Saturday 31 August 2019

हंसराज कॉलेज छात्र संघ चुनाव 2019 का माहौल...




“कि जब इन नफ़रतों में ख़ुद तुम्हारा दम लगे घुटने,
  चले  आना  हमारी  महफ़िलों  में  ज़िंदगी  जीने “
(KV)

मैं इस कॉलेज की राजनीति को बदलने आया हूँ इसलिए हमारा मक़सद जीत-हार से पहले एक ख़ूबसूरत लड़ाई है और इसी “अनुपम” कोशिश के तहत हमने अपने पैनल का नाम “नायाब” रखा है।
हमारी टीम के प्रमुख सहयोगी पर ये हमला कॉलेज की पुरानी राजनीति का वहीं पुराना तरीक़ा है जिसे बदलने के लिए हम इस राजनीति में उतरे हैं। मेरे विरोधियों ! एक उम्मीदवार से पहले मैं मुहब्बत का कवि हूँ इसलिए आपकी इस हरकत के बाद भी मुहब्बत को हारने नहीं दूँगा।
ये कॉलेज चुनाव और जीत-हार बस 10-15 दिन का खेल है, कितना बेहतर हो अगर हम इसे नफ़रत के बजाए मुहब्बत की पिच पर खेलें। आपसी विरोध और वैचारिक लड़ाई अपनी जगह है दोस्त ! ख़ूब लड़ेंगे। मैं भी लड़ रहा हूँ, आप भी लड़िए पर उसके साथ ही साथ आलोचना को मुस्करा कर झेलने की ताक़त भी रखिए ताकि चुनाव बाद किसी शाम कहीं बैठ कर चाय पीने का नैतिक बल बचा रह सकें।

“दुश्मनी जम करो लेकिन ये गुंजाइश रहे,
जब कभी हम दोस्त हो जायें तो शर्मिंदा न हों
(बशीर बद्र)

✒ अनुपम प्रियदर्शी (अध्यक्ष प्रत्याशी - हंसराज कॉलेज छात्र संघ 2019, नायाब पैनल और यूथ पैनल गठबंधन)

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Thursday 15 August 2019

73 वाँ स्वतंत्रता दिवस समारोह, हंसराज कॉलेज दिल्ली...











हंसराज कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय में आज 14 अगस्त 2019 को हर वर्ष की भाँति 73 वाँ स्वतंत्रता दिवस भी बड़ी धूमधाम से मनाया गया। समारोह के मुख्य अतिथि डॉ० सत्यपाल सिंह (सांसद एवं पूर्व मंत्री भारत सरकार) रहे और विशिष्ट अतिथियों में कर्नल एस० के० वर्मा (कमाण्डिंग ऑफिसर, 6 डीबीएन), श्री राजीव शर्मा (चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर, पी०एफ०सी०) और श्री महेंद्र गोयल (अध्यक्ष : हंसराज कॉलेज पुरातन छात्र संघ ) उपस्थित रहे।

सर्वप्रथम लगभग प्रातः 09:30 बजे यज्ञशाला में कॉलेज की प्राचार्या डॉ० रमा, अतिथियों, टीचिंग एवं नॉन टीचिंग स्टॉफ और छात्र - छात्राओं ने मिलकर विश्व - कल्याण और पर्यावरण शुद्धि हेतु वैदिक यज्ञ सम्पन्न किया। इसमें रमा मैम और डॉ. सत्यपाल सिंह ने पुष्पवृष्टि के द्वारा सभी के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए आशीर्वाद प्रदान किया। इसके उपरान्त भारतीय सैनिकों, कॉलेज एन०सी०सी० और एन०एस०एस० के कुशल अनुशासन में रमा मैम और अतिथियों ने ध्वजारोहण किया और फिर सभागार में उद्बोधन और सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। जिसमें नाटक, नृत्य, देशभक्ति गीत कॉलेज की ई०सी०ए० सोसायटीज काव्याकृति, ऊर्जा और स्वरांजलि द्वारा प्रस्तुत किए गए।

