हे! मेरी वूमनिया - कुशराज झाँसी
* अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2021 - 8 मार्च पर मेरी काबिल दोस्त को सादर समर्पित कविता...*
कविता - " हे! मेरी वूमनिया "
हे! मेरी वूमनिया
तुम पढ़ो - लिखो
फिर मनचाहा ख्वाब पूरा करो
खूब मौज करो
जीवन में जो मन करे वो काम करो
पर आलस को अभी से दूर करो
कायकि आराम हराम है
अनोखे काम से हमरा नाम है
जिंदगी में काम करो ऐसा
कि हर कोई बनना चाहे तुमरे जैसा
तुम साहसी हो,
तुम संस्कारी हो,
तुम सोच से आधुनिकतावाली हो,
तुम बेहद प्रतिभाशाली हो।
तुम हमरा संग हर वक्त देती हो
पढ़ने के लिए भोर चार बजे से जगाती हो
लेकिन हमें जगाकर खुद सो जाती हो
कभी - कभी साथ पढ़ - लिख भी लेती हो।
तुम हम पे भौत भरोसा करती हो
हमरी हर बात पे अमल भी करती हो
तुम जो कहती हो, वही हम भी करते हैं
जैसी तुम रहती है, वैसा हम रहने की कोशिश करते हैं
तुम जिंदगी भर दोस्त रहने का वादा भी करती हो
हम भी तुमाए दोस्त रहने का वादा करते हैं।
तुम अभी जैसी हो वैसे ही रहना
वूमन डे पर यही है मेरा कहना, ओ! मेरी वूमनिया।।
✒️ तुमाओ दोस्त :
एड० जी० एस० कुशवाहा
'कुशराज झाँसी'
(एलएलबी, बीकेडी कॉलेज झाँसी)
_07मार्च2021_10:05भोर_झाँसी
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