समाज में बदलाव लायेंगीं कुशराज की क्रांतिकारी कहानियाँ - दीपक नामदेव बुन्देलखण्ड

 'घर से फरार जिंदगियाँ' कहानी-संग्रह की पुस्तक-समीक्षा -



" समाज में बदलाव लायेंगीं कुशराज की क्रांतिकारी कहानियाँ "


©️ दीपक नामदेव बुन्देलखण्ड

(परास्नातक छात्र - हिन्दी विभाग, बुन्देलखण्ड कॉलेज, झाँसी ; युवा लेखक, सामाजिक कार्यकर्त्ता)

पता - झाँसी मेडिकल कॉलेज के सामने, करगुवांजी, झाँसी (अखण्ड बुन्देलखण्ड)

_ 28/02/2024, झाँसी

                         

सबसे पहले तो मित्र किसान गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज झाँसी' को कहानियों की नई किताब 'घर से फरार जिंदगियाँ' के लिए बहुत-बहुत बधाई। जीवन में मित्रों का होना परम आवश्यक होता है क्योंकि मित्र ही सच्चे साथी होते हैं, जो हमारा हर काम में संग देते हैं और जीवन में तरक्की पाने के हर मार्ग को सुझाते भी हैं। मुझे इस बात का गर्व है कि मुझे कुशराज जैसा मित्र मिला।


'घर से फरार जिंदगियाँ' कहानी-संग्रह की पहली कहानी 'रीना' में किसान और शोषित वर्ग की बहुत ही अच्छी और शानदार प्रस्तुति की गई है। 'रीना' का शिम्मू किसान हमें 'गोदान' के होरी के अनुरूप लगता है। जिस तरह प्रेमचंद जी के समय में किसान की स्थिति थी, वही स्थिति वर्तमान में आज भी है। कुशराज की कहानी 'रीना' आज के किसान की स्थिति को बिल्कुल सटीकता से दर्शाती है।


दूसरी कहानी 'सोनम एक बहादुर बेटी' और  इसी क्रम में 'पंचायत' कहानी समाज की रूढ़िवादी सोच को उजागर करती हुई क्रांतिकारी विचारों के अनुरूप लिखी गई है और आज के युग में जो बच्चे अपने घर से बाहर जाते हैं पढ़ाई करने के लिए और पढ़ाई से विमुख होकर अन्य जुगाड़ शराब आदि की लत में पड़ जाते हैं। एक क्रांतिकारी मित्र कुशराज की यह बदलाव की धारा आज के वर्तमान समय में बहुत ही क्रांतिकारी साबित होगी। 


हर युवक को अपनी सोच बदलनी है और जितना भी समय अपनी पढ़ाई को देना जरूरी है, उतना ही समय अपने जीवन में आने वाली प्रेमिका को भी देना जरूरी है क्योंकि यही उम्र होती है अपने भविष्य का निर्माण करने की और इसी उम्र में प्यार होता है तब बेहद जरूरी हो जाता है कि भविष्य चुने या अपना प्रेम। प्रेम चुना जाता है तो भविष्य रूठ जाता है और यदि भविष्य रूठ जाए तो ऐसे प्रेम का क्या अर्थ होगा जो अपनी जीविका का सही साधन न बन सके। ऐसी ही एक कहानी है 'घर से फरार जिन्दगियाँ'। सफल व्यक्ति की चर्चा सभी करते हैं लेकिन असफल व्यक्ति को समाज में एक घटना की नजर से देखा जाता है इसलिए कुशराज की बदलाव की भावना और इस कहानी से युवाओं को प्रेरणा मिलेगी कि वे सर्वप्रथम अपने भविष्य और जीवन की नींव को मजबूत करें फिर उसके बाद कहीं प्रेम के माया रूपी जाल में प्रवेश किया जाए। साथ ही कुशराज ने भ्रष्टाचार के खातमे की आवाज  'पुलिस की रिश्वतखोरी' कहानी के माध्यम से उठाई है। जब समाज का व्यक्ति ही भ्रष्टाचार के खिलाफ हो जाए तभी भ्रष्टाचार को हम जड़ से उखाड़ फेंक सकते हैं।


हमें विश्वास है कि कुशराज की बदलाव की क्रांति जल्द ही युवाओं को एक नई सामाजिक-बदलाव की धारा से जोड़ेगी। कुशराज के लेखन को उत्तर प्रदेश सरकार और भारत सरकार द्वारा भी प्रकाशित किया जा चुका है।


'घर से फरार जिंदगियाँ' किताब की अंतिम और प्रेरणादायक कहानी है 'अंतिम संस्कार'। यह कहानी सामाजिक-परिवर्तन की प्रेरणा देती है। रूढ़िवादी सोच के साथ ही भेदभाव करने वाली परंपराओं को जड़ से उखाड़ भेंकनें का बिगुल बजाती है और महिला-सशक्तिकरण के साथ ही महिलाओं अधिकारों की बकालत करती है। ऐसी क्रांतिकारी कहानी के लिए कुशराज भाई को बहुत-बहुत बधाई।


जहाँ तक मेरा मानना है कि ये सारी कहानियाँ लेखक कुशराज के व्यक्तिगत जीवन में कहीं-न-कहीं अपना स्थान रखती हैं और आधुनिक भारत के यथार्थ के ऊपर लिखी गईं हैं। कुशराज ये सामाजिक-परिवर्तन हेतु अपने लेखन को हमारे सामने लाते रहेंगें और समाज को नई दिशा देते रहेंगे।



            
     दीपक नामदेव बुन्देलखण्ड







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