Friday 27 October 2023

आजादी का अमृत महोत्सव पोर्टल पर प्रकाशित बुंदेलखंड के इतिहास से संबंधित किसान गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज झाँसी' कीं 19 कहानियाँ

***  सीसीआरटी, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा डीडीआर - आजादी का अमृत महोत्सव पोर्टल पर प्रकाशित 'भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अखंड बुंदेलखंड का योगदान' विषय पर बुंदेलखंड के इतिहास से संबंधित किसान गिरजाशंकर कुशवाहा की 19 कहानियाँ... ***


1. देशराज वर्मा, जरबौ, बरूआसागर, झाँसी - 18/5/23


https://amritmahotsav.nic.in/district-reopsitory-detail.htm?18274


2. रामस्वरूप पांडेय, घसरपुरा, बरूआसागर, झाँसी - 30/5/23


https://amritmahotsav.nic.in/district-reopsitory-detail.htm?19012


3. श्यामलाल राय इंदीवर, बरूआसागर, झाँसी

- 30/5/23


https://amritmahotsav.nic.in/district-reopsitory-detail.htm?19013


4. पन्नालाल पटैरिया, पहाड़ी बुजुर्ग, चिरगाँव, झाँसी - 6/6/23


https://amritmahotsav.nic.in/district-reopsitory-detail.htm?19572


5. छक्कीलाल बाजपेजी, कटरा, बरूआसागर, झाँसी - 19/6/23


https://amritmahotsav.nic.in/district-reopsitory-detail.htm?20762


6. भैरोंप्रसाद राय, बार गॉंव, लतिलपुर - 19/6/23


https://amritmahotsav.nic.in/district-reopsitory-detail.htm?20937


7. राजेंद्र बहादुर सिंह रघुवंशी, चित्रकूट, उत्तरप्रदेश - 20/6/23


https://amritmahotsav.nic.in/district-reopsitory-detail.htm?20939


8. रामकुमार जोशी, निवाड़ी, मध्यप्रदेश - 17/7/23


https://amritmahotsav.nic.in/district-reopsitory-detail.htm?22023


9. आत्माराम गोविंद खेर, गुरसरांय, झाँसी - 22/8/23


https://amritmahotsav.nic.in/district-reopsitory-detail.htm?23900


10. वीरांगना मोतीबाई, झाँसी - 28/8/23


https://amritmahotsav.nic.in/district-reopsitory-detail.htm?24114


11. पन्नालाल शर्मा, बरूआसागर, झाँसी - 28/8/23


https://amritmahotsav.nic.in/district-reopsitory-detail.htm?24113


12. ब्रजनंदन किलेदार, ललितपुर - 28/8/23


https://amritmahotsav.nic.in/district-reopsitory-detail.htm?24112


13. झाँसी के तोपची गुलाम गौस खान - 29/8/23


https://amritmahotsav.nic.in/district-reopsitory-detail.htm?24128


14 . पंडित रामसहाय शर्मा, बरूआसागर, झाँसी - 29/8/23


https://amritmahotsav.nic.in/district-reopsitory-detail.htm?24126


15. झाँसी का झोकनबाग हत्याकांड - 29/8/23


https://amritmahotsav.nic.in/district-reopsitory-detail.htm?24124


16. गढ़बई गॉंव और 14 महिलाओं एवं 23 बच्चों का बलिदान, झाँसी - 29/8/23


https://amritmahotsav.nic.in/district-reopsitory-detail.htm?24123


17. बुंदेलखंड का थोना - लुहारी गोलीकांड, निवाड़ी, मध्यप्रदेश - 6/9/23


https://amritmahotsav.nic.in/district-reopsitory-detail.htm?24360


18. गोपाल सिंह ठाकुर - दमोह, मध्यप्रदेश - 20/9/23


https://amritmahotsav.nic.in/district-reopsitory-detail.htm?24597


19. सत्यवती देवी रघुवंशी - सतना, मध्यप्रदेश - 20/9/23


https://amritmahotsav.nic.in/district-reopsitory-detail.htm?24598


- किसान गिरजाशंकर कुशवाहा 

'कुशराज झाँसी'

(बुंदेलखंडी युवा लेखक, इतिहासकार, सामाजिक कार्यकर्त्ता)


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Wednesday 25 October 2023

कहानी - " हिन्दी : भारत माता के माथे की बिन्दी " - कुशराज झाँसी

 *** कहानी - " हिन्दी : भारत माता के माथे की बिन्दी " ***



शाम को सात बजे ममता रसोईघर में रात का खाना पका रही है और उसकी सास रामकली बाई बैठक वाले कमरे में टीवी पर न्यूज देख रही है। 

भारत खबर चैनल पर न्यूज आ रही है -

" आज की सबसे बड़ी खबर - जी-20 सम्मेलन में शामिल होने वाले अतिथियों को भारत की महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आमंत्रण सौंपा। आमंत्रण पत्र में आमंत्रणकर्त्ता में लिखा - प्रेसीडेंट ऑफ भारत.....। अब तक प्रेसीडेंट ऑफ इंडिया लिखा जाता था। भारत लिखने पर छिड़ी बहस.....। भारत बनाम इंडिया पर राजनैतिक पार्टियाँ आईं आमने - सामने।


प्रधामनंत्री मोदी जी का कहना है -

" इंडिया नाम अंग्रेजी राज की गुलामी का प्रतीक था। भारत स्वदेशी और राष्ट्रीयता का प्रतीक है। देश का आधिकारिक नाम 'भारत' होगा जल्द ही। "


सुना ममता! खबर आ रही है कि देश का नाम अब भारत ही होगा, मोदी जी कह रहे हैं। ये मोदी जी द्वारा किया जा रहा एक और सराहनीय काम है।


पंद्रह दिन बाद जी-20 सम्मेलन दिल्ली में आयोजित होता है, जिसमें भारतीय संस्कृति के प्रतीक वाक्य हिन्दी की देवनागरी लिपि में 'वसुधैव कुटुम्बकम', एक धरती - एक परिवार को साफ तौर  पर संदेश के रूप में लिखा जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ भी इस वक्त स्वीकारता है कि कुछ औपचारिकताओं के बाद भारत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 'भारत' नाम से ही जाना जाएगा, इंडिया नाम से नहीं।


रामकली बाई की पोती और ममता की इकलौती लाड़ली बेटी रोशनी कुशवाहा ने इस साल बारहवीं में जिला टॉप किया है बायो से और नीट की परीक्षा भी पास कर ली है। वो विद्या भारती के विद्यालय सरस्वती विद्या मंदिर की होनहार छात्रा रही है। उसने बचपन से हिन्दी माध्यम से ही पढ़ाई की है।


पिछली साल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी जी ने घोषणा की थी -

" अगली साल से प्रदेश में मेडीकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिन्दी में भी होगी। पाठ्यपुस्तकें हिन्दी में तैयार हो रही हैं और कुछ तैयार भी हो चुकी हैं। "


योगी जी की इस घोषणा से रोशनी के मन में उम्मीद की नई किरण जगी थी। अब उसने ठान लिया था कि अब हम भी डॉक्टर बनकर किसान माँ - बाप और दादा - दादी का नाम रोशन करेंगें क्योंकि अब हमारी हिन्दी भाषा सच में 'भारत माता के माथे की बिन्दी' बन रही है।


मोदी सरकार ने ही 'हिन्दी : भारत माता के माथे की बिन्दी' के गौरव को विश्व में फैलाकर भारतीयों का मान बढ़ाया है। हम जैसी किसान परिवार की बेटी के डॉक्टर बनने के सपने को साकार करने के द्वार खोले हैं।


रोशनी की दादी भी अपने जमाने की पाँचवी पास होनहार छात्रा रही हैं। वो रामचरितमानस भी बाँच लेती हैं और शिक्षा का महत्त्व समझती हैं। दादी ने हमेशा अपने पोता - पोतियों को पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित किया है।


दादी के आशीर्वाद की बजह से ही रोशनी का बड़ा भाई सतेंद्र दिल्ली विश्वविद्यालय से बी० ए० हिन्दी ऑनर्स की डिग्री लेकर आया है पिछली चार साल पहले। अब वो बुंदेलखंड का चर्चित युवा लेखक है। हिन्दी ने सतेंद्र को बहुत मान दिया है और उसके परिवार को सम्मान भी।


रोशनी के छोटे भाई प्रशांत ने अभी नवीं पास की है। उसकी दादी का सपना है कि मेरा प्यारा पोता इंजीनियर बने और हम किसानों के कल्याण में सहयोगी बने। दादी का अपने पोते को इंजीनियर बनाने का सपना अब जरूर पूरा होगा क्योंकि इंजीनियर की पढ़ाई भी अब हिन्दी में होने लगी है और प्रशांत हिन्दी में सशक्त भी है लेकिन वो अंग्रेजी में कमजोर रहा क्योंकि वो विदेशी वस्तु, भाषा को हेय दृष्टि से देखता है। उसने भारत दुर्दशा नाटक से स्वदेशी प्रेम सीखा है। अपना देश, अपनी भाषा उसे जान से ज्यादा प्यारी है।


सात - आठ साल पहले गोवा की राज्यपाल रहीं मृदुला सिन्हा ने गीत लिखा था -

" हिन्दी हिन्दी हिन्दी भारत माँ की बिंदी ।

हिन्दी भारत माँ की बिंदी.....।। "


ऐसा दादी रोशनी को बता रही हैं एक दिन भोर से ही तब रोशनी ने कहा -

"हाँ! दादी माँ। अब सच में 'हिन्दी भारत माता के माथे की बिन्दी' है। तुम्हारी लाड़ली पोती डॉक्टर बनने जा रही है हिन्दी में पढ़ाई करके और उसके जैसे लाखों छात्र - छात्राएँ, जो हिन्दी भाषी क्षेत्र के रहे और हिन्दी माध्यम से पढ़े हैं, वे सब डॉक्टर और इंजीनियर बनकर भारत माता की सेवा में लग रहे हैं इसीलिए दादी अब जोर से बोलो -

" हिन्दी हिन्दी हिन्दी : भारत माता के माथे की बिन्दी.....हिन्दी की जय.....भारत माता की जय।। "


©️ कुशराज झाँसी

_ 16/09/2023_3:50दिन_

बुंदेलखंडविश्वविद्यालयझाँसी


(हिन्दी दिवस के अवसर पर बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झाँसी के हिन्दी विभाग, पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोधपीठ एवं प्रज्ञा : द क्रिएटिव एवं लिटरेरी क्लब द्वारा दिनाँक 14 से 21 सितंबर 2023 तक हिन्दी प्रतियोगिता सप्ताह में 16 सितंबर 2023 को आयोजित हिन्दी कहानी प्रतियोगिता में लिखित कहानी)

भारत की भाषा समस्या और हिन्दी - किसान गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज झाँसी'

***  निबंध - " भारत की भाषा समस्या और हिन्दी "  ***


 ©️ किसान गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज झाँसी'

(बुंदेलखंडी युवा लेखक, सामाजिक कार्यकर्त्ता)


_15/09/2023 _ 2:55दिन _बुंदेलखंडविश्वविद्यालयझाँसी

           

                             ***

भारत देश एक बहुभाषायी और बहुसांस्कृतिक देश है। यहाँ तकरीबन 19500 मातृभाषाएँ बोली जाती हैं। लेकिन भारत की जनगणना 2011 के आँकड़ों के अनुसार 122 भाषाएँ ही ऐसी हैं जो दस हजार से ज्यादा लोगों द्वारा बोली जाती हैं। देश की कुल 22 भाषाओं को ही संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करके आधिकारिक भाषाओं का दर्जा दिया गया है। इन 22 भाषाओं में हिन्दी समेत तमिल, तेलुगु, मराठी, उर्दू, बंगाली इत्यादि भारतीय भाषाएँ शामिल हैं।


भारत को भौगोलिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से विभिन्न राज्यों एवं क्षेत्रों में बांटा गया है। जहाँ की अपनी - अपनी भाषाएँ और संस्कृतियाँ हैं। जैसे - गुजरात की गुजराती, तमिलनाडु की तमिल, बंगाल की बंगाली, बुंदेलखंड की बुंदेली और पूर्वांचल की भोजपुरी इत्यादि। 


" हर क्षेत्र की अपनी - अपनी भाषा होती है, जो वहाँ की संस्कृति की संवाहिका भी होती है। क्षेत्र विशेष के लोगों का अपनी भाषा के प्रति अटूट प्रेम भी होता है क्योंकि उनकी भाषा उन लोगों को दुनिया में अनोखी पहचान दिलाती है। "


भारत के हर क्षेत्र विशेष चाहे वह उत्तर भारत के राज्य हों या फिर दक्षिण भारत के राज्य, वहाँ के निवासी अपनी भाषा की पृथक पहचान को नहीं खोना चाहते हैं इसलिए भारत में भाषा की समस्या बनी हुई है।


भारत की संस्कृति को और यहाँ की भाषाओं को जितना दूषित अंग्रेजी ने किया उतना किसी अन्य किसी विदेशी भाषा ने नहीं क्योंकि अंग्रेजों का भारत पर 200 साल तक राज रहा है। अंग्रेज अधिकारी लॉर्ड मैकाले ने 1858 में भारतीय शिक्षा अधिनियम लाग किया तब ब्रिटिश अधिकारी 'लूथर' ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि उत्तर भारत में 97% साक्षरता है और 'मुनरो' ने कहा कि दक्षिण भारत में 100% साक्षरता है।


तब मैकाले ने कहा -

" यदि भारत को बहुत समय तक गुलाम बनाना है तो यहाँ की देशी और भारतीय शिक्षा व्यवस्था को समाप्त करना होगा और उसकी जगह अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था को लागू करना होगा। अंग्रेजी के लागू होने से भारत के लोग हमारे मानसिक गुलाम बनकर हमारे हित में काम करेंगें.....। "


मैकाले की भाषा नीति और शिक्षा नीति के विरोध में भारतेंदु हरिश्चंद्र जी ने लिखा -

" निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति कौ मूल।

  बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटत न हिय कौ सूल।। "


निज भाषा से ही कोई राष्ट्र अपना चहुँमुखी विकास कर सकता है। इसलिए सन 1949 में 14 सितंबर को भारत की संविधान सभा ने निर्णय लिया कि हिन्दी भाषा और देवनागरी लिपि को भारत की राजभाषा का दर्जा दिया जाता है। हिन्दी के राजभाषा होने को संविधान के अनुच्छेद 343 और 351 में परिभाषित भी किया गया।


हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने का भी प्रयास किया गया लेकिन दक्षिण भारत विशेषकर तमिलनाडु में रामासामी और डी०के० के नेतृत्त्व में 'हिन्दी विरोधी आंदोलन' हुआ, जो सन 1946 - 50 तक चला।


क्षेत्रीय भाषाओं को महत्त्व देते हुए सबसे पहले सन 1953 में तेलुगु भाषी राज्य आन्ध्रप्रदेश का भाषा के आधार पर सबसे पहले गठन हुआ। फिर 1960 में बम्बई का विभाजन होकर महाराष्ट्र और गुजरात बने।


भारत में भाषा की समस्या अब वैसी नहीं रही है जैसी आजादी के समय थी। साल 2023 में भारत की आजादी के गौरवपूर्ण 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में 'आजादी का अमृत महोत्सव' कार्यक्रम मनाया गया। अमृत महोत्सव के तहत पूरे देश में सांस्कृतिक कार्यक्रम हिन्दी के साथ क्षेत्रीय भाषाओं में भी हुए। 


" साल 2020 में माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' जी के नेतृत्त्व में राष्ट्रीय शिक्षा नीति - 2020 लागू हुई। जिसमें प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में और तकनीकी एवं चिकित्सा शिक्षा हिन्दी माध्यम में देने का विशेष प्रावधान किया गया। जो भारत की भाषा समस्या के समाधान और हिन्दी भाषा के विकास के लिए युगान्तकारी पहल है। "


कल 14 सितंबर 2023 को हिन्दी दिवस पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जी ने कहा -

" हिन्दी भारतीय भाषाओं की विविधता को एकता के सूत्र में पिरोती है.....। "


वास्तव में हिन्दी भारत की 49% आबादी द्वारा प्रयोग की जाती है। दुनिया की 6500 भाषाओं में से हिन्दी दुनिया की तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है, जो 85 करोड़ लोगों द्वारा बोली जाती है। शिकागो, लंदन, टोक्यो विश्वविद्यालयों में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम हिन्दी में पढ़ाए जा रहे हैं। 


भारत के अलावा हिन्दी दुनिया के इन देशों जैसे - फिजी, मॉरीशस, त्रिनिडाड, न्यूजीलैंड, अमेरिका, सूरीनाम, सिंगापुर आदि में प्रमुखतः से बोली जा रही है और शिक्षा का माध्यम भी है। मॉरीशस में तो 'विश्व हिन्दी सचिवालय' भी स्थित है।


" आज हिन्दी का युग चल रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लागू होने से त्रिभाषा फॉर्मूला भी लागू हो गया और स्थानीय भाषाओं को शिक्षा का माध्यम बनाकर जहाँ उनको विशेष महत्त्व दिया गया, वहीं मेडीकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई का माध्यम हिन्दी भाषा बनाकर देश की 49% आबादी के साथ न्याय किया गया। हिन्दी सारे भारत में एकमात्र संपर्क भाषा के रूप में कार्य कर रही है और बाजार एवं रोजगार की भाषा बन रही। अब वो दिन दूर नहीं जब हिन्दी भारत देश की राष्ट्रभाषा के पद पर आसीन होगी। "


।। जय हिन्दी - जय भारत ।।


(हिन्दी दिवस के अवसर पर बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झाँसी के हिन्दी विभाग, पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोधपीठ एवं प्रज्ञा : द क्रिएटिव एवं लिटरेरी क्लब द्वारा दिनाँक 14 से 21 सितंबर 2023 तक हिन्दी प्रतियोगिता सप्ताह में 15 सितंबर 2023 को आयोजित हिन्दी निबंध प्रतियोगिता में लिखित निबंध)


महामहिम राज्यपाल और कुलपति के आदेश पर बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के हिन्दी प्रतियोगिता सप्ताह - 2023 के आयोजकों / तथाकथित पूर्वांचली प्रोफेसरों प्रो० मुन्ना तिवारी, डॉ० शैलेंद्र तिवारी और डॉ० प्रेमलता श्रीवास्तव ने प्रतिभागी छात्र गिरजाशंकर कुशवाहा को उसके लेखन की प्रति सौपीं

 *** महामहिम राज्यपाल और कुलपति के आदेश पर बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के हिन्दी प्रतियोगिता सप्ताह - 2023 के आयोजकों / तथाकथित पूर्वांचली प्रोफेसरों प्रो० मुन्ना तिवारी, डॉ० शैलेंद्र तिवारी और डॉ० प्रेमलता श्रीवास्तव ने प्रतिभागी छात्र गिरजाशंकर कुशवाहा को उसके लेखन की प्रति सौपीं। ***






