एकता
कविता - " एकता "
तुम भी दूसरों पर हँसना छोड़ो।
वो भी छोड़ देंगे।
वो भीड़ नहीँ, एकता है।
समाज की समाज के विकास के लिए एकता है।
देश की देश के विकास के लिए एकता है।
वो भीड़ नहीँ, भारतीय संस्कृति के अनुयायियों की एकता है।
देश का विचार देश के लिए, देशवासियों की एकता है।
विदेशी विचार नहीँ चलेगा, नहीँ चलेगा।
देश का विचार ही चलेगा, भारतीय विचार ही चलेगा।।
वो भी छोड़ देंगे।
वो भीड़ नहीँ, एकता है।
समाज की समाज के विकास के लिए एकता है।
देश की देश के विकास के लिए एकता है।
वो भीड़ नहीँ, भारतीय संस्कृति के अनुयायियों की एकता है।
देश का विचार देश के लिए, देशवासियों की एकता है।
विदेशी विचार नहीँ चलेगा, नहीँ चलेगा।
देश का विचार ही चलेगा, भारतीय विचार ही चलेगा।।
।।जय भारतीय संस्कृति।।
।।जय भारत माता।।
।।जय श्रीराम।।
।।जय भारत माता।।
।।जय श्रीराम।।
- कुशराज झाँसी
Comments
Post a Comment