Saturday 27 January 2018

कुशराज - नीति


1) ख्वाहिश; ये नहीं, मैं जिन्दा रहूँ।
     ख्वाहिश है, मेरे विचार जिन्दा रहें।।

2)  हम लोग, जो भी बनते हैं।
     विचारों के बल पर बनते हैं।।

3) एक विचार, एक विचारक, 
     एक शिक्षक और एक छात्र 
     दुनिया बदल सकता है।

4) बाधाओं का सामना करना 
     और लगन से काम करना 
     ही सफलता का सार है।

5) मैं हूँ कुशराज
    मुझे सिर्फ समाजसेवा करनी है 
    और मैं किसी से नहीं डरता

6) मैं वो हूँ
    जो निरंतर नया सीखने
    और नया करने में
    लगा हुआ है।

7) कलम चलायी है तो हर मुद्दे पर चलेगी
     वो भी निष्पक्ष भाव चलेगी
     चाहे कुछ भी हो
     कलम नहीँ रुकेगी
     मरते दम तक भी नहीँ रुकेगी


8) जिस काम को तुमने शुरू किया है।
    उस काम को तबतक करते रहो,
    जब तक तुम उसके सर्वोच्च शिखर तक न पहुँच जाओ।

9) इतिहास बनाने के लिए दिनरात एक करने होते हैं।
     अपनों से ज्यादा दूसरों के हितों में काम करने होते हैं।।

10) तुम बेहतर सृजनशील काम करते हो,
       इसलिए तुम्हारा नाम चलता है।

11) लोग तुम्हारी निदा करें या प्रशंसा,
       उससे तुम्हें अपने काम करने के अंदाज
       पर ज्यादा फर्क नहीँ पड़ने देना चाहिए।
       तभी तुम अपने लक्ष्य तक पहुँच सकते हो।।

12) नाम उन्हीं का होता है, जो अपने से ज्यादा 
       दूसरों के हितों में काम करते हैं।

13) निंदा और प्रशंसा सिर्फ उन्हीं की होती है।
       जो कुछ बेहतर कर रहे होते हैं।।

14) जबसे तुम्हारी प्रसंशा या निंदा होने लगे,
        तब तुम अपने आप से कहना कि
        हम कुछ बेहतर कर रहे हैं।

15) तुम कुछ कर रहे हो।
       इसलिए तुम उनसे बेहतर हो,
       जो कुछ नहीँ कर रहे हैं।
       वो केवल सोने और आलस्य 
       करने में दिन गुजार रहे हैं।

16) इतिहास वही बनाते हैं, 
       जोे लीक से हटकर चलते हैं। 

17) काम की शुरुआत तो करो, 
       लोग अपने आप जुड़ते जायेंगे।

18) सबसे मुश्किल काम है, 
       किसी काम की शुरूआत करना।

19) विरोध उसी का होता है 
       जो ताकतवर होता है। 

20) किसी के राज में जीने से अच्छा है 
       कि खुद बेहतर राज करो।

21) लोग हमें पढ़ते हैं 
       और हम लोगों को पढ़ते हैं।

22) धर्म स्थापना के लिए, 
       समाज कल्याण के लिए 
       और देशसेवा के लिए
       सब कुछ करना चाहिए।

23) गुरु के मार्गदर्शन से ही हम इस दुनिया में 
       सब कुछ प्राप्त कर सकते हैं।

24) क्रांति, परिवर्तन और विकास 
       प्रकृति के शाश्वत नियम हैं।

25) लड़का - लड़की एकसमान।
       सबको शिक्षा सबका सम्मान।।

26) प्रतिस्पर्धा में भाग लेना चाहिए। 
        उसे होने से नहीँ रोकना चाहिए।
        प्रतिस्पर्धा में कामयाब होकर 
        अपना कीर्तिमान बनाओ।
        यही जीवन का सार है।

27) कलई खोलने के लिए विरोध होना चाहिए, 
        विरोध से सच सामने आता है। 
        क्या सही है और क्या गलत है का
        असली चेहरा सामने आता है।।
         विरोध एक क्रांति का रूप बन जाता है, 
          जो परिवर्तन लाता है।
          परिवर्तन से ही विकास होता है,
          जिससे सबका कल्याण होता है।।