दिनाँक 11 अक्टूबर 2023 को माननीया आनंदीबेन पटेल (कुलाधिपति - बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झाँसी एवं महामहिम राज्यपाल, उत्तर प्रदेश) और माननीय प्रो० मुकेश पांडेय (कुलपति - बुंदेलखंड विश्विद्यालय, झाँसी) के नाम अति गम्भीर विषय -  "सितंबर में हिन्दी दिवस के अवसर पर बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झाँसी के हिन्दी विभाग, पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोधपीठ एवं प्रज्ञा : द क्रिएटिव एवं लिटरेरी क्लब द्वारा दिनाँक 14 से 21 सितंबर 2023 तक हिन्दी प्रतियोगिता सप्ताह में आयोजित हिन्दी निबंध और हिन्दी कहानी प्रतियोगिता में हमारे द्वारा लिखित निबंध "भारत की भाषा समस्या और हिन्दी" और कहानी "हिन्दी : भारत माता के माथे की बिंदी" की प्रति उपलब्ध कराई जाए और हमारे लेखकीय अधिकारों का संरक्षण हो।" पर  "अपने रचनात्मक लेखन की प्रति पाने और लेखकीय अधिकारों के संरक्षण हेतु बुन्देलखंड विश्वविद्यालय झाँसी के कुलाधिपति /  कुलपति के नाम छात्र / लेखक गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज झाँसी' का पत्र" नामक पत्र लिखा था। जिस पर महामहिम राज्यपाल और कुलपति महोदय ने त्वरित कार्यवाही की और हिन्दी प्रतियोगिता सप्ताह के आयोजकों - प्रो० मुन्ना तिवारी (हिन्दी विभागाध्यक्ष), डॉ० शैलेन्द्र तिवारी (संयोजक - हिन्दी प्रतियोगिता सप्ताह एवं सहायक आचार्य, इतिहास) और डॉ० प्रेमलता श्रीवास्तव (आयोजन समिति सदस्य - हिन्दी प्रतियोगिता सप्ताह एवं शिक्षण सहायक, हिन्दी) को आदेशित करते हुए आयोजकों को अपनी गलती की प्रतिभागी से क्षमा माँगने और उसे उसके लेखन की प्रति उपलब्ध कराए जाने को कहा। तब आयोजकों / तथाकथित पूर्वांचली प्रोफेसरों ने अपनी गलती स्वीकारी और वे बुंदेलखंड की प्रतिभा के सामने झुके। प्रतिभागी छात्र को उसके लेखन की मूल प्रति ससम्मान सौपीं। आखिर बुन्देली प्रतिभा की जीत हुई। बुंदेली प्रतिभा ने लड़कर अपना हक ले लिया और तथाकथित पूर्वांचली प्रोफेसरों प्रो० मुन्ना तिवारी, डॉ० शैलेंद्र तिवारी और डॉ० प्रेमलता श्रीवास्तव का दंभ चूर - चूर कर दिया...।


 - गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज झाँसी'

(छात्र - बीकेडी कॉलेज, सामाजिक कार्यकर्त्ता)

16 अक्टूबर 2023, झाँसी


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Monday 23 October 2023

हिन्दी उपन्यासों में दिव्यांग विमर्श - किसान गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज झाँसी'

*** शोधपत्र : " हिन्दी उपन्यासों में दिव्यांग विमर्श " ***


- किसान गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज झाँसी'

(परास्नातक छात्र - हिन्दी विभाग, बुंदेलखंड महाविद्यालय, झाँसी; बुन्देलखंडी युवा लेखक; सामाजिक कार्यकर्त्ता; पूर्व महासचिव - इक्वल अपॉर्च्युनिटी सेल, हंसराज कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय)

ईमेल - kushraazjhansi@gmail.com

मो० - 8800171019, 9596911051

पता - 212, नन्नाघर, जरबो गॉंव, बरूआसागर, झाँसी (अखंड बुंदेलखंड) - 284201


_ 08/06/2023 _ 10:30 रात_ झाँसी



** ( 08 एवं 09 जुलाई 2023 को अखिल भारतीय विकलांग चेतना परिषद एवं प्रयास प्रकाशन, बिलासपुर, छत्तीसगढ़ द्वारा आयोजित दो दिवसीय 'विकलांग विमर्श' विषयक ग्यारहवीं राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी में प्रस्तुत शोध आलेख...। ) **



                        ***


साहित्य समाज में चेतना लाने का बदलाओकारी माध्यम है। समाज में चेतना आने से उस वर्ग का विशेष सशक्तिकरण होता है, जिस वर्ग विशेष के संदर्भ में साहित्य रचा गया होता है। 21वीं सदी में स्त्री, दलित, आदिवासी, किसान और किन्नर पर विमर्श और उनके सशक्तिकरण के बाद आज के दौर में दिव्यांग सशक्तिकरण की चर्चा जोरों पर चल रही है। 


दिव्यांग सशक्तिकरण के लिए हिन्दी साहित्य में एक नए विमर्श - 'विकलांग विमर्श' का प्रवर्तन समकालीन विमर्शों की धरती बिलासपुर, छत्तीसगढ़ में साहित्यमनीषी, भाषाविद और आलोचक डॉ० विनय कुमार पाठक जी ने किया है। 



डॉ० विनय कुमार पाठक जी दिव्यांग कथा साहित्य के उल्लेखनीय ग्रंथ 'कथा साहित्य में विकलांग विमर्श' की भूमिका में लिखते हैं -

" स्त्री, दलित और जनजातीय-विमर्श के बाद 21वीं सदी के प्रथम दशक की दस्तक के रूप में 'विकलांग-विमर्श' स्थापित हो रहा है जो शुभ - लक्षण का संकेत है। जाति और लिंग से रहित शुद्ध मानवतावादी दृष्टि पर आधारित यह ऐसा अभिनव विमर्श है जो किसी मानव को जन्म से या जीवन पर्यन्त किसी दुर्घटना या विकार से कभी भी हो सकता है। इसके लिए समाज में जन जागृति लाना और इनके समग्र विकास हेतु जनता, शासन और समाजसेवी - संस्थाओं में सामंजस्य का सूत्रपात करना आज के समय की माँग है। हमारे देश में ही नहीं, पूरे विश्व में विकलांगों की संख्या पन्द्रह प्रतिशत है लेकिन विडंबना ही कही जाएगी कि इनके पुर्नवास की समस्या आज भी मुँहबाए खड़ी है। एक दशक से स्त्री, दलित, आदिवासी व जनजातीय-विमर्श की परिक्रमा करने के पश्चात मैंने अनुभव किया कि युग की माँग के अनुरूप अब विकलांग विमर्श का भी वृत्त विनिर्मित करना समकालीन समीक्षा का सोपान सिद्ध होगा। भारत में पहली बार सन 2001 में विकलांगों की जनगणना की दिशा में कार्य आरंभ हुआ। पूरे विश्व में तीन प्रतिशत लोग विकलांग हैं तथा वैज्ञानिक दृष्टि से दस प्रतिशत जनसंख्या विकलांगता का वितान बनाती है। पक्षाघात, बायपास सर्जरी, कैंसर, थैलेसिमिया आदि अनेक जटिल व्याधियाँ और अस्सी वर्ष से अधिक की अवस्था अधिकतर विकलांगता के वर्ग में ही आती है। यू०एन०ओ० का सर्वेक्षण दस प्रतिशत आबादी की पुष्टि करता है। विश्व के इतने वृहद-विस्तृत समूह की संवेदना को शून्य कर देना क्या मानवीयता के मान को मिटाना नहीं कहा जाएगा ? इनकी समस्याओं को समझना, संघर्ष को महसूसना और संवेदना से समरस होना आधुनिकता का आग्रह आभासित होता है। लिंग और जाति से रहित यह विमर्श विशुद्ध मानवतावादी दृष्टि पर केंद्रित है। "



हम 'विकलांग विमर्श' को 'दिव्यांग विमर्श' कहना इसलिए ज्यादा उचित समझते हैं क्योंकि हमारे माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने 26 दिसम्बर 2015, रविवार को 'मन की बात' कार्यक्रम में शारीरिक रूप से अक्षम लोगों को नया नाम देते हुए कहा था कि विकलांगों के लिए 'दिव्यांग' शब्द का इस्तेमाल किया जाना चाहिए क्योंकि उनके पास एक अतिरिक्त शक्ति होती है। 



प्रधानमंत्री मोदी जी ने  विकलांगता पर चर्चा करते हुए कहा था -

" परमात्मा ने जिसके शरीर में कुछ कमी दी होती है, हम उसे विकलांग कहते हैं। कभी - कभी जब हम ऐसे व्यक्तियों से मिलते हैं तो हमें पता चलता है कि हमें आँखों से उनकी यह कमी दिखती है, लेकिन ईश्वर ने उन्हें कुछ एक्स्ट्रा पावर दिया होता है। एक अलग शक्ति का उसके अंदर परमात्मा ने निरूपण किया होता है। मेरे मन में विचार आया कि क्यों न हम देश में विकलांग की जगह पर 'दिव्यांग' शब्द का प्रयोग करेंगे। ये वे लोग हैं, जिनके पास एक ऐसा अंग है या एक से अधिक अंग हैं , जिसमें दिव्यता है। मुझे यह शब्द अच्छा लग रहा है। हम रेलवे, बस स्टैंड से लेकर तमाम सार्वजनिक जगहों को इन दिव्यांग लोगों के लिए सुविधापूर्ण बनाने पर ध्यान देंगे।"


दिव्यांग - सशक्तिकरण की दिशा में सरकार द्वारा उठाया गया ये पहला ऐतिहासिक कदम था। विकलांगों को 'दिव्यांग' सम्बोधन मिलने से समाज में उन्हें सम्मानीय स्थान मिला है। 26 दिसंबर 2015 से शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्ति के कल्याण हेतु संचालित योजनाओं - परियोजनाओं में आधिकारिक रूप से 'दिव्यांग' शब्द का प्रयोग हो रहा है। इसलिए हमें भी व्यक्तिगत और सार्वजनिक जीवन में शारिरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों हेतु 'दिव्यांग' संबोधन का ही प्रयोग करना चाहिए, अन्य किसी संबोधन का नहीं। 



"हिन्दी उपन्यासों में दिव्यांग विमर्श" के परिप्रेक्ष्य में यदि बात की जाए तो सबसे पहले उपन्यास के द्वारा ही दिव्यांग - जीवन अभिव्यक्ति पाया है। एक ये भी तथ्य है कि हिन्दी साहित्य में कथा के माध्यम से ही दिव्यांग - जीवन ज्यादा मुखर हुआ है काव्य की अपेक्षा।



हिन्दी उपन्यासों में सर्वप्रथम दिव्यांग - जीवन के दर्शन सन 1924 में प्रकाशित प्रेमचंद जी के उपन्यास 'रंगभूमि' में होते हैं। हम रंगभूमि उपन्यास को दिव्यांग विमर्श / विकलांग विमर्श का पहला उपन्यास मानते हैं। 



