय सदस्य - वीमेन डेवलपमेंट सेल, हंसराज कॉलेज
11. सक्रिय सदस्य - स्पिक मैके, हंसराज कॉलेज
12. सक्रिय सदस्य - हरितिमा, हंसराज कॉलेज
13. सक्रिय सदस्य - प्रस्ताव, हिन्दी वाद - विवाद समिति, हंसराज कॉलेज

                           * विशेष *
1. हंसराज - संवाद, युवा कवि गोष्ठी, हंसराज कॉलेज में काव्य पाठ।
2. हंसराज - संवाद, कहानी पाठ और परिचर्चा, हंसराज कॉलेज में  कहानी पाठ।
3. अनेकों राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में सक्रिय सहभागिता।
4. अनेकों स्वरचित रचनाएँ जैसे - कहानी, लेख, कविता, मुक्तक, संस्मरण, लघुकथा आदि ऑनलाइन पत्र - पत्रिकाओं, ब्लॉगों और वेबसाइटों पर प्रकाशित।...................

Tuesday 9 July 2019

True advice for a Human life - Kushraaz Jhansi

           " True advice for a Human life - Kushraaz Jhansi "


( From 'Mercy' Poem written By Greatest English Author William Shakespeare & 'The True Beauty' Poem written By Thomas Carew)




I, Girjashankar Kushwaha 'Kushraaz Jhansi' advise the whole world's humans and I hope that they would adopt my true advice.

1.

Every human should grow the quality of Mercy in heart because Mercy is the most powerful quality of human, moral and spiritual power.

2.

If, you want to become a really happy man. So You become the master of his will or passions And you follow the rules those are Good & useful for human beings.

3.

Any human should not like the Physical Beauty - Rosy cheeks, coral lips and star like eyes because the physical beauty is a temporary beauty.But every human should likes the Spiritual Beauty - Strong mind, high thinking, gentle thoughts and controlled desires because the spiritual beauty is a permanent beauty. So the Spiritual beauty is the true beauty.

4.

Every human should spend the whole life the company of Good books because The Good books are the best and never felling friends of human and In the good books contained the knowledge of the whole world. 

✍🏻 Kushraaz Jhansi

_15/9/2016 _ 2:23am_ Jhansi Bundelkhand

Monday 8 July 2019

21वीं सदी के सन् 2010 के बाद का भारत - कुशराज झाँसी


लेख - " 21वीं सदी के सन् 2010 के बाद का भारत "




                        लेखक कुशराज झाँसी



21वीं सदी को 'विकास की सदी' की संज्ञा देना ठीक ही है। 21वीं सदी में सारी दुनिया में हर क्षेत्र में विकास हो रहा है। इसमें सूचना प्रौद्योगिकी, इण्टरनेट और सोशल मीडिया की अहम भूमिका है। इण्टरनेट के कारण हर खबर क्षण भर में सारी दुनिया में फैल रही है। इण्टरनेट के कारण ही भाषा, समाज और संस्कृति में कई सार्थक परिवर्तन हुए हैं। हर क्षेत्र में परिवर्तन होने भी चाहिए क्योकिं क्रान्ति, परिवर्तन और विकास प्रकृति के शाश्वत नियम हैं। 

आज भारत में इण्टरनेट और सोशल मीडिया का प्रयोग जोरों पर हो रहा है। गाँव - गाँव में सोशल मीडिया का सार्थक उपयोग होते हुए देखा जा रहा है। जो खबरें और समाचार अखबारों और पत्रिकाओं में कुछ घण्टों बाद मिलती थीं। वो सोशल मीडिया पर तत्काल मिल रही हैं, और अधिक प्रामाणिकता के साथ। सोशल मीडिया ने हर आदमी को अभिव्यक्ति की सच्ची आजादी दी है। यह दौर है - बोल कि लब आजाद हैं तेरे....... अर्थात्  अपनी हर बात सब तक बेझिझक पहुँचाने का। हर लेखक को सच्चाई लिखकर समाज का सही मार्गदर्शन करके विश्वकल्याण में अपनी भूमिका निभाना चाहिए। आज युवा लेखक और नए लेखक बहुत बेहतर कर रहे हैं लेकिन स्थापित लेखक नहीं।

