नशा चढ़ गया रे - कुशराज झाँसी

कविता / गीत - " नशा चढ़ गया रे "


लिखनी तेरा नशा चढ़ गया रे
चढ़ गया रे मुझ पे नशा चढ़ गया रे

तूँने घुसखोरों का पर्दाफाश किया रे
जानू प्रिन्सेस का ख्वाब पूरा किया रे

लिखनी तेरा नशा चढ़ गया रे
उस पे भी नशा चढ़ गया रे

समाज की पोल वो भी खोलती रे
आशिफा रेपकाण्ड का विरोध भी करती रे

तेरी खातिर मैं प्यार में पड़ गया रे
लिखनी तेरा नशा मुझ पे चढ़ गया रे

तूँ ही बनाए ऊसे मिलाबे के आश रे
तूँ ही लाएगी जिन्दगी में रास रे

तूँ गाली नहीँ दिलाती रे
किसी को न सताती रे

लिखनी तेरा नशा चढ़ गया रे
चढ़ गया रे मुझ पे चढ़ गया रे

वो भी करती हमरी खातिर शायरी रे
हरपल जीता मरता खातिर ऊकी रे

तेरे से समाज में सुधार लाना रे
दुनिया में चहुँओर शान्ति लाना रे

लिखनी तेरा नशा चढ़ गया रे.......

- कुशराज झाँसी

_ 23/1/2019_11:40 रात _ दिल्ली






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