कम्युनिस्ट कनक सरकार को कड़ी से कड़ी सजा मिले - कुशराज झाँसी
लेख : " कम्युनिस्ट कनक सरकार को कड़ी से कड़ी सजा मिले। "
जादवपुर यूनिवर्सिटी, कोलकाता में अंतर्राष्ट्रीय संबंध पढ़ाने वाले कम्युनिस्ट प्रोफेसर कनक सरकार ने रविवार को एक फेसबुक पोस्ट में स्त्रियों का अपमान करते हुए एक कुवाँरी लड़की की तुलना 'सीलबंद बोतल' या 'सीलबंद पैकेट' से की थी। बाद में उन्होंने पोस्ट को डर के कारण हटा और भाषण की स्वतंत्रता का दावा करने वाली दूसरी पोस्ट में कार्यवाही को सही ठहराया। पिछले दो दशकों से अध्यापन कार्य कर रहे कनक सरकार ने अपने फेसबुक पर लिखा था - " बहुत सारे लड़के बेवकूफ बने हुए हैं। वो बीबी के रूप में एक वर्जिन लड़की को लेकर जागरूक नहीँ हैं। वर्जिन लड़की एक सीलबंद बोतल या सीलबंद पैकेट की तरह है। क्या तुम सील टूटी कोल्डड्रिंक की बोतल या सील खुले बिस्किट के पैकेट को खरीदना पसंद करोगे? इसी तरह तुम्हारी बीबी का केस है।"
मार्क्सवादी कनक सरकार के इस विवादित और अत्यंत अपमानजनक बयान पर बहुत कुछ लिखा जा चुका है लेकिन इसका नाम हाल में ही मीटू के अन्तर्गत आया था। उसके बाद इस संभावित बलात्कारी कम्युनिस्ट प्रोफेसर के बचाव में कॉमरेड समुदाय की वुमेन बिग्रेड सामने आई और उन लोगों ने एक लंबा पत्र जारी किया। किस्सा कुछ यूँ है - मी टू अभियान पिछले साल रिया सरकार नामक कानून की छात्रा ने शुरू किया। रेया ने उस वक्त दर्जनों प्रोफेसरों का नाम सार्वजनिक करने का साहस दिखाया था। पिछले साल लड़की पर अपमानजनक बयान देने वाले को लगा था कि रेया का साथ कोई दे या न दे। इस देश के कम्युनिस्ट जरूर देंगे। लेकिन जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में पढ़ाने वाली कम्युनिस्ट प्रोफेसर निवेदिता मेनन की नेतृत्त्व में कम्युनिस्टों ने साबित किया कि तथाकथित बलात्कारी कम्युनिस्टों का 'ना कोऊ दोष गोसाईं।' सबसे बड़ी बात तो ये है कि रेया सरकार ने जो सूची जारी की थी, उनमें अधिकांश कम्युनिस्ट प्रोफेसर ही थे।
रेया सरकार ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए जिन नामों का खुलासा किया। उनमें जादवपुर यूनिवर्सिटी के कनक सरकार, दीपेश चक्रवर्ती, प्रोदोष भट्टाचार्य, कौशिक राय, सुमित कुमार बरुआ, अभिजीत गुप्ता, मृदुल बोस, रवींद्र सेन, विश्वजीत चटर्जी, मिहिर भट्टाचार्य का नाम शामिल था। सेंट जेवियर कॉलेज, कोलकाता से पार्थ मुखर्जी, खालीद बसीम, टिस तुलजापुर से, जेएनयू से सुरिंदर एस जोधका और दिल्ली यूनिवर्सिटी के रामजस कॉलेज से बीएन राय का नाम प्रमुख रूप से लिया गया था।
रेया सरकार की सूची अकादमिक जगत से संबंधित थी। सोशल मीडिया पर उनके लोशा (लिस्ट ऑफ सेक्सुअल हरासर इन अकादेमिया) को भरपूर सहयोग मिला। जिसकी वह नारी सम्मान हेतु हकदार भी थी। उनके पास शिकायतें आयीं। इन शिकायतों के बाद रेया सरकार की सूची 75 तक पहुँच गयी। 30 कॉलेज और विश्वविद्यालयों से ताल्लुक रखने वाले ये प्रोफेसर भारत, इंग्लैण्ड (यूके) और अमेरिका (यूएस) से थे। पिछले साल यह सूची जारी होते ही अकादमिक जगत में हाहाकार मचा और देखते ही देखते इस सूची को हजारों लोगों ने शेयर किया। दुर्भाग्यबश फेसबुक ने रेया सरकार के पेज को ही ब्लॉक कर दिया।
