Monday 22 October 2018

सोशल मीडिया पर टिप्पणियाँ (Comments on Social Media)



(1) 23 मार्च 2018 को हमारे सीनियर सुशांत सिंह राजपूत ( आदर्श भैया) मेरे और पूर्णिमा दी के साथ वाली फोटो के स्टेटस (कैप्शन) में इंस्टाग्राम पर मुझे "कलम का जादूगर कुशराज" करके संबोधित करते हैं। जब मैंने भैया से पूँछा कि आपने मुझे 'कलम का जादूगर' की उपाधि क्यों दी। तब भैया ने कहा कि तुम बहुत अच्छा लिखते हो और प्रतिदिन कुछ नया लिखते हो। समसामयिक मुद्दों के साथ - साथ समाज के हर पहलू पर कलम चलाते हो। क्रांतिकारी विचार भी लिखते हो। तुम्हारी हर रचना बहुत गहराई से पढ़ने लायक होती है। तुम हमेशा समाज सुधार की बात करते हो। क्रांति करके परिवर्तन लाना चाहते हो और सही मायने में विकास करना चाहते हो इसलिए तुम सच में 'कलम के जादूगर' हो। 
✍ susant_singh_rajpoot (सुशांत सिंह राजपूत)

(2) फूल वही चुन पाते हैं, जो काटों से टकराते हैं।
जो काटों से टकराते हैं, वो कुशराज कहलाते हैं।।
जय बुन्देलखण्ड 
 जय कुशराज
✍ आशुतोष चौबे (22/10/2018)


(3) मिराकी पर मेरी रचना "सभ्य समाज - उज्ज्वल भारत" पर  सत्यमप्रकाश जी ने निम्नलिखित टिप्पणी की -
"ऐसी मनौवैज्ञानिक मान्यता है कि व्यक्ति के नाम का प्रभाव उसकी छवि पर पड़ता है। मैं यह बात नहीँ मानता था लेकिन आज उदाहरण सम्मुख देख लिया। दिव्यांश भाई आपका नाम आपकी कलम तक को प्रभावित करता है। आपमें दिव्यता का अंश झलक रहा है - आपकी कविता से ही। यूँ ही लिखें, बहुत अच्छा लिखा आपने।"
  ✍ ऋतुपर्ण (सत्यमप्रकाश) 
 Mirakee -: satyamprakash
             सत्यमप्रकाश जी ने मेरी मित्र 'दिव्यांशा खजूरिया' द्वारा रचित "उद्धार" कविता को पढ़ा और उसे मेरी रचना समझकर मुझे "दिव्यांश भाई" के नाम से सम्बोधित किया। मैंने उद्धार कविता की आलोचना की है और कविता एवं आलोचना को साथ मिलाकर "सभ्य समाज - उज्ज्वल भारत" नामक लेख से रचना प्रकाशित की है।  सत्यमप्रकाश जी का बहुत - बहुत धन्यवाद! मुझे "दिव्यांश भाई' नाम देने के लिए। और दिव्यांशा जी का भी बहुत - बहुत धन्यवाद! जिनके नाम पर मुझे 'दिव्यांश' नाम मिला।
#कुशराज_23/10/18_4:04am


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