Saturday 26 January 2019

कॉलेज वाली लड़की - कुशराज झाँसी

 कविता -  " कॉलेज वाली लड़की "



कॉलेज में इक ऐसी लड़की है
जो हमेशा गंभीर रहती है
वो मेरे साथ पढ़ती है
मोह-माया जाल से दूर रहती है
वो हमेशा मेरा भला चाहती है
      कॉलेज में इक...............

जो खामोश रहती है
हरवक्त मुझे समझती है
मुझे अपनी गलतियों - भूलों का एहसास दिलाती है
मैं उस पर खरा उतरता हूँ
मैं उसका हरपल ख्याल रखता हूँ
     कॉलेज में इक...............

जो मुझे अध्ययन हेतु पुस्तकालय बुलाती है
अधिकतर पुस्तकों के साथ रहती है
शांत रहती है पर कभी-कभी ज्यादा मजाक करती है
फिर भी मेरी हर बात सुनती है
वो मेरी हर बात मानती है
     कॉलेज में इक...............

जो मुझे प्रोत्साहित करती है
जो मुझमे नया जोश भरती है
जो मुझे अपनी हर बात साझा करती है
उसमें शौर्य है; साहस है और स्वाभिमान
फिर भी वो कभी न करती अभिमान
      कॉलेज में इक................

क्यों रहते हो इतने व्यस्त कहती मुझे वो
मैं बोलता काम करेगा जो - नाम करेगा वो
मित्रो! ये तो सुनिए कौन है वो
मेरे सफल जीवन की इक स्त्री है वो
मेरी सच्ची साथी है वो।
     कॉलेज में इक............।।

               
- कुशराज झाँसी
 
_ 21 अक्टूबर 2017 _ 11 : 56 रात _ दिल्ली






कुशराज झाँसी के श्रृंगारिक मुक्तक

" कुशराज झाँसी के श्रृंगारिक मुक्तक "



          1.

तूँने जज्बातों से खेला,
मेरा दिल कुचैला।
हम वो नहीँ प्रिन्सेस,
जो तेरे तोड़ने से टूट जाएँ।।

✍🏻 कुशराज झाँसी

_ 25/1/2019_12:40 रात _ दिल्ली


          2.

हीरे सा कठोर मैं,
तूँ कोहनूरे जहाँ,
जब टकरायेंगे,
तो सगरे भाव चूर - चूर हो जायेंगे।।

✍🏻 कुशराज झाँसी

_ 25/1/2019 _12:45 रात _ दिल्ली


           3.

सेमेस्टर गुजर जाए,
कॉलेज से निकल जाएँ,
तेरी बात याद रखूँगा,
सफर में फिर मिलूँगा।

 ✍🏻 कुशराज झाँसी 

_ 25/1/2019 _12:49 रात _ दिल्ली


कुशराज झाँसी के नारीवादी मुक्तक

  " कुशराज झाँसी के नारीवादी मुक्तक "

       
          1.

आबरू पर निगाह मत डाल,
खुद ही फिसल जाएगा।
बड़ी तेज है वो,
तूँ ही फँस जाएगा।।

 ✍🏻 कुशराज झाँसी

_ 23/1/2019_4:50 शाम _ दिल्ली


             2.

मनमर्जी कुछ भी कर लूँगा,
सोचता रहा अबला है वो।
हाथ लगाने पे भून देगी,
ऐसी साहस की ज्वाला है वो।।

✍🏻 कुशराज झाँसी

_ 24/1/2019_7:41 सुबह _ दिल्ली


              3.

मत कर दुष्कर्म,
माफी नहीँ मिलेगी।
मिलेगी तो सिर्फ और सिर्फ,
सजा ए मौत फाँसी।।

✍🏻 कुशराज झाँसी

_ 24/1/2019_7:44 भोर _ दिल्ली


               4.

रानी झाँसी ने अंग्रेजों से लोहा लिया,
तो आजादी की ज्वाला धधक उठी।
बेगम रोकेया की सुल्ताना ने सपना देखा,
तो उतै सें पितृसत्ता उखड़ उठी।।

✍🏻 कुशराज झाँसी

_ 24/1/2019_7:47 भोर _ दिल्ली

                5.

कहता रे बोलने की आजादी है,
तो तूँ कुछ भी बकता रहेगा।
वो दिन दूर नहीँ,
जब तूँ कुछ बकने लायक ही न बचेगा।।

✍🏻 कुशराज झाँसी

_ 24/1/2019_7:50 भोर _ दिल्ली




सम्मान की जिंदगी जी - कुशराज झाँसी

कविता - " सम्मान की जिंदगी जी "


रण्डी तैं देह नहीँ, 
अपनी इज्जत बेचती है।
खुद बा खुद,
कौम को बदनाम करती है।
कब समझेगी,
कब सम्भलेगी।
बाजारू होना तोय उम्दा लगत है का,
या सम्मान की जिंदगी जीना।
समाज बदल रहा है,
तूँ भी बदल जा।
आ हमरे साथ मिलके,
सम्मान की जिंदगी जी।
स्वाभिमानी बनके गर्व कर,
काय तूँ साहस की ज्वाला है।
हम सबकी इज्जत,
सगरी दुनिया का मान है।

✍🏻 कुशराज झाँसी

_ 24/1/2019_8:06 दिन _ दिल्ली


लिख तूँ लिख - कुशराज झाँसी

कविता - " लिख तूँ लिख "


लिख तूँ लिख,
सबकी सच्चाई लिख।
सच लिखने में डरना मत,
असली बकने में झिझकना मत।
बेईमान तोय दबायेंगे,
तूँ हरहाल में दबना मत।
मौत से कभी डरना मत,
काय मौत के बाद,
फिर से जनम मिलता है।
ईसें यी जनम तूँ डर गया,
तो खुदको भी माफ नहीँ कर सकेगा।
लिख तूँ लिख,
सबकी सच्चाई लिख.......।

✍🏻 कुशराज झाँसी

_ 24/1/2019_7:58 सुबह _ दिल्ली


नशा चढ़ गया रे - कुशराज झाँसी

कविता / गीत - " नशा चढ़ गया रे "


लिखनी तेरा नशा चढ़ गया रे
चढ़ गया रे मुझ पे नशा चढ़ गया रे

तूँने घुसखोरों का पर्दाफाश किया रे
जानू प्रिन्सेस का ख्वाब पूरा किया रे

लिखनी तेरा नशा चढ़ गया रे
उस पे भी नशा चढ़ गया रे

समाज की पोल वो भी खोलती रे
आशिफा रेपकाण्ड का विरोध भी करती रे

तेरी खातिर मैं प्यार में पड़ गया रे
लिखनी तेरा नशा मुझ पे चढ़ गया रे

तूँ ही बनाए ऊसे मिलाबे के आश रे
तूँ ही लाएगी जिन्दगी में रास रे

तूँ गाली नहीँ दिलाती रे
किसी को न सताती रे

लिखनी तेरा नशा चढ़ गया रे
चढ़ गया रे मुझ पे चढ़ गया रे

वो भी करती हमरी खातिर शायरी रे
हरपल जीता मरता खातिर ऊकी रे

तेरे से समाज में सुधार लाना रे
दुनिया में चहुँओर शान्ति लाना रे

लिखनी तेरा नशा चढ़ गया रे.......

- कुशराज झाँसी

_ 23/1/2019_11:40 रात _ दिल्ली






Friday 25 January 2019

प्यार की चुनौती - कुशराज झाँसी

कविता - " प्यार की चुनौती "


ये सब मत सोच
भूल गया हूँ मैं
तेरी वो सब गुफ्तगू
जो तेरी चुनौती थी
तोय मोय प्यार में
दिल धड़काने की
धड़कता तेरा भी
मेरे की तो बात ही क्या
जाहिर किया है
माना तूने भी
तेरे को समाज का डर है
सो इजहार नहीँ करती
कब तलक डरेगी
अपने दिल से ही खेलती रहेगी
हम नहीं सुधरने वाले
सुधरेंगे वो
जो प्यार में चैलेंज देते हैं।।

 ✍🏻 कुशराज झाँसी

_ 25/1/2019_12:56 रात _ दिल्ली


Tuesday 22 January 2019

कम्युनिस्ट कनक सरकार को कड़ी से कड़ी सजा मिले - कुशराज झाँसी


लेख : " कम्युनिस्ट कनक सरकार को कड़ी से कड़ी सजा मिले। "


                 
            जादवपुर यूनिवर्सिटी, कोलकाता में अंतर्राष्ट्रीय संबंध पढ़ाने वाले कम्युनिस्ट प्रोफेसर कनक सरकार ने रविवार को एक फेसबुक पोस्ट में स्त्रियों का अपमान करते हुए एक कुवाँरी लड़की की तुलना 'सीलबंद बोतल' या 'सीलबंद पैकेट' से की थी। बाद में उन्होंने पोस्ट को डर के कारण हटा और भाषण की स्वतंत्रता का दावा करने वाली दूसरी पोस्ट में कार्यवाही को सही ठहराया। पिछले दो दशकों से अध्यापन कार्य कर रहे कनक सरकार ने अपने फेसबुक पर लिखा था - " बहुत सारे लड़के बेवकूफ बने हुए हैं। वो बीबी के रूप में एक वर्जिन लड़की को लेकर जागरूक नहीँ हैं। वर्जिन लड़की एक सीलबंद बोतल या सीलबंद पैकेट की तरह है। क्या तुम सील टूटी कोल्डड्रिंक की बोतल या सील खुले बिस्किट के पैकेट को खरीदना पसंद करोगे? इसी तरह तुम्हारी बीबी का केस है।"