कम्युनिस्ट नारीवादी निवेदिता मेनन द्वारा उस दौरान कम्युनिस्ट प्रोफेसरों को मीटू से बचाने के लिए जारी किए एक पत्र में लिखा गया था कि ऐसे नाम लेकर किसी को बदनाम नहीँ किया जा सकता। बिना जवाबदेही के नाम दिया जायेगा तो इस तरह कोई भी किसी का नाम लिख सकता है। निवेदिता मेनन के बयान के साथ सहमति में कविता कृष्णन, आयशा किदवई, ब्रिंदा बोस, नंदिनी राव, जानकी नायर, ब्रिंदा गोवर जैसे कई कम्युनिस्ट एक्टिविस्टों के नाम शामिल थे। दूसरी तरफ दुनियाभर में चला मीटू अभियान का सोशल मीडिया ट्रायल ही था। एमजे अकबर पर जो आरोप लगे जबकि उसका कोई सबूत आरोप लगाने वालों के पास नहीँ था लेकिन अकबर के मामले में पूरे कम्युनिस्ट गिरोह का स्वर ही बदला हुआ था। वे सब अकबर के खिलाफ बयान दे रहे थे। लेख लिख रहे थे। इसी दौरान विनोद दुआ, जतिन दास, सिद्धार्थ भाटिया जैसे कई कम्युनिस्टों के नाम सामने आए। तो इन नामों के सामने आते ही मीटू इस तरह गायब हुआ जैसे तथाकथित कम्युनिस्टों ने ऐसा कोई अभियान हमारे भारत देश में कभी प्रारम्भ ही नहीँ किया था।
कम्युनिस्टों के बीच आंदोलन संस्कृति का एक स्याह पक्ष है कि वे अपने बीच के दुष्कर्मी और नरकीय अपराधी को बचाने के लिए किसी भी हद तक गिरने को तैयार होते हैं। इस तरह वे एक गिरोह की तरह काम करते हैं। यह गिरोह अफवाह फैलाने से लेकर अपराधियों के महिमामंडन तक की ट्रेनिंग अपने सीनियर साथियों से पाता है और उसे परम्परा की तरह आगे बढ़ाता भी है।
"हम भारत सरकार और देश की आमजनता से माँग करते हैं कि कम्युनिस्ट कनक सरकार जैसे अपराधी को कड़ी से कड़ी ऐसी सजा दी जाए ताकि वो दुबारा कुछ भी गलत बोलने और करने लायक ही न बचे। और इसके साथी कम्युनिस्टों को भी करारा जवाब दिया जाए। चाहे कोई भी अपराधी हो, उसे बिल्कुल भी रियायत न देकर कड़ी से कड़ी सजा सुनायी जाए तभी हमारा भारत देश पुनः विश्वगुरु बन पाएगा और सभ्य समाज का निर्माण कर सकेगा।"
कम्युनिस्ट गिरोह के सन्दर्भ में मेरी "एकता" नामक कविता प्रासंगिक है -
तुम भी दूसरों पर हँसना छोड़ो।
वो भी छोड़ देंगे।
वो भीड़ नहीँ, एकता है।
समाज की समाज के विकास के लिए एकता है।
देश की देश के विकास के लिए एकता है।
वो भीड़ नहीँ, भारतीय संस्कृति के अनुयायियों की एकता है।
देश का विचार देश के लिए, देशवासियों की एकता है।
विदेशी विचार नहीँ चलेगा, नहीँ चलेगा।
देश का विचार ही चलेगा, भारतीय विचार ही चलेगा।।
।। जय भारतीय संस्कृति।।
।। जय भारत माता।।
।। जय श्रीराम।।
✍ कुशराज झाँसी
_22/1/2019_7:06 सुबह _ दिल्ली
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