प्रतिभाशाली स्त्री से प्रेम करने के लिए खुदको बदलना होगा...

कविता - " प्रतिभाशाली स्त्री से प्रेम "



चाहे कुछ भी हो

चाहे समाज बदलना पड़े

चाहे खुदको बदलना पड़े

लेकिन प्रेम तो प्रतिभाशाली स्त्री से ही करूँगा


क्योंकि उसे जी हुजूरी करना पसंद नहीं

जो मुझे भी बिल्कुल पसंद नही


जी हुजूरी कलंक है जीवन पर

इसलिए आजाद रहना चाहिए

जिंदगी में स्वाभिमान नहीं खोना चाहिए


स्वाभिमानी स्त्री साहसी होती है

जो किसी दूसरे पर निर्भर न रहकर

खुद सारे कामों को अंजाम देती है


ऐसी स्त्री ही होनी चाहिए समाज में

जो क्रांति में सहभागी बने

समानता के लिए हर जंग लड़े


कभी झाँसी की रानी

तो कभी माँ दुर्गा

तो कभी सावित्रीबाई फुले बने


ये प्रतिभाशाली स्त्री प्रेम भी बेइंतिहा करती है

बस प्रेमी उसे कभी धोखा न दे

कभी उसके स्वाभिमान को ठेस न पहुंचाए

और न ही कभी उसकी आजादी पर अंकुश लगाए


मैं स्त्री को आजाद रखूंगा

उसके साथ रहकर ही समाज में क्रांति करूँगा

क्योंकि प्रीति ही क्रांति की मताई है...।


✒️ जी० एस० कुशवाहा 'कुशराज झाँसी'

    _9/1/21_11:30रात_झाँसी


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