प्राचार्या महोदया डॉ० रमा मैम ने अपने उद्बोधन में सबसे पहले सबको स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ दीं और फिर हंसराज कॉलेज के गौरवशाली इतिहास का बखान करते हुए कहा कि इस हंसराज कॉलेज की नींव उस डी०ए०वी० के तहत रखी गयी, जिसने भारतीय संस्कृति, देश और दुनिया के कल्याण में अहम भूमिका निभायी। दिल्ली विश्वविद्यालय का यह एकमात्र ऐसा कॉलेज है जिसके परिसर में ऊँचा तिरंगा लहराता है और यज्ञशाला है। इस कॉलेज के छात्र - छात्राओं ने हर क्षेत्र में अपना परचम फहराया है, चाहे वह शिक्षा हो, राजनीति हो, खेल हो, मीडिया हो, सिनेमा हो, साहित्य हो या फिर उद्योग जगत। हमारे सामने जो युवा छात्र - छात्राएँ बैठे हैं, वो ही देश के भविष्य और निर्माता हैं। मैं कॉलेज में छात्रनेताओं को आन्दोलन और प्रोटेस्ट करने को मना करती हूँ और कहती हूँ कि शांतिपूर्वक राजनीति करें और हम सब छात्रहितोँ में काम करें। जिस तरह देश की राजनीति बदल रही है, उसी तरह छात्र राजनीति भी बदल रही है क्योंकि परिवर्तन प्रकृति का नियम है। आगे मैम ने कहा कि कॉलेज में गर्ल्स हॉस्टल नहीं है और कुछ छात्र ऐसे भी हैं, जो अपनी फीस नहीं भर पा रहे हैं। अब हमारा कॉलेज आर्थिक रूप से मजबूत हो और जिससे गर्ल्स हॉस्टल की व्यवस्था की जा सके और आर्थिक रूप से पिछड़े छात्र - छात्राओं को सहायता प्रदान की जा सके। 

मुख्य अतिथि डॉ० सत्यपाल सिंह ने अपने भाषण में देश के इतिहास और आर्य समाज के इतिहास पर विस्तृत चर्चा की और उन्होंने कहा कि प्रत्येक इंसान को अगर सबसे पहले कुछ चाहिए तो वो आज़ादी है।इंसान सर्वश्रेष्ठ प्राणी इसलिए है क्यूँकि उसके पास आज़ादी है। देश को आज़ादी दिलाने में जिन्होंने अपने प्राण दिए उनके अहसान को कभी भुला नहीं सकते है।
ऐसे कई योद्धा रहे जिन्होंने देश के लिए अपनी जान दे दी लेकिन इतिहासकारों ने उनका नाम उस समय की सरकार के कारण कहीं दर्ज नहीं किया।बागपत के बाबा शाहमल ने अंग्रेजो के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ी, बड़ौत में उनका झंडा उखाड़ फ़ेका और देश की आज़ादी के लिए अपने प्राण दे दिए।
हमारे पीएम मा• Narendra Modi जी 2022 तक हमारे देश को गंदगी, जातिवाद, संप्रदायवाद, ग़रीबी से आज़ादी दिलाना चाहते है। अभी कश्मीर को आज़ादी दी है उन्होंने धारा 370 को ख़त्म करके। आतंकवाद और अपराध से आज़ादी प्राप्त करने के लिए हमें एकजुट होकर अपने विचारों को स्वच्छ करके चलना होगा।

विशिष्ट अतिथि कर्नल एस० के० वर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा कि हम सबको अपने अंदर के नेता को ढूँढना चाहिए और हमें अपनी रूचि के क्षेत्र ने कुशल नेतृत्त्व करना चाहिए क्योंकि नेतृत्त्व (लीडरशिप) बहुत जरूरी है।