28) वैचारिक क्रान्ति ही परिवर्तन ला सकती है।

29) सिर्फ साहित्य नहीँ, 
       सिनेमा भी समाज का दर्पण है।

30) जितना विपक्ष सक्रिय होगा, 
       उतना ही अधिक पक्ष कार्यशील होगा।
       यही सकारात्मक विकास की नीति है।

31) दुनिया के अधिकतर लोग यही चाहते हैं 
       कि मैंने जिस क्षेत्र में कामयाबी और 
       प्रसिद्धि का जो रिकॉर्ड बनाया है, 
       उसे कोई न तोड़ पाए।

32) संकल्प लेना बड़ी बात है।
       उसे सिद्धि तक पहुँचाना बड़ी बात नहीँ,
       वो तो कर्त्तव्य मात्र है।।

33) जो आपसे मतलब रखना चाहता है,
       उससे मतलब रखो।
       जो आपसे मतलब रखना नहीँ चाहता,
       उससे कदापि मत बोलो।
       और उसके लिए मत भागो,
       इसी में आपका हित निहित है।

34) कुछ ने मजाक बनाया
       कुछ ने बेहतर समझाया
       सबसे कुछ न कुछ सीखकर
       इन सबको स्वीकार कर
       मैं यहाँ तक हूँ आया

35) जितने जल्दी तुम अपने फैंसले खुद लोगे।
       उतने ही जल्दी शानदार कामयाबी पाओगे।।

36) हर वक्त साथ नहीँ होगा,
      कभी न कभी अकेला चलना होगा।
      अभी से अकेला चलना सीख ले,
      तभी जीवन में विजयी हो पाएगा।।

36) आज हम हैं; कल हमारी यादें होंगीं,
       जब हम न होंगे; तब हमारी बातें होंगीं।
       जब कभी तुम पलटोगेे; जिन्दगी के पन्ने,
       तब शायद आपकी आँखों में; बरसातें होंगीं।।

37) यदि आपको आत्मविश्वास है;
       तो आप जो चाहो वो बन सकते हो,
      और जो चाहो वो पा सकते हो।

38) पुरस्कार हमारे प्रतिभावान होने की याद दिलाते हैं।
      और अधिक पाने की प्रेरणा जगाते हैं।।

39) अरे! सफलता के मार्ग में आने वाले 
       अवरोधों को साहसपूर्वक मिटाते जाओ।
       तभी शानदार लक्ष्य की प्राप्ति होगी।।

40) माँ के बिन जीवन की कल्पना नहीँ की जा सकती।

41) यदि विचार नहीँ होंगे।
       तो हम भी नहीँ होंगे।।

42) आज हम जो भी हैं।
       जो मैंने सोचा उसकी बदौलत हैं।।

43) पुस्तक में है सारा संसार समाया,
       इसे अनेक विद्वानों ने बनाया।
       इस संसार में कोई और न इसके जैसा,
       मेरा इससे रिश्ता मछली और पानी जैसा।।

44) मैंने सपने सोते हुए नहीँ, जागते - जागते देखे हैं।
        दिन - रात एक कर, घोर परिश्रम कर पूरे किए हैं।।

45) काम करेगा जो - नाम करेगा वो।

46) मैं वर्तमान में जीता  हूँ
       भूत को याद रखता हूँ
       भविष्य के बारे में सोचता हूँ
       पूरे जोश से काम करता हूँ
        इसलिए खुश रहता हूँ

47) मेरे सफल जीवन में स्त्रियों का हाथ रहा है।
       पुरुषों से ज्यादा स्त्रियों का साथ रहा है।।

48) अरे इंसानों! समय के साथ बदलोे।
        तभी सब कुछ कर पाओगे।।

49) आपके बारे में 
       दुनिया क्या बोलती है,
       ये मायना नहीं करता।
       आपकी अन्तरात्मा
       जो बोलती है,
       वो मायना करता।।

50) हर एक स्त्री - पुरुष को एक ही नजर से मत देखो।

51) मिलता रहे 'कुशराज' तुम्हें कितना भी
       तुम्हारा गुजारा नहीं होता।
       यह सच है कि 
       ख्वाहिशों के समुन्दर का किनारा नहीं होता॥

52) दिवस में इक बार आत्ममंथन अवश्य करो।
       बुराईयों और अच्छाईयों को उजागर करो;
       गलतियों और भूलों को स्वीकार करो,
       कुकर्मों का सत्कर्मों में परिवर्तन करो;
       मोक्ष हेतु सत्मार्ग प्रशस्त करो,
       दिवस में इक बार आत्ममंथन अवश्य करो।।