रंगभूमि उपन्यास का नायक सूरदास है, जोकि दिव्यांग है और काशी के पास में बसे पांडेपुर गाँव का रहने वाला है। ऐसा माना जाता है कि प्रेमचंद को उपन्यास में नायक सूरदास के सृजन की प्रेरणा गाँव के अंधे भिखारी से मिली थी। ये अंधा भिखारी जनसेवा करने में लगा रहता था और बेदम होने पर भी पीछे नहीं हटता था। रंगभूमि का नायक सूरदास गाँधीजी के विचारों का प्रतिनिधित्व करता है। वो शारीरिक रूप से दुर्बल होते हुए भी उपन्यास में मजबूत चरित्र के रूप में उभरकर आता है। उसमें संघर्ष करने की अद्भुत क्षमता है। वो विपरीत परिस्थितियों में भी संघर्ष करता है। 


प्रेमचंद जी ने बड़ी सहजता से रंगभूमि के आरंभ में ही सूरदास का जो परिचय दिया है। वो उसके वर्गगत व्यक्तित्व को भूमिकास्वरूप प्रस्तुत करता है। 

वे लिखते हैं -

 " भारतवर्ष में अंधे आदमियों के लिए न नाम की जरूरत होती है, न काम की। सूरदास उनका बना - बनाया नाम है, और भीख माँगना बना - बनाया काम है। उनके गुण और स्वभाव भी जगत प्रसिद्ध हैं - गाने - बजाने में विशेष रुचि, हृदय में विशेष अनुराग, अध्यात्म और भक्ति में विशेष प्रेम, उनके स्वाभाविक लक्षण हैं। बाह्य दृष्टि बंद और अंतर्दृष्टि खुली हुई। "



प्रेमचंद के रंगभूमि उपन्यास के बाद सन 1976 में प्रकाशित आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी के उपन्यास 'अनामदास का पोथा' में दिव्यांग विमर्श मुखर होता है। 'अनामदास का पोथा' में वर्णित है कि रैक्व ऋषि दिव्यांग थे, जिन्होंने राजा जानश्रुति को  ब्रह्मज्ञान का उपदेश दिया था। रैक्व को राजा की कन्या जबाला बहुत पसंद थी और उन दोनों के बीच प्रेम प्रसंग भी चल रहा था इसलिए राजा जानश्रुति ने ज्ञान-यज्ञ की दक्षिणा के रूप में अपनी कन्या जबाला का रैक्व ऋषि को सौंप दी और दोनों का प्रेमविवाह संपन्न करा दिया।



'अनामदास के पोथा' उपन्यास के बाद सन 1981 में प्रकाशित अमृतलाल नागर जी के उपन्यास 'खंजन नयन' में दिव्यांग सशक्तिकरण परिलक्षित होता है। 'खंजन नयन' में महाकवि सूरदास के गौरवमयी जीवन के विभिन्न पक्षों का चित्रण किया गया है। ये दिव्यांग - जीवन का उल्लेखनीय जीवनीपरक उपन्यास साबित होता है।


'खंजन नयन' उपन्यास के बाद दिव्यांग - जीवन सन 2016 में प्रकाशित मृदुला सिन्हा जी के उपन्यास 'ज्यों मेहंदी के रंग' में सशक्त अभिव्यक्ति पाता है। 'ज्यों मेंहदी के रंग' उपन्यास दिव्यांग विमर्श को केंद्र में रखकर रचा गया है। इसमें लेखिका मृदुला सिन्हा का भोगा हुआ यथार्थ उभरकर आया है। 

लेखिका ने अपने पुत्र 'परिमल' की जगह 'शालिनी' (उपन्यास की नायिका) को स्थापित किया है। 


उपन्यास की भूमिका में मृदुला सिन्हा लिखती हैं - 

" अपने स्व० पुत्र परिमल के प्रति किस भाव और भाषा में आभार व्यक्त करूँ। सच कहूँ तो अतिश्योक्ति नहीं होगी कि उसकी स्थिति ने ही मुझे इस उपन्यास की रचना के लिए बाध्य किया है। अपना शरीर क्या, उंगली भी एक इंच हिला पाने में असमर्थ परिमल अपने अट्ठारह वर्षीय जीवन में दस वर्षों तक हमारे ऊपर पूर्णरूपेण निर्भर था। परन्तु न मैं, न उसके पिता, न चाचा अभय सिंह, न दोनों भाई और न नन्हीं बहिन मीनाक्षी, किसी ने भी उसकी दिव्यांगता कबूल नहीं की।"


यह उपन्यास दिव्यागों की सेवा को तप और त्याग की भाँति प्रस्तुत करता है। इसकी नायिका शालिनी नामक युवती है। जो दुर्घटनाजन्य दिव्यांगता की शिकार हो जाती है।  जिसके दोनों पैर गंगा नदी में स्टीमर और डेक के बीच आ जाने से कट गए थे। वो कृत्रिम पैर लगवाने के लिए दद्दा जी के संस्थान में आती है। शालिनी में सेवा भाव और समर्पण कूट - कूटकर भरा है। दद्दा जी की संस्था से जुड़ने के बाद वह अपने अतीत की कटु स्मृतियों को भूलकर स्वयं भी अन्य दिव्यांगों की सेवा एवं सहयोग में लग जाती है और दद्दा जी की अनुपस्थिति में वह सारे संस्थान की जिम्मेदारी स्वयं उठाती है।



'ज्यों मेहंदी के रंग' उपन्यास में सामाजिक और सरकारी व्यवस्था की बुराइयों को भी उजागर किया गया है। ये उपन्यास  

सरकारी और गैरसरकारी प्रयासों से बढ़कर 

स्वयं दिव्यांगों की मानसिकता में परिवर्तन की राह दिखाता है।


पिछली साल जनवरी 2022 में प्रकाशित गीता पंडित का उपन्यास 'इनबॉक्स' दिव्यांग विमर्श का समकालीन उपन्यास है।  'इनबॉक्स' उपन्यास में पोलियो से प्रभावित नन्नू की कहानी उसकी माँ द्वारा नन्नू की मृत्यु के बाद लिखे पत्रों के जरिए बताई गई है। गीता जी ने बहुत संवेदनशीलता

से नन्नू और विकलांगता के उसके जीवन पर प्रभाव को उकेरा है। "विटामिन जिन्दगी पुरस्कार" के दिसम्बर 2021 संस्करण में निर्णायक और साहित्य अकादेमी पुरस्कार विजेता सुप्रसिद्ध लेखिका अनामिका जी ने इस उपन्यास को विशेष रूप से सम्मानित करने की अनुशंसा की थी।


अतः इस प्रकार, हम निष्कर्ष रूप में कह सकते हैं कि हिन्दी उपन्यासों में कथासम्राट प्रेमचंद के 'रंगभूमि' उपन्यास से लेकर समकालीन उपन्यास 'इनबॉक्स' में दिव्यांग - जीवन की मुखर अभिव्यक्ति हुई है। इन उपन्यासों ने दिव्यांगों के जीवन के विभिन्न पहलुओं, उनकी परिस्थितियों और उनके जीवन संघर्षों को बेबाकी से उठाया है इसलिए इन उपन्यासों की दिव्यांग - सशक्तिकरण की दशा और दिशा में उल्लेखनीय भूमिका है। 



संदर्भ -: 

(1.) विकलांग विमर्श : दशा और दिशा - डॉ० विनय कुमार पाठक, भावना प्रकाशन दिल्ली, संस्करण 2020

(2.) मन की बात - प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, 26 दिसम्बर 2015

(3.) कथा साहित्य में विकलांग विमर्श - संपादक डॉ० विनय कुमार पाठक, अखिल भारतीय विकलांग चेतना परिषद

(4.) विकलांग विमर्श विविध सोपान - संपादक डॉ० आनंद कश्यप, पंकज बुक्स दिल्ली, संस्करण 2022 

(5.) रंगभूमि - प्रेमचंद, संस्करण - 1924

(6.) अनामदास का पोथा - आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी, संस्करण - 1976

(7.) खंजन नयन - अमृतलाल नागर, संस्करण - 1981

(8.) ज्यों मेंहदी के रंग - मृदुला सिन्हा, प्रभात प्रकाशन दिल्ली, संस्करण - 2016

(9.)  ज्यों मेंहदी के रंग उपन्यास में दिव्यांग विमर्श - वंदना पांडेय, डॉ० वीरेंद्र सिंह यादव, शोधपत्र प्रकाशन - जनवरी 2018

(10.) इनबॉक्स - गीता पंडित, श्वेतवर्ण प्रकाशन, संस्करण - जनवरी 2022

Sunday 22 October 2023

पर्यावरण : संस्कृति की भूमिका शोधपत्र प्रस्तुत करने पर किसान गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज झाँसी' का हुआ सम्मान...

विगत 01 अक्टूबर 2023 को विश्व साहित्य सेवा ट्रस्ट, आगरा एवं माधवी फाउंडेशन, लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय पुस्तक मेला, लखनऊ में " पर्यावरण : चिंतन एवं विमर्श " विषय पर संपन्न हुई एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में मेरे द्वारा प्रस्तुत शोधपत्र " पर्यावरण : संस्कृति की भूमिका " के प्रमाणपत्र से हमें शास्त्री विश्वभारती संस्कृति शोध संस्थान, झाँसी द्वारा शास्त्री भवन, सीपरी बाजार, झाँसी में 12 अक्टूबर 2023 को आयोजित मासिक काव्य गोष्ठी में झाँसी के साहित्यकार आदरणीय चाचाजी डॉ० निहाल चंद शिवहरे जी के सौजन्य से संगोष्ठी अध्यक्ष साहित्यकार गौरीशंकर उपाध्याय 'सरल' जी और मुख्य अतिथि साहित्यकार, पूर्व प्रशासनिक अधिकारी आदरणीय चाचाजी डॉ० प्रमोद कुमार अग्रवाल जी के हाथों सम्मानित होने का सौभाग्य मिला। 




इस अवसर पर विशेष रूप से शास्त्री विश्वभारती संस्कृति शोध संस्थान, झाँसी की निदेशिका एवं समाजसेविका डॉ० नीति शास्त्री जी, साहित्यकार साकेत सुमन चतुर्वेदी जी, डॉ० सुमन मिश्रा जी, अभिनेता आरिफ शहड़ोली जी इत्यादि कवि - कवयित्रियाँ उपस्थित रहीं। आमंत्रण हेतु चाचाजी डॉ० निहालचंद शिवहरे और डॉ० नीति शास्त्री जी का भौत - भौत आभार।


- किसान गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज झाँसी'

(बुन्देलखंडी युवा लेखक, सामाजिक कार्यकर्त्ता)

_ 12 अक्टूबर 2023, झाँसी

घर से फरार जिंदगियाँ - कुशराज झाँसी

सीता मैया और रामराजा सरकार की असीम कृपा और दादा-दादी, माता-पिता, चाचा-चाची और गुरूजनों के आशीर्वाद और भाई-बहिनों, साथियों के सहयोग और प्रेम से पिछले साल सन 2022 में प्रकाशित पहली किताब 'पंचायत' की अपार सफलता के बाद.....


