लेख -: आजकल के युवा - युवतियाँ, प्यार और भारत
आजकल हम देखते हैं कि भारतीय संस्कृति के केन्द्र माने जाने वाले दिल्ली, मुम्बई जैसे महानगरों के साथ ही हमारे भारत देश के छोटे - बड़े शहरों में पाश्चात्य संस्कृति यानि वेस्टर्न कल्चर बहुत तेजी से अपनायी जा रही है। जिसके कारण भारतीय समाज को कई नुकसान झेलने पड़ रहे हैं और कई नुकसान झेलने पड़ सकते हैं। भारतीय समाज के लिए सबसे बड़ा नुकसान फैशन, नशा, सेक्स और बाजार का शिकार होना है और अपनी भारतीय संस्कृति को छोड़ने का है। कहते हैं कि सिर्फ साहित्य ही नहीं सिनेमा भी समाज का दर्पण है। वो सिनेमा जिसमें आईटम सॉन्ग और डांस कुछेक समकालीन फिल्मों को छोड़कर हर एक में दिखाए जाते हैं। हीरोइन (एक्ट्रेस) को विज्ञापनों और वस्तुओं के कवरों पर वस्तु की तरह पेश किया जा रहा है या हीरोइन खुद पेश हो रहीं हैं। हीरोइन मॉडलिंग के नाम पर अपना देह प्रदर्शन के अलावा कुछ नहीं कर रहीं हैं। वो अपने देह को बेचकर पैसा कमा रहीं हैं। फिल्मों में हीरोइन सिर्फ हीरो की शारीरिक जरूरतों को पूरी करती हुईं नजर आ रहीं हैं। मेरे और भारतीय संस्कृति के हिसाब से ऐसा कतई नहीं होना चाहिए।
ऐसा भी सुना और माना जाता है कि पितृसत्ता बाहुल्य वाले क्षेत्रों सिनेमा, साहित्य, मीडिया, बिजनेस और पॉलिटिक्स में स्त्री को सबसे पहले डायरेक्टर, एक्टर, एडिटर, प्रकाशक, बोस और नेता को अपनी शारीरिक सेवा देनी होती है यानि सेक्स तक करवाना होता है। इसमें प्यार का तो नामोनिशान ही नहीं होता। सिर्फ अपना काम निकालने के लिए ये सब कुछ किया - कराया जाता है। तब कहीं जाकर स्त्री अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो पाती है। जिसे हम बिल्कुल भी ठीक नहीं मानते हैं।
आजकल हम देख रहे हैं कि 21वीं सदी, जो परिवर्तन और विकास की सदी है, में सारी दुनिया में हमारा भारत देश सबसे युवा देश बनकर उभरा है यानी सबसे ज्यादा युवा शक्ति हम ही हैं। लेकिन सोचनीय और दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि युवा और युवतियाँ फैशन, धूम्रपान, नशे और सेक्स की लत के शिकार होते नजर आ रहे हैं। देश की बेजिम्मेदार और तानाशाही सरकार की बदौलत देश के बाजार में चीन और पश्चिमी देशों में बने फैशनेबल वेस्टर्न कपड़े और वस्तुएँ महँगे दामों में धड़ल्ले से बिक रही हैं। इन वेस्टर्न कपड़ों में लड़कियों का पूरा शरीर तक नहीं ढका होता है। कुछ तो सेक्सी दिखने के लिए ऐसे कपड़े इस्तेमाल करती हैं। इस होड़ में लड़के भी बिल्कुल कम नहीं हैं, वो भी हैण्डसम बनने के चक्कर में सिगरेट तक फूँकने लगते हैं। दिल्ली - बम्बई में तो कॉलेज की लड़कियाँ तक सिगरेट फूँक रहीं हैं। सिर्फ इतना ही नहीं अपने बॉयफ्रेंड के साथ गाँजा, ड्रग्स भी ले रहीं हैं। जो इन सबके के लिए जानलेवा है और समाज की सबसे बड़ी समस्या।