मार्क्सवादी कनक सरकार के इस विवादित और अत्यंत अपमानजनक बयान पर बहुत कुछ लिखा जा चुका है लेकिन इसका नाम हाल में ही मीटू के अन्तर्गत आया था। उसके बाद इस संभावित बलात्कारी कम्युनिस्ट प्रोफेसर के बचाव में कॉमरेड समुदाय की वुमेन बिग्रेड सामने आई और उन लोगों ने एक लंबा पत्र जारी किया। किस्सा कुछ यूँ है - मी टू अभियान पिछले साल रिया सरकार नामक कानून की छात्रा ने शुरू किया। रेया ने उस वक्त दर्जनों प्रोफेसरों का नाम सार्वजनिक करने का साहस दिखाया था। पिछले साल लड़की पर अपमानजनक बयान देने वाले को लगा था कि रेया का साथ कोई दे या न दे। इस देश के कम्युनिस्ट जरूर देंगे। लेकिन जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में पढ़ाने वाली कम्युनिस्ट प्रोफेसर निवेदिता मेनन की नेतृत्त्व में कम्युनिस्टों ने साबित किया कि तथाकथित बलात्कारी कम्युनिस्टों का 'ना कोऊ दोष गोसाईं।' सबसे बड़ी बात तो ये है कि रेया सरकार ने जो सूची जारी की थी, उनमें अधिकांश कम्युनिस्ट प्रोफेसर ही थे। 

रेया सरकार ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए जिन नामों का खुलासा किया। उनमें जादवपुर यूनिवर्सिटी के कनक सरकार, दीपेश चक्रवर्ती, प्रोदोष भट्टाचार्य, कौशिक राय, सुमित कुमार बरुआ, अभिजीत गुप्ता, मृदुल बोस, रवींद्र सेन, विश्वजीत चटर्जी, मिहिर भट्टाचार्य का नाम शामिल था। सेंट जेवियर कॉलेज, कोलकाता से पार्थ मुखर्जी, खालीद बसीम, टिस तुलजापुर से, जेएनयू से सुरिंदर एस जोधका और दिल्ली यूनिवर्सिटी के रामजस कॉलेज से बीएन राय का नाम प्रमुख रूप से लिया गया था।

रेया सरकार की सूची अकादमिक जगत से संबंधित थी। सोशल मीडिया पर उनके लोशा (लिस्ट ऑफ सेक्सुअल हरासर इन अकादेमिया) को भरपूर सहयोग मिला। जिसकी वह नारी सम्मान हेतु हकदार भी थी। उनके पास शिकायतें आयीं। इन शिकायतों के बाद रेया सरकार की सूची 75 तक पहुँच गयी। 30 कॉलेज और विश्वविद्यालयों से ताल्लुक रखने वाले ये प्रोफेसर भारत, इंग्लैण्ड (यूके) और अमेरिका (यूएस) से थे। पिछले साल यह सूची जारी होते ही अकादमिक जगत में हाहाकार मचा और देखते ही देखते इस सूची को हजारों लोगों ने शेयर किया। दुर्भाग्यबश फेसबुक ने रेया सरकार के पेज को ही ब्लॉक कर दिया। 

कम्युनिस्ट नारीवादी निवेदिता मेनन द्वारा उस दौरान कम्युनिस्ट प्रोफेसरों को मीटू से बचाने के लिए जारी किए एक पत्र में लिखा गया था कि ऐसे नाम लेकर किसी को बदनाम नहीँ किया जा सकता। बिना जवाबदेही के नाम दिया जायेगा तो इस तरह कोई भी किसी का नाम लिख सकता है। निवेदिता मेनन के बयान के साथ सहमति में कविता कृष्णन, आयशा किदवई, ब्रिंदा बोस, नंदिनी राव, जानकी नायर, ब्रिंदा गोवर जैसे कई कम्युनिस्ट एक्टिविस्टों के नाम शामिल थे। दूसरी तरफ दुनियाभर में चला मीटू अभियान का सोशल मीडिया ट्रायल ही था। एमजे अकबर पर जो आरोप लगे जबकि उसका कोई सबूत आरोप लगाने वालों के पास नहीँ था लेकिन अकबर के मामले में पूरे कम्युनिस्ट गिरोह का स्वर ही बदला हुआ था। वे सब अकबर के खिलाफ बयान दे रहे थे। लेख लिख रहे थे। इसी दौरान विनोद दुआ, जतिन दास, सिद्धार्थ भाटिया जैसे कई कम्युनिस्टों के नाम सामने आए। तो इन नामों के सामने आते ही मीटू इस तरह गायब हुआ जैसे तथाकथित कम्युनिस्टों ने ऐसा कोई अभियान हमारे भारत देश में कभी प्रारम्भ ही नहीँ किया था। 

कम्युनिस्टों के बीच आंदोलन संस्कृति का एक स्याह पक्ष है कि वे अपने बीच के दुष्कर्मी और नरकीय अपराधी को बचाने के लिए किसी भी हद तक गिरने को तैयार होते हैं। इस तरह वे एक गिरोह की तरह काम करते हैं। यह गिरोह अफवाह फैलाने से लेकर अपराधियों के महिमामंडन तक की ट्रेनिंग अपने सीनियर साथियों से पाता है और उसे परम्परा की तरह आगे बढ़ाता भी है।

