Saturday 22 December 2018

कहानी : हवसी! तुझे नहीं छोडूँगी - कुशराज झाँसी



                       

कहानी - " हवसी! तुझे नहीँ छोडूँगी " उर्फ " सोनम एक बहादुर लड़की"


अजय कम्बल में दबे - दबे व्हाट्सएप पर सपना से चैट कर रहा है। बगल में गर्लफ्रैंड सीमा लेटी हुई है। रात में ज्यादा थक जाने से वह गहरी नींद में सो रही है और अजय दूसरी का शिकार करने में लगा हुआ है। कड़ाके की ठण्ड में सीमा सुबह नौ बजे तक सोती रही और वह सुबह पाँच से आठ बजे तक सपना को अपने प्रेमजाल में फँसाने में लगा रहा। सपना को वह करीब ढाई महीने से फँसाने की कोशिश कर रहा था और आज वह शाम को फ्लैट पर आने को तैयार हो गई। सीमा को वह चौक तक छोड़ आया। वो अपने पीजी में आंटी से यह बोलकर आयी थी - "मैं अपनी फ्रेंड सपना की बर्थडे पार्टी में जा रही हूँ।"

सीमा आज बड़ी चिंचित है। न ही अजय का मैसेज आया और न ही फ्रेंड सपना से बात हुई। वह फाइनेंशियल अकाउंट का सिलेबस पढ़ने में लगी रही। नोट्स बनाते - बनाते और इंग्लिश का होमवर्क करते - करते रात के आठ बज गए। डिनर का समय हो गया। पीजी की सभी लड़कियाँ मेस में आ गईं और सीमा अभी तक अपने रूम में बैठी हुई है। वह एक घण्टे देर से डिनर करने आयी। आज डिनर में मटर - पनीर, राजमा, रोटी, पालक पूरी और खीर बनी हुई है। मेस वाली आंटी ने उससे पूछा - 
"बिट्टी! देर से क्यूँ आयी हो? क्या तबीयत ठीक नहीं है?"
"कुछ नहीं आंटी, थोड़ा सरदर्द कर रहा था और सब ठीक है।"
"बिट्टी थोड़ा खीर खा लो और ये दवा खाकर सो जाओ।"
"ओके आंटी"

सुबह जब सीमा जागी तब भी अजय और सपना का न कोई मैसेज आया था और न ही कॉल। वह जल्दी से तैयार होकर साढ़े आठ बजे कॉलेज पहुँच गई। सारी क्लासेज अटेण्ड करने के बाद जब शाम पाँच बजे व्हाट्सएप खोला तो सपना का मैसेज देखा। उसने लिखा था -
"हाय! स्वीटहर्ट, शाम आठ बजे सुदामा टी स्टॉल पर मिलते हैं।"

सपना शाम पाँच बजे कैम्प से चौक आ गई। अजय वहीं खड़ा डेढ़ घण्टे से उसका इंतजार कर रहा था। जैसे ही रिक्शे में सपना को देखा तो उसने रिक्शे का किराया दिया और गले मिला। जूस कॉर्नर पर बनाना शेक पीकर फ्लैट को चल दिए। रास्ते में उसने सपना से हालचाल पूँछा और
"जब से हम दोनों एक - दूसरे को जानते हैं तब से अब तक का समय कैसा कटा।" ये भी पूँछा। सपना को उसने पहली बार सीमा के साथ कॉलेज गेट पर देखा था। फ्लैट के बाहर गली में बड़ी गन्दगी पड़ी थी। नाली का पानी सड़क पर आ गया था, कीचड़ ही कीचड़ हो गया था। चौथे फ्लोर पर सीढ़ी चढ़कर फ्लैट पहुँचे। दो रूम के फ्लैट में तीन साथ रहते थे। एक रूम अजय का सैपरेट था। आज रूम में गजब की खुशबू आ रही थी। सारे रूम में रूम फ्रेशनर छिड़का हुआ था। कूड़े का तो नामोनिशान नहीं था। अजय ने खुद तीन बार झाडू - पौंछा किया था। बेड पर नई चमचमाती बेडशीट बिछी थी। सपना वॉशरूम से हाथ - मुँह धोकर बेड पर बैठ गई और दोनों साथ में मैगी खाने लगे। मैगी बड़ी टेस्टी बनी थी। अजय ने इसे बड़ी मेहनत से बनाया था।

