Thursday 18 January 2024

कहानी (Story) - हिन्दी : भारत माता के माथे की बिन्दी (Hindi : Bharat Mata Ke Mathe Ki Bindi) - कुशराज झाँसी (Kushraj Jhansi)

*** कहानी (Kahani) -

" हिन्दी : भारत माता के माथे की बिन्दी " ( Hindi : Bharat Mata Ke Mathe Ki Bindi ) ***



( हमारी दसवीं कहानी है 'हिन्दी : भारत माता के माथे की बिन्दी'। इस कहानी में वर्तमान भारत सरकार - मोदी सरकार और उत्तरप्रदेश राज्य सरकार - योगी सरकार द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति - 2020 के अंतर्गत हिन्दी को बढ़ावा देने पर देश में आए सकारात्मक बदलाओं को दिखाया गया है और सरकार की हिन्दी को बढ़ाना देने वाली नीतियों का समर्थन किया गया है। हिन्दी माध्यम में डॉक्टरी और इंजीनियरी की पढ़ाई होना युगांतकारी है, बदलाओकारी है, देश की 90% आबादी, किसानों और मजदूरों के जीवन में नई रोशनी लाने वाला है। अब किसानों और मजदूरों के लड़का और लड़की भी डॉक्टर - इंजीनियर बन सकते हैं क्योंकि अब उनकी राष्ट्रभाषा हिन्दी में पढ़ाई हो रही है। आखिर वो दिन कब आएँगे, जब हिन्दी को भारत की राष्ट्रभाषा का कानूनी दर्जा मिलेगा ? कब बुंदेली भाषा बुंदेलखंड में शिक्षा का माध्यम बनेगी ? कब हिन्दी अपनी सहयोगी भाषा बुंदेली को साथ लेकर चलेगी ? )


शाम को सात बजे ममता रसोईघर में रात का खाना पका रही है और उसकी सास रामकली बाई बैठक वाले कमरे में टीवी पर न्यूज देख रही है। 

भारत खबर चैनल पर न्यूज आ रही है - " आज की सबसे बड़ी खबर - जी-20 सम्मेलन में शामिल होने वाले अतिथियों को भारत की महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आमंत्रण सौंपा। आमंत्रण पत्र में आमंत्रणकर्त्ता में लिखा - प्रेसीडेंट ऑफ भारत.....। अब तक प्रेसीडेंट ऑफ इंडिया लिखा जाता था। भारत लिखने पर छिड़ी बहस.....। भारत बनाम इंडिया पर राजनैतिक पार्टियाँ आईं आमने - सामने।



प्रधामनंत्री मोदी जी का कहना है -

" इंडिया नाम अंग्रेजी राज की गुलामी का प्रतीक था। भारत स्वदेशी और राष्ट्रीयता का प्रतीक है। देश का आधिकारिक नाम 'भारत' होगा जल्द ही। "



सुना ममता! खबर आ रही है कि देश का नाम अब भारत ही होगा, मोदी जी कह रहे हैं। ये मोदी जी द्वारा किया जा रहा एक और सराहनीय काम है।



पंद्रह दिन बाद जी-20 सम्मेलन दिल्ली में आयोजित होता है, जिसमें भारतीय संस्कृति के प्रतीक वाक्य हिन्दी की देवनागरी लिपि में 'वसुधैव कुटुम्बकम', एक धरती - एक परिवार को साफ तौर  पर संदेश के रूप में लिखा जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ भी इस वक्त स्वीकारता है कि कुछ औपचारिकताओं के बाद भारत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 'भारत' नाम से ही जाना जाएगा, इंडिया नाम से नहीं।



रामकली बाई की पोती और ममता की इकलौती लाड़ली बेटी रोशनी कुशवाहा ने इस साल बारहवीं में जिला टॉप किया है बायो से और नीट की परीक्षा भी पास कर ली है। वो विद्या भारती के विद्यालय सरस्वती विद्या मंदिर की होनहार छात्रा रही है। उसने बचपन से हिन्दी माध्यम से ही पढ़ाई की है।



पिछली साल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी जी ने घोषणा की थी -

" अगली साल से प्रदेश में मेडीकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिन्दी में भी होगी। पाठ्यपुस्तकें हिन्दी में तैयार हो रही हैं और कुछ तैयार भी हो चुकी हैं। "



योगी जी की इस घोषणा से रोशनी के मन में उम्मीद की नई किरण जगी थी। अब उसने ठान लिया था कि अब हम भी डॉक्टर बनकर किसान माँ - बाप और दादा - दादी का नाम रोशन करेंगें क्योंकि अब हमारी हिन्दी भाषा सच में 'भारत माता के माथे की बिन्दी' बन रही है।