53) यदि आपका कोई मित्र धोखा देता है 
      और मूर्ख बनाता है
      फिर भी आप उससे मित्रता किए रहते हैं 
      तो ये आपकी सबसे बड़ी मूर्खता और
      जीवन की सबसे बड़ी भूल होगी।

54) जो लोग मजे लेते हैं बाद में वो ही समझाते हैं।
       कम बोलो, लोग तुम्हारे मजे लेना बंद कर देंगे।
       कहीं ऐसा न हो कि आपके समझाने के बाद,
       वो ही आपके मजे लेना शुरू न कर दे।।

55) मानता हूँ कि कम बोलना अच्छी बात है
       लेकिन इतना भी कम मत बोलो कि 
       लोगों को जबाव भी न दे पाओ।

56) जानता हूँ तूने इस क्षेत्र में काबिलियत पा ली है
        इसका मतलब ये नहीँ, तुझसे आगे कोई नहीं
        ये दुनिया बहुत बड़ी है
        इसमें तुझसे ज्यादा काबिल भी हैं 
        लेकिन वो अपनी काबिलियत पर घमण्ड नहीँ करते
        वो सदा सरल और शांत रहते हैं
        और अपने को और काबिल बनाने में लगे रहते हैं
         क्योंकि वो जानते भी हैं और मानते भी हैं
          कि एक दिन सभी का घमण्ड चूर - चूर होता है

57) मुझे सिर्फ लिखना है
       किसी को जवाब देने के लिए
       किसी को सबक सिखाने के लिए
       सबके कल्याण के लिए
       आत्मसंतुष्टि के लिए
       ये सब मेरी महत्त्वाकांक्षा है
       लिखना मेरी आकांक्षा है
       इसलिए लिखता हूँ 
       लिखता हूँ............

58) जिसको पाने के लिए मैं दिन - रात लगा हूँ
       तुम बताओ
       क्या वो मिलेगी ?
             अवश्य मिलेगी ।
              ये बताओ।
       पूछो।
              कौन है वो?
      वो है 'कामयाबी'।
      जो आसानी से नहीँ मिलती।

59) सफल नहीं सार्थक बनो।
       सबके लिए उदाहरण बनो।।

60) मैं और कुछ नहीँ।
       मैं सिर्फ एक विचार हूँ।।

61) किताबी ज्ञान ही सब कुछ नहीँ होता,
       किताबों के बाहर भी एक दुनिया होती है ।
       और वो है व्यवहारिक ज्ञान की दुनिया,
       जो बहुत कुछ सिखाती है।
       व्यवहारिक ज्ञान एक ऐसा ज्ञान है -
       जो लगन और मेहनत से किये गए कार्य 
       और अभ्यास से प्राप्त किया जाता है; 
        जो अनुभव मेँ बदल जाता है,
        और जो इंसान को नई पहचान दिलाता है।।

62) हम उसे पाकर लक्ष्य को पाएँगे,
      और न पाकर भी लक्ष्य को पाएँगे।
       लेकिन उसको चाहेंगे,
       हरपल उसको चाहेंगे।।

63) प्रत्येक बात, प्रत्येक चीज
      और प्रत्येक कार्य की एक सीमा होती है।
      उस सीमा को पार करना लाभकारी नहीँ होता।
      और ज्यादा हानिकारक भी नहीँ।
      उस सीमा में रहना ही उचित होता है।

64) यदि किसी को पाने की इच्छा जाहिर की है
       तो तब तक मत रुको
       जब तक उसे पा न लो
       उसे पाने के लिए पूरे जोश और होश के साथ लग जाओ
       कुछ बाधाएँ आएँगी हार मानने लगोगे
       लेकिन सब्र रखकर 
       उसे पाने के लिए और मेहनत करो
       इक दिन वो जरूर मिलेगी
       क्योंकि "इस दुनिया में सब कुछ संभव है।"

65) सुना था - समय बदलता है
      और आज देखा कि लोग भी बदलते हैं
      लगता है - जमाना भी बदल रहा है
      और अब मैं भी बदलूँगा

✍ कुशराज झाँसी

_11/11/2018_12:03रात _ जरबौगॉंव 



















" राम तूँ मेरे साथ ऐसा क्यूँ करता है ? "

राम तूँ मेरे साथ ऐसा क्यूँ करता है ?
मुझे समझ नहीं आता,
मैं कुछ खास दिनों में बीमार क्यूँ पड़ता हूँ।
मैं परेशान, साथ-साथ परिजन परेशान होते हैं।
पहली बार,
शायद आठवीं-नवमी मेँ पढ़ता हूँगा।
गर्मियों के दिन थे;
स्कूल की छुट्टियाँ थीं,
इक दिन शाम को;
घर के पास वाले कुआँ पर नहा रहा था।
वहाँ से आकर;
परिजन ब्याई करने जा रहे थे,
मुझसे माँ ने कहा;
काकी को पने के लिये आम भूनने को देकर आओ,
तभी अचानक;
मैं धड़ाक से आँगन में गिर पड़ा।
परिजन घबरा गये;
बाई फूट-फूटकर रोने लगी,
चाहने वाले;
देखने घर पर आने लगे,
हालत गम्भीर होने लगी;
ढेड़-दो माह दवा चली,
स्वस्थ्य हो गया।
बस;
हुआ था मलेरिया।
मुझे समझ नहीं आता ,
राम तूँ मेरे साथ ऐसा क्यूँ करता है।
दूसरी बार,
इण्टरमीडिएट कर रहा था;
जीवविज्ञान की कोचिंग से लौटते वक्त,
अचानक;
नगर बरुआसागर चौक पर बेहोश होकर गिर पड़ा,
सहपाठियों ने अस्पताल पहुँचाया;
परिजनों को सूचित कराया।
इलाज हुआ,
ठीक हो गया।
बस;
हुआ था बुखार,
ठीक होने के आठ-दस दिन बाद,
न जाने किसने टोना-टोटका करा दिया;
हालत बिगड़ने लगी,
देशी दवा चली;
झाड़-फूँक करायी,
ढेड़-दो माह में ठीक हो पाया;
पढ़ाई के समय की बर्वादी हुई,
चिन्तित हुआ।
फिर भी;
परीक्षा में करीबी लक्ष्य को पाया,
मुझे समझ नहीं आता,
राम तूँ मेरे साथ ऐसा क्यूँ करता है।
तीसरी बार;
दिल्ली में हंसराज से स्नातक कर रहा था,
पहले सेमेस्टर की परीक्षा थी।
उसी वक्त;
मलेरिया से ग्रसित हो गया,
दो पेपर इसी हालात में दिए;
परीक्षा देकर अवकाश में जन्मभूमि आ गया,
पंद्रह-सोलह दिन घर पर आनन्द किया।
और आज फिर;
नव वर्ष को बुखार, साथ-साथ नौघेरा से पीड़ित हो गया,
मुझे समझ नहीं आता,
राम तूँ मेरे साथ ऐसा क्यूँ करता है।
ऐसे हालात;
सत्कर्मों का फल हैं,
या;
कुकर्मों की सजा,
तेरी महिमा;
मुझे समझ नहीं आती,
तेरी महिमा;
अपरम्पार है,
मुझे समझ नहीं आता,
राम तूँ मेरे साथ ऐसा क्यूँ करता है।


- कुशराज झाँसी

24/1/2018_ 10:35रात _ जरबौगॉंव




" काम करेगा जो - नाम करेगा वो "

जो हमेशा मुझे प्रोत्साहित करती है;
जो मुझमें नया जोश भरती है,
जो मुझे अपनी हर बात साझा करती है;
उसमें शौर्य है; साहस है और स्वाभिमान,
फिर भी वह करती न कभी अभिमान;
            क्यों रहते हो इतने व्यस्त? कहती मुझे वो,
            मैं बोलता काम करेग जो नाम करेगा वो..........

(हंसराज कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय की वार्षिक पत्रिका 'हंस - 2018' में प्रकाशित)








हिंदी बिभाग, बुंदेलखंड कालिज, झाँसी खों अथाई की बातें तिमाई बुंदेली पत्तिका भेंट.....

  हिंदी बिभाग, बुंदेलखंड कालिज, झाँसी में मुखिया आचार्य संजै सक्सेना जू, आचार्य नबेन्द कुमार सिंघ जू, डा० स्याममोहन पटेल जू उर अनिरुद्ध गोयल...