रास्ट्रीय सेबा योजना कौ लच्छ गीत - राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) के लक्ष्यगीत का बुंदेली अनुबाद - किसान गिरजासंकर कुसबाहा 'कुसराज झाँसी'
*** रास्ट्रीय सेबा योजना कौ लच्छ गीत ***
उठें समाज के लानें उठें - उठें
जगें अपन देस के लानें जगें जगें
खुद सजें धरती सँबार दें - २
हम उठें उठेगी दुनिया हमाए संगे साथियों
हम बढ़ें तो सब बढेंगे खुदके खुद साथियों
जमीन पे आकास खों उतार दें - २
खुद सजें धरती सँबार दें - २
उदासियँन खों दूर कर खुसियँन खों बाँटत चलें
गाँओं उर सहिर की दूरियँन खों पाटत चलें
ग्यान खों पिरचार दें पिरसार दें
विग्यान खों पिरचार दें पिरसार दें
खुद सजें धरती सँबार दें - २
सक्तिसाली बच्चे, बूढे उर जनींमांनसें रएँ सदां
हरे भरी डाँग की ओढ़नी ओढ़त रए धरा
तरक्कियँन की इक नई कतार दें - २
खुद सजें धरती सँबार दें - २
जे जात धरम बोलीं बनें न आड़ गेल की।
बढ़ाएं बेल परेम की अखंडता की चाय की।
भाओना सें जो चमन निखार दें।
सदभाओना सें जो चमन निखार दें।
खुद सजें धरती सँबार दें - २
उठें समाज के लानें उठें - उठें
जगें अपन देस के लानें जगें जगें
खुद सजें धरती सँबार दें - २
हिन्दी सें बुंदेली अनुबाद -
©️ किसान गिरजासंकर कुसबाहा 'कुसराज झाँसी'
(छात्त - बुंदेलखंड कालिज, झाँसी ; स्वयंसेबक - रास्ट्रीय सेबा योजना ; युबा बुंदेलखंडी लिखनारो ; समाजिक कारीकरता)
_ ३० मार्च २०२३ _ १:१० दिन _ बुंदेलखंड दुनियाईग्यानपीठ, झाँसी
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