कार्यक्रम का संचालन डॉ०विजय कुमार मिश्र (प्राध्यापक, हिन्दी विभाग) और संदेश ढ़ोलकिया (हंसराज डिबेटिंग सोसायटी) ने किया। समारोह में प्राचार्या महोदया, अतिथि, टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टॉफ, छात्र - छात्राओं और सक्रिय छात्रनेताओं की गरिमामयी उपस्थिति रही।

✒ कुशराज 
  झाँसी बुन्देलखण्ड
(छात्रनेता - हंसराज कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय)
_14/8/19_5:12अपरान्ह 

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Monday 12 August 2019

धारावाहिक उपन्यास : आन्दोलन - परिवर्तनकारी कुशराज

उपन्यास : " आन्दोलन - परिवर्तनकारी कुशराज "







" दुनिया के सारे परिवर्तनकारियों, आन्दोलनकारियों, क्रान्तिकारियों, दार्शनिकों और किसानों को सादर समर्पित..." 

                            1.

सचिन गर्मियों की छुट्टियों में स्कूल से बहुत दिनों बाद घर लौटा था। वो अभी बुन्देलखण्ड किसान स्कूल, ओरछा से हाईस्कूल कर रहा था और वहीँ हॉस्टल में रहता था। जब शाम को वो अपने दद्दा - बाई के संगे बैठा था तब दद्दा - बाई आपस में चर्चा कर रहे थे -

दद्दा : "अरे! राम - राम...भौत बुरओ भओ आज दुपरे, रामदीन ने आम के पेड़ सें लटककर फाँसी लगा लई। तभी उसी के खेत के पास सिया काकी भेड़ - बकरियाँ चरा रहीं थीं। उसने जैसे ही देखा कि रामदीन भज्जा फाँसी पर झूल रहे हैं तो वह भौत डर गई। डर के मारे वो पसीने से तर - तर हो गई। पसीने में लतपथ काकी भेड़ - बकरियों को ऐसे ही छोड़कर भागते - भागते गाँव आ गई तभी हम औरें माते के चौंतरा पर ताश खेल रहे थे। जैसे ही सिया काकी ने बताया कि रामदीन भज्जा ने बड़े हार में फाँसी लगा लई तो हम आठ - दस जनें भागते - भागते पहुँच गए। जेठ मास की दुपज्जा में उतै चिरज्जा तक न दिख रई ती। रामदीन को फाँसी से उतारो और फिर रमेश को घर भेज दिया, उसके घरवालों को बुलाने...

रामदीन का बाप श्रीराम माते तो किसी काम से बाहर गया था। घर पर उसकी जनी रेखा, बिटिया कृति और बेटा उत्कर्ष तीनों ही थे और रामदीन की मताई राजकली अपने मायकेँ एरच गयी थी। फौरन वो सब आ गए। दो - तीन घण्टा बिलखते रहे। चौकीदार ने पुलिस को फोन किया। शाम चार बजे तक पुलिस आयी और मामले का जायजा लेकर लाश खों पोस्टमार्टम कै लानें भेज दिया..."

बाई : "बहुत उम्दा इंसान था रामदीन भज्जा। भज्जा जब भी मिलता था तब कक्का राम - राम, काकी राम - राम करके ही जाता था। मजाकिया भी था लेकिन अपनी खेती - किसानी के प्रति घोर समर्पित था। बाकी काम बाद में करेंगे, पहलें खेत देख लें, यही बात हमेशा कहता था फिर भी ऐसे ईमानदार किसान खों बेमौत मरनें पड़ो। कैसो समय आ गओ जो, अगर धीरे - धीरे अपने बुरे हालातों सें ऊब कैं रामदीन की तराँ पुरे किसान मर जें तो यी दुनिया का होगा सिर्फ और सिर्फ विनाश..."

दद्दा - बाई खों चर्चा करते - करते नौ बज गए। बियाई की बेराँ निकरें डेढ़ - दो घण्टा हो गए थे। इतने में सचिन की मताई हेमा आयी और बोली : "चलो, बाई हरौ रोटी खा लो..."

