राम - काब्य में मूल-चेतना' बिसै पे झाँसी में भई रास्ट्रीय संगोस्टी

*** 'राम - काब्य में मूल - चेतना' बिसै पे झाँसी में भई रास्ट्रीय संगोस्टी ***





कल्ल २८ फरबरी २०२४ खों माधबी फोन्डेसन लखनऊ उर दुनियाई साहित्य सेबा नियास आगरा की अगुआई में राजकीय संग्रहघर झाँसी के सभागार में 'राम-काब्य में मूल-चेतना' बिसै पे कराई गई इक दिनाई रास्ट्रीय संगोस्टी में हमाओ रैबो भओ। संगोस्टी कौ संजोजन माधबी फोन्डेसन सैसचिब डॉ० निहालचंद सिबहरे जू झाँसी Nihal Chandra Shivhare नें करौ। यीमें राम-काब्य में मूल-चेतना पे ब्याख्यान भए और राम पे हिन्दी- बुंदेली कबि-सम्मेलन भी भओ। संगोस्टी में देस भर सें बिद्वान, साहित्यकार, पिरोफेसर, कबि-कबियतरी उर सोदार्थी उपस्थित रए।



यी औसर पे पूजनीय आचार्य पुनीत बिसारिया जू Puneet Bisaria खों पूजनीय गुरूजी डॉ० रामसंकर भारती Ramshankar Bharti और हमनें आलोचना ग्रंथ 'डॉ० बिनय कुमार पाठक उर इकइसबीं सदी के बिमर्स' भेंट कौ उर सम्मानित करौ। कायकी यी अनोखे ग्रंथ की सम्मति आचार्य पुनीत बिसारिया नें लिखी हैगी उर गुरूजी डॉ० रामसंकर भारती उर हमनें मिलकें जौ ग्रंथ रचौ हैगो।


यी औसर पे हमाए संगे साथी दीपक नामदेब बुंदेलखंड दीपक नामदेव बुन्देलखण्ड, कल्पना नरबरिया Kalpna Sing उर प्रीतिका बुधौलिया Pritika Budholiya भी उपस्थित रए।





©️ किसान गिरजासंकर कुसबाहा 'कुसराज झाँसी' 

(बुंदेली-बुंदेलखंड अधिकार कारीकरता, लेखक, अगुवाईकारी - बदलाओकारी बिचारधारा)

२९/०२/२०२४

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