सन् 2014 का आमचुनाव भारतीय जनता पार्टी ने सोशल मीडिया पर भरपूर प्रचार - प्रसार के बलबूते जीता और श्री नरेन्द्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बने। तथाकथितों द्वारा ऐसा माना जा रहा है कि नरेन्द्र मोदी के शासनकाल में भारत 'नवभारत - विकसित भारत' बनकर उभरा और देश में विकास की गंगा बही। लेकिन हकीकत कुछ यूँ है - इस दौर में किसान आत्महत्याओं और बलात्कार के मामले हद से ज्यादा सामने आए। महाराष्ट्र में सन् 2015 से 2018 के बीच तकरीबन 12 हजार किसानों ने आत्महत्याएँ कीं। सारी दुनिया की भूँख  मिटाने वाला, धरतीपुत्र किसान को दो वक्त की रोटी भी ठीक से नसीब नहीं हुई। यत्र - तत्र किसान - आन्दोलन हुए लेकिन तानाशाही सरकार से किसान अपना हक पाने में नाकामयाब रहे। मजदूरों की हालात भी बहुत बुरी रही। सूखे की मार से ग्रसित बुन्देलखण्ड हमेशा उपेक्षित रहा। किसानों - मजदूरों के बच्चोँ की अच्छी शिक्षा नहीं मिल पाई क्योंकि कुछेक को छोड़कर ज्यादातर सरकारी स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की शिक्षा - व्यवस्था अस्त - व्यस्त रही। प्राईवेट
शिक्षण - संस्थानों और कॉन्वेंट स्कूलों का हाल और बुरा रहा। छात्र - छात्राओं को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बावजूद रोजगार और नौकरी के लिए दर - दर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं। भारत में शिक्षित बेरोजगार युवाओं की भरमार हो गयी है। युवाओं को सरकारें सिर्फ जुमले दे रही हैं।

सन् 2010 के बाद भारत के लिए आरक्षण घातक सिद्ध हो रहा है। आरक्षित लोग ही नौकरी - पेशा पाने में सफल हो रहे हैं। इसमें वो ही लोग हैं, जो कुछ हद तक सम्पन्न हैं लेकिन आज भी गरीब किसान - मजदूर और आदिवासियों के बच्चे आरक्षण नहीं पा रहे हैं  क्योंकि देश में जागरूकता का अभाव है। अब भारत के हालात बहुत ठीक हो चुके हैं और अब समय आ गया है - आरक्षण को खत्म करने का। मोदी सरकार ने सन् 2018 -19 में 10% सवर्णों के लिए भी आरक्षण की व्यवस्था करी। आरक्षण देना अब भारत के लिए अच्छा नहीं है क्योंकि विश्वगुरू भारत के निवासी वैसे ही प्रतिभाशाली होते हैं और आज के युवा तो 21वीं सदी के हैं, जो बहुत ज्यादा प्रतिभाशाली हैं।

सन् 2010 के बाद जाति - पाति, भाषा, क्षेत्र, धर्म के आधार पर कुछ ज्यादा ही भेदभाव देखने को मिला। इस दौर में राजनीति धर्म और जातिवाद पर केन्द्रित हो गई। शिक्षा, पर्यावरण और रोजगार को चुनावी मुद्दा बनाने के बजाय धर्म और सीमा सुरक्षा चुनावी मुद्दे बनने लगे और जिन पर चुनाव जीते भी गए। सन् 2014 का आमचुनाव अयोध्या राममन्दिर निर्माण के मुद्दे पर जीता गया लेकिन अभी तक भी राम मन्दिर नहीं बना और न ही बनने की संभावना है। सन् 2019 का आमचुनाव पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक के मुद्दे पर जीता गया लेकिन देश के अन्दर के विवादों को सुलझाने की कोशिश भी नहीं की जा रही है। अब धर्म और सीमा सुरक्षा को चुनावी मुद्दा बनाना भारत के हित में नहीं है। भारत के हित में है - शिक्षा, पर्यावरण, महिला सुरक्षा, किसान - मजदूर कल्याण और रोजगार को चुनावी मुद्दा बनाकर चुनाव जीतना और भारत को विकसित भारत - समर्थ भारत बनाने में अपना अतुलनीय योगदान देना। अब लगने लगा है कि देश का पतन हो रहा है लेकिन सब के सब चुप बैठें हैं। अपने काम से मतलब है और किसी से कोई लेना - देना नहीं। देश को बचाने के लिए सरकार के खिलाफ सशक्त क्रान्ति करो, तभी हम भी बच पाएँगे। मोदी सरकार ने देश की ऐतिहासिक इमारत लाल किले समेत अनेकों सरकारी कम्पनियों को बेच दिया है और निजीकरण कर दिया है। जागरूक देशवासियो अपना एक ही लक्ष्य बनाओ - क्रान्ति मन, क्रान्ति तन और क्रान्ति ही मेरा जीवन............