जल्द ही पाठकों की अदालत में हाजिर होगी मेरी अगली किताब - "घर से फरार जिंदगियाँ"। ऐसा कहानी संग्रह जिसमें हैं हमारे 21वीं सदी के समाज से निकली ऐसी कहानियाँ जो आपको सोचने पर मजबूर कर देंगीं.....।




"घर से फरार जिंदगियाँ" किताब के प्रकाशन हेतु मेरे प्रेरणापुंज पूजनीय दादाजी किसान पीताराम कुशवाहा 'पत्तू नन्ना', पूजनीय दादी किसानिन रामकली कुशवाहा 'बाई', पूजनीय आचार्य डॉ० पुनीत बिसारिया, पूजनीय गुरूजी डॉ० रामशंकर भारती और प्रकाशक युवा लेखिका शिवांगी पुरोहित, लॉयन्स पब्लिकेशन ग्वालियर का भौत - भौत आभार 🙏🙏🙏


आपका लेखक -: कुशराज झाँसी

_22/10/2023, झाँसी

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Monday 16 October 2023

लेखक - किसान गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज झाँसी' का जीवन परिचय

 *** लेखक - किसान गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज झाँसी' का जीवन परिचय ***

_15 अक्टूबर 2023, झाँसी



                चित्र - लेखक कुशराज झाँसी

                  

                        


नाम : किसान गिरजाशंकर कुशवाहा 

           'कुशराज झाँसी'

मूल नाम : किसान गिरजाशंकर कुशवाहा 

हिन्दी लेखन में उपनाम : कुशराज झाँसी

कछियाई / बुंदेली लेखन में उपनाम : सतेंद सिंघ किसान

घर में उपनाम : सतेंद, भाईसाब

बचपन का नाम : सिस्सू

माता : किसानिन ममता कुशवाहा

पिता  : किसान हीरालाल कुशवाहा

साहित्यिक गुरू : डॉ० रामशंकर भारती (शिक्षक, साहित्यकार, संस्कृतिकर्मी)

जन्म : 30 जून सन 1999 (प्रमाणपत्रों में) / 06 सितंबर सन 1998 (जन्मकुंडली में)

जन्मस्थान : 212 नन्नाघर, जरबो गॉंव, बरूआसागर, जिला झाँसी, अखंड बुंदेलखंड - 284201

वंश : भगवान श्रीराम - माँ सीता के पुत्र कुश के वंशज

विचारधारा - बदलाओकारी विचारधारा / कुशराजवाद

भाई : ब्रह्मानंद कुशवाहा, प्रशांत कुशवाहा (कबड्डी खिलाड़ी)

बहिन : रोशनी कुशवाहा (इंस्पायर स्कॉलर)

दादा : किसान पीताराम कुशवाहा 'पत्तू नन्ना' (समाजसेवी)

दादी : किसानिन रामकली कुशवाहा 'बाई'

परदादा : किसान बलदेव कुशवाहा 'बलदेव माते'

परदादी : किसानिन सगुनियाँ कुशवाहा

परिवार : बुंदेली कुशवाहा किसान परिवार

पारिवारिक व्यवसाय : खेती - किसानी



मातृभाषा : कछियाई / बुंदेली

लिंग : पुरुष

उम्र : 24 साल

जाति : कुशवाहा / काछी

वर्ण : क्षत्रिय

वर्ग : किसान / अन्य पिछड़ा वर्ग 

धर्म : हिन्दू / सनातन

मातृभूमि : बुंदेलखंड

देश : भारत

राष्ट्रीयता : भारतीय

वैवाहिक स्थिति : अविवाहित

रक्त समूह : O+ 



शिक्षा

(1.) प्रारंभिक शिक्षा : कक्षा शिशु से छठवीं तक - सरस्वती ज्ञान मंदिर जूनियर हाईस्कूल, जरबो गॉंव, झाँसी

(2.) माध्यमिक शिक्षा : कक्षा सातवीं से नौवीं तक - माँ वैष्णो शिक्षा मंदिर जूनियर हाईस्कूल, बरूआसागर, झाँसी

(3.) हाईस्कूल (2015) : सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज, बरूआसागर, झाँसी

(4.) इंटरमीडिएट (जीवविज्ञान वर्ग) (2017) : सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज, बरूआसागर, झाँसी


उच्च शिक्षा

(1.) स्नातक ( 2017 - 20) : बी०ए० हिन्दी ऑनर्स (हिन्दी भाषा एवं साहित्य, जन्तुविज्ञान, संस्कृत, दर्शनशास्त्र - नारीवाद, अंग्रेजी), हंसराज कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली

(2.) कानून स्नातक (2020 - 2023) : एल०एल०बी०, बुंदेलखंड महाविद्यालय झाँसी (बीकेडी), बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झाँसी

(3.) परास्नातक (2022 - 24) : एम० ए० हिन्दी, बुंदेलखंड महाविद्यालय झाँसी (बीकेडी), बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झाँसी


भाषा ज्ञान :

1. कछियाई / किसानी

2. बुन्देली / बुंदेलखंडी

3. हिन्दी

4. संस्कृत

5. अंग्रेजी

6. फ्रेंच


रुचि : समाजसुधार, शोध - अनुसंधान, किसान - उत्थान, पर्यावरण - संरक्षण, बुंदेली संस्कृति, लेखन, पठन - पठान, समाजकार्य, दर्शन, धर्म, राजनीति, सिनेमा, विमर्श, बकालत।


लेखन  :

(1.) बुंदेली में - डायरी, कविता, कहानी, लेख, विमर्श, इतिहास, ब्लॉग इत्यादि।

(2.) हिन्दी में - कविता, कहानी, लेख, विमर्श, निबंध, संस्मरण, डायरी, इतिहास, ब्लॉग इत्यादि।

(3.) अग्रेंजी में - इतिहास।


प्रकाशित किताबें : 

(1.) ' पंचायत '(हिन्दी कहानी एवं कविता संग्रह), बुंदेलखंड साहित्य उन्नयन समिति, झाँसी की पहल 'गुमनाम से नाम की ओर' के तहत सन 2022 में अनामिका प्रकाशन प्रयागराज से प्रकाशित।


अप्रकाशित किताबें :

(क) हिन्दी भाषा में - 

(1.) बुंदेलखंडी युवा की डायरी (डायरी)

(2.) पहचान (काव्य संग्रह)

(3.) हम हैं कुशराज - बुंदेली किसान के बेटे (आत्मकथा)

(4.) 21वीं सदी में भारतीय समाज : दशा और दिशा (वैचारिकी)

(5.) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अखंड बुंदेलखंड का योगदान (इतिहास)

(6.) किसान विमर्श : दशा और दिशा (आलोचना)

(7.) किसान साहित्य का इतिहास (आलोचना)

(8.) किसान साहित्य का सौंदर्यशास्त्र (आलोचना)


(ख) बुंदेली भाषा में - 

(1.) बदलाओकारी सतेंद सिंघ किसान की डायरी (डायरी)

(2.) सब बिरोबर होंएँ (कबिता-संग्रह) 


प्रकाशित लेखन :

(1.) अंग्रेजी भाषा में : सीसीआरटी, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव पोर्टल पर डीडीआर प्रोजेक्ट के तहत 'भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अखंड बुंदेलखंड का योगदान' विषय पर बुंदेलखंड के इतिहास से संबंधित 19 कहानियाँ प्रकाशित।

 

(2.) अनुदित रचनाएँ : जैन धर्म ग्रंथ - जिणदत्तचरित्त का भावानुवाद / जिनदत्त चरित्त की व्याख्या (2023)


(3.) यूथ की आवाज पर 6 लेख, 6 कविताएँ और 1 डायरी प्रकशित।

(https://www.youthkiawaaz.com/author/girzashanker_kushwaha_kshatriya/)  


(4.) बुन्देली झलक पर 3 लेख और 1 लघुकथा प्रकाशित।

(https://bundeliijhalak.com/pirkiti/


(5.) वूमन्स वेब पर 2 लेख और 3 कविताएँ प्रकाशित।

(https://www.womensweb.in/hi/author/kushraaz-jhansi/)


(6.) अमर उजाला काव्य पर 3 कविताएँ प्रकाशित।

(https://www.amarujala.com/amp/kavya/mere-alfaz/kushraazjhansi-poem-sab-saman-hon)


(7.) साहित्य सिनेमा सेतु पर 4 लेख और 2 कविताएँ प्रकाशित।

(https://sahityacinemasetu.com/when-will-farmers-in-india-get-the-fruits-of-their-labor/


(8.) वैश्विक साहित्य पत्रिका झाँसी, परिवर्तन - बहुभाषी स्वतंत्र युवा लेखक पत्रिका, दैनिक जनसेवा मेल झाँसी, दैनिक विजय दर्पण टाइम्स मेरठ, मानस पत्रिका वाराणसी, दैनिक प्यारी दुनिया नई दिल्ली, प्रतिलिपि, मिराकिल, योरकोट इत्यादि में लेखन निरंतर प्रकाशित।