अजय ने रूम लॉक किया और रात में नौ बजे उठकर कैब से राजौरी गार्डन के वेब सिनेमा पहुँच गए। हॉल में पॉपकॉर्न और कोल्डड्रिंक का मजा लेते हुए केदारनाथ - बॉलीवुड मूवी देखकर रात एक बजे फ्लैट वापस आ गए। हिना आंटी ने आज मिक्स वेज, रोटी और रायता बनाया था। अजय खाना परोस लाया। बतियाते - बतियाते डेढ़ घण्टे में खाना खा पाया। रात में फिर रोमांस किया। सुबह नौ बजे सपना जगी तो फौरन फोन में टाइम देखा और अजय से बोली -
"यार! मैं पीजी निकल रही हूँ। मुझे टेस्ट की तैयारी करनी है। कल इंटरनल है।"
अजय उठकर बिना कुल्ला किए उसे छोड़ने चौक तक आया। जूस कॉर्नर से अनार का जूस पिलाकर उसे रिक्शे में बिठा दिया। सपना ने दोपहर एक बजे लंच किया और फिर से टेस्ट की तैयारी करने बैठ गई। शाम सात बजे फ्रेंड सीमा के पीजी आयी और उसे लेकर सुदामा पर निकल गयी। चाय पर सीमा ने सपना से कहा -
"यार तूने कल न ही मैसेज किया और न ही कॉल।"
"यार मैं टेस्ट की तैयारी कर रही थी। ईको बड़ी टफ लग रही है और कल उसी का इंटरनल है। अभी थोड़ी फ्री थी इसलिए मिलने चली आयी।"

तीसरे दिन रविवार को अजय जीबी रोड के वेश्यालय जा पहुँचा। वह महीने में इक बार रविवार को ही वेश्यालय जाता है और बाकी के दिनों में कॉलेज जाता। वहाँ कैण्टीन में दोस्तों और लड़कियों के साथ खर्चा करता। मुँह उठाकर इधर - उधर घूमता रहता। क्लासेज तो महीने में पाँच - छः ही अटेण्ड करता है। शाम को उसका दोस्त कुश उससे मिलता तब कहता -
"यार तुम दिन भर कैण्टीन में बैठे रहते हो। इधर - उधर फालतू घूमते में समय बर्बाद करते रहते हो। क्लास में तो कभी - कभी दर्शन देते हो। क्या तुम्हारा यही काम है?"
अजय बड़े गर्व से कहता -
"भई! अपना तो एकई उसूल है। लॉण्डिया को बिस्तर तक लाना। सिगरेट फूँकना और फिर दूसरी पकड़ना। बाप के पास पैसा बहुत है। वे सिटी एसपी हैं। शहर के सारे गुण्डे उनके खौफ से दबे रहते हैं।"

अजय देश - दुनिया में विख्यात दिल्ली यूनिवर्सिटी से कॉलेज में ग्रेजुएशन कर रहा है। ग्रेजुएशन तो नाम के लिए वह तो यहाँ लड़कीबाजी, नशाखोरी और अईयासी में पैसे उड़ा रहा है। उधर आईपीएस ऑफिसर पिताश्री रामपुर में सिटी एसपी होने के नाते शहर से गुण्डागर्दी, जुआ और अत्याचार का नामोनिशान मिटाकर नाम ऊँचा कर रहे हैं और माँ अपने शहर के सेंट हियर कॉन्वेंट स्कूल में प्रिंसिपल हैं। अजय ने यहीं के डलहौजी कॉन्वेंट स्कूल से स्कूली शिक्षा पूरी की है। स्कूल लाइफ में भी चार गर्लफ्रैंड रहीं हैं। जिनमें से नैनशी की शादी हो गयी है। उसकी एक छः माह की बेटी भी है।

