विमेंस वेब (women's web) वेबपत्रिका पर प्रकाशित कुशराज झाँसी का लेखन

 * विमेंस वेब (women's web) वेबपत्रिका पर प्रकाशित कुशराज झाँसी का लेखन *


प्रोफाइल बायो - 

Kushraaz Jhansi

बदलाओ कार्यकर्त्ता। लेखक । सचिव प्रत्याशी : हंसराज कॉलेज छात्र संघ (2019-20), दिल्ली विश्वविद्यालय । झाँसी बुन्देलखण्ड के निवासी । जन्मतिथि : 30 जून 1999 । दिल्ली यूनिवर्सिटी से बी०ए० हिन्दी ऑनर्स । बीकेडी कॉलेज, बुन्देलखंड यूनिवर्सिटी झाँसी से एल० एल० बी०।



प्रोफाइल लिंक - 

https://www.womensweb.in/hi/author/kushraaz-jhansi/


 https://docs.google.com/document/d/1FbZQYEJMowENEMmNj5fYXoj-zsaKGZaIPJ56sCIwNxw/edit?usp=drivesdk



          * 1. *


* सिंदूर-चूड़ी का कानून, पति और पत्नी, दोनों पर लागू होना चाहिए! *


     - सामाजिक मुद्दे

  3 जुलाई 2020 को प्रकाशित


https://www.womensweb.in/hi/2020/07/sidoor-sakha-guwahati-case-perspective-julwk2/ 


पुरुष को भी विवाह के बाद साज-सिंगार करने और विशेष पहनावे को लेकर कानून बनना चाहिए, या फिर स्त्री को भी इन सब से आजादी मिलनी चाहिए।


अभी हाल ही में गुवाहाटी हाईकोर्ट ने एक तलाक के मुकद्दमे की सुनवाई करते हुए कहा है कि “अगर पत्नी चूड़ियाँ पहनने और सिंदूर लगाने से मना करे तो इसका मतलब है कि उसे शादी मंजूर नहीं है।” कोर्ट ने इस आधार पर तलाक के लिए याचिका डालने वाले इंसान को तलाक दे दिया भी है। जबकि फैमिली कोर्ट ने इसके उलट में फैसला सुनाया था, जिसके बाद मामला हाईकोर्ट पहुँचा।


समता का अधिकार क्या फ़र्ज़ी है?


हाईकोर्ट के इस निर्णय पर मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूँ कि हमारे कानून, भारतीय संविधान द्वारा नागरिकों को दिए गए मौलिक अधिकारों में से एक है – समता का अधिकार।


अब हम हाईकोर्ट के इस फैसले को कानूनों के हिसाब से देखते हैं। सबसे पहले हम समता के अधिकार के आधार पर यदि बात करें तो इस मामले में या कहें स्त्री-पुरुष के अन्य मामले समता कहीं दूर-दूर तक नजर नहीं आती।


विवाह के बाद साज-सिंगार सिर्फ स्त्री के लिए क्यों?


स्त्री-पुरूष भेदभाव की खाई तो समाज में और गहरी है। जब हाईकोर्ट ही स्त्री और पुरुष में भेदभाव करेगा तो समाज का कहना ही क्या। जब एक स्त्री को विवाह के बाद साज-सिंगार करने, जैसे, माँग में सिंदूर लगाना, कलाई में चूड़ियाँ पहनना, गले में मंगलसूत्र पहनना आदि-आदि, को कानूनी तौर पर सही माना जाता है, तो ऐसा विधान पुरूषों के लिए क्यों नहीं है?


पुरुष को भी विवाह के बाद साज-सिंगार करने और विशेष पहनावे को लेकर कानून बनना चाहिए। या फिर स्त्री को भी साज-सिंगार और विशेष पहनावे से आजादी मिलनी चाहिए। स्त्री को साज-सिंगार आदि के आधार पर कुँवारी या विवाहित नहीं मानना चाहिए। आज का समाज बदलाव चाहता है।


इस मामले को स्वतंत्रता के अधिकार के आधार पर आँकते हैं।


अब इस मामले को स्वतंत्रता के अधिकार के आधार पर आँकते हैं। जब सबको अभिव्यक्ति, वृत्ति, प्राण और दैहिक आदि की स्वतंत्रता है। तब कोई स्त्री को साज-सिंगार करने आदि को विवश नहीं कर सकता और न ही उस पुरुष से अगल रहने से मना कर सकता है।