सन् 2010 के दशक में देश में बलात्कार, नारी - अत्याचार और हत्याओं के मामले कुछ ज्यादा ही सामने आए। इस दौर में इंसानियत यानि मानवता का अंत होते हुए दिखा। दरिन्दों - हैवानों ने 3 माह की मासूम बच्ची से बलात्कार और हत्या से लेकर युवतियों को हैवानियत का शिकार बनाया। चाहे वह निर्भया काण्ड हो, आशिफा काण्ड हो या फिर सञ्जलि और ट्विंकल अलीगढ़ हत्या काण्ड हो। इन सब घटनाओं ने देश की छवि को धूमिल कर दिया। बलात्कारियों और हत्यारों की सिर्फ एक ही सजा होनी चाहिए - सजा ए मौत फाँसी। इन दरिन्दों - हैवानों पर बिल्कुल भी नरमी नहीं बरती जानी चाहिए, तभी देश विकसित भारत बन पाएगा। 

सन् 2010 के दशक में देश में भाषायी भेदभाव कुछ ज्यादा ही देखने को मिला। हर ओर हिन्दी बनाम अंग्रेजी का बोलबाला रहा। 
आज हिन्दी भाषा आधुनिक भारतीय भाषाओँ का नेतृत्त्व कर रही है। देश की आधी से अधिक आबादी हिन्दी का प्रयोग कर रही है। हिन्दी दुनिया में सबसे ज्यादा बोली जानेवाली तीसरी भाषा भी बन गयी है। फिर भी उसकी जन्मभूमि भारत में ही 'हिन्दी' और उसकी जननी 'संस्कृत' की घोर उपेक्षा की जा रही है। आजकल सिर्फ अंग्रेजी का दौर नजर आ रहा है।

आज दुनिया के विभिन्न देशों के स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में हिन्दी भाषा और साहित्य का अध्ययन - अध्यापन हो रहा है और हमारे भारतीय संविधान के अनुच्छेद - 343 के अनुसार भारतीय संघ की राजभाषा और देश की सम्पर्क भाषा, कई राज्यों की राजभाषा होने के बावजूद विदेशी भाषा अंग्रेजी से मात खाती हुई दिखाई दे रही है। जो हम सबके लिए सोचनीय है।


आजकल हमारे देश में उस अंग्रेजी को जो स्वार्थ और धनलिपसा की परिचायक है, को विकास की भाषा और आधुनिक बुद्धजीवियों, प्रतिभाशालियों की भाषा करार दिया जा रहा है। हर जगह हिन्दी सह अंग्रेजी की बदौलत हिन्दी बनाम अंग्रेजी नजर आ रही है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद - 348 के अनुसार उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय में संसद व राज्य विधानमण्डल में विधेयकों, अधिनियमों आदि के लिए प्रयोग की जाने वाली भाषा, उपबंध होने तक अंग्रेजी जारी रहेगी। जब देश की आमजनता को न्याय उसकी मातृभाषा में ही न सुनाया जाए तो इससे बड़ा अन्याय और क्या हो सकता है ? आखिर कब हमें न्याय अपनी भाषा में मिलेगा ?......

