अपनी मातृभाषा में काम करो। - कुशराज झाँसी

 लेख - " अपनी मातृभाषा में काम करो। - कुशराज झाँसी"



21 फरवरी के दिन को हर साल 'अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस' के तौर पर मनाया जाता है। मेरी मातृभाषा बुन्देली या बुंदेलखंडी भाषा की कछियाई - किसानी बोली है। हमारी सबसे बड़ी बात ये है कि मैं विदेशी भाषा विशेषकर अंग्रेजी को उतना महत्त्व नहीं देता जितना अपनी मातृभाषा बुन्देली और राष्ट्रभाषा हिन्दी को और आपसे भी कहता हूँ कि आप भी मेरा साथ दीजिए और विदेशी भाषा का कामचलाऊ ज्ञान रखिए और अपनी मातृभाषा में सारा काम कीजिए और अपनी तरक्की और अपने देश की तरक्की कीजिए । 


                     कोई भी देश किसी विदेशी भाषा में कामकाज करके तरक्की नहीं करता और न ही कर सकता है। प्रत्येक विकसित देश सदैव अपनी मातृभाषा में काम करके इस मुकाम तक पहुँचा है। इसी संबंध में महान सामाजिक क्रान्तिकारी लेखक - भारतेंदु हरिश्चन्द जी ने कहा है - 

" निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति कौ मूल।

बिनु निज भाषा ज्ञान के, मिटत न हिय को शूल।। "


                     हमारे भारत देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि ये मातृभाषा के साथ विदेशी भाषा अंग्रेजी में अपने राज - काज का क्रियान्वयन करता है। जिस दिन से हमारा देश विदेशी भाषा अंग्रेजी, जिसके हम मानसिक गुलाम हैं, उसमें राज - काज करना छोड़ देगा और केवल अपनी मातृभाषा और राष्ट्रभाषा हिंदी में सारा राज - काज का क्रियान्वयन शुरू कर देगा। उसी दिन से इसकी दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की होना शुरू हो जायेगी और ये विकसित देश बन जायेगा और साथ ही साथ फिर से 'विश्वगुरु' और 'सोने की चिड़िया' की पदवी को पा लेगा। 


सब जनन खों दुनियाई मताईभासा दिनाँ की भौत - भौत बधाई!


(29 अप्रैल 2018 को दिल्ली विश्वविद्यालय में स्नातक के दौरान लिखा लेख)


- कुशराज झाँसी 'सतेंद सिंघ किसान'

(जरबौगाँव, झाँसी बुंदेलखंड)


20/2/2023_2:34दिन _ झाँसी




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