"हम भारत सरकार और देश की आमजनता से माँग करते हैं कि कम्युनिस्ट कनक सरकार जैसे अपराधी को कड़ी से कड़ी ऐसी सजा दी जाए ताकि वो दुबारा कुछ भी गलत बोलने और करने लायक ही न बचे। और इसके साथी कम्युनिस्टों को भी करारा जवाब दिया जाए। चाहे कोई भी अपराधी हो, उसे बिल्कुल भी रियायत न देकर कड़ी से कड़ी सजा सुनायी जाए तभी हमारा भारत देश पुनः विश्वगुरु बन पाएगा और सभ्य समाज का निर्माण कर सकेगा।"

कम्युनिस्ट गिरोह के सन्दर्भ में मेरी "एकता" नामक कविता प्रासंगिक है - 

तुम भी दूसरों पर हँसना छोड़ो।
वो भी छोड़ देंगे।
वो भीड़ नहीँ, एकता है।
समाज की समाज के विकास के लिए एकता है।
देश की देश के विकास के लिए एकता है।
वो भीड़ नहीँ, भारतीय संस्कृति के अनुयायियों की एकता है।
देश का विचार देश के लिए, देशवासियों की एकता है।
विदेशी विचार नहीँ चलेगा, नहीँ चलेगा।
देश का विचार ही चलेगा, भारतीय विचार ही चलेगा।।

।। जय भारतीय संस्कृति।।
।। जय भारत माता।।
।। जय श्रीराम।।

✍ कुशराज झाँसी

 _22/1/2019_7:06 सुबह _ दिल्ली

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Wednesday 16 January 2019

कविता : हम - तुम

कविता - " हम - तुम "


अरे यार!
कब लौटोगी ?
घर से;
कॉलेज की ओर,
या फिर लौटना ही नहीँ।

यार लौट आओ,
सुधर गए हम।

तुम भी बदल गई हो,
पहले जैसी नहीँ रही।

कभी हम बेकरार थे,
अब तुम बेकरार हो।

कब तक ?
समाज की जंजीरों में जकड़ी रहोगी,
रूढ़िवादी खौफ से डरती रहोगी।

इक न इक दिन,
जंजीरों को तोड़ना ही होगा।

यदि समाज में क्रांति संग;
बदलाव लाना है,
चहुँओर खुशी की बहार लाना है।

 ✍🏻 कुशराज झाँसी

 _15/1/2019_12:34 दिन _ हंसराजकॉलेज दिल्ली






Tuesday 15 January 2019

सब समान हों - कुशराज झाँसी

कविता - " सब समान हों "


चाहे हों दिव्यांग जन
चाहे हों अछूत
कोई न रहे वंचित
सबको मिले शिक्षा
कोई न माँगे भिक्षा

दुनिया की भूख मिटानेवाला
किसान कभी न करे आत्महत्या
किसी पर कर्ज का न बोझ हो
सबके चेहरे पर नई उमंग और ओज हो

न कोई ऊँचा 
न कोई नीचा
सब जीव समान हों
हम सब भी समान हों

न कोई बनिया नाजायज ब्याज ले
न कोई कन्यादान के संग दहेज ले
कोई बहु - बेटी पर्दे में न रहे
सबको दुनिया की असलीयत दिखती रहे

कोई न स्त्री को हीन माने
वह साहस की ज्वाला है
अब तक वह चुप रही
तो हुआ ये

सिर्फ मानवता की हीनता
और हैवानियत का चरमोत्कर्ष
अब सब कुरीतियों - असमानताओं को मिटाना है
मानवता और विश्व शांति लाना है

✍ कुशराज झाँसी

 _14/1/2019_11:56 रात _ दिल्ली


कविता : मत रुकना तूँ - कुशराज झाँसी

आत्मप्रेरणादायी कविता - " मत रुकना तूँ "



मत रुकना तूँ कभी मत रुकना तूँ
समाज बदलना है तुझे
देश बदलना है तुझे
विश्व - कल्याण करना है तुझे
दुनिया में शांति लाना है तुझे
मत रुकना तूँ कभी मत रुकना तूँ

जानता हूँ तूँ अकेला बढ़ रहा है
समाज - देश की समस्याओं पर विचार रहा है
तूँ ऐसा परिवर्तन लाना चाह रहा है
जहाँ स्त्री - पुरुष सब समान हों
मत रुकना तूँ कभी मत रुकना तूँ

तुझे सबको शिक्षा दिलाना है
स्त्रियों को भी उनका हक दिलाना है
विचारजगत में किसान - विमर्श लाना है
अन्नदाता किसानों की आय कई गुना बढ़ाना है
मत रुकना तूँ कभी मत रुकना तूँ

तुझे देश कल्याण हेतु हिंदी को राष्ट्रभाषा बनवाना है
हिंदी को विश्वभाषा बनाकर विश्वकल्याण करना है
स्वदेशी को अपनाकर विदेशी को भगाना है
भारतीय संस्कृति का विश्वविजयी झण्डा लहराना है
मत रुकना तूँ कभी मत रुकना तूँ