सोमवार को अजय खाना बनाने वाली हिना आंटी को भी बिस्तर पर ले आया। वह उसे खाना बनाने के काम के डेढ़ हजार रुपए देने के अलावा तीन हजार रुपए और देता है जिससे आंटी अपनी शारीरिक सेवा भी देती है। आंटी सत्ताईस - अट्ठाईस साल की श्यामल और सुडौल बदन वाली तीन बच्चों की माँ है। रोजाना सुबह - शाम चार जगह खाना बनाने जाती और घर का पूरा कामकाज करके बच्चों को स्कूल भेजती। तीनों बच्चे सरकारी स्कूल में बड़ी लगन से पढ़ते हैं और बहुत होशियार हैं।

चार माह बाद उसने क्लासमेट सोनम को हवस का शिकार बनाया और मीठी - मीठी, प्यारी - प्यारी बातों में फँसाकर कॉलेज के ब्रेक टाइम में बिस्तर तक ले आया। सोनम जब रूम में आयी तब उसने पाया कि रूम बड़ा अच्छा महक रहा है। कूड़े का तो नामोनिशान नहीं है। फर्श तो ऐसा है बिल्कुल आईने जैसा, चेहरा देखने लायक। बेड पर नई चमचमाती बेडशीट बिछी है। अजय ने हर बार की भाँति रूम का डेकोरेशन किया था। वैसे तो ये सप्ताह में दो बार और कभी महीने में तीन बार ही नहाता है। सिर्फ परफ्यूम डालता रहता है। महीने में दो - तीन बार ही रूम की सफाई करता है। आज उसने दो बार खुद झाडू - पौंछा किया था और दो बार ही हिना आंटी से करवाया था। सोनम के साथ भी उसने वही सलूक किया जैसा और लड़कियों के साथ किया था। सोनम महीने में चार - पाँच बार फ्लैट पर आने लगी और इससे सच्चा प्यार करने लगी लेकिन अजय उससे झूठा प्यार करता है। वह तो सिर्फ उससे अपनी हवस की प्यास बुझा रहा था।

एक साल बाद वह सोनम से भी ब्रेकअप करने को तैयार हो गया। इससे पहले उसने सबनम, रोहिणी, फातिमा जैसी गर्ल्स कॉलेज की साथ मासूम लड़कियों को अपनी हवस का शिकार बनाया था। ऋतु का तो स्कूल टाइम में शहर की बीच सड़क पर रेप किया था। तीन माह जेल की सजा काटकर दिल्ली आया था। इसके चार दोस्त अभी भी जेल की सजा काट रहे हैं, जिहोंने मिलकर बस में मिनी का गैंगरेप किया था। एक लड़की छोड़ना और दूसरी पकड़ना तो उसकी आदत है। भोग - विलास में लिप्त रहना, नशा करना और शट्टा खेलना ही उसका जीवन है। शाम को सोनम ने आँखों में आँसू भरकर अपनी पूरी बात फ्रेंड मेघा दीदी को बतायी -
"दीदी! अजय मुझसे ब्रेकअप करना चाह रहा है। बोल रहा है। तुमसे कभी भी शादी नहीं कर सकता। शादी तो मैं अपनी मम्मी - पापा की पसंद की लड़की से ही करूँगा। अब बहुत हो चुका प्यार - म्यार। तुम जाओ, अपनी जिन्दगी जिओ और हमें अपनी जिन्दगी जीने दो।"

सोनम की ये सब दुःखदायी बातें सुनकर मेघा का खून खौल उठा। उसी वक्त फटाक से अपने बेस्ट फ्रेंड कुश को फोन किया। इतना ही कहा -
"हैलो कुश! कैसे हो? कहाँ हो? जैसे भी हो। अभी बीस मिनिट के अंदर सुदामा पर मिलो। तुमसे बहुत जरूरी बात करनी है। प्लीज जल्दी आना।"