दद्दा - बाई और सचिन कमरा में से बखरी में रोटी खाबै पहुँच गए और फिर बियाई करकें सब जनें सो गए।

सुबह राष्ट्रीय समाचार पत्र, दैनिक भारत दर्पण, झाँसी बुन्देलखण्ड में खबर छपी : "कर्ज के कारण एक और किसान झूला फाँसी पर... नामक हेडलाइन के अंदर लिखा था कि थाना बरूआसागर के अन्तर्गत आने वाले ग्राम - तेँदौल  निवासी रामदीन कुशवाहा पुत्र श्रीराम माते ने कल दोपहर अपने खेत पर फाँसी लगा ली। गाँववालों की सूचना से मौके पर पहुँची पुलिस ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेजा। गाँववालों से रामदीन के बारे में जानकारी प्राप्त करने पर पता चला कि रामदीन के बाप - मताई कर्ज में डूबे - डूबे बूढ़े हो गए और अब रामदीन पर तीन - चार लाख का कर्ज था। सेठ छक्कीलाल तो चार पर्सेंट पर सैकड़ा प्रति माह की दर से ब्याज लेता है। इन साहूकारों के चंगुल से हम किसानों का बाहर निकलना मुश्किल है। पिछले साल रामदीन ने एक खेत भी बेच दिया और ब्याज ही ब्याज में सारे जेवर चले गए। बेचारे कि ऊपर से बिटिया स्यानी हो गयी थी। उसकी शादी और दहेज के लिए भी धन इकट्ठा करना था। बहुत बुरी दशा में जी रहा है आज किसान। और कर ही क्या सकता था रामदीन इसके अलावा, इस सामाजिक - राजनीतिक व्यवस्था में..."

रामदीन वाली खबर सचिन ने भी पड़ी। यह खबर पड़कर उसने अपने आसुँओं को रोक नहीं पाया। रोते - रोते ही बिना नाश्ता किए फिर से सो गया। जब सोकर उठा तो उसने किसान और दुनिया के बारे में बहुत सोचा और फिर उसने संकल्प किया कि मैं किसानों की दशा सुधारने के लिए ही जीवन जिऊँगा। वो भी एक किसान का ही बेटा था। दोपहर को जब वह अपने बाप - मताई के संगे खाना खा रहा था तब उसने बाप लखन से पूँछा : "अरे पापा! जैसी खबर अखबार में छपी है रामदीन चाचा वाली, वैसी ही हालात है क्या किसानों की?"

लखन : "हाँ बेटा! यी सें भौत बुरई दशा है हम किसानों की। आखिर कर ही क्या सकते हैं..."

✒ परिवर्तनकारी कुशराज
   झाँसी बुन्देलखण्ड

_6/6/2019_10:23 दिन _ झाँसी

Tuesday 6 August 2019

अनुच्छेद 370 और 35ए खत्म करके जम्मू - कश्मीर राज्य मिटाकर दो नए केन्द्रशासित प्रदेश जम्मू - कश्मीर और लद्दाख बनाए जाने पर देशवासियों को हार्दिक बधाई : कुशराज झाँसी

लेख - " अनुच्छेद 370 और 35ए खत्म करके जम्मू - कश्मीर राज्य मिटाकर दो नए केन्द्रशासित प्रदेश जम्मू - कश्मीर और लद्दाख बनाए जाने पर देशवासियों को हार्दिक बधाई "






आज का दिन देश और दुनिया के लिए ऐतिहासिक रहा। जम्मू - कश्मीर में 72 साल से लागू अनुच्छेद 370 और 35ए को समाप्त किया गया है। जिससे जम्मू - कश्मीर अब राज्य नहीं रहा। इस जम्मू - कश्मीर राज्य को विभाजित करके दो नए केन्द्रशासित प्रदेश जम्मू - कश्मीर (विधानसभा सहित) और लद्दाख (विधानसभा रहित) बना दिए गए हैं। अब असलियत में मेरा भारत कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक एक हो गया है। इस ऐतिहासिक परिवर्तन के लिए मैं देशवासियों को हार्दिक बधाई देता हूँ।