मोदी सरकार ने ही 'हिन्दी : भारत माता के माथे की बिन्दी' के गौरव को विश्व में फैलाकर भारतीयों का मान बढ़ाया है। हम जैसी किसान परिवार की बेटी के डॉक्टर बनने के सपने को साकार करने के द्वार खोले हैं।



रोशनी की दादी भी अपने जमाने की पाँचवी पास होनहार छात्रा रही हैं। वो रामचरितमानस भी बाँच लेती हैं और शिक्षा का महत्त्व समझती हैं। दादी ने हमेशा अपने पोता - पोतियों को पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित किया है।



दादी के आशीर्वाद की बजह से ही रोशनी का बड़ा भाई सतेंद्र दिल्ली विश्वविद्यालय से बी० ए० हिन्दी ऑनर्स की डिग्री लेकर आया है पिछली चार साल पहले। अब वो बुंदेलखंड का चर्चित युवा लेखक है। हिन्दी ने सतेंद्र को बहुत मान दिया है और उसके परिवार को सम्मान भी।



रोशनी के छोटे भाई प्रशांत ने अभी नवीं पास की है। उसकी दादी का सपना है कि मेरा प्यारा पोता इंजीनियर बने और हम किसानों के कल्याण में सहयोगी बने। दादी का अपने पोते को इंजीनियर बनाने का सपना अब जरूर पूरा होगा क्योंकि इंजीनियर की पढ़ाई भी अब हिन्दी में होने लगी है और प्रशांत हिन्दी में सशक्त भी है लेकिन वो अंग्रेजी में कमजोर रहा क्योंकि वो विदेशी वस्तु, भाषा को हेय दृष्टि से देखता है। उसने भारत दुर्दशा नाटक से स्वदेशी प्रेम सीखा है। अपना देश, अपनी भाषा उसे जान से ज्यादा प्यारी है।



सात - आठ साल पहले गोवा की राज्यपाल रहीं मृदुला सिन्हा ने गीत लिखा था - " हिन्दी हिन्दी हिन्दी भारत माँ की बिंदी ।

हिन्दी भारत माँ की बिंदी.....।। "



ऐसा दादी रोशनी को बता रही हैं एक दिन भोर से ही तब रोशनी ने कहा -

"हाँ! दादी माँ। अब सच में 'हिन्दी भारत माता के माथे की बिन्दी' है। तुम्हारी लाड़ली पोती डॉक्टर बनने जा रही है हिन्दी में पढ़ाई करके और उसके जैसे लाखों छात्र - छात्राएँ, जो हिन्दी भाषी क्षेत्र के रहे और हिन्दी माध्यम से पढ़े हैं, वे सब डॉक्टर और इंजीनियर बनकर भारत माता की सेवा में लग रहे हैं इसीलिए दादी अब जोर से बोलो -

" हिन्दी हिन्दी हिन्दी : भारत माता के माथे की बिन्दी.....हिन्दी की जय.....भारत माता की जय।। "



_ 16/09/2023 _ 03:50 दिन _

बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झाँसी


( 'घर से फरार जिंदगियाँ' कहानी-संग्रह से...)


©️ कुशराज झाँसी (प्रवर्त्तक - बदलाओकारी विचारधारा, बुंदेलखंडी युवा लेखक, सामाजिक कार्यकर्त्ता)


" 'हिन्दी : भारत माता के माथे की बिंदी' , यह कहानी निश्चितरूप से नई शिक्षा नीति के अंतर्गत देश - विदेश में हिन्दी को बढ़ावा देने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों का समर्थन करती है। 'प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया' के स्थान पर "प्रेसिडेंट ऑफ भारत" लिखा जाना, भारत की सशक्त परिवर्तनकामी सरकार की निशानी है। भारत के गौरव और उसके मान बिंदुओं को सम्मान देने वाली घटनाओं और उनके ऐतिहासिक महत्त्व को यह कहानी बखूबी स्पष्ट करती है। हिन्दी माध्यम से डॉक्टरी की पढ़ाई करना, यह एक ऐसी मिसाल है, जो आज के पहले कभी नहीं देखी थी। यह कहानी हिंदी के वैज्ञानिक महत्त्व को भी दर्शाती है और 'हिन्दी देश का स्वाभिमान है' की भावना को बल देती है। "

- डॉ० रामशंकर भारती 'गुरूजी' (साहित्यकार, संस्कृतिकर्मी) २७/११/२०२३, झाँसी


" संग्रह की दसवीं कहानी 'हिन्दी : भारत माता के माथे की बिंदी' लेखक के हिन्दी के प्रति अनुराग का परिचायक है तथा भारत सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा हिन्दी में तकनीकी विषयों की पढ़ाई को प्रोत्साहन देने के सुखद परिणाम को सामने रखती है। "

- प्रो० पुनीत बिसारिया

(आचार्य एवं पूर्व अध्यक्ष - हिन्दी विभाग, बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झाँसी)

20/12/2023, झाँसी



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