प्यार की चुनौती - कुशराज झाँसी
कविता - " प्यार की चुनौती "
ये सब मत सोच
भूल गया हूँ मैं
तेरी वो सब गुफ्तगू
जो तेरी चुनौती थी
तोय मोय प्यार में
दिल धड़काने की
धड़कता तेरा भी
मेरे की तो बात ही क्या
जाहिर किया है
माना तूने भी
तेरे को समाज का डर है
सो इजहार नहीँ करती
कब तलक डरेगी
अपने दिल से ही खेलती रहेगी
हम नहीं सुधरने वाले
सुधरेंगे वो
जो प्यार में चैलेंज देते हैं।।
भूल गया हूँ मैं
तेरी वो सब गुफ्तगू
जो तेरी चुनौती थी
तोय मोय प्यार में
दिल धड़काने की
धड़कता तेरा भी
मेरे की तो बात ही क्या
जाहिर किया है
माना तूने भी
तेरे को समाज का डर है
सो इजहार नहीँ करती
कब तलक डरेगी
अपने दिल से ही खेलती रहेगी
हम नहीं सुधरने वाले
सुधरेंगे वो
जो प्यार में चैलेंज देते हैं।।
✍🏻 कुशराज झाँसी
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