कुशराज झाँसी के नारीवादी मुक्तक
" कुशराज झाँसी के नारीवादी मुक्तक "
1.
आबरू पर निगाह मत डाल,
खुद ही फिसल जाएगा।
बड़ी तेज है वो,
तूँ ही फँस जाएगा।।
✍🏻 कुशराज झाँसी
_ 23/1/2019_4:50 शाम _ दिल्ली
2.
मनमर्जी कुछ भी कर लूँगा,
सोचता रहा अबला है वो।
हाथ लगाने पे भून देगी,
ऐसी साहस की ज्वाला है वो।।
✍🏻 कुशराज झाँसी
_ 24/1/2019_7:41 सुबह _ दिल्ली
3.
मत कर दुष्कर्म,
माफी नहीँ मिलेगी।
मिलेगी तो सिर्फ और सिर्फ,
सजा ए मौत फाँसी।।
✍🏻 कुशराज झाँसी
_ 24/1/2019_7:44 भोर _ दिल्ली
4.
रानी झाँसी ने अंग्रेजों से लोहा लिया,
तो आजादी की ज्वाला धधक उठी।
बेगम रोकेया की सुल्ताना ने सपना देखा,
तो उतै सें पितृसत्ता उखड़ उठी।।
✍🏻 कुशराज झाँसी
_ 24/1/2019_7:47 भोर _ दिल्ली
5.
5.
कहता रे बोलने की आजादी है,
तो तूँ कुछ भी बकता रहेगा।
वो दिन दूर नहीँ,
जब तूँ कुछ बकने लायक ही न बचेगा।।
✍🏻 कुशराज झाँसी
_ 24/1/2019_7:50 भोर _ दिल्ली
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