Monday 22 October 2018

स्त्री


* 'स्त्री - 2018 फिल्म' पर विशेष *

स्त्री प्यार की भूखी है, हवश की शिकार की नहीं।
स्त्री सम्मान लेना चाहती है, अपमान नहीँ।
स्त्री सम्मान देना चाहती है, अपमान नहीँ।
स्त्री समानता चाहती है, असमानता नहीँ।
     स्त्री अपनी मर्जी से चलना चाहती है, आपकी से नहीँ।
           स्त्री को जो आप पहले समझते थे, अब वो नहीँ।
           स्त्री अब सबला है, अबला नहीँ।
          स्त्री रक्षा करना चाहती है, करवाना नहीँ।
स्त्री साथ चलना चाहती है, दूर भागना नहीँ।
स्त्री प्यार की भूखी है, हवश की शिकार की नहीँ।।

         - कुशराज झाँसी  
(संस्थापक - महात्मा हंसराज पैनल हंसराज कॉलेज)

_03/09/2018_ 9:46 रात _ दिल्ली


                 

1 comment:

  1. बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति भाई👌👌

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