समाज में सम्पत्ति के मामले में स्त्री और पुरुष में काफी भेदभाव।


इस मामले को मैं संपत्ति के अधिकार के आधार पर भी विश्लेषित करना चाहता हूँ । सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिये गए एक निर्णय में नागरिकों के निजी संपत्ति पर अधिकार को मानवाधिकार घोषित किया गया है। सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार भले ही संपत्ति का अधिकार अब मौलिक अधिकार नहीं रहा इसके बावजूद भी राज्य किसी व्यक्ति को उसकी निजी संपत्ति से उचित प्रक्रिया और विधि के अधिकार का पालन करके ही वंचित कर सकता है।


दरअसल, समाज में सम्पत्ति के मामले में स्त्री और पुरुष में काफी भेदभाव देखने को मिलते हैं। और सबसे दुःख की बात ये है कि आज भी पुरुष औरत को अपनी निजी सम्पत्ति समझता है और इससे भी ज्यादा दुःखद ये है कि पुरुष औरत को भोग-विलास की वस्तु समझता है। ऐसा कतई नहीं होना चाहिए। न ही औरत पुरुष की सम्पत्ति है और न ही पुरुष औरत की। अब पुरुष औरत को भोग-विलास की वस्तु समझना बन्द करे वर्ना कहीं ऐसा न हो कि औरत पुरूष को भोग-विलास की वस्तु समझने लगे।


मैं चाहता हूँ कि जमीनी स्तर पर पुरुषों की भाँति स्त्रियों को भी संपत्ति का मालिकाना हक मिले। चाहे कृषि योग्य भूमि हो या फिर निवास योग्य, हर भूमि में पुरूष की भाँति स्त्री को भी यानि 50- 50% मालिकाना हक मिले। जमीनी कागजातों पर पुरुष किसान यानि किसान से साथ महिला किसानों यानि किसानिनों का भी नाम दर्ज हो। तभी दुनिया की आधी आबादी को अपना हक मिल सकेगा।


वक्त है स्त्री और पुरुष दोनों को अपनी सोच में बदलाव लाने का।


अब वक्त आ गया है, स्त्री और पुरुष दोनों को अपनी सोच में बदलाव लाने का। समाज में असमानता को मिटाकर समानता लाने का क्योंकि स्त्री और पुरुष में सामंजस्य जरूरी है। आपसी सामंजस्य से ही ये दुनिया चलती है।



        *  2. *


* कब समझोगे तुम कि हम नहीं तो तुम भी नहीं… *


         -  कथा और कविता

   26 अगस्त 2020 को प्रकाशित


https://www.womensweb.in/hi/2020/08/hum-tum-equality-kavita-augwk4/


मेरा कोई कन्यादान ना करे, मेरे लिए कोई दहेज ना दे, मेरी कोई भ्रूण हत्या ना करे, मेरा कोई यौन-शोषण ना करे, ना ही कोई मेरा बलात्कार करे।


तुम सब कुछ देखते हो,

बिना ढके आंखों को।

क्यों रोकते हो हमें?

दुनिया की असलियत देखने को?


क्यों पर्दा-घूंघट करने को बाध्य करते हो?

धर्म के कानूनों की जंज़ीरों में जकड़ते हो,

परम्पराएं-कुरीतियां चलाते रहते हो,

हमें नीचा दिखाते रहते हो।


चारदीवारी में कैद रखते हो,

आखिर क्यों

तुम ऐसा करते हो?

जबाव दो हमें।


अब हम जाग चुके हैं,

तुम्हारी किसी प्रथा को नहीं मानेंगे,

हम भी दुनिया देखेंगे।


चेहरा ना ढककर अपनी पहचान दिखाएंगे,

साहस, शौर्य से भरपूर नया इतिहास बनाएंगे,

ना पर्दा, न घूंघट और ना चेहरा ढकेंगे।


मेरा कोई कन्यादान ना करे,

मेरे लिए कोई दहेज ना दे,

मेरी कोई भ्रूण हत्या ना करे,

मेरा कोई यौन-शोषण ना करे,

ना ही कोई मेरा बलात्कार करे।


ये चेतावनी है सारे जहां को,

सुधर जाओ, संभल जाओ,

हम नहीं रह पाएंगे इस दुनिया में,

तो मेरे बिन तुम्हारा कोई अस्तित्त्व नहीं।


क्योंकि मैं ही तुमको जन्म देती हूं,

तुम्हे पालती-पोसती हूं,

शिक्षा-संस्कार भी देती हूं,

फिर भी तुम हमें ही धिक्कारते हो।


समझ जाओ, संभल जाओ,

हम तुमसे कभी ना कम थे, ना हैं और ना रहेंगे,

हर मोड़ पर तुम्हारा सामना करेंगे,

हम भी साहसी हैं, वीरांगना हैं और जगत जननी।



        *  3. *


* कल झाँसी में हुए बीकेडी गोलीकाण्ड से मुझे ये सबक मिला *


      -  अपराध और कानून

20 फरवरी 2021 को प्रकाशित


https://www.womensweb.in/hi/2021/02/jhansi-bkd-college-golikand-sabak-feb21wk3/


कल झाँसी में हुए बीकेडी गोलीकाण्ड ने मुझे गंभीर रूप से परेशान किया और मैं इन बातों पर विचार करने पर मजबूर हो गया…