पंद्रह मिनिट में ही कुश मेघा के पास उपस्थित हो गया। मेघा सोनम के आँसू पौंछकर चुप करा रही थी।
"मेघा! क्या बात है? ये सोनम क्यों रो रही है।"
"अरे कुश! तुम ये बताओ कि तुम्हारा दोस्त अजय कैसा है? उसका  करैक्टर कैसा है। उसके बारे में डिटेल में बताओ।"
"मेघा! अजय बड़ा दुष्ट किस्म का व्यक्ति है। आज का दानव है वह। बहुत बड़ा हवसी है। वह कहता है - भई! अपना तो एकई उसूल है। लॉण्डिया को बिस्तर तक लाना। सिगरेट फूँकना और फिर दूसरी पकड़ना............।"
"कुश! इस हवसी का हम जल्द ही अंत करेंगे। क्या तुम  साथ दोगे।"
"अवश्य मेघा। हम सदा तुम्हारे साथ हैं।"

मेघा और कुश प्रखर नारीवादी और सक्रिय सामाजिक कार्यकर्त्ता हैं। मेघा बहिन सोनम को समझाते हुए कहती है -
"ये भारत ऐसा देश है। जहाँ 12 वर्ष से कम उम्र तक की लड़की से रेप करने पर अत्याचारी को फाँसी की सजा सुनाई जाती है और बाकी स्त्रियों से दुष्कर्म करने पर पापी को छोटी - मोटी सजा सुनाकर छोड़ दिया जाता है। हम स्त्रियों को कभी भी सच्चा न्याय नहीं मिला। कानून - व्यवस्था पर लानत है। अब पापियों को कोर्ट नहीं, हम ही सजा सुनाएँगे और सजा है - सजा-ए-मौत।"

सोनम मेघा दीदी की बातों से अत्यंत प्रभावित हो जाती है। अपने स्वाभिमान और नारी सम्मान के लिए पूरे जोश और होश में आकर अगले ही दिन हवसी अजय के पास पहुँच जाती है। इस बार उससे रोमांस न करके, उसे उसके पापों की सजा देती है। धमकाते हुए कहती है -
" साले हवसी! आज तुझे नहीं छोडूँगी। तूने हम जैसी कई मासूमों को बिस्तर तक लाकर और उनका रस चूसकर छोड़ा है। हम नारियों को ठगा है। अब तू अभी इस दुनिया को छोड़ेगा।"

इतना सुनकर अजय हद से बेजां डर जाता है। सोनम के पैर पकड़कर सर रखकर माफी माँगने लगता है और जिन्दगी की भीख माँगता है। गिड़गिड़ाता है। आँसू बहाता है। उसका विवेक मर जाता है। वह हताश हो जाता है। सोनम पहले उसे लात - घूसों और थप्पड़ों से अधमरा कर देती है और फिर चाकू से आठ - दस बार कर उसके प्राण ले लेती है। वह रणचण्डी बन जाती है। झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई बन जाती है। सिंहसवारी दुर्गा बन जाती है। दुष्कर्मी अजय को कुत्ते की मौत मारती है। अपनी कई साथियों का बदला लेती है और पापियों के अंत का बीड़ा उठाती है। इस पापी को नरक में भी कोई जगह नहीं मिलती है।

इस हादसे के पाँच दिन पहले ही हवसी अजय ने सोनम के साथ बड़ा बुरा सलूक किया था। कोल्डड्रिंक में वियर के साथ - साथ शराब भी मिलाकर पिला दी थी और नींद की गोली भी खिला दी थी। चौबीस घण्टे बाद सोनम होश में आयी थी। तभी उसने दृढ़ निश्चय कर लिया था कि जल्द ही मैं इस हवसी से बदला लूँगी। जय भवानी! जय माँ दुर्गे!..............।