स्त्रियों पर हो रहे दुष्कर्मों को रोकना है
सबसे पहले स्त्रियों को ही शिक्षा देकर जागरूक करना है
अत्याचारी - बलात्कारियों को मौत के घाट उतारना है
तुझे समाज सुधारकर देश बदलना है
मत रुकना तूँ कभी मत रुकना तूँ

✍ कुशराज झाँसी

 _14/1/2019_11:34 रात _ दिल्ली


Saturday 12 January 2019

राष्ट्रीय युवा दिवस की अनंत शुभकामनाएँ और बधाई 💐💐💐


वेदांत दर्शन के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु, विश्व धर्म महासभा शिकागो अमेरिका में सनातन धर्म के प्रतिनिधि, रामकृष्ण मिशन के संस्थापक, महान विचारक और युवाओं के आदर्श ' स्वामी विवेकानंद जयंती (12 जनवरी) और राष्ट्रीय युवा दिवस की अनंत शुभकामनाएँ 💞💞💞
 * आज के युवाओं को सादर समर्पित *
               " युवा "
जागो युवा जागो युवा
देश - समाज को बदलो युवा
युवा देश - युग के निर्माता
छात्र राष्ट्र के भाग्य - विधाता
           कुसंगत्ति छोड़ें वे सत्संगति अपनाएँ
           सत्संगति अपनाकर भविष्य उज्जवल बनाएँ
           सज्जनों का नाम होता इतिहास में अमर
          दुर्जनों का जीवन होता पशु - सम
देश - समाज को बदलो युवा
जागो युवा जागो युवा ......................
                            ✍ कुशराज
गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज'
संस्थापक एवं अध्यक्ष - महात्मा हंसराज पैनल,
      हंसराज कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय
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Wednesday 9 January 2019

कॉलेज के समस्त कार्य हिंदी में भी किए जाएँ - कुशराज झाँसी

महात्मा हंसराज पैनल, हंसराज कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय

सेवा में,
          श्रीयुत प्राचार्या महोदया,
          हंसराज कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली।
विषय - "कॉलेज के समस्त कार्य हिंदी में भी किए जाएँ।"

मान्यवर,
             सविनय निवेदन यह है कि हमारे भारत देश की राजभाषा हिन्दी है। हिंदी को देश की आधे से ज्यादा आबादी प्रयोग करती है बल्कि सारा देश हिंदी समझ लेता है और अखिल विश्व की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली तीसरी भाषा हिंदी बन गई है। फिर भी हिंदी संवैधानिक रूप से राष्ट्रभाषा नहीँ है। प्रतिवर्ष 14 सितम्बर को 'हिंदी दिवस' और प्रतिवर्ष 10 जनवरी को 'विश्व हिंदी दिवस' मनाया जाता है। जिसमें हिंदी को विश्वभाषा बनाने के उद्देश्य से इसके विकास और प्रचार - प्रसार करने के लिए विश्व हिंदी सम्मेलन आयोजित किए जाते हैं।
                हम कॉलेज से माँग करते हैं कि अंग्रेजी के साथ - साथ कॉलेज के समस्त कार्य हिंदी में भी किए जाएँ। जैसे - वार्षिक विवरण, परीक्षा फॉर्म, हर प्रकार के नोटिस हिंदी में निकाले जाएँ। हर जगह हिंदी का प्रयोग किया जाए और ईसीए सोसायटीज को भी हिंदी में कार्य करने के आदेश दिए जाएँ। अपनी मातृभाषा हिंदी में कार्य करके भारत को विकसित देश बनाने में सक्रिय योगदान दिया जाए। एक ही नारा गूँजे - 'अपनी मातृभाषा हिंदी में काम करेंगे - देश दुनिया का कल्याण करेंगे।'

              विश्व हिंदी दिवस की अनंत शुभकामनाएँ!

दिनाँक - 08 जनवरी 2019                         
                                                      निवेदक
                          गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज'
             संस्थापक एवं अध्यक्ष - महात्मा हंसराज पैनल
              हंसराज कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय


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Monday 7 January 2019

संस्मरण : नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला 2019 - कुशराज झाँसी

संस्मरण - " नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला 2019 " 


विश्व पुस्तक मेला घूमने की मेरी बड़ी प्रबल इच्छा थी। जो जाकर आज तारीख 6 जनवरी सन 2019 को पूरी हुई। दरअसल ये मेरा दूसरा पुस्तक मेला है जिसके बारे में बहुत खूब सुना था। पिछले साल भी पुस्तक मेला जाना था लेकिन ईस्वी नव वर्ष के शुभारम्भ एक जनवरी से ही चेचक यानी चिकन पॉक्स (बड़ी माता) से ग्रसित हो गया। पूरे चौदह दिन में ठीक हो पाया। शरीर कमजोर हो गया था। सारे बदन के साथ - साथ चेहरे पर भी दाने के स्पॉट बन गए थे। दूसरा सेमेस्टर एक जनवरी से ही प्रारम्भ हो गया था लेकिन मैं मकर संक्रांति महापर्व के दिन 15 जनवरी की रात में जन्मभूमि झाँसी बुन्देलखण्ड से कर्मभूमि दिल्ली आ पहुँचा। अगले ही दिन अपने हंसराज कॉलेज में सुप्रसिद्ध प्रवासी साहित्यकार 'तेजेन्द्र शर्मा जी', महान लेखिका ' काउंसलर जकिया जुबैरी जी' और मीडिया विशेषज महोदया 'डॉ. रमा जी', प्राचार्या हंसराज कॉलेज का एक साहित्यिक कार्यक्रम था। जिसमें अपने सहपाठी मित्रों, शिक्षकों, साहित्यसेवियों और हिंदीप्रेमियों के साथ प्रतिभाग किया। 