शोधपत्र

(1.) " पर्यावरण : संस्कृति की भूमिका " - 01 अक्टूबर 2023 को विश्व साहित्य सेवा ट्रस्ट, आगरा एवं माधवी फाउंडेशन, लखनऊ, उत्तरप्रदेश द्वारा आयोजित 'पर्यावरण : चिंतन एवं विमर्श' विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रस्तुत।


(2.) " हिन्दी नाटक में किन्नर विमर्श " - 04 सितंबर 2023 को शासकीय पातालेश्वर महाविद्यालय, मस्तूरी एवं प्रयास प्रकाशन, बिलासपुर, छत्तीसगढ़ द्वारा आयोजित  'किन्नर विमर्श : नाटक एवं सिनेमा के विशेष संदर्भ में' विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी में प्रस्तुत एवं तृतीय पुरस्कार से पुरस्कृत।


(3.) " हिन्दी उपन्यासों में दिव्यांग विमर्श " - 08 एवं 09 जुलाई 2023 को अखिल भारतीय विकलांग चेतना परिषद एवं प्रयास प्रकाशन, बिलासपुर, छत्तीसगढ़ द्वारा आयोजित दो दिवसीय 'विकलांग विमर्श' विषयक ग्यारहवीं राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी में प्रस्तुत।


(4.) " विकलांग और कानून " - 11 एवं 12 जून 2022 को अखिल भारतीय विकलांग चेतना परिषद एवं प्रयास प्रकाशन, बिलासपुर, छत्तीसगढ़ द्वारा आयोजित दो दिवसीय 'विकलांग विमर्श' विषयक नौवीं राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी में प्रस्तुत।


(5.) " खबर लहरिया बुन्देली अखबार : भारतीय महिला पत्रकारिता की अनोखी मिसाल "


शोध परियोजना

सन 2023 में सीसीआरटी, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के आजादी का अमृत महोत्सव पोर्टल हेतु डीडीआर प्रोजेक्ट के तहत 'बुंदेलखंड के इतिहास' और 'भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अखंड बुंदेलखंड का योगदान' पर शोध।


दर्शन :

बदलाओकारी विचारधारा / कुशराजवाद के प्रवर्त्तक। 

 

अध्यापन

बदलाओ : जन जागरूकता के लानें (बदलाओ की आवाज) एनजीओ स्थापित करके मित्र दीपेश मिश्रा के साथ 'बदलाओ की पाठशाला' मुहिम चलाकर सन 2021 में  9 माह तक शारदा माई का मंदिर, घसरपुरा, बरूआसागर, झाँसी में गरीब बच्चों को निःशुल्क बहुआयामी शिक्षा दी।


पर्यावरण संरक्षण हेतु कार्य : 

20 फरवरी 2020 में बरूआसागर, झाँसी में  बदलाओ : जन जागरूकता के लानें (बदलाओ की आवाज) एनजीओ स्थापित करके मित्र दीपेश मिश्रा के साथ पर्यावरण संरक्षण हेतु निरंतर वृक्षरोपण और वृक्षरक्षासूत्र बंधन कार्यक्रम चलाए।


संपादन

(1.) सदस्य, हिन्दी संपादक मंडल (2018-20) - हंसविजन, विजन सोसायटी, हंसराज कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय

(2.) संस्थापक / प्रधान संपादक - बहुभाषी स्वतंत्र युवा लेखक पत्रिका : परिवर्तन (24 जनवरी 2019 को हंसराज कॉलेज, दिल्ली में स्थापना की)

(3.) संस्थापक / संपादक - ऑनलाइन किसानी-बुंदेली पत्तिका : अखंड बुंदेलखंड (21 जुलाई 2020 को जरबो गॉंव, झाँसी में स्थापना की)


पत्रकारिता :

(1.) विजन सोसायटी, हंसराज कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित द्विभाषी त्रैमासिक पत्र हंसविजन में सन 2018 से 2020 तक हिन्दी संपादक मंडल के सदस्य रहे और कॉलेज की खबरें भी कवर कीं। 

(2.)  दिल्ली विश्वविद्यालय की बहुभाषी वार्षिक पत्रिका (2017-18) में हिन्दी रिपोर्टर रहे।

(2.) बुन्देली दर्पण हेतु सन 2023 में रिपोर्टिंग की।


छात्र राजनीति / राजनीति :

सन 2014 से अब तक छात्र राजनीति में सक्रिय रहकर छात्रहितों के लिए संघर्ष किया, छात्र संगठनों में पदाधिकारी रहे और छात्रसंसद एवं छात्रसंघ के चुनाव भी लड़े।


(1.) उपप्रधानमंत्री (2014-15) : छात्र संसद - सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज, बरूआसागर (झाँसी)

(2.) प्रधानमंत्री (2015-16) : छात्र संसद - सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज, बरूआसागर (झाँसी)

(3.) सांसद (2016-17) : छात्र संसद - सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज, बरूआसागर, झाँसी

(4.) उपाध्यक्ष (2017-18) : अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, हंसराज कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय) 

(5.) छात्रसंघ प्रतिनिधि (2017-18) - हंसराज कॉलेज छात्रसंघ (दिल्ली विश्वविद्यालय)

(6.) पर्यावरण सचिव (2017-18) - दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (दिल्ली)

(7.) महासचिव (2018-19) -  हिन्दी साहित्य परिषद, हिन्दी विभाग, हंसराज कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय)

(8.) संस्थापक / अध्यक्ष (2018 से अबतक) - यूथ पैनल (महात्मा हंसराज पैनल), हंसराज कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय

(9.) छात्रसंघ सचिव प्रत्याशी (2019-20) - हंसराज कॉलेज छात्रसंघ (दिल्ली विश्वविद्यालय)

(10.) अध्यक्ष प्रत्याशी (2019-20) -  हिन्दी साहित्य परिषद, हिन्दी विभाग, हंसराज कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय)

(11.) संस्थापक / अध्यक्ष (2021से अबतक) - बुंदेलखंड जागरुकता मंच, झाँसी

(12.) जिला सदस्यता प्रमुख (2022-23) - अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, झाँसी पूरब जिला, झाँसी महानगर।


अभिनय : 

(1.) " प्लास्टिक को मत अपनाओ " नुक्कड़ नाटक में अभिनय किया। जिसका एनएसएस, बीकेडी कॉलेज की टीम द्वारा बुंदेलखंड महाविद्यालय, झाँसी में राष्ट्रीय सेवा योजना के सात दिवसीय विशेष शिविर में 27 मार्च 2023 को मंचन किया गया।

(2.) " पर्यावरण बचाओ " नुक्कड़ नाटक  में अभिनय किया। जिसका एनएसएस, बीकेडी कॉलेज की टीम द्वारा बुंदेलखंड महाविद्यालय, झाँसी में वृक्षारोपण महाअभियान - 2023 के अवसर पर 23 जुलाई 2023 को मंचन किया गया।

 

खेल :

सन 2018-19 में हंसराज कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय की ताइक्वांडो टीम के सदस्य रहकर ताइक्वांडो खेल की प्रैक्टिस की।


कानून :

1. लीगल इंटर्नशिप (20 दिसम्बर 2021 - 13 जनवरी 2022) : मोहम्मद सिद्दीक खान, सीनियर एडवोकेट के मार्गदर्शन में, जिला एवं सत्र न्यायालय, झाँसी

2. लीगल इंटर्नशिप (16 मई 2022 - 12 अक्टूबर 2022) : घनश्यामदास कुशवाहा, सीनियर एडवोकेट एवं देवेंद्र कुशवाहा, एडवोकेट के मार्गदर्शन में, जिला एवं सत्र न्यायालय, झाँसी।


विशेष

(1.) बुंदेली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने और अखंड बुंदेलखंड की राजभाषा बनाने हेतु संकल्पित।

(2.) हिन्दी को राष्ट्रभाषा और सर्वोच्च न्यायालय की कार्यवाही की भाषा बनाने के लिए संकल्पित।

(3.) अखंड बुंदेलखंड राज्य निर्माण हेतु संकल्पित।

(4.) बुंदेली भाषा के विविध आयाम और बुंदेलखंड का समग्र अध्ययन पर शोध में संलग्न।

(5.) अखंड बुंदेलखंड महाँपंचयात, झाँसी (बुंदेलखंड और बुंदेली भासा के विकास हेतु समर्पित संगठन) की 09 जुलाई 2020 को स्थापना की। 

(6.) ऑनलाइन किसानी - बुंदेली पत्तिका 'अखंड बुंदेलखंड' के संस्थापक - संपादक (21 जुलाई 2020 से प्रकाशित)

(7.) बुन्देली झलक पर बुंदेलखंड के साहित्यकार के अंर्तगत जीवन परिचय प्रकाशित।

(8.) बुन्देलखण्ड के कथाकार (संपादक - प्रो० पुनीत बिसारिया) नामक पुस्तक में कहानी चयनित।

(9.) स्त्री विमर्श, किसान विमर्श, पुरुष विमर्श, छात्र विमर्श, वेश्या विमर्श, आदिवासी विमर्श, भाषा विमर्श, पर्यावरण विमर्श, किन्नर विमर्श, विकलांग विमर्श, बाल विमर्श इत्यादि समकालीन विमर्शों पर शोध एवं लेखन। 

(10). सदस्य - बुंदेलखंड साहित्य उन्नयन समिति, झाँसी

(11.) पूर्व प्रधानमंत्री (2015-16) : छात्र संसद - सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज, बरूआसागर (झाँसी)

(12.) पूर्व उपाध्यक्ष (2017-18) : अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, हंसराज कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय) 

(13.) पूर्व महासचिव (2018-19) - समान अवसर प्रकोष्ठ, हंसराज कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय)

(14) सहसचिव (2018-19) - निष्ठा : द हंसराज सिविल सर्विसेज सोसायटी, हंसराज कॉलेज (दिल्ली  विश्वविद्यालय)

(15.) विभिन्न मंचों पर काव्य पाठ।

(16.) विभिन्न पत्र - पत्रिकाओं एवं पोर्टलों पर लेखन प्रकाशित।


दायित्व :