हवसी अजय का अंत करने पर साहसी नारी सोनम को सारी दुनिया सलाम करती है। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में सोनम की चर्चा कई दिनों तक चलती है। सोनम के नारी सम्मान हेतु साहसी और अभूतपूर्व कार्य के लिए उसे अगले ही वर्ष 'राष्ट्रीय नारी शक्ति सम्मान' से नवाजा जाता है। साथ ही साथ कई संस्थाएँ और देश सम्मानित करके अपने को गौरवान्वित महसूस करते हैं। वह प्रेस कॉन्फ्रेंस में दुनिया को संदेश देती है -
"मेरी प्यारी माताओं और बहिनों! अब हम जाग चुके हैं। पापियों को न्याय कोर्ट नहीं, हम ही देंगे। तभी स्वाभिमान और इज्जत की रक्षा कर सकेंगे। हमें खुद सँभलना है और अपने साथियों को भी सँभालना है। अब बहुत हो चुका, इन पापियों का अत्याचार। जब से धरती पर जीवन की उत्पत्ति हुई है तब से हमारा यौन - शोषण करते आ रहे हैं। हमें सिर्फ और सिर्फ भोग - विलास की वस्तु समझते आ रहे हैं। अब हम प्रण लेते हैं -: 'आज और अभी से हम नारियों का शोषण नहीं होगा। हम अत्याचार नहीं सहेंगे। जो दुष्कर्म करेगा वो अपनी जिंदगी से विदा लेगा। जय नारी शक्ति - जय भारत माता।।"

सोनम के इस संदेश से सारी दुनिया में नारीवादी आंदोलन जोर पकड़ लेता है। नारीवादी साहित्य की होड़ लग जाती है। पुरुष दहशत में रहने लगते हैं। सरकारें सतर्क हो जाती हैं। जो सरकारें नारियों और मानवता का साथ देती हैं, वही सत्ता में रह पाती हैं। बाकी सब सड़क पर आ जाती हैं। भारत में नारीवादी आंदोलन का नेतृत्त्व सोनम, मेघा और कुश तीनों मिलकर करते हैं। साथ ही साथ सोनम अंतर्राष्ट्रीय  नारीवादी आंदोलन का भी नेतृत्त्व करती है। दुनिया के हर स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय में नारीवाद 'फेमिनिज्म' विषय पाठ्यक्रम में अनिवार्य हो जाता है। जिससे आंदोलन और जोर पकड़ता है। दस साल के अंदर ही पितृसत्तात्मक - व्यवस्था को उखाड़कर फेंक दिया जाता है।

इसी बीच कुश के द्वारा नए धर्म "कौश धर्म" का शुभारम्भ किया जाता है। जिसमें नारी - पुरुष को एकसमान अधिकार दिए जाते हैं। लिंगभेद को समाप्त किया जाता है। एक विवाह की ही अनुमति दी जाती है। यदि पति अपनी पत्नी को छोड़ता है और दूसरी शादी करना चाहता है तो उसे धर्म के दण्डविधान के अनुसार मुत्युदण्ड दिया जाता है। यदि पत्नी भी ऐसा ही सलूक करती है तो यही नियम उसके लिए भी है। जबतक जीवन है, दोनों को साथ निभाने का प्रण लेना होता है। तलाक और छोड़छुट्टी की कोई व्यवस्था नहीं होती है। विधवा विवाह और विधुर विवाह की व्यवस्था अवश्य रखी जाती है। 'लड़का लड़की एकसमान - सबको शिक्षा सबका सम्मान।' का पालन किया जाता है। तीस प्रतिशत विश्व इसी धर्म का अनुयायी बन जाता है और जल्द ही यह दुनिया का सबसे बड़ा धर्म उभरकर सामने आता है।

इसी वर्ष सोनम, मेघा और कुश तीनों को संयुक्त रूप से 'नोबेल शांति पुरस्कार' से सम्मानित किया जाता है। साथ ही साथ इन्हें पृथक - पृथक रूप से देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से भी सम्मानित किया जाता है। ये तीनों अगले ही वर्ष से अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में पदार्पण कर लेते हैं और सारी दुनिया से अत्याचार और समस्याओं का क्रम - क्रम से अंत करते जाते हैं। सारी दुनिया में मानवता और विश्वशांति का संदेश गूँज उठता है।


- कुशराज झाँसी

_ 19/12/2018_10:00 दिन _ दिल्ली

#Kushraaz

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