मेरे दिल्ली आने के एक - दो दिन पहले ही विश्व पुस्तक मेला 2018 समाप्त हो चुका था। लेकिन इस साल मैंने घर पर दृढ़ निश्चय कर लिया था कि पुस्तक मेला अवश्य जाऊँगा इसलिए 31 दिसम्बर की रात को ही दिल्ली आ गया था। घर पर किसानी का कार्य बड़ा जोरों पर चल रहा था। मताई - बाप और कक्का - काकी मजूरों को साथ लेकर आलू खुदवाते थे और दादाजी पीताराम कुशवाहा आलू बेचने सब्जी मण्डी झाँसी जाते थे। दादी छोटे भाई - बहिनों के साथ नगर बरुआसागर में रहती थीं क्योंकि ये सब यहीँ से स्कूली शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। छुट्टियों के चौदह - पन्द्रह दिनों के बीच कभी अपने गाँव जरबौ में रहा तो कभी पुष्पा बुआ के यहाँ ग्राम बांसार बिजना और कभी नगर बरुआसागर।

गाँव में खेतों पर हरियाली देखकर तो थोड़ा बहुत अच्छा लगता था। दो - तीन साल के बाद तो अच्छी बारिश हुई थी। इससे पहले तो भयंकर सूखा पड़ रही थी। सब क्षेत्रवासी दाने - दाने को मुहताज हो रहे थे। सारा बुन्देलखण्ड सूखे की मार को झेल रहा था। बूँद - बूँद पानी को तरस रहा था लेकिन इस साल अच्छी बारिश हो गयी तो फसलों के दाम गिर गए। फायदे की तो दूर की बात, फसल की लागत तक निकालना मुश्किल पड़ रहा है। मजूरों को भी खेतों में मजूरी नहीँ मिल रही है क्योंकि किसान को फसल से नाममात्र की आमदनी हो रही है। सारी दुनिया की भूख मिटाने वाला किसान खुद अपना पेट नहीँ भर पा रहा है। अच्छे ढंग से जीविका नहीँ चला पा रहा है।

शिक्षा का बाजारीकरण होने से महँगी शिक्षा अपने बच्चों को नहीँ दिला पा रहा है। किसान के बेटे - बेटियाँ अच्छी शिक्षा प्राप्त नहीँ कर पा रहें हैं। देश की आधे से ज्यादा आबादी वाले किसानों के युवा बेटे - बेटियाँ ही नहीँ शिक्षा पा पाएँगे तो भारत का भविष्य कैसे उज्ज्वल होगा? भारत कैसे विकसित देश बनेगा? और कैसे पुनः विश्वगुरू बनकर उभरेगा। इस ओर हम सबको ध्यान केंद्रित करने की सख्त जरूरत है क्योंकि भारत 'किसानों का देश' है। ग्रामीण सरकारी स्कूलों और प्राईवेट कॉलेजों के साथ ही कुछ सरकारी कॉलेजों की हालात बड़ी खराब है। स्कूलों में क्लासें तो होती है लेकिन सुव्यवस्थित पढ़ाई नहीँ कराई जाती। बच्चों को अंग्रेज मैकाले की शिक्षा - पद्धति पर आधारित वर्तमान शिक्षा से भारतीय संस्कृति का ज्ञान नाममात्र का ही हो पा रहा है। हम सब संस्कारों और मानवीय मूल्यों को खोते जा रहे हैं। अब जरूरत है भारतीय संस्कृति और भारतीय शिक्षा - पद्धति का प्रचार - प्रसार करने की।

कुछ तथाकथित शिक्षक छात्रों के मिड-डे-मील का सामान अपने घर चोरी से ले जाकर देश के भविष्य इन छात्रों का हक मारकर अपनी रोटियाँ सेंक रहे हैं। कुछ तथाकथित कॉलेजों में छात्र - छात्रायें दाखिला तो ले लेते हैं लेकिन सिर्फ और सिर्फ परीक्षाएँ देने जाते हैं और सारा साल आवारागर्दी में गुजार देते हैं। बुन्देलखण्ड क्षेत्र में शिक्षा - व्यवस्था के ऐसे सोचनीय और निंदनीय हालातों को देखते हुए - "मैं सरकार से माँग करता हूँ कि स्कूलों में सीसीटीवी कैमरों पर नजर रखी जाए। माह में दो बार अभिभावकों की मीटिंग बुलाई जाए और निरंतर स्कूलों का निरीक्षण किया जाए। साथ ही साथ मिड-डे-मील हजम करने वाले शिक्षकों को सजा दी जाए। तथाकथित कॉलेजों को बन्द कर दिया जाए। तभी किसान और आमजन के बच्चे अच्छी शिक्षा प्राप्त कर पाएँगे और देश का कल्याण हो सकेगा।"