बुन्देलखंड के झाँसी में आज तारीख 19 फरवरी 2021, शुक्रवार को तकरीबन दोपहर साढ़े बारह बजे बीकेडी (बुन्देलखंड कॉलेज) में हुए गोलीकाण्ड से शासन-प्रशासन, देश-दुनिया, समाज-क्षेत्र, छात्र-छात्रा और युवा-युवतियों को सबक लेने की जरूरत है और इस गोलीकाण्ड पर हम सबको गम्भीरता से विचार करने की सख्त जरूरत है।


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रेम-प्रसंग यानी लव-अफेयर्स के चलते एक छात्र ने अपने सहपाठी दूसरे छात्र पर भरे क्लासरूम में ही गोली चला दी, जिससे छात्र गम्भीर रूप से घायल हो गया और फिर अपराधी ने एक छात्रा के घर पर जाकर, उस पर गोली चला दी। छात्रा को गोली गर्दन पर लगी, जिससे उसकी तत्काल मौत हो गई।


ये तीनों कॉलेज से एमए साइकोलॉजी की शिक्षा ले रहे थे। फिलहाल अपराधी को झाँसी पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया है। अपराधी को निन्दनीय हत्या के अपराध में उम्रकैद की सजा मिलती है या फिर फाँसी, ये तो कोर्ट के निर्णय निर्भर करेगा। लेकिन ऐसे हत्यारे अपराधी को जल्द ही सजा मिले, ऐसी हम अपेक्षा करते हैं, जिससे लोगों का कानून-व्यवस्था में विश्वास कायम रह सके।


झाँसी बीकेडी गोलीकाण्ड ने मुझे ये सोचने पर मजबूर किया -


अब हम बात करते हैं इस गोलीकाण्ड से सबक लेने की, तो सबसे पहले युवा छात्रों और युवती छात्राओं को इससे यह सबक लेना चाहिए कि उनको जमाने के हिसाब से तो चलना है लेकिन सावधान होकर। इस गोलीकाण्ड वाले मामले में यह हो सकता है कि गोली खाने वाले छात्र-छात्रा आपस में प्रेमी-प्रेमिका हों और अपराधी की किसी वजह से इन दोनों से रंजिश चलती हो या फिर छात्रा अपराधी की गर्लफ्रैंड रही हो या फिर गर्लफ्रैंड बनने से उसने मना कर दिया हो, इन सब पहलुओं में से परे भी कुछ भी हो सकता है।


कॉलेज लाइफ में अक्सर छात्र-छात्राएं प्रेम प्रसंग में पड़ जाते हैं। प्रेम-प्रसंग में पड़ने को यानी किसी से प्यार करने को मैं सही या गलत नहीं कह रहा हूँ लेकिन इतना ज़रूर कह रहा हूँ कि यदि कोई छात्र किसी छात्रा के प्रेम प्रसंग में पड़े या फिर कोई छात्रा किसी छात्र के प्रेम प्रसंग में पड़े, तो वह जल्दबाजी में कोई फैसला ना लें। क्योंकि जल्दबाजी में लिए गए अक्सर फैसले जिंदगी के लिए सही साबित नहीं होते हैं। हमें ऐसे फैसले बहुत सोच-विचार कर लेने चाहिए। क्योंकि ऐसे में एक-दूसरे को अच्छे से जानना ज़रूरी होता है और एक-दूसरे पर विश्वास करना भी।


किसी से प्रेम होने पर सबसे पहले एक दूसरे के बारे में कुछ जरूरी बातें जान लेनी चाहिए कि उसकी सोच और विचारधारा हमसे मिलती है या नहीं। उसे क्या पसन्द है और क्या नहीं, उसका बैकग्राउंड कैसा है, उसे भविष्य में क्या बनना है, वो जीवन में क्या अच्छे काम करना चाहता है या चाहती है। यदि हम दोनों इस रिश्ते को आगे बढ़ाते हैं तो दोनों को कोई परेशानी तो नहीं होगी।


