समाज के नाम कुशराज का पत्र
* समाज के नाम कुशराज का पत्र *
जीवन के अमूल्य 25 साल बीत चुके हैं। अब हम ब्रह्मचर्य आश्रम पार करके गृहस्थ आश्रम में प्रवेश करने वाले हैं। शिक्षा-दीक्षा भी पूरी हो चुकी है। दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज, दिल्ली से बी०ए० हिन्दी ऑनर्स, बुंदेलखंड़ विश्वविद्यालय के बुंदेलखंड कॉलेज, झाँसी से एलएल०बी० और बुंदेलखंड़ कॉलेज, झाँसी से ही एम०ए० हिन्दी की उपाधि अर्जित की है। विद्यार्थी जीवन में सहपाठियों, साथियों, शिक्षकों, परिचितों, अपरिचितों, वंचितों, दिव्यांगों, जरूरतमंदों और नेताओं आदि का निःस्वार्थ और निःशुल्क सहयोग किए हैं। समाजसेवा से ही हमारा अनोखा व्यक्तित्व बन पाया है। समाजसेवा ही हमारे लिए ईश्वरसेवा है।
इन 25 सालों में राजनीति, लेखन, शिक्षा, समाज, कानून, कृषि, पर्यावरण के क्षेत्र में विशेष पहचान भी बन गई है। तीन किताबें, एक लघुशोध-प्रबंध और कई शोधपत्र भी प्रकाशित हो चुके हैं। समाजसेवा करने में व्यस्त रहने के कारण अब तक बेरोजगार हैं इसलिए आजकल हम सरकारी सेवा / स्थाई नौकरी हासिल करने हेतु दिन-रात एक करके मेहनत से पढ़ाई कर रहे हैं।
जब तक सरकारी सेवा में नहीं पहुँचते तब तक हम समाजसेवा और परिचितों के किसी भी काम में निःशुल्क सहयोग करने में असमर्थ हैं। क्योंकि अपना घर चलाने के लिए इस समय हमें धन / रूपयों की बहुत आवश्यकता है। फिलहाल 2-5 साल तक आज से हम निःशुल्क सेवा से दूर हैं और समाजसेवा करने में असमर्थ हैं इसलिए समाज और ईश्वर से क्षमा प्रार्थी भी हैं।
आप सभी को सूचित करते हैं कि कोई भी हमसे किसी भी प्रकार की सहायता और सहयोग की अपेक्षा न रखे। हम अभी किसी का कोई भी काम करने में असमर्थ हैं। आज से 2-5 सालों तक हम अपने परिवार और गुरूजनों की सेवा और सहयोग हेतु ही उपलब्ध रहेंगे।
आपका समाजसेवी -
किसान गिरजाशंकर कुशवाहा
'कुशराज झाँसी'
22/7/2024, झाँसी
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