* अनुच्छेद 370 और 35ए खत्म होने से होंगे ये 10 बड़े परिवर्तन -:

1. अनुच्छेद-370 के साथ ही जम्मू-कश्मीर का अलग संविधान भी इतिहास बन गया है। अब वहां भी भारत का संविधान लागू होगा।
2. जम्मू-कश्मीर में स्थानीय लोगों की दोहरी नागरिकता समाप्त हो जाएगी।
3. अब जम्मू-कश्मीर में देश के अन्य राज्यों के लोग भी जमीन लेकर बस सकेंगे।
4. कश्मीर का अब अलग झंडा नहीं होगा। मतलब वहां भी अब तिरंगा शान से लहराएगा।
5. जम्मू-कश्मीर के दो टुकड़े कर दिए गए हैं। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख अब अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश होंगे।
6. अब अनुच्छेद-370 का खंड-1 केवल लागू रहेगा। शेष खंड समाप्त कर दिए गए हैं। खंड-1 भी राष्ट्रपति द्वारा लागू किया गया था। राष्ट्रपति द्वारा इसे भी हटाया जा सकता है। अनुच्छेद 370 के खंड-1 के मुताबिक जम्मू और कश्मीर की सरकार से सलाह कर राष्ट्रपति, संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों को जम्मू और कश्मीर पर लागू कर सकते हैं।
7. जम्मू-कश्मीर में विधानसभा होगी, लेकिन लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी। मतलब जम्मू-कश्मीर में राज्य सरकार बनेगी, लेकिन लद्दाख की कोई स्थानीय सरकार नहीं होगी।
8. जम्मू-कश्मीर की लड़कियों को अब दूसरे राज्य के लोगों से भी शादी करने की स्वतंत्रता होगी। दूसरे राज्य के पुरुष से शादी करने पर उनकी नागरिकता खत्म नहीं होगी।
9. अनुच्छेद-370 में पहले भी कई बदलाव हुए हैं। 1965 तक जम्मू और कश्मीर में राज्यपाल की जगह सदर-ए-रियासत और मुख्यमंत्री की जगह प्रधानमंत्री हुआ करता था।
10. अनुच्छेद-370 को खत्म करने की मंजूरी राष्ट्रपति ने पहले ही दे दी थी। दरअसल ये अनुच्छेद पूर्व में राष्ट्रपति द्वारा ही लागू किया गया था। इसलिए इसे खत्म करने के लिए संसद से पारित कराने की आवश्यकता नहीं थी।



* अनुच्छेद 35 ए का इतिहास -:

अनुच्छेद 35 A क्या है?

अनुच्छेद 35 A, संविधान में जुड़ा हुआ वह प्रावधान है, जो जम्मू और कश्मीर की सरकार को यह अधिकार प्रदान करता है, कि वह यह तय करने के लिए स्वतन्त्र है, कि जम्मू और कश्मीर का स्थायी निवासी कौन है, किस व्यक्ति को सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों में विशेष आरक्षण दिया जायेगा, कौन जम्मू और कश्मीर में संपत्ति खरीद सकता है, किन लोगों को जम्मू और कश्मीर की विधानसभा चुनाव में वोट डालने का अधिकार होगा, छात्रवृत्ति, अन्य सार्वजनिक सहायता और सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों का लाभ कौन प्राप्त कर सकता है। अनुच्छेद 35 A, के अंतर्गत यह भी प्रावधान है, कि यदि जम्मू और कश्मीर की राज्य सरकार किसी कानून को अपने हिसाब से बदलती है, तो उसे भारत की किसी भी न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है।

अनुच्छेद 35 A, जम्मू और कश्मीर को एक विशेष राज्य के रूप में अधिकार देता है। इसके तहत दिए गए अधिकार जम्मू और कश्मीर में रहने वाले 'स्थाई निवासियों' से जुड़े हुए हैं। इसका मतलब है, कि जम्मू और कश्मीर राज्य सरकार को ये अधिकार है, कि वो आजादी के वक्त दूसरी जगहों से आए हुए शरणार्थियों और अन्य भारतीय नागरिकों को जम्मू और कश्मीर में रहने के लिए पनाह दे सकते हैं, और मना भी कर सकते हैं।

अनुच्छेद 35 A भारतीय संविधान में कब जोड़ा गया?