आजकल अंग्रेजी का बोलबाला संघ लोकसेवा आयोग (यू. पी. एस. सी.) की सिविल सेवा परीक्षा (सी. एस. ई.) में कुछ ज्यादा ही दिख रहा है। सिविल सेवा परीक्षा में जहाँ हिन्दी माध्यम के सिर्फ 40 - 50 अभ्यर्थी ही सफल हो पाते हैं और वहीँ अंग्रेजी माध्यम के 850 - 950 अभ्यर्थी सफल होते हैं। आजतक कोई भी हिन्दी माध्यम से सिविल सेवा परीक्षा में टॉप नहीं कर सका। जो हमारी राजभाषा हिन्दी के लिए घोर अपमानजनक है। जबतक देश की सर्वोच्च परीक्षा में ही विदेशी भाषा अंग्रेजी का बोलबाला रहेगा तबतक हिन्दी वालों का उद्धार न हो सकेगा और न ही देश का विकास। आखिर कब सिविल सेवा परीक्षा से अंग्रेजी माध्यम का अस्तित्त्व खत्म होगा ? आखिर कब सिविल सेवा परीक्षा में हिन्दी माध्यम वालों को उनका हक मिलेगा ? मेरा मत है कि सिविल सेवा परीक्षा सिर्फ और सिर्फ देशीभाषाओँ में ही होनी चाहिए तभी देश का विकास हो सकेगा।


शिक्षा - संस्थान ही भाषा का सच्चा प्रचार - प्रसार करते हैं और छात्र ही देश के भाग्यविधाता होते हैं। आजकल देश दुनिया में प्रतिष्ठित दिल्ली विश्वविद्यालय और संबद्ध कॉलेजों में अधिकतर कार्यालयी काम - काज सिर्फ और सिर्फ अंग्रेजी में हो रहे हैं। वहीँ कॉलेजों में हिन्दी भाषा और साहित्य को लेकर लाखों - करोड़ों रूपए राष्ट्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों (सेमिनारों), व्याख्यानों,पत्र - पत्रिका और पुस्तक प्रकाशन तथा प्रतियोगिताओं में खर्च किए जा रहे हैं। अधिकतर हिन्दी के प्रोफेसर, छात्र और साहित्यकार ही हिन्दी में हस्ताक्षर नहीं करते। ये तथाकथित लोग सिर्फ और सिर्फ भाषणों में ही हिन्दी के प्रयोग और विकास की बात करते हैं और जमीनी स्तर पर नाममात्र के काम करते हैं। स्नातक हिन्दी ऑनर्स, संस्कृत ऑनर्स और दो - चार कोर्सों को छोड़कर सभी स्नातक और परास्नातक पाठ्यक्रमों का अध्ययन - अध्यापन अंग्रेजी माध्यम में ही हो रहा है। जब अपने ही देश के स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में अपनी मातृभाषा में अध्ययन - अध्यापन ही नहीं कर पा रहे हैं तो और कहाँ कर पाएँगे। आखिर कब देश के हर स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय में सारे कोर्सों का अध्ययन - अध्यापन मातृभाषा, हिन्दी माध्यम में होगा ?


आज हमारे लिए सबसे बड़ी दुःख की बात यह है कि भारतीय संस्कृति पर नाज करने वाली, हिन्दूवादी एवं राष्ट्रवादी भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्त्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार के माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश के गाँव - गाँव ने अंग्रेजी माध्यम के स्कूल खोल रहे हैं और देश के भविष्य 'छात्रों' को अंग्रेजी के मानसिक गुलाम बना रहे हैं। हमारी मातृभाषा हिन्दी का अपमान कर रहे हैं। हमारी शिक्षा - व्यवस्था चुस्त - दुरुस्त न होने की बजह से इन गाँवों के सरकारी स्कूलों में हिन्दी माध्यम की पढ़ाई - लिखाई ठीक से नहीं हो रही है। यहाँ पर शिक्षा विद्यार्थियों का मिड - डे  मील की सामग्री तक हजम कर जा रहे हैं। ऊपर से सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के मताई - बाप किसान - मजदूर हैं, जिन्हें अपने काम से ही फुर्सत नहीं मिलता। यदि फुर्सत मिले तो ये अपने बच्चों की पढ़ाई का जायजा भी ले सकें। ये किसान - मजदूर कर ही क्या सकते हैं, जो करना है सरकार को करना है। सरकार द्वारा अंग्रेजी माध्यम के सरकारी स्कूल खोलकर जनमानस और ज्यादा बेरोजगारी और कुशिक्षा को बढ़ावा देने की साजिश नजर आ रही हैं। अंग्रेजी माध्यम की जगह सरकार को क्षेत्रीय भाषाओँ और बोलियों वाले माध्यमों में स्कूल खोलने चाहिए ताकि विद्यार्थी अपनी मातृभाषा में ही शिक्षा प्राप्त कर सके और मातृभाषा का विकास कर सके। सरकार को अंग्रेजी माध्यम में संचालित होने वाली संस्थाओं पर प्रतिबंध भी लगाना चाहिए। माननीय मुख्यमंत्री को हिन्दी के साथ - साथ संस्कृत भाषा को अनिवार्य करना चाहिए और अंग्रेजी का पूर्णतः बहिष्कार करना चाहिए तभी हमारी भारतीय संस्कृति की विजयी पताका सारी दुनिया में लहर सकेगी और भारत देश विकसित देश बन सकेगा। हमें हमेशा अपनी मातृभाषा में काम करना चाहिए। इस संदर्भ में मेरा लेख 'अपनी मातृभाषा में काम करो' उल्लेखनीय है। जो इस प्रकार है -:


