विवाहित प्रेमी-प्रेमिका के भागकर जिन्दगी जीने के क्रम में समसामयिक भारतीय समाज की घोर सच्चाई को बयाँ करती है डॉ० शिवजी श्रीवास्तव जी की कहानी 'आदिम राग' - किसान गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज झाँसी'

 *** " विवाहित प्रेमी-प्रेमिका के भागकर जिन्दगी जीने के क्रम में समसामयिक भारतीय समाज की घोर सच्चाई को बयाँ करती है डॉ० शिवजी श्रीवास्तव जी की कहानी 'आदिम राग' " ***


झाँसी, अखंड बुन्देलखंड में जन्मे सुप्रसिद्ध आलोचक, कथाकार डॉ० शिवजी श्रीवास्तव जी की कहानी 'आदिम राग' अति मर्मस्पर्शी और शिक्षाप्रद कहानी है। 'आदिम राग' का मतलब है - वैवाहिक प्रेम-संबंध। 'आदिम राग' का मर्म है कि समकालीन भारतीय समाज में प्रेम और विवाह के बिना 2-4प्रतिशत स्त्री-पुरुषों को छोड़कर कोई भी स्त्री या पुरूष जिंदगी जीने को तैयार नहीं है। चाहे वह 'आदिम राग' का कथानायक 'बंसी' जैसा भोला-भाला, गरीब और तथाकथित नीची जाति वाला और बेगार पर अग्रवाल साब जैसे अमीरों के घरों में काम करने वाला नौकर ही क्यों न हो। बंसी की दिली इच्छा थी कि हमाओ भी ब्याओ हो जाए। वो अपने हर परिचित से यही कहता कि हमाओ भी ब्याओ करा देओ। एक दिन उसका विवाह भी बंगाल, बिहार या बुन्देलखंड से खरीदकर लाई गई सुंदर युवती से करा दिया जाता है लेकिन उसका लंपट दोस्त कल्लू उसकी पत्नी को भगा ले जाता है। तब बंसी का सभी मजाक उजाड़े हुए कहते हैं कि चार दिन भी अपनी लुगाई को नहीं संभाल पाया। इस दुर्घटना से बंसी का पौरुष जाग उठता है और गुस्से में आकर कल्लू की पत्नी सीमा भौजी का बलात्कार करता है, जिस सीमा भौजी से अब तक बंसी के सात्त्विक और पवित्र रिश्ते चल रहे थे, उसी से लंपट दोस्त कल्लू की बजह से दुष्कर्म करता है तो चरित्रवती सीमा भौजी अपनी मर्यादा और स्त्रीत्व की रक्षा करने हेतु बंसी की करछुल से खूब पिटाई करती है। इसके बाद बंसी बाबा बैरागी बन जाता है और भगवा पहनकर भजन गाकर जीवन गुजारता है।


कुछ दिन बाद बंसी की पत्नी को बेचकर या छोड़कर या हत्या करके कल्लू जब वापिस घर लौटता है तो बंसी कल्लू को उसके किए की सजा देने के चक्कर में खुद ही अपनी हड्डी-पसली तुड़वा लेता है क्योंकि बंसी सूखा-साका कमजोर आदमी था और कल्लू हष्ट-पुष्ट दमदार आदमी। सीमा के बीचबचाव करने पर बंसी की जान बच पाती है। बीचबचाव के दौरान कल्लू सीमा की भी खूब पिटाई करता है और उस पर बदचलन और चरित्रहीन होने का आरोप लगाता है जबकि कल्लू से बड़ा बदचलन और चरित्रहीन कोई है भी नहीं। आज उल्टा चोर कोतवाल को डाँट रहा है। इस मारपीट की घटना के बाद सीमा भौजी का बंसी के प्रति सोया हुआ प्रेम जाग उठता है और वो बंसी को लेकर भाग जाती है और फिर कल्लू बाबा बैरागी बनकर पहले की तरह रिक्शा चलाकर गुजर-बसर करने लगता है। अब कल्लू के पास न  पत्नी बचती है और न ही प्रेमिका। कल्लू जैसे लंपटों की ऐसी ही दशा होनी भी चाहिए।


लंपटी करने में बंसी भी कल्लू से कम नहीं रहा। जब वो सीमा का बलात्कार कर सकता है तो लंपटी भी करने से नहीं चूकता यदि उसे भी मौका मिलता। 'आदिम राग' में कल्लू की पूर्व पत्नी और बंसी की प्रेमिका 'सीमा भौजी' तथा बंसी की पूर्व पत्नी और कल्लू की प्रेमिका का चालचलन भी मेनका जैसी स्त्रियों से बिल्कुल भी कम नहीं रहा।


कैसा जमाना आ गया है? इस पर विचार करने की जरूरत सरकार और नागरिकों दोनों को है। समाज में 'चरित्र की सुचिता' कैसे हर स्त्री-पुरूष बनाए रखे। मेरी सलाह में इसके लिए सरकार को तत्काल प्रभाव से प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा - पीएचडी तक 'नैतिक शिक्षा' / 'भारतीय जीवन मूल्यों की शिक्षा' और 'यौन शिक्षा' / 'सेक्स एजूकेशन' अनिवार्य कर देना चाहिए। तभी भारतीय समाज में चरित्र की सुचिता और प्रेमी-प्रेमिका, पति-पत्नी के पवित्र रिश्ते और विवाह जैसी संस्था बच सकेगी और आने वाली पीढ़ियाँ संस्कारित हो सकेंगीं। 


मेरी सलाह में कल्लू और बंसी जैसे पुरुषों और सीमा भौजी और बंसी की पत्नी जैसी स्त्रियों की शारीरिक जरूरतों हेतु 'सरकारी वेश्यालय' और 'सरकारी जिंगोलाघर' खोलना भी उचित कदम हो सकता है।'सरकारी वेश्यालय' और 'सरकारी जिंगोलाघर' खोलने से एक तो समकालीन भारतीय समाज में धड़ल्ले से चल रहे विवाहेत्तर प्रेम-संबंध और अवैध संबंधों पर रोक लगाने में कामयाबी मिलेगी और समाज सुधार के क्षेत्र में भारत देश और सरकार का विश्व पटल पर ये युगांतकारी कदम भी होगा।


वस्तुतः विवाहित प्रेमी-प्रेमिका के भागकर जिन्दगी जीने के क्रम में समसामयिक भारतीय समाज की घोर सच्चाई को बयाँ करती है डॉ० शिवजी श्रीवास्तव जी की कहानी 'आदिम राग'। 'आदिम राग' कहानी कहानी के आवश्यक सभी तत्वों को पालन करते समकालीन भारतीय समाज की घोर सच्चाई की उत्कृष्ट कथा पेश करती है। 'आदिम राग' में 'बुन्देली भाषा' किए गए संवादों ने हमें विशेषरूप से प्रभावित किया। आज के प्रेम-प्रसंगों की सच्चाई जानने और सामाजिक बदलाओ में अपना योगदान देने हेतु हर भारतीय को 'आदिम राग' कहानी जरूर पढ़नी चाहिए।


©️ किसान गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज झाँसी'

(बुंदेलखंडी युवा लेखक, आलोचक, सामाजिक कार्यकर्त्ता)

२८/०२/२०२४, झाँसी, अखंड बुंदेलखंड

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