इस अनुच्छेद को देश में लागू करने के लिए तत्कालीन सरकार ने अनुच्छेद 370, के अंतर्गत प्राप्त अधिकारों और शक्तियों का इस्तेमाल किया था। इतिहास के अनुसार अनुच्छेद 35 A, को जवाहरलाल नेहरू की सलाह पर तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के एक आदेश द्वारा 14 मई 1954, में भारतीय संविधान में शामिल किया गया था। अनुच्छेद 35 A, भारतीय संविधान में जम्मू और कश्मीर राज्य को विशेष अधिकार देने वाले अनुच्छेद 370, का ही एक हिस्सा है, इस अनुच्छेद के अंतर्गत जम्मू और कश्मीर के अलावा भारत के किसी भी राज्य का नागरिक जम्मू और कश्मीर में कोई संपत्ति नहीं खरीद सकता, और न ही जम्मू और कश्मीर की नागरिकता प्राप्त कर सकता है। इसीलिए अनुच्छेद 35 A, को जम्मू और कश्मीर के 'स्थायी निवासियों' के लिए भारत सरकार द्वारा कुछ विशेष अधिकार देने के इरादे से भारतीय संविधान में जोड़ा गया था।

भारतीय संविधान में अनुच्छेद 35 A, को लागू करने का यह आदेश 'संविधानिक आदेश, 1954' के रूप में जाना जाता है। यह आदेश 1952 में जवाहर लाल नेहरू तथा जम्मू और कश्मीर के वजीरे आजम शेख अब्दुल्ला के बीच हुए दिल्ली समझौते पर आधारित था। दिल्ली समझौते के द्वारा जम्मू और कश्मीर के नागरिकों को भारतीय नागरिक होने का दर्जा दिया गया था, किन्तु भारत का कोई भी नागरिक जम्मू और कश्मीर की नागरिकता नहीं ले सकता है। जवाहर लाल नेहरू और शेख अब्दुल्ला के बीच हुए इस दिल्ली समझौते में ही भारतीय संविधान में अनुच्छेद 35 A, को जोड़ने के बारे में सोचा गया था।

राष्ट्रपति के द्वारा दिया गया यह आदेश संविधान के अनुच्छेद 370 (1) (डी), के तहत निर्गत हुआ था। ज्ञातव्य है, कि यह अनुच्छेद राष्ट्रपति को यह अधिकार देता है, कि वह जम्मू और कश्मीर के राज्य के विषयों में कुछ 'अपवाद और संसोधन' कर सकता है।

अनुच्छेद 35 A के मुख्य प्रावधान क्या हैं?

यह अनुच्छेद भारत का नागरिक होते हुए भी किसी गैर जम्मू और कश्मीर के निवासी को जम्मू और कश्मीर में जमीन खरीदने से मना करता है।भारत के किसी अन्य राज्य का निवासी किसी भी तरीके से जम्मू और कश्मीर का स्थायी निवासी नहीं बन सकता है, और इसी कारण वहाँ के किसी भी स्थानीय चुनावों में वोट नहीं डाल सकता है।अगर जम्मू और कश्मीर की कोई लड़की भारत के किसी अन्य राज्य के लड़के से शादी कर लेती है, तो उस लड़की के सारे अधिकार खत्म हो जाते हैं, साथ ही साथ उसके बच्चों के अधिकार भी खत्म हो जाते हैं।यह अनुच्छेद भारत के अन्य नागरिकों के साथ भेदभाव करता है, क्योंकि इस अनुच्छेद के लागू होने के कारण भारत के लोगों को जम्मू और कश्मीर के स्थायी निवासी प्रमाण पत्र से वंचित कर दिया, जबकि पाकिस्तान से आये घुसपैठियों को जम्मू और कश्मीर की नागरिकता दे दी गयी। अभी हाल ही में कश्मीर में म्यांमार से आये रोहिंग्या मुसलमानों को भी कश्मीर में बसने की इज़ाज़त दे दी गयी है।