(1.) सदस्य - बुंदेलखंड साहित्य उन्नयन समिति, झाँसी

(2.) संस्थापक महासचिव - बदलाओ : जन जागरूकता के लानें / बदलाओ की आवाज, बरूआसागर, झाँसी

(3.) संचालक : बदलाओ की पाठशाला, बरूआसागर, झाँसी

(4.) संस्थापक अध्यक्ष - बुंदेलखंड जागरूकता मंच, झाँसी

(5). संस्थापक अध्यक्ष - परिवर्तन लेखक समिति, दिल्ली

(6.) संस्थापक / प्रधान संपादक - बहुभाषी स्वतंत्र युवा लेखक पत्रिका : परिवर्तन 

(7.) संस्थापक अध्यक्ष - यूथ पैनल (महात्मा हंसराज पैनल), हंसराज कॉलेज, दिल्ली

(8.) जिला महामंत्री - कलार्पण, झाँसी

(9.) जिला संगठन विस्तार प्रमुख - संस्कृत संस्कृति विकास संस्थान, झाँसी

(10.) जिला संगठन मंत्री - अखिल भारतीय कुशवाहा महासभा, झाँसी


पूर्व दायित्व :

(1). वार्षिक पत्रिका क्षितिज प्रमुख 

(2014-15) : सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज, बरूआसागर (झाँसी)

(2.) नगर अध्यक्ष (2014-18) - बुंदेली वीर मंच, बरूआसागर (झाँसी)

(3.) कक्षा प्रतिनिधि (2017-18) - बी० ए० हिन्दी ऑनर्स प्रथम वर्ष, हिन्दी विभाग, हंसराज कॉलेज (दिल्ली)

(4.) स्वयंसेवी (2017-18) - राष्ट्रीय सेवा योजना (ग्रामीण विकास शाखा), हंसराज कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय)

(5.) सदस्य (2017-18) - हिन्दी साहित्य परिषद, हिन्दी विभाग, हंसराज कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय)

(6.) सदस्य (2017-20) - प्रस्ताव : हिन्दी वाद-विवाद समिति, हंसराज कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय)

(7.) सदस्य (2017-18)  - इनेबलिंग यूनिट एंड इक्वल अपॉर्च्युनिटी सेल, हंसराज कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय)

(8.) सदस्य (2017-18)  - हरितिमा : द एनवायरमेंटल अवेयरनेस सोसायटी, हंसराज कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय)

(9.) सदस्य (2017-18)  - स्पिक मैके, हंसराज कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय)

(10.)  सदस्य (2017-18)  - सोसायटी ऑफ जनरल अवेयरनेस, हंसराज कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय)

(11.)  सदस्य (2017-18)  - निष्ठा : द हंसराज सिविल सर्विसेज सोसायटी, हंसराज कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय)

(12.) सदस्य (2017-18)  - उम्मीद : अ ड्राप ऑफ हॉप, दिल्ली

(13.) महासचिव (2018-19) - समान अवसर प्रकोष्ठ, हंसराज कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय)

(14.) सहसचिव (2018-19) - निष्ठा : द हंसराज सिविल सर्विसेज सोसायटी, हंसराज कॉलेज

(15.) संपादकीय संयोजक (2018-19) - सोसायटी ऑफ जनरल अवेयरनेस, हंसराज कॉलेज

(16.) सदस्य (2018-19) - महिला विकास प्रकोष्ठ, हंसराज कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय)

(17.) सदस्य (2018-19) - हंसराज ताइक्वांडो टीम, शारिरिक शिक्षा एवं खेल विभाग, हंसराज कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय)

(18.) स्वयंसेवक (2020-22) - राष्ट्रीय सेवा योजना, बुंदेलखंड महाविद्यालय (झाँसी)

(19.) सक्रिय कार्यकर्त्ता (2021-22) - यूथ कांग्रेस, झाँसी (कांग्रेस, बुंदेलखंड)

(20.) जिलामंत्री (2021-22) - कला एवं साहित्य साधकों को समर्पित संस्था : कलार्पण, झाँसी

(21.) जिला संगठन मंत्री (2022-23) - अखिल भारतीय कुशवाहा महासभा, झाँसी

(22.) जिला सदस्यता प्रमुख (2022-23) - अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, झाँसी पूरब जिला, झाँसी महानगर

(23.) जिला संगठन विस्तार प्रमुख (2022-23) - साहित्य संस्कृति विकास संस्थान, झाँसी 

(24.) स्वयंसेवक (2022-24) - राष्ट्रीय सेवा योजना, बुंदेलखंड महाविद्यालय (झाँसी)



राष्ट्रीय - अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों में सहभागिता :

क्रमांक - संगोष्ठी का विषय - दिनाँक - आयोजक - कार्यक्रम विवरण - भूमिका


1. पर्यावरण : चिंतन एवं विमर्श - 01 अक्टूबर 2023 - विश्व साहित्य सेवा ट्रस्ट, आगरा एवं माधवी फाउंडेशन, लखनऊ, उत्तरप्रदेश - एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी - शोधपत्र वाचक 


2. किन्नर विमर्श : नाटक एवं सिनेमा के विशेष संदर्भ में - 04 सितंबर 2023 - शासकीय पातालेश्वर महाविद्यालय, मस्तूरी एवं प्रयास प्रकाशन, बिलासपुर, छत्तीसगढ़ - एक दिवसीय राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी - शोधपत्र वाचक


3. 'विकलांग विमर्श' विषयक ग्यारहवीं राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी - 08 एवं 09 जुलाई 2023 - अखिल भारतीय विकलांग चेतना परिषद एवं प्रयास प्रकाशन, बिलासपुर, छत्तीसगढ़ - दो दिवसीय राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी - शोधपत्र वाचक


4. 'विकलांग विमर्श' विषयक नौवीं राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी - 11 एवं 12 जून 2022 - अखिल भारतीय विकलांग चेतना परिषद एवं प्रयास प्रकाशन, बिलासपुर, छत्तीसगढ़ - दो दिवसीय राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी - शोधपत्र वाचक


5. हिन्दी सिनेमा में राम - 23 एवं 24 मई 2022 - हिन्दी विभाग, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झाँसी एवं रुद्राणी कला ग्राम एवं शोध संस्थान, ओरछा, मध्यप्रदेश - दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी - छात्र 


6. वैश्विक पटल पर हिन्दी - 23 अक्टूबर 2018 - साहित्य संचय प्रकाशन एवं हंसराज कॉलेज, दिल्ली - एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी - छात्र


7. युवा : समाज निर्माण में भूमिका - 20 जनवरी 2018 - इंद्रप्रस्थ अध्ययन केन्द्र, नई दिल्ली - एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी - छात्र


राष्ट्रीय - अंतराष्ट्रीय कार्यशालाओं में सहभागिता :

क्रमांक - कार्यशाला का विषय - दिनाँक - आयोजक - कार्यक्रम विवरण - भूमिका


1. षोडश संस्कार : गर्भाधान संस्कार के विशेष संदर्भ में - 01 एवं 02 मई 2023 - बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झाँसी - दो दिवसीय कार्यशाला - लेखक 


2. डिजिटल डिस्ट्रिक्ट रिपोजेटरी कार्यशाला - 15 मार्च 2023 - सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केन्द्र, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार; लोक एवं जनजाति कला एवं संस्कृति संस्थान, संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार - लेखक


3. मानसिक स्वास्थ्य एवं जीवन कौशल - 13 फरवरी 2023 - सिफ्सा, बुंदेलखंड कॉलेज, झाँसी - एक दिवसीय कार्यशाला - लेखक


4. भारतीय कृषि : चुनौतियाँ एवं संभावनाएं - 14 एवं 15 जनवरी 2023 - भारतीय एग्रो इकोनॉमिक रिसर्च सेंटर, नई दिल्ली एवं रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी - दो दिवसीय कार्यशाला - लेखक


5. जिला अभ्यास वर्ग 2022 - 24 जुलाई 2022 - अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, झाँसी पूरब एवं पश्चिम जिला इकाई - एक दिवसीय अभ्यास वर्ग - जिला सदस्यता प्रमुख, झाँसी पूरब जिला


6. स्वावलंबी भारत अभियान क्षेत्रीय कार्यशाला - 25 एवं 26 जून 2022 - स्वावलंबी भारत अभियान, पूर्वी एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्षेत्र - एबीवीपी झाँसी महानगर प्रतिनिधि


7. सेवार्थ विद्यार्थी अखिल भारतीय कार्यशाला - 26 से 28 अप्रैल 2022 - स्टूडेंट्स फॉर सेवा, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, झाँसी - तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला - कार्यकर्त्ता 


8. स्वावलंबी भारत अभियान क्षेत्रीय कार्यशाला - 25 एवं 26 जून 2022 - स्वावलंबी भारत अभियान, पूर्वी एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्षेत्र - एबीवीपी झाँसी महानगर प्रतिनिधि


9. हाऊ टू गेट पब्लिश्ड रिसर्च पेपर्स इन राइट जर्नल्स - 27 अक्टूबर 2018 - हंसराज कॉलेज, दिल्ली एवं ग्रेस इंडिया एजुकेशनल चैरिटेबल ट्रस्ट, दिल्ली - एक दिवसीय कार्यशाला - छात्र


राष्ट्रीय - अंतरराष्ट्रीय महोत्सवों, अधिवेशनों, कार्यक्रमों में सहभागिता

(1.) ओरछा साहित्य महोत्सव - 2023, रुद्राणी कला ग्राम एवं शोध संस्थान द्वारा 21 से 25 सितंबर 2023 तक ओरछा में आयोजित।


(2.) हिन्दी प्रतियोगिता सप्ताह - 2023, हिन्दी दिवस के असवर पर बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झाँसी के हिन्दी विभाग, पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोधपीठ एवं प्रज्ञा : द क्रिएटिव एवं लिटरेरी क्लब द्वारा  14 से 21 सितंबर 2023 तक आयोजित हिन्दी निबंध प्रतियोगिता में "भारत की भाषा समस्या और हिन्दी" विषय पर निबंध लिखा और हिन्दी कहानी प्रतियोगिता में "हिन्दी : भारत के माथे की बिंदी" विषय पर कहानी लिखी।


