जल्द आ रही है कविता की नई किताब 'आखिर कