Thursday 30 September 2021

विख्यात साहित्यकार डॉ० रामशंकर भारती जी से एक मुलाकात...

 

         
       वरिष्ठ साहित्यकार डॉ० रामशंकर भारती जी के साथ कुशराज झाँसी


आज हमने विख्यात बुंदेलखंडी साहित्यकार, शिक्षाविद और संस्कृतिकर्मी माननीय डॉ० रामशंकर भारती जी से उनके निवास पर साहित्य और बुन्देलखंड की दशा एवं दिशा पर गहन चर्चा की। 

झाँसी के कमिश्नर डॉ० अजय शंकर पाण्डेय जी की सार्थक पहल - बुंदेली साहित्य को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पटल पर लाने और वरिष्ठ एवं युवा साहित्यकारों के अप्रकाशित साहित्य को प्रकाशित कराने हेतु गठित साहित्य समिति के पदाधिकारी के तौर पर भारती जी को अपने कविता संग्रह - 'बदलाओ' और कहानी संग्रह - 'पंचायत' की पांडुलिपि सौंपी और आशीर्वाद प्राप्त किया।


- कुशराज झाँसी

_ 30/9/2021_7:46 रात _झाँसी


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समाजसुधार पर कुशराज के विचार

 


लेखक कुशराज झाँसी

* समाजसुधार पर कुशराज झाँसी के विचार *

" समाजसुधार के लिए अपने घर वालों और अपनों से लड़ना आसान नहीं होता और न ही उनमें सुधार ला पाना जल्दी सम्भव हो पाता। क्योंकि समाजसुधार की शुरुआत घर से नहीं, हमेशा बाहर से ही होती है, ये बात हमेशा ध्यान रखना तुम। समाजसुधार करना है तो समाज से हर मोड़ पर साहस से टकराना होगा, चाहे घरवाले साथ खड़े हों या फिर खिलाफ। "

✒️ गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज झाँसी'

_27/9/2021_12:25 रात _झाँसी

सिविल सेवा में अंग्रेजी माध्यम की अपेक्षा हिन्दी माध्यम से सिलेक्शन बहुत कम क्यों होते - कुशराज झाँसी

 लेख - " सिविल सेवा में अंग्रेजी माध्यम की अपेक्षा हिन्दी माध्यम से सिलेक्शन बहुत कम क्यों होते ?" 



          सिविल सेवा की तैयारी करते लेखक कुशराज झाँसी


हाल ही में संघ लोकसेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा 2020 के अंतिम परिणाम जारी किए गए। इस बार कुल 761 अभ्यर्थी चयनित हुए, जिसमें सिर्फ 11 अभ्यर्थी ही हिन्दी माध्यम से हैं और बाकी के अंग्रेजी माध्यम से। आखिर क्या बजह है कि अंग्रेजी माध्यम के अभ्यर्थी ही ज्यादातर सिविल सेवा में सफल होते हैं और टॉप रैंक पाते हैं और हिन्दी माध्यम से कई प्रयासों के बाद बहुत कम अभ्यर्थी सफल हो पाते हैं। क्यों देश की राजभाषा हिन्दी में सिविल सेवा परीक्षा पास करना कठिन है? क्या हिन्दी में सिविल सेवा परीक्षा हेतु मानक पाठ्यसामग्री नहीं है या फिर हिन्दी माध्यम के अभ्यर्थी कम मेहनत करते हैं, ऐसे कई सवाल हैं। जो हम सबको सोचने मजबूर करते हैं। हम चाहते हैं कि सिविल सेवा में भी भाषाई आधार पर आरक्षण की व्यवस्था हो। संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कुल 22 भाषाओं में जनसंख्या के हिसाब से अभ्यर्थियों को आरक्षण दिया जाए। जैसे देश की लगभग 50 फीसदी जनसंख्या हिन्दी भाषी है तो हिन्दी भाषियों को कम से कम 25 फीसदी सीटें आरक्षित हों और 40 फीसदी सीटें आरक्षित रखी जाएँ बाकी अन्य भाषाओं के अभ्यर्थियों हेतु आरक्षित की जाएँ तभी देश की राजभाषा हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं के अभ्यर्थियों को लोकसेवा के माध्यम से देशसेवा करने का अवसर मिलेगा। 


©️ गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज झाँसी'

(सिविल सेवा अभ्यर्थी एवं युवा लेखक, झाँसी)

_29/9/2021_09:15रात_ झाँसी

(पाठकनामा दैनिक जागरण झाँसी - 29/9/2021 हेतु)






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