चौथे सेमेस्टर की शुरुआत एक जनवरी से ही कॉलेज अटेण्ड किया। संयोगवश इस दिन मंगलवार था इसलिए आर्यसमाजी कॉलेज होने के नाते, माह से पहले इस मंगलवार को भी हर बार की भाँति वैदिक यज्ञ में जाकर पुण्य कार्य किया और 4 जनवरी को सभागार में कॉलेज प्राचार्या महोदया डॉ. रमा मैम को बड़े हर्षोल्लास के साथ जन्मोत्सव मनाया। चारों दिन क्लासें अटेण्ड कीं और 5 जनवरी को कॉलेज की छुट्टी होने के बावजूद इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र में आयोजित महोत्सव 'अयोध्या पर्व' में प्रतिभाग किया। "राम के आयाम" विषय पर परिसंवाद और "हम भारतीय अपनी सांस्कृतिक-ऐतिहासिक धरोहर के प्रति गम्भीर नहीँ हैं।" विषय पर अंतर महाविद्यालयीय वाद-विवाद प्रतियोगिता में सक्रिय योगदान दिया और पर्व में अयोध्या के खान - पान और लोक - परम्परा एवं संस्कृति का आनंद लेते हुए कला केंद्र का शोधपूर्ण भ्रमण भी किया। शाम आठ बजे फ्लैट आ पाया। बहुत थक  चुके थे क्योंकि लगातार दो दिन से कार्यक्रमों में जा रहा था।

अभिषेक भैया से पुस्तक मेला साथ चलने की बात पहले से ही थी। रात में निश्चय हो गया कि सुबह साढ़े दस बजे विश्वविद्यालय मेट्रो से मेले के लिए निकल लेंगे। मैंने मेले संबंधित फोन पर उमांशी, अदिति, विभव, श्रीकृष्णा और रूपाली से भी बात की। उमांशी, अदिति और रूपाली साथ चलने को तैयार हुईं। लेकिन सुबह रिमझिम - रिमझिम बारिश हो रही थी जिससे कड़ाके की ठण्ड भी लग रही थी। इसलिए इन तीनों ने जाने से मना कर दिया। बारिश में भीगते हुए जैसे ही साढ़े नौ बजे फ्लैट से मुकीमपुरा गली से मैन रोड पहुँचा तो गली में एक बिजली का तार टूटकर नीचे गिर पड़ा था जिसे निगम पार्षद गुड्डी आंटी को फोनकर सही कराया और रिक्शे से विश्वविद्यालय मेट्रो पहुँचकर अभिषेक भैया को साथ लिया और मेट्रो से ही प्रगति मैदान पहुँच लिए।

इस वर्ष 5 से 13 जनवरी के बीच प्रगति मैदान में लगे एशिया से सबसे बड़े पुस्तक मेले 'नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला' में साढ़े ग्यारह बजे जा पहुँचे। दोनों का प्रवेश टिकट लेकर भारतीय भाषा के प्रकाशक हॉल संख्या 12 (ए) में पहुँचकर सर्वप्रथम दृष्टि - द विजन आईएएस कॉचिंग के स्टॉल पर यूपीएससी संबंधित पुस्तकें देखकर, राजकमल, लोकभारती और राधाकृष्ण प्रकाशन के संयुक्त स्टॉल से मैला आँचल - फणीश्वरनाथ रेणु, भारत-भारती - राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त, कामायनी - जयशंकर प्रसाद, ध्रुवस्वामिनी - जयशंकर प्रसाद, एक किशोरी की डायरी - अने फ्रांक, प्राचीन भारत में राजनीतिक विचार एवं संस्थाएँ - रामशरण शर्मा और प्रतिनिधि कहानियाँ - मुंशी प्रेमचंद जैसी कालजयी कृतियाँ खरीदीं तो अन्य स्टॉल से हंस पत्रिका का हिंदी सिनेमा के सौ साल विशेषांक और नवसंचार के जनाचार विशेषांक खरीदे। उर्दू भाषा के स्टॉल से कुरआन मजीद और कुरआन का समझना हुआ आसान जैसे धर्मग्रंथ खरीदे तो लोकभारती प्रकाशन के दूसरे स्टॉल से बुंदेली शब्दकोश - डॉ. रंजना मिश्रा और बुन्देलखण्ड : सांस्कृतिक वैभव - डॉ. रंजना मिश्रा जैसे मातृभाषा संबंधित ग्रन्थ खरीदे। साथ ही साथ हिन्द युग्म के स्टॉल से विख्यात उपन्यास डार्क हॉर्स - नीलोत्पल मृणाल खरीदा और आर्यसमाजी धर्मप्रचारकों से सिर्फ दस रुपये में सत्यार्थ प्रकाश - स्वामी दयानंद सरस्वती लिया। 

