रिपोर्ट - युवा कहानीपाठ और परिचर्चा, हंसराज-संवाद, हंसराज कॉलेज।
आज, 28 मार्च 2019 को हंसराज कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित 'हंसराज - संवाद', कहानी पाठ और परिचर्चा में सात युवा कहानीकारों ने एक से बढ़कर एक कहानियाँ प्रस्तुत कीं।जिसमें अध्यक्षता डॉ. अजय नावरिया (सुप्रसिद्ध कथाकर एवं एसोसिएट प्रोफेसर,हिन्दी विभाग, जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय) ने की और विशिष्ट अतिथि श्री राकेश रेणु (उप- निदेशक एवं प्रधान संपादक, 'आजकल' पत्रिका, प्रकाशन विभाग, भारत सरकार) रहे। जिसमें मैं भी शामिल हुआ, मैंने "पंचायत" कहानी प्रस्तुत की। मंच पर कहानी प्रस्तुति का ये मेरा पहला अनुभव रहा। जिस पर डॉ. अजय नावरिया जी ने टिप्पणी कहते हुए कहा -: "गिरजाशंकर कुशराज ने कहानी ऐसे पढ़ी है जैसे पंडित जी सत्यनारायण की कथा वाचते हैं। लेकिन कहानी का कथानक ठीक है, जातिवाद को खत्म करने की बात की है इन्होंने। पितृसत्ता पर भी कुठाराघात किया है। नारीवादी , परिवर्तनकारी कहानी है। सिर्फ कहानी सुनाने का ढंग ठीक नहीं रहा इनका। सत्यनारायण की कथा जैसे वाच दी इन्होंने , बहुत जल्दी - जल्दी कह दी कहानी.............।"
नावरिया सर जी की बात से में सहमत हूँ और आगे से अपने कहानी कहने के ढंग में सुधार करूँगा। और अच्छी से अच्छी परिपक्व, समसामयिक मुद्दों पर, नारीवाद पर, समाज पर परिवर्तनकारी कहानियाँ लिखने का सफल प्रयास करूँगा।
नावरिया सर जी ने अपने वक्तव्य में कहा कि आलोचना से व्यक्ति या लेखक आगे बढ़ता है............। इसलिए मैं अपने आलोचकों को सबसे सच्चा साथी मानता हूँ और पाठकों को भी। आलोचना से हमें अपनी जमीनी हकीकत पता चलती है। अतः सबकी आलोचना होनी चाहिए..............।
डॉ. अजय नावरिया सर, श्री राकेश रेणु सर जी का बहुत - बहुत धन्यवाद्! जिन्होंने कहानी के कई संदर्भों पर चर्चा करके हम युवा कहानीकारों को मार्गदर्शित किया। कॉलेज की प्राचार्या डॉ. रमा मैम का बहुत - बहुत धन्यवाद् जिनके सान्निध्य में कार्यक्रम हुआ। आयोजक डॉ. जाहिदुल दीवान सर जी का बहुत - बहुत धन्यवाद् जिन्होंने हमें ये सुअवसर प्रदान किया। आयोजक समिति सहयोगी साथी और सहपाठी आशुतोष चौबे, प्रखर यादव, विभव यादव, गौरव कुमार, शैलेन्द्र गुप्ता और यशदीप तोमर का भी बहुत - बहुत धन्यवाद् जिन्होंने बड़ी लगन और मेहनत से कार्यक्रम का सफल आयोजन करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी। साथ ही साथ महेंद्र प्रजापति सर, डॉ. विनय गुप्ता सर, डॉ. गरिमा त्रिपाठी मैम, डॉ. अंकिता चौहान मैम, स्वीडन से पधारे डेविड सर और मेरे कॉलेज और अन्य कॉलेजों - विश्वविद्यालयों से पधारे प्रोफेसरों, छात्र - छात्राओं का भी बहुत - बहुत धन्यवाद् जिन्होंने हम युवा कहानीकारों को धैर्यपूर्वक सुना और प्रोत्साहित किया...........।
✍ गिरजाशंकर 'कुशराज'
(युवा कहानीकार)
_28/3/19_11:04pm
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