अनुच्छेद 35 A विरोध और चर्चा का विषय क्यों बना हुआ है?
चूँकि अनुच्छेद 35 A, भारतीय संविधान में संसदीय प्रक्रिया का अनुसरण न करते हुए बल्कि राष्ट्रपति के एक आदेश द्वारा जोड़ा गया था। जबकि संविधान का अनुच्छेद 368, केवल भारतीय संसद को संविधान में संशोधन करने का अधिकार देता है। तो इसीलिए इस मुद्दे पर आज तक सवाल उठाये जा रहे हैं, कि राष्ट्रपति ने अपने अधिकार क्षेत्र के बाहर काम क्यों किया, और नेहरू सरकार ने इस अनुच्छेद को लागू करने के लिए इसका प्रस्ताव संसद के समक्ष भी नहीं रखा, तो इसीलिए अनुच्छेद 35 A, को शून्य करार देने की मांग की जा रही है। "पूरनलाल लखनपाल बनाम भारत के राष्ट्रपति" वाले केस में भी भारत की सर्वोच्च न्यायालय ने मार्च, 1961 में पांच सदस्यीय पीठ में, संविधान के अनुच्छेद 370, को संशोधित करने के लिए राष्ट्रपति की शक्तियों पर चर्चा की। यद्यपि न्यायालय इस केस में यह समीक्षा करता है, कि राष्ट्रपति अनुच्छेद 370, के तहत संविधान में मौजूदा प्रावधान को संशोधित कर सकते हैं, यह निर्णय इस बात का जबाब नहीं दे पा रहा है, कि क्या राष्ट्रपति संसदीय प्रक्रिया का पालन किए बिना भी भारत के संविधान में एक नया अनुच्छेद जोड़ सकते हैं।

"वी द सिटिज़न्स" नाम के एक एन. जी. ओ. ने अनुच्छेद 35 A, और अनुच्छेद 370, दोनों की वैधता को चुनौती देते हुए एक रिट याचिका दायर की थी। इसमें यह कहा गया था, कि भारत के संविधान के निर्माण के समय कश्मीर के चार प्रतिनिधि संविधान सभा के सदस्य थे, और उन्होंने या उस समय कश्मीर की तरफ से तो जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जे के लिए मांग नहीं की थी, तो फिर बाद में यह विशेष दर्जे वाली बात कहा से आ गयी। अनुच्छेद 370, को जम्मू और कश्मीर में स्तिथि को सामान्य करने और उस राज्य में लोकतंत्र को मजबूत करने में मदद करने के लिए केवल एक अस्थायी प्रावधान के रूप में लाया गया था, इसके उद्देश्य की समाप्ति के बाद इसे भी ख़त्म कर देने चाहिए था। संविधान निर्माताओं का उद्देश्य, अनुच्छेद 370, को एक उपकरण के रूप में प्रयोग करके भारतीय संविधान में अनुच्छेद 35 A, जैसे स्थायी संसोधन को लाने का नहीं था।

इसी याचिका में यह भी कहा गया था, कि अनुच्छेद 35 A, "भारत की एकता की भावना" के खिलाफ है, क्योंकि यह भारतीय नागरिकों के वर्ग के भीतर एक नया वर्ग बनाता है। अन्य राज्यों के नागरिकों को जम्मू और कश्मीर के भीतर रोजगार प्राप्त करने या संपत्ति खरीदने से प्रतिबंधित करना संविधान के अनुच्छेद 14, 16, 19 और 21, के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।

