Saturday, 26 January 2019

सम्मान की जिंदगी जी - कुशराज झाँसी

कविता - " सम्मान की जिंदगी जी "


रण्डी तैं देह नहीँ, 
अपनी इज्जत बेचती है।
खुद बा खुद,
कौम को बदनाम करती है।
कब समझेगी,
कब सम्भलेगी।
बाजारू होना तोय उम्दा लगत है का,
या सम्मान की जिंदगी जीना।
समाज बदल रहा है,
तूँ भी बदल जा।
आ हमरे साथ मिलके,
सम्मान की जिंदगी जी।
स्वाभिमानी बनके गर्व कर,
काय तूँ साहस की ज्वाला है।
हम सबकी इज्जत,
सगरी दुनिया का मान है।

✍🏻 कुशराज झाँसी

_ 24/1/2019_8:06 दिन _ दिल्ली


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