रामान समागम २०२३ - रामायण कॉन्क्लेव 2023 झाँसी

रामान समागम २०२३ ( कछियाई - बुंदेली)



उत्तर परदेस सिरकार के पर्रटन बिभाग, संसकिरती बिभाग, लोक और आदिबासी कला और संसकिरती संस्तान, अजुध्या सोद संस्तान और जिला पिरसासन झाँसी द्वाराँ सिरकारी संग्रालओ झाँसी में २- ३ मार्च २०२३ खों आयोजित दो दिनाँई रामान समागम झाँसी में २ मार्च खों दूसरे सत्त में हमें सामिल होबे कौ सौभाग्य मिलौ। 




बुंदेली गाबो - बजाबो, बुंदेली राई नाच, सिरीराम पे आधारित कत्थक नाच - नाटिका और चिरगांओं की रामलीला (धनुस जग्ग) कौ अनोखो पिरदरसन देखो। सबसें उमदा हमें बुंदेली राई के जुगमानुस पदमसिरी रामसहाय पांडे 'नन्ना' जू की अगुआई में ऊकी टीम द्वारा करौ गओ राई नाच लगो। ९३ साल की उमर में रामसहाय जू कौ बुंदेली राई और बुंदेली संसकिरती के लानें समरपन सें हम भौत पिरभाबित भए। बिनकी टीम में महाराजा छत्तसाल बुंदेलखंड दुनियाईग्यानपीठ, छतरपुर की छात्तरान नें भागीदारी करी। जो अनोखो  राई नाच देखकें हमें लगो के आज के युबा - युबतियाँ भी अपनी बुंदेली संसकिरती की पताका पूरी दुनिया में फैराबे में लगे हैंगे। जा बड़े गरब की बात हैगी।



यी कारीकिरम में पदमसिरी रामसहाय पांडे जू; बुंदेली लोक - संसकिरती और बुंदेली भासा - साहित्य के पुरोधा, 'बुंदेली बसंत' पत्तिका के संपादक, महाराजा छत्तसाल बुंदेलखंड दुनियाईग्यानपीठ, छतरपुर के परीक्छा नियंता और हिंदी बिभाग में आसीन आचार्य बहादुर सिंघ परमार जू सें मिलबे और अपनी लिखाई, बुंदेली भासा के बिकास आदि पे बतकाओ करबे कौ और चिरगांओं निबासी इतिहासकार बुंदेली संसकिरती के पुरोधा सिरी रामपिरकास गुप्ता कक्काजू सें बुंदेलखंड के इतिहास पे चर्चा करबे और बुंदेली कला और संगीत के पुरोधा दतिया निबासी बिनोद मिसर सुरमनी जू सें बुंदेली चित्तकला पे बतकाओ करबे और बुंदेलखंड के इनसाक्लोपीडिया, बुंदेली साहित्य - संसकिरती और इतिहास के पुरोधा, उत्तर परदेस सिरकार के दर्जा बाय राज्जमंत्तरी, दुनियाई बौद्ध सोद संस्तान के उपाध्यक्छ बमनुआँ झाँसी निबासी सिरी हरगोबिंद कुसबाहा जू सरीखे बिद्वानन सें मुखातिब होबे कौ सौभाग्य मिलौ। हमाए संगी - साथी रफत हुसैन कालपी, बिशाल यादब मऊरानीपुर और अंसू पाल मोंठ भी संगे रए।




यी ऐतिहासिक आयोजन के लानें हम उत्तर परदेस सिरकार, कलाकारन, बिद्वानन और जनमानस कौ भौत - भौत आभार जताऊतई।


©️ गिरजासंकर कुसबाहा 'कुसराज झाँसी'

(बुंदेलखंडी युबा लिखनारो, सदस्य - बुंदेलखंड साहित्य उन्नयन समिति झाँसी, संस्तापक - बुंदेली बुंदेलखंड आंदोलन)


 रामायण कॉन्क्लेव 2023 झाँसी (हिन्दी)


उत्तर प्रदेश सरकार के पर्यटन विभाग, संस्कृति विभाग, लोक एवं जनजाति कला एवं संस्कृति संस्थान, अयोध्या शोध संस्थान एवं जिला प्रशासन झाँसी द्वारा राजकीय संग्रहालय झाँसी में 2 - 3 मार्च 2023 को आयोजित दो दिवसीय रामायण कॉन्क्लेव झाँसी में 2 मार्च को द्वितीय सत्र में हमें सहभागिता करने का सौभाग्य मिला। 


बुन्देली गायन, बुन्देली राई नृत्य, श्रीराम पर आधारित कथक नृत्य नाटिका और चिरगांव की रामलीला (धनुष यज्ञ) का अद्भुत प्रदर्शन देखा। सबसे अच्छा हमें बुन्देली राई के युगपुरुष पद्मश्री रामसहाय पांडेय 'नन्ना' के नेतृत्व में उनकी टीम द्वारा किया गया राई नाच लगा। 93 साल की उमर में रामसहाय जी का बुन्देली राई और बुन्देली संस्कृति के प्रति समर्पण से हम काफी प्रभावित हुए। उनकी टीम में महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी, छतरपुर की छात्राओं ने सहभागिता की। ये अद्भुत राई नाच देखकर हमें लगा कि आज के युवा - युवतियाँ भी अपनी बुन्देली संस्कृति का परचम विश्व पटल लहराने के लिए लगे हुए हैं जो बड़े गर्व की बात है। 


इस कार्यक्रम में पद्मश्री रामसहाय पांडे जी; बुन्देली लोक - संस्कृति और बुन्देली भाषा - साहित्य के विशेषज्ञ, 'बुन्देली बसंत' पत्रिका के संपादक, महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय छतरपुर के परीक्षा नियंत्रक एवं हिन्दी विभाग में पदस्थ प्रोफेसर बहादुर सिंह परमार जी से मिलने और अपने लेखन, बुन्देली भाषा के उत्थान आदि पर विचार - विमर्श करने का साथ ही चिरगांव निवासी इतिहासकार और बुन्देली संस्कृति के विशेषज्ञ श्री रामप्रकाश गुप्ता चाचाजी से बुंदेलखंड के इतिहास पर चर्चा करने और बुन्देली कला और संगीत के विशेषज्ञ दतिया निवासी विनोद मिश्र सुरमणि जी से बुन्देली चित्रकला पर विचार - विमर्श करने और बुंदेलखंड के इनसाक्लोपीडिया , बुन्देली साहित्य - संस्कृति और इतिहास के पुरोधा, उत्तर प्रदेश के दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री, अंतराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान के उपाध्यक्ष वमनुवां झाँसी निवासी श्री हरगोविंद कुशवाहा जी सरीखे विद्वानों से मुखातिब होने सौभाग्य मिला। हमारे साथी रफत हुसैन कालपी, विशाल यादव मऊरानीपुर और अंशु पाल मोंठ भी साथ में रहे।


इस इतिहास आयोजन के लिए हम उत्तर प्रदेश सरकार, कलाकारों, विद्वानों और उपस्थित जनमानस का भौत - भौत आभार जताते हैं।


©️ गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज झाँसी'

(बुंदेलखंडी युवा लेखक, सदस्य - बुंदेलखंड साहित्य उन्नयन समिति झाँसी, संस्थापक - बुन्देली बुंदेलखंड आंदोलन)


५/३/२०२३ _ झाँसी


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