दिल्ली में कॉलेज लाइफ में और सिविल सर्विसेज की तैयारी के बीच में फैशन, नशा और सेक्स के शिकार ज्यादातर लड़के - लड़कियाँ हो रहे हैं। कॉलेज और कोचिंग में झूठे प्यार का नाम देकर लड़के लड़कियाँ एक - दूसरे को पटा लेते हैं और सेक्स एवं यौन शोषण करके छोड़ भी देते हैं। जिसमें टिंडर, सोशल मीडिया और फोन बड़ी अहम भूमिका निभा रहे हैं। यहाँ लड़कों की सेक्स के सुख की अनुभूति के लिए जनरली तीन - चार गर्लफ्रैंड होती हैं और लड़कियों के पाँच - छः बॉयफ्रेंड क्योंकि चाणक्यनीति के अनुसार लड़कियों में सेक्स पॉवर लड़कों से आठ गुना अधिक होती है। इस सेक्स पॉवर का इस्तेमाल तो लड़कियाँ गलत धंधे के लिए कर रही हैं। कुछ कॉलगर्ल बन रहीं हैं तो कुछ वेश्याएँ। कॉलगर्ल कल्चर और वेश्यावृत्ति से नुकसान लड़कियों और लड़कों दोनों को समान हैं। एक ओर लड़के सेक्स के लिए हजारों रूपए खर्च कर देते हैं और साथ ही शारीरिक - मानसिक कमजोरी का दंश भी झेलते हैं और ठीक से पढ़ाई - लिखाई न कर पाने के कारण अपने कैरियर के साथ खिलवाड़ करते हैं। इसके अलावा अपने परिवार और समाज को भी धोखा देते हैं। एक समय बाद ऐसे भोगविलासी और नशेड़ी लड़कों की समाज में न तो कोई इज्जत बचती है और न ही कोई काम - धंधा मिलता है। इनमें से कुछ की हत्या कर दी जाती है और कुछ आत्महत्या करने को मजबूर हो जाते हैं। दूसरी ओर कॉलगर्ल और वेश्यावृत्ति का धन्धा करने वाली लड़कियों के साथ इन लड़कों से भी बुरा सलूक होता है। ये भी नशे की लत में पड़ जाती हैं और जीवन में अनेकों जानलेवा बीमारियों का सामना करती हैं। ज्यादा सेक्स करने के कारण शरीर को मानसिक और भौतिक कष्ट देने के अलावा अपनी सुंदरता और पहचान भी खो देती हैं। समाज में इनके साथ जानवरों से भी बुरा व्यवहार किया जाता है। इन्हें लोग साली रण्डी है रण्डी, धन्धे वाली है जैसी गालियाँ देते हैं। इनका समाज में वस्तु की तरह यूज़ किया जाता है। इनकी कोई भी इज्जत नहीं करता है सिर्फ अपना काम निकाल कर चल जाता है।
आज के इन फैशन, नशा और सेक्स के शिकार युवा - युवतियों को फैशन, नशा और सेक्स से बचाने का सरकार को और हम सबको यही उपाय करने चाहिए कि देश में जूनियर हाईस्कूल से लेकर पोस्टग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में सेक्स एजुकेशन यानि यौन शिक्षा नामक विषय अनिवार्य रूप से पढ़ाया जाना चाहिए। सरकार को विदेशी वस्तुओं की देश के बाजार में बिक्री पर रोक लगानी चाहिए और स्वदेशी वस्तुओं एवं भारतीय संस्कृति को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। धूम्रपान और नशीले पदार्थों के उत्पाद पर पूर्णतः रोक लगानी चाहिए, इसके लिए धूम्रपान सामग्री और नशीले पदार्थों का उत्पादन करने वालीं सारी सरकारी और प्राईवेट कम्पनियों को बंद कर देना चाहिए और इन कम्पनियों को खाद्य - उत्पाद कम्पनी के रूप में तब्दील कर देना चाहिए। सबको शिक्षा मिलना चाहिए और जन - जागरूकता का बिल्कुल अभाव नहीं होना चाहिए। ऐसे मेरे सपनों के समाज का निर्माण करने के लिए जनता को एकबार सशक्त क्रान्ति करनी होगी तभी नशामुक्त, सुरक्षित, शिक्षित और सशक्त भारत का निर्माण होगा और हमसब हरदम हर्षपूर्ण जीवन जिएँगे...।
✒परिवर्तनकारी कुशराज
झाँसी बुन्देलखण्ड
15/11/2019_7:12पूर्वान्ह
झाँसी बुन्देलखण्ड
15/11/2019_7:12पूर्वान्ह
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