और आज तो ये भी हो सकता है कि आपको बीकेडी गोलीकांड जैसी किसी अनहोनी घटना का सामना करना पड़  जाए। मतलब ये इन हालत के चलते कि अपने प्रेम प्रसंग के में हमें समाज, परिवार और दोस्तों से सावधान रहने की जरूरत पड़े क्योकिं कोई हमारे रिश्ते को अच्छी नजर से देखता है तो कोई बुरी नजर से। इन सब के लिए तैयार रहें।


रिश्ता बनाते हुए ये बात भी जरूर जान लेनी चाहिए कि लड़के की कोई पहले तो गर्लफ्रैंड तो नहीं है या फिर लड़की का कोई पहले से बॉयफ्रेंड तो नहीं है और यदि है भी तो वो इस नए रिश्ते के समय पुराने रिश्ते में तो नहीं हैं? ऐसा होने से रिश्ता लम्बे समय तक भी कायम रह सकता है बशर्ते उन दोनों में से कोई एक दूसरे को धोखा न दे।


दोनों में से किसी को भी यदि कोई परेशानी होती है या फिर किसी मदद की जरूरत होती है तो वे या तो आपस में ही निपटा लें या सही व्यक्ति से मदद लें। यही न्याय, साम्य और सद्विवेक के सिद्धांत के अनुसार ठीक भी है। आगे सबकी अपनी-अपनी मर्जी। लेकिन आज तो यहां सबकी मर्जी भी नहीं चलती क्योंकि लगता है सरकार और समाज के हिसाब से भी चलना ज़रूरी हो गया है।


और ये भी जरूरी नहीं है कि छात्र-छात्रा आपस में प्रेमी-प्रेमिका बनकर रहें। वो दोनों अच्छे और सच्चे दोस्त बनकर भी रह सकते हैं क्योंकि मेरा मानना है कि दोस्ती का रिश्ता अटूट रिश्ता होता है और इस रिश्ते जैसा दुनिया में कोई रिश्ता नहीं। आज के समय में एक लड़का-लड़की भी आपस में सच्चे दोस्त होते हैं। और ये रिश्ता उम्र भर निभ सकता है।


यदि लड़का-लड़की आपस में बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रैंड हैं और किसी वजह से आपस में खटपट हो गई तो वे एक दूसरे से ब्रेकअप कर लेते हैं और जिंदगी में दोबारा मिलने का नाम नहीं लेते। लेकिन ऐसा रूढ़िवादी समाज को मंज़ूर नहीं होता और इसमें आपको मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। लेकिन मैं तब भी कहूंगा किसी को भी कानून अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए। ये सरासर गलत है।


अब हम सबको इस गोलीकांड से दूसरा सबक ये लेना चाहिए कि जबतक कानून-व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त नहीं होती, शिक्षण संस्थानों जैसे – स्कूल, कॉलेजेज में सुरक्षा के कड़े इंतजाम नहीं होते, तब तक, अगर आपके पास कोई और ऑप्शन नहीं है, तो अपना जीवन सुरक्षित रखने में ही फायदा है क्योंकि हमारी जान बचेगी तभी तो ये दुनिया दिख सकेगी और हम अपना मक़सद हासिल कर पाएंगे। रिश्ते तो बाद में भी बन सकते हैं। ऐसा मेरा मानना है।


मानता हूँ कि – “शिक्षा ही एकमात्र ऐसा हथियार है, जो दुनिया की कोई भी जंग जिता सकता है।” लेकिन जबतब बीकेडी जैसे शिक्षण-संस्थानों सुरक्षा के कड़े इंतजाम नहीं हो जाते तब तक वहाँ शिक्षा लेने ना जाने में ही हम सबकी भलाई है। कॉलेज में सुरक्षा के लिए कॉलेज के गेटों पर बॉचमेन और गार्डों की व्यवस्था की जा सकती है और आज के तकनीकी युग में मेटल डिटेक्टर गेट की भी व्यवस्था करायी जा सकती है। जिससे कॉलेज शिक्षा के द्वारा बुन्देलखंड के सतत विकास के लक्ष्यों को पा सकने में कामयाब हो सके।


