कॉलेज वाली लड़की - कुशराज झाँसी
कविता - " कॉलेज वाली लड़की "
कॉलेज में इक ऐसी लड़की है
जो हमेशा गंभीर रहती है
वो मेरे साथ पढ़ती है
मोह-माया जाल से दूर रहती है
वो हमेशा मेरा भला चाहती है
कॉलेज में इक...............
जो खामोश रहती है
हरवक्त मुझे समझती है
मुझे अपनी गलतियों - भूलों का एहसास दिलाती है
मैं उस पर खरा उतरता हूँ
मैं उसका हरपल ख्याल रखता हूँ
कॉलेज में इक...............
जो मुझे अध्ययन हेतु पुस्तकालय बुलाती है
अधिकतर पुस्तकों के साथ रहती है
शांत रहती है पर कभी-कभी ज्यादा मजाक करती है
फिर भी मेरी हर बात सुनती है
वो मेरी हर बात मानती है
कॉलेज में इक...............
जो मुझे प्रोत्साहित करती है
जो मुझमे नया जोश भरती है
जो मुझे अपनी हर बात साझा करती है
उसमें शौर्य है; साहस है और स्वाभिमान
फिर भी वो कभी न करती अभिमान
कॉलेज में इक................
क्यों रहते हो इतने व्यस्त कहती मुझे वो
मैं बोलता काम करेगा जो - नाम करेगा वो
मित्रो! ये तो सुनिए कौन है वो
मेरे सफल जीवन की इक स्त्री है वो
मेरी सच्ची साथी है वो।
कॉलेज में इक............।।
जो हमेशा गंभीर रहती है
वो मेरे साथ पढ़ती है
मोह-माया जाल से दूर रहती है
वो हमेशा मेरा भला चाहती है
कॉलेज में इक...............
जो खामोश रहती है
हरवक्त मुझे समझती है
मुझे अपनी गलतियों - भूलों का एहसास दिलाती है
मैं उस पर खरा उतरता हूँ
मैं उसका हरपल ख्याल रखता हूँ
कॉलेज में इक...............
जो मुझे अध्ययन हेतु पुस्तकालय बुलाती है
अधिकतर पुस्तकों के साथ रहती है
शांत रहती है पर कभी-कभी ज्यादा मजाक करती है
फिर भी मेरी हर बात सुनती है
वो मेरी हर बात मानती है
कॉलेज में इक...............
जो मुझे प्रोत्साहित करती है
जो मुझमे नया जोश भरती है
जो मुझे अपनी हर बात साझा करती है
उसमें शौर्य है; साहस है और स्वाभिमान
फिर भी वो कभी न करती अभिमान
कॉलेज में इक................
क्यों रहते हो इतने व्यस्त कहती मुझे वो
मैं बोलता काम करेगा जो - नाम करेगा वो
मित्रो! ये तो सुनिए कौन है वो
मेरे सफल जीवन की इक स्त्री है वो
मेरी सच्ची साथी है वो।
कॉलेज में इक............।।
- कुशराज झाँसी
_ 21 अक्टूबर 2017 _ 11 : 56 रात _ दिल्ली
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