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बदलाओकारी विचारधारा / कुशराजवाद / किसानवाद के प्रवर्त्तक - किसान गिरजाशंकर कुशवाहा / कुशराज झाँसी / सतेंद सिंघ किसान के साहित्यिक, भाषाई, आंचलिक, क्षेत्रीय, देहाती, शहरी, सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक, शैक्षिक, धार्मिक, नैतिक, वैज्ञानिक, सिनेमाई, पर्यावरणीय, दार्शनिक, ऐतिहासिक, विमर्शीय (किसान विमर्श, स्त्री विमर्श, आदिवासी विमर्श, पुरुष विमर्श, वेश्या विमर्श, दिव्यांग विमर्श, किन्नर विमर्श, पर्यावरण विमर्श...) और अनुदित लेखन का हिन्दी, कछियाई, बुंदेली और अंग्रेजी भाषा में संकलन...
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Showing posts from February, 2024
राम - काब्य में मूल-चेतना' बिसै पे झाँसी में भई रास्ट्रीय संगोस्टी
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कवयित्री सीमा मधुरिमा की कविताओं की युवा आलोचक डॉ० रिंकी 'रविकांत' द्वारा की गई समीक्षा पर कुशराज झाँसी की टिप्पणी
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राज्यपाल सचिवालय उत्तर प्रदेश और गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज' का पत्र - व्यवहार
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फ्लिपकार्ट शॉपिंग एप पर उपलब्ध हुआ कुशराज झाँसी का कहानी-संग्रह 'घर से फरार जिंदगियाँ'
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रास्ट्रीय संगोस्टी 'समग्र बुंदेलखंड : इक बिमर्स' में "बुंदेली भासा उर साहित्य कौ बिकास उर संरकच्छन" बिसै पे बाँचो सोदपत्त - किसान गिरजासंकर कुसबाहा 'कुसराज झाँसी'
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शोधपत्र - बुन्देली भाषा और साहित्य का विकास एवं संरक्षण - किसान गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज झाँसी', दीपक नामदेव
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