इसलिए हर वक्त सतर्क रहिए और मेरी मानें तो थोड़ी सी अनहोनी की आशंका होने पर वहाँ से खिसक लीजिए, इसी में हम सबकी भलाई है। कॉलेजों में और समाज के सार्वजनिक स्थलों पर नारी-सुरक्षा और नागरिक-सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम होना बहुत जरूरी हैं, नहीं तो समाज और देश अपराधियों के खौफ के कारण और पीछे चला जाएगा, जिसे फिर से विश्वगुरु की स्थिति में लाने के लिए बहुत समय लगेगा। इसलिए शासन और प्रशासन को वक्त रहते नागरिक सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम कर देने चाहिए, जिससे द्वारा बीकेडी गोलीकाण्ड झाँसी जैसी कोई निंदनीय घटना न घट सके।



                     *  4. *


* हे! मेरी वूमनिया… *


-  कथा और कविता

8 मार्च 2021 को प्रकाशित


https://www.womensweb.in/hi/2021/03/hey-meri-womaniya/


जैसी तुम रहती हो, वैसा हम रहने की कोशिश करते हैं। तुम जिंदगी भर दोस्त रहने का वादा भी करती हो, हम भी तुम्हारे दोस्त रहने का वादा करते हैं।


अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2021 पर मेरी काबिल दोस्त, मेरी प्रिय सहेली को समर्पित कविता…


हे! मेरी वूमनिया,

तुम पढ़ो-लिखो,

फिर मनचाहा ख्वाब पूरा करो।


खूब मौज करो,

जीवन में जो मन करे वो काम करो,

पर आलस को अभी से दूर करो,

क्यूंकि आराम हराम है।


अनोखे काम से हमारा नाम है,

जिंदगी में काम करो ऐसा,

कि हर कोई बनना चाहे तुम्हारे जैसा।


तुम साहसी हो,

हां तुम साहसी हो,

तुम सोच से आधुनिकता वाली हो,

तुम बेहद प्रतिभाशाली हो।


तुम हमारा संग हर वक्त देती हो,

पढ़ने के लिए भोर चार बजे से जगाती हो,

लेकिन हमें जगाकर खुद सो जाती हो,

कभी-कभी साथ पढ़-लिख भी लेती हो।


तुम हम पर बहुत भरोसा करती हो,

हमारी हर बात पे अमल भी करती हो,

तुम जो कहती हो, वही हम भी करते हैं।


जैसी तुम रहती हो,

वैसा हम रहने की कोशिश करते हैं।

तुम जिंदगी भर दोस्त रहने का वादा भी करती हो

हम भी तुम्हारे दोस्त रहने का वादा करते हैं।


तुम अभी जैसी हो वैसे ही रहना

विमेंस डे पर यही है मेरा कहना…

ओ! मेरी वूमनिया!



       *  5. * 



* तुम्हारा साथ पाने के लिए मुझे खुद को बदलना होगा… *


- कथा और कविता

26 सितम्बर 2021 को प्रकाशित


https://www.womensweb.in/hi/2021/09/feminist-man-love-for-feminist-woman-kavita-sep21wk4/


ये प्रेम भी बेइंतहा करती है, ध्यान तुम रखो कि तुम तैयार हो, कभी उसके स्वाभिमान को ठेस न पहुंचाने को और न ही कभी उसकी आजादी पर अंकुश लगाने को…


चाहे कुछ भी हो

चाहे समाज से लड़ना पड़े

प्रतिभाशाली स्त्री से प्रेम करने के लिए

मुझे खुद को बदलना होगा!


क्योंकि उसे जी हुजूरी करना पसंद नहीं

जी हुजूरी कलंक है जीवन पर

इसलिए आजाद रहना चाहिए

जिंदगी में स्वाभिमान नहीं खोना चाहिए!


स्वाभिमानी स्त्री साहसी होती है

वह खुद सारे कामों को अंजाम देती है

खुद आगे बढ़ती है

दूसरों को भी साथ रखती है!


ऐसी स्त्री ही चाहिए आज समाज को

जो क्रांति में सहभागी बने

समानता के लिए हर जंग लड़े

इस सामज को बदलने में मेरे साथ चले!


कभी झाँसी की रानी

तो कभी माँ दुर्गा

तो कभी सावित्रीबाई फुले

इन सब के नाम को वो भूलने न देगी


ये प्रतिभाशाली स्त्री प्रेम भी बेइंतहा करती है

ध्यान तुम रखो कि तुम तैयार हो

कभी उसके स्वाभिमान को ठेस न पहुंचाने को

और न ही कभी उसकी आजादी पर अंकुश लगाने को


वादा करना होगा उससे कि वो आजाद रहेगी

उसका साथ पा कर समाज बदल सकता हूँ

क्योंकि प्यार सिर्फ अपनाने नहीं

समानता का भी नाम है…।







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