जम्मू और कश्मीर की मूल निवासी चारू वली खन्ना द्वारा दायर एक दूसरी याचिका में जम्मू और कश्मीर संविधान के कुछ प्रावधानों की रक्षा के लिए अनुच्छेद 35 A, को चुनौती दी गई थी, जो कि संपत्ति के मूल अधिकार को भी प्रतिबंधित करता है, जिसमें जम्मू और कश्मीर क़े संविधान क़े अनुसार अगर जम्मू और कश्मीर की एक मूल महिला एक स्थायी निवास प्रमाण पत्र नहीं रखने वाले पुरुष से शादी करती है, तो उस महिला या उन दोनों क़े बच्चे को जम्मू और कश्मीर में संपत्ति को खरीदने क़े अधिकार से वंचित कर दिया जाता है, और वह बच्चा जम्मू और कश्मीर में रहकर वहाँ की स्थायी नागरिकता का प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं कर सकता है, जबकि यदि कोई जम्मू और कश्मीर में स्थायी निवास प्रमाण पत्र धारण करने वाला पुरुष किसी बिना स्थायी निवास प्रमाण पत्र धारण करने वाली लड़की से शादी करता है, तो वह लड़की और उन दोनों का बच्चा भी जम्मू और कश्मीर का स्थायी नागरिक होगा, और उसे वहाँ की संपत्ति को खरीदने और बेचने का भी पूर्ण अधिकार होगा। जम्मू और कश्मीर में प्रचलित यह प्रावधान वहाँ पर लैंगिक असमानता को भी सिद्ध करता है।




✒ कुशराज झाँसी

 _5/8/2019_3:20 दिन _ झाँसी बुंदेलखंड

Thursday 1 August 2019

लवकुश जी के चरणों मे,श्रद्धा से नमन करलो। आराध्य हमारे है, पूजन अर्चन करलो ।।


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------- तर्ज़:-होठों को छूलो तुम, मेरे गीत --------
फ़िल्म:-प्रेम गीत
!!भजन!!

लवकुश जी के चरणों मे,श्रद्धा से नमन करलो।
आराध्य हमारे है,  पूजन अर्चन करलो ।।

(१) कुशवाहों के वंशज है,रघुकुल के स्वामी है,
   सूंदर है युगल जोड़ी, सत के पथ गामी है।
  यह समाज फले फूले,इनका सिमरन करलो ।।
  लवकुश जी के चरणों में----------

(२) ममता मयी सीता के,आँचल की छाह मिली,
     वन में खेला वचपन,भक्ति की ज्योति जली।
     श्री राम प्रभु जी की,छवि के दर्शन करलो।
     लवकुश जी के चरणों में-----------

(३) श्री वाल्मीकि जी से ,शिक्षा का दान मिला,
      शत्रु पे विजय पाना,रण क्षेत्र का ज्ञान मिला।
     गुरु वर की कृपा का, मन से चिंतन करलो।।
     लवकुश जी के चरणों मे-----------

(४) लवकुश जैसा कोई,न वीर न बलशाली,
     जब यज्ञ का अश्व मिला,हुआ युद्व विजय पा ली,
    वेदों में लिखी महिमा,जन जन मंथन करलो।।
    लवकुश जी के चरणों मे----------

(५) हो जाये सफल जीवन,यह जतन हमारा हो,
     गुणगान"पदम"गाये, प्रभु संग तुम्हारा हो।
    भव से तर जाएंगे, लवकुश के भजन करलो।।
   लवकुश जी के चरणों मे,श्रद्धा से नमन करलो।

                   ।।इति।।

साभार : पदम भजन




हिंदी बिभाग, बुंदेलखंड कालिज, झाँसी खों अथाई की बातें तिमाई बुंदेली पत्तिका भेंट.....

  हिंदी बिभाग, बुंदेलखंड कालिज, झाँसी में मुखिया आचार्य संजै सक्सेना जू, आचार्य नबेन्द कुमार सिंघ जू, डा० स्याममोहन पटेल जू उर अनिरुद्ध गोयल...