(3.) भाषा रचना उत्सव - 2023, हिन्दी दिवस पर 14 सितंबर 2023 को हिन्दी विभाग एवं विधि विभाग, बुंदेलखंड महाविद्यालय, झाँसी द्वारा आयोजित।


(4.) हिन्दी साहित्य भारती झाँसी महागनर एवं झाँसी जनपद का प्रथम जिला उपवेशन - 2023, हिन्दी साहित्य भारती झाँसी द्वारा 28 मई 2023 को आयोजित।


(5.) पत्रकार एकता संघ, झाँसी का स्थापना दिवस एवं वार्षिकोत्सव - 2023, पत्रकार एकता संघ द्वारा 30 मई 2023 को राजकीय संग्रहालय, झाँसी में आयोजित।


(6.) राम महोत्सव - 2023, ओरछा में रुद्राणी कला ग्राम एवं शोध संस्थान द्वारा 05 से 09 अप्रैल 2023 तक आयोजित।


(7.) बुंदेली साहित्य उत्सव - 2023, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झाँसी में बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग, पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोधपीठ एवं डॉ० मनुजी स्मृति ट्रस्ट, झाँसी द्वारा 29 से 31 मार्च 2023 तक आयोजित।


(8.) बुंदेलखंड लिटरेचर फेस्टिवल - 2022, गाँधी सभागार, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झाँसी में 14 से 16 अक्टूबर 2022 तक आयोजित।


(9.) राम महोत्सव - 2022, ओरछा में रुद्राणी कला ग्राम एवं शोध संस्थान द्वारा 16 से 24 मई 2022 तक आयोजित।


(10.) यूथ की आवाज समिट - 2020, नई दिल्ली में यूथ की आवाज : लेखन मंच द्वारा आयोजित।


(11.) कविकुंभ शब्दोत्सव सह बीइंग वूमेन फलक - 2018, कविकुंभ पत्रिका एवं बीइंग वूमेन संस्था द्वारा भारतीय जन संचार संस्थान, नई दिल्ली में आयोजित।


(12.) भाषा सहोदरी हिन्दी, राष्ट्रीय हिन्दी अधिवेशन - 2018, हंसराज कॉलेज दिल्ली में आयोजित।


कार्यक्रम आयोजन में सक्रिय योगदान :

(1.) हिन्दी वाद-विवाद समिति, हंसराज कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा 09 - 10 फरवरी 2019 को आयोजित महात्मा हंसराज स्मृति संसदीय वाद-विवाद प्रतियोगिता के आयोजन में सक्रिय योगदान।


(2.) कविकुंभ पत्रिका एवं बीइंग वूमेन संस्था द्वारा भारतीय जन संचार संस्थान, नई दिल्ली में आयोजित कविकुंभ शब्दोत्सव सह बीइंग वूमेन फलक - 2018 के आयोजन में विशेष योगदान।


(3.) इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र, दिल्ली में 4 से 4 जनवरी 2019 तक आयोजित अयोध्या पर्व के अवसर पर मीमांसा एक पहल की ओर से 5 जनवरी 2019 को "हम भारतीय अपनी सांस्कृतिक-ऐतिहासिक धरोहर के प्रति गंभीर नहीं हैं" विषय पर आयोजित अंतर महाविद्यालय वाद-विवाद प्रतियोगिता के आयोजन में सक्रिय योगदान।


(4.) हंसराज कॉलेज दिल्ली, कैम्पस कॉर्नर एवं महाकवि जयशंकर प्रसाद फाउंडेशन द्वारा हंसराज कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय में 17 से 19 अप्रैल 2019 तक आयोजित कैम्पस शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल के आयोजन में सक्रिय योगदान।


(5.) वाद-विवाद समिति, हंसराज कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा 01 नवम्बर 2018 को "शिक्षा ही मानवीय मूल्यों के उन्नयन का आधार है" विषय पर आयोजित शांति नारायण स्मृति वाद-विवाद प्रतियोगिता के आयोजन में सक्रिय योगदान।


पुरस्कार, अवॉर्ड और सम्मान : 

(1.) रुद्राणी कला ग्राम एवं शोध संस्थान, ओरछा द्वारा  दिनाँक 5 से 9 अप्रैल 2023 को आयोजित राम महोत्सव - 2023 में साहित्यिक, सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यों में विशेष उपलब्धि हेतु सम्मान।


(2.) नोबुल टैलेंट इंटरनेशनल अवॉर्ड - 2024 हेतु हिन्दी साहित्य सेवा एवं हिन्दी भाषा के उत्थान में अमूल्य योगदान के लिए शब्द प्रतिभा बहक्षेत्रीय सम्मान फाउंडेशन, नेपाल द्वारा चयनित।


(3.) शासकीय पातालेश्वर महाविद्यालय, मस्तूरी (छत्तीसगढ़) एवं प्रयास प्रकाशन, बिलासपुर (छत्तीसगढ़) के समन्वित  तत्वावधान में दिनाँक - 04 सितंबर 2023 को शासकीय पातालेश्वर महाविद्यालय, मस्तूरी में आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी "किन्नर - विमर्श : नाटक एवं सिनेमा के विशेष संदर्भ में" में प्रस्तुत शोधपत्र "हिन्दी नाटक में किन्नर विमर्श" पर तृतीय पुरस्कार। 


(4.) पत्रकार एकता संघ, झाँसी द्वारा 30 मई 2023 को राजकीय संग्रहालय, झाँसी में आयोजित अपने स्थापना दिवस एवं वार्षिकोत्सव - 2023 में साहित्य और जनसंचार सेवा हेतु सम्मान।


(5.) साहित्यिक संस्था - संकल्प एवं हिन्दी विभाग, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झाँसी द्वारा 09 जुलाई 2022 को बाबू वृदांवनलाल वर्मा सभागार, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में आयोजित युवा कवि गोष्ठी में उत्कृष्ट काव्यपाठ हेतु सम्मान।


(6.) प्रोत्साहन पुरस्कार - रचनात्मक लेखन प्रतियोगिता, प्रतिमान 2019, हिन्दी साहित्य सभा, श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स (दिल्ली विश्वविद्यालय)।


(7.) प्रोत्साहन पुरस्कार - स्वरचित गद्य रचना पाठ प्रतियोगिता प्रतिमान - 2019, हिन्दी साहित्य परिषद, हंसराज कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय), (कहानी - 'भूत' पढ़ी)।


(8.) प्रथम पुरस्कार - नारा दो प्रतियोगिता (नारा : लड़का - लड़की एकसमान। सबको शिक्षा - सबका सम्मान।।), वागर्थ - 2019, हिन्दी साहित्य सभा, लेडी श्रीराम कॉलेज फॉर वीमेन (दिल्ली विश्वविद्यालय)।


(9.) द्वितीय पुरस्कार - साहित्यिक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता, अनुगूँज - 2019, हिन्दी साहित्य परिषद्, गार्गी कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय)।


(10.) कविकुंभ पत्रिका एवं बीइंग वूमेन संस्था द्वारा भारतीय जन संचार संस्थान, नई दिल्ली में आयोजित कवि कुंभ शब्दोत्सव सह बीइंग वूमेन फलक - 2018 में कार्यक्रम आयोजन में विशेष योगदान हेतु सम्मान।


(11.) बेस्ट वालंटियर अवॉर्ड : 2017-18, इक्वल अपॉर्चुनिटी सेल एण्ड इनेब्लिंग यूनिट, हंसराज कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय)।


(12.) पोएट ऑफ द ईयर अवॉर्ड - 2016, सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज, बरूआसागर (झाँसी)।


(13.) प्रथम पुरस्कार सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता - 2016, क्षेत्रीय पुरातत्त्व इकाई बुंदेलखंड परिक्षेत्र, उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्त्व विभाग, झाँसी।


(14.) द्वितीय पुरस्कार विज्ञान प्रश्नमंच प्रतियोगिता - 2015, संकुलस्तरीय ज्ञान-विज्ञान मेला, सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज, चिरगाँव (झाँसी)।


(15.) जिला स्तरीय तृतीय पुरस्कार 2015 भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा, झाँसी (देव संस्कृति विश्वविद्यालय, अखिल विश्व गायत्री परिवार, शांतिकुंज, हरिद्वार।


(16.) तृतीय पुरस्कार चारित्रिक वेशभूषा प्रतियोगिता बाल दिवस - 2014, रामप्रसाद सर्राफ स्मृति सामाजिक विकास संस्था, बरूआसागर (झाँसी) एवं सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज, बरूआसागर (झाँसी)।


(17.) प्रथम पुरस्कार विज्ञान प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता - 2014, ब्लॉकस्तरीय एक दिवसीय विज्ञान प्रदर्शनी, जिला विज्ञान क्लब, झाँसी (बुंदेलखंड)। 


(18.) द्वितीय पुरस्कार निबंध प्रतियोगिता - 2014, ब्लॉकस्तरीय एक दिवसीय विज्ञान प्रदर्शनी, जिला विज्ञान क्लब, झाँसी (बुंदेलखंड)।


(19.) तृतीय पुरस्कार भारत को जानो प्रतियोगिता - 2013, चौधरी मुन्नालाल अग्रवाल जूनियर हाईस्कूल, बरूआसागर (झाँसी)।


(20.) सांत्वना पुरस्कार - भारत को जानो प्रतियोगिता 2013, चौधरी मुन्नालाल अग्रवाल जूनियर हाईस्कूल, बरूआसागर (झाँसी)।


संकल्प :

(1.) "सक्षम : राष्ट्रीय संगठन विकलांगों के विकास हेतु समर्पित" के समक्ष 25 अप्रैल 2018 को मानवता के लिए मृत्यु के बाद अपने नेत्रदान करने का संकल्प लिया।


सम्प्रति : स्वतंत्र लेखक, सामाजिक कार्यकर्त्ता।


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8. वर्तमान पता : 345/10 सी, खुशीपुरा, झाँसी, अखंड बुंदेलखंड - 284002










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