 आज मेरी सबसे बड़ी कमी और परेशानी ये है कि मुझे अंग्रेजी नहीँ आती है। मैं न ठीक से अंग्रेजी समझ पाता हूँ और न ही बोल पाता हूँ। मुझे अंग्रेजी का थोड़ा बहुत ज्ञान तो है। पर सबसे बड़ी बात ये है कि मैं विदेशी भाषा को उतना महत्त्व नहीं देता जितना अपनी मातृभाषा और राष्ट्रभाषा 'हिन्दी' को और आपसे भी कहता हूँ कि आप भी मेरा साथ दीजिए और विदेशी भाषा का कामचलाऊ ज्ञान रखिए और अपनी मातृभाषा में सारा काम कीजिए और अपनी तरक्की और अपने देश की तरक्की कीजिए । 


कोई भी देश किसी विदेशी भाषा में कामकाज करके तरक्की नहीं करता और न ही कर सकता है। प्रत्येक विकसित देश सदैव अपनी मातृभाषा में काम करके इस मुकाम तक पहुँचा है। इसी संबंध में 'भारतेंदु हरिश्चन्द जी' ने कहा हैं - " निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति कौ मूल।
बिनु निज भाषा ज्ञान के, मिटत न हिय को शूल।। "

इस दौर में अपने हक और अधिकारों के लिए आवाज बुलन्द करना सबसे बड़ा गुनाह समझा जाने लगा। जो राष्ट्रवादियों से इतर हैं और देश की सच्चाई बयाँ करके अधिकारों की लड़ाई लड़ता है, उस पर देशद्रोह और राजद्रोह का आरोप तक लगाए गए। जो बिल्कुल भी ठीक नहीं है। भारतीय संविधान के समानता का अधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार आदि कानूनों का ठीक से पालन भी नहीं किया गया। यहाँ तक कि संविधान की अवहेलना भी की गयी।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दुनिया के कई देशों की यात्राएँ कीं और संबंध स्थापित किए लेकिन देश के ही आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों, पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों और नक्सली इलाकों में मोदी ने न के बराबर ही दौरे किए और इनके विकास पर मंथन भी कम ही किया। देश में सांप्रदायिक दंगे भड़के और इन्हें शांत करने में काफी मेहनत करनी पड़ी। आखिर सांप्रदायिक दंगे होने की सम्भावना क्यों बनी ? जितनी देश की बाह्य (सीमा) सुरक्षा जरूरी है, उससे कहीं ज्यादा जरूरी है देश की आंतरिक (गृह) सुरक्षा। देश में हमेशा ऐसा माहौल रहना चाहिए कि कभी भी गृह - युद्ध की संभावना ही न बने। तभी देश का निरन्तर विकास होता रहता है।

✍ कुशराज झाँसी
    
_13/6/2019__9:00 रात _ जरबौगॉंव

हिंदी बिभाग, बुंदेलखंड कालिज, झाँसी खों अथाई की बातें तिमाई बुंदेली पत्तिका भेंट.....

  हिंदी बिभाग, बुंदेलखंड कालिज, झाँसी में मुखिया आचार्य संजै सक्सेना जू, आचार्य नबेन्द कुमार सिंघ जू, डा० स्याममोहन पटेल जू उर अनिरुद्ध गोयल...