दोस्ती - कुशराज झाँसी
लेख : " दोस्ती "
दोस्त का मतलब है - जो आपके दोष यानि कमियाँ बताए। आज के समय में मुझे ये मतलब सही नहीं लगता क्योंकि आजकल कई ऐसे दोस्त भी होते हैं, जो आपमें कमियाँ ही निकालते रहते हैं और आपको हतोत्साहित करते रहते हैं बल्कि आपमें कमियाँ नहीँ होती हैं। वो आपसे ईर्ष्या करते हैं और आपसे जलतेे हैं। वो आपकी प्रगति को देखना नहीँ चाहते इसलिए आपकी निंदा करते हैं। कभी - कभी वो आपकी निंदा इस तरह करते हैं कि आपके सही और रचनात्मक कार्य को भी गलत ठहरा देते हैं। एक समय आपको भी अपने कार्य से नफ़रत होने लगती है। अपने कार्य से नफ़रत करना बिल्कुल गलत है। जब आप स्वयं से ही सहमत नहीँ हो तो भला आप दूसरों से कैसे सहमत हो सकते हो। आप हमेशा स्वयं से सहमत रहिए और हमेशा ये मानकर काम कीजिए कि मैं जो कर रहा हूँ वो सही है और मैं सही हूँ। तभी आप सार्थक बन पाओगे और जिन्दगी में अच्छा कर पाओगे। इस संदर्भ में मैं कहता हूँ -
"आपके बारे में दुनिया क्या बोलती है,
ये मायना नहीँ करता।
आपकी अन्तर्रात्मा जो बोलती है,
वो मायना करता।। "
ऐसे दोस्त जो आपमें हर समय कमियाँ निकालते रहते हैं और आपके हर काम में दखल देते रहते हैं। आपको कोई भी काम आपके मन से नहीँ करने देते हैं और अपनी सलाह देते हैं। वो कहते हैं कि इस काम को ऐसे करो जैसे मैं कह रहा हूँ। आपको ऐसे दोस्तों की कोई भी बात नहीँ माननी चाहिए।इनसे दूरियाँ बनाना ही हितकर है। क्योंकि ये "मुँह में राम बगल में छुरी" नामक कहावत को चरितार्थ करते हैं। ऐसे दोस्त कपटी दोस्त कहलाते हैं। जो खुद तो कुछ नहीँ करते और दूसरों को भी कार्य करने नहीँ देना चाहते। ऐसे दोस्तों से सावधान रहिए। कपटी दोस्त आपको कई बार ठगते हैं और आपको धोखा देते हैं। कोई रचनात्मक कार्य आप करते हैं और वो उसका श्रेय खुद लेना चाहते हैं। कभी - कभी वो आपको धमकाते भी हैं। उनसे कदापि मत डरिए। उनका साहस से सामना कीजिए। एक समय आपको पता चल जाता है कि इसने मुझे धोखा दिया है। तो उसी समय से उस धोखेबाज से दोस्ती तोड़ दीजिए। उससे जिंदगी में पुनः दोस्ती मत कीजिए, चाहे कुछ भी हो। इस संदर्भ में मैंने लिखा है -
"यदि आपका कोई मित्र धोखा देता है
और मूर्ख बनाता है
फिर भी आप उससे मित्रता किए रहते हैं
तो ये आपकी सबसे बड़ी मूर्खता
और जीवन की सबसे बड़ी भूल होगी।
यदि कपटी दोस्त से दुश्मनी भी हो जाए तो चिंतित मत होईए। और ज्यादा खुश रहिए क्योंकि चाणक्यनीति में आचार्य चाणक्य ने कहा है - "कामयाब होने के लिए अच्छे दोस्तों की आवश्यकता होती है और ज्यादा कामयाब होने के लिए अच्छे शत्रुओं की आवश्यकता होती है।"
ऐसे दोस्त जो आपके रचनात्मक कार्य की प्रसंशा करते हैं। यदि उस कार्य में कहीं सुधार की जरूरत होती है तो वे जरूरत पूरी करते हैं। वो हर समय आपको प्रोत्साहित करते रहते हैं और आपको पूरे मन से काम करने को कहते हैं। जो काम आप मन से करते हो, उसमें पूरी लगन और जोश लगा देते हो। ऐसे दोस्त आपको सलाह देते हैं परंतु उसे मानने के लिए बाध्य नहीँ करते। वो जरा - जरा सी बात पर बुरा नहीँ मानते। यदि मान भी जाते हैं तो उन्हें मना लेना चाहिए। ये आपके कार्य में सहयोगी बनते हैं और जरूरत पड़ने पर हर प्रकार से यानि तन, मन और धन से मदद करते हैं। वो आपकी खुशी को अपनी खुशी और दुःख को अपना दुःख समझते हैं। वो आपको अपने भाई - बहिन जैसा प्यार देते हैं। ऐसे दोस्त 'सच्चे दोस्त' कहलाते हैं।
(मित्रता दिवस - फ्रेंडशिप डे 2018 पर विशेष)
- कुशराज झाँसी
_ 24 जून 2018 _ 10:25दिन _जरबौगॉंव
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