ईसाई धर्मप्रचारकों ने पवित्र शास्त्र नाम से बाइबिल का हिंदी अनुवाद मुफ्त में ही पकड़ा दिया। अभिषेक भैया की कला स्नातक हिंदी विशेष, दिल्ली विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम संबंधित लोक -नाट्य, हिंदी रंगमंच, इतिहास और आलोचना पर किसी भी स्टॉल पर बहुत ढूँढने के बावजूद भी कोई पुस्तक न मिली। जिससे भैया को और मुझे बड़ी निराशा हुई कि इतने बड़े मेले में पाठ्यक्रम की ही पुस्तकें नहीँ मिल रही हैं और विश्वविख्यात महान कृतियाँ तो हर जगह मिल रही हैं। वहीँ मेले में सहपाठी मित्र आशुतोष, अनिल, अमनप्रताप और सुयश भैया, अनुपम भैया के साथ ही साथ ही साथ महिपाल, नितेश मिश्रा, शैलेंद्र गुप्ता, उमांशी और अंकित यादव भी मिले।  जलपान करके शाम पाँच हम आशुतोष लोग मेले से घर के लिए रवाना हुए। घर पर मेला घूमकर बहुत सुखद अनुभव हुआ। जितने प्रकार की पुस्तकें आज देखीं उतनी मैंने अभी तक नहीँ देखी थीं इसलिए विश्व पुस्तक मेला में सभी का जाना चाहिए और पुस्तकें खरीदकर अच्छे से अध्ययन करना चाहिए। पुस्तकें पढ़ने से ज्ञान बढ़ाना चाहिए और अपना बौद्धिक विकास करना चाहिए। मैंने कहा भी है - "पुस्तक में है सारा संसार समाया। इसे अनेक विद्वानों ने बनाया।।"

     ✍ कुशराज झाँसी

_ 6/1/2019_11:20 रात _ दिल्ली

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Friday 4 January 2019

डॉ. रमा मैम को जन्मदिवस की अनंत शुभकामनाएँ और बधाई!

हंसराज कॉलेज को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ कॉलेज बनाने हेतु संकल्पित, साहित्य, सिनेमा, मीडिया और शिक्षा के क्षेत्र में अद्वितीय स्थान प्राप्त लौह महिला एवं हंसराज कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय की प्राचार्या "डॉ. रमा" के जन्मदिवस '4 जनवरी' की अनन्त शुभकामनाएँ एवं बधाई 💞💞💞

" कॉलेज लाइफ में वाद - विवाद में अमिट ख्याति पायी,
साहित्य और सिनेमा में समाज की असली तस्वीर दिखलायी। शिक्षा में छात्र - छात्रों को सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ने      की प्रेरणा देती आयी,
उनको जन्मदिवस की अनन्त शुभकामनाएँ और बधाई।
सदा हिंदी और हिन्दुस्तान के विकास के लिए काम करती आयी हैं,
और हंसराज को दुनिया का नम्बर वन कॉलेज बनाने हेतु संकल्पित हैं।
जिन्होंने दुनिया में आर्य समाज से भारतीय संस्कृति और वैदिक धर्म की पताका फहरायी है।
ऐसी हंसराज कॉलेज की प्राचार्या डॉ. रमा को कोटि - कोटि नमन!"
             ✍ कुशराज_4/1/19_1:07am

       गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज'
(संस्थापक - अध्यक्ष ~ महात्मा हंसराज पैनल हंसराज कॉलेज) 

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Thursday 3 January 2019

सावित्रीबाई फुले जयंती पर शत - शत नमन!

देश की पहली महिला शिक्षिका, मराठी कवयित्री और महान समाज सुधारिका क्रांतिज्योति, राष्ट्रमाता "सावित्रीबाई ज्योतिबा फुले जयंती" पर शत - शत नमन 🙏🙏🙏

"जिसने दलितों, महिलाओं और समाज का कल्याण किया,
और मराठी काव्य में विद्रोही कविताओं का प्रणयन किया।
सर्वप्रथम नारी - शिक्षा देने हेतु किया अपमान सहन,
ऐसी क्रांतिज्योति 'सावित्रीबाई फुले जयंती' पर कोटि - कोटि नमन।।"
  ✍🏻कुशराज_ 3/1/19_5:41am

          गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज'
(संस्थापक - अध्यक्ष ~ महात्मा हंसराज पैनल हंसराज कॉलेज) 

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हिंदी बिभाग, बुंदेलखंड कालिज, झाँसी खों अथाई की बातें तिमाई बुंदेली पत्तिका भेंट.....

  हिंदी बिभाग, बुंदेलखंड कालिज, झाँसी में मुखिया आचार्य संजै सक्सेना जू, आचार्य नबेन्द कुमार सिंघ जू, डा० स्याममोहन पटेल जू उर अनिरुद्ध गोयल...