लिख तूँ लिख - कुशराज झाँसी

कविता - " लिख तूँ लिख "


लिख तूँ लिख,
सबकी सच्चाई लिख।
सच लिखने में डरना मत,
असली बकने में झिझकना मत।
बेईमान तोय दबायेंगे,
तूँ हरहाल में दबना मत।
मौत से कभी डरना मत,
काय मौत के बाद,
फिर से जनम मिलता है।
ईसें यी जनम तूँ डर गया,
तो खुदको भी माफ नहीँ कर सकेगा।
लिख तूँ लिख,
सबकी सच्चाई लिख.......।

✍🏻 कुशराज झाँसी

_ 24/1/2019_7:58 सुबह _ दिल्ली


Comments