कुशराज झाँसी के श्रृंगारिक मुक्तक

" कुशराज झाँसी के श्रृंगारिक मुक्तक "



          1.

तूँने जज्बातों से खेला,
मेरा दिल कुचैला।
हम वो नहीँ प्रिन्सेस,
जो तेरे तोड़ने से टूट जाएँ।।

✍🏻 कुशराज झाँसी

_ 25/1/2019_12:40 रात _ दिल्ली


          2.

हीरे सा कठोर मैं,
तूँ कोहनूरे जहाँ,
जब टकरायेंगे,
तो सगरे भाव चूर - चूर हो जायेंगे।।

✍🏻 कुशराज झाँसी

_ 25/1/2019 _12:45 रात _ दिल्ली


           3.

सेमेस्टर गुजर जाए,
कॉलेज से निकल जाएँ,
तेरी बात याद रखूँगा,
सफर में फिर मिलूँगा।

 ✍🏻 कुशराज झाँसी 

_ 25/1/2019 _12:49 रात _ दिल्ली


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