हिन्दी कविता : वृद्ध माता-पिता हैं सच्चे हितैषी - कुशराज झाँसी

 हिन्दी कविता - " वृद्ध माता-पिता हैं सच्चे हितैषी "

(बुंदेली कविता - 'बूढ़े बाप-मताई हैं साँचे हितैसी' का हिन्दी अनुवाद)


अरे सरकारी नौकरीवाले भैया,

स्वार्थी पत्नी की बातों में आकर,

वृद्ध माता-पिता को नहीं धिक्कारो।


दुनिया की चकाचौंधीं में पड़कर,

सिर्फ आपाधापी में जीवन नहीं गुजारो,

जिन माता-पिता ने किसानी करके,

अपना जीवन दुःखों में गुजारा,

तुम्हारी पढ़ाई-लिखाई के लिए कर्ज भी लिया।


यही वृद्ध माता-पिता हैं सच्चे हितैषी,

उन जैसा कोई भी नहीं है सच्चा,

इस दुनिया में सब हैं स्वार्थ के भूखे,

चाहे होए पत्नी, दोस्त, यार या रिश्तेदार।


इसलिए हमारा कहना मानो,

वृद्ध माता-पिता की सेवा के लिए,

माँ के दूध का कर्ज चुकाने खातिर,

तुम दोनों पति-पत्नी समय निकालो,

सिर्फ आपाधापी में जीवन नहीं गुजारो।


©️ कुशराज झाँसी

(संस्थापक - अखंड बुंदेलखंड़ महाँपंचयात, झाँसी) 

रचना समय - ३०/०५/२०२४, ११:१५दिन, झाँसी

पता - नन्नाघर, जरबौगॉंव, बरूआसागर, झाँसी, अखंड बुंदेलखंड़

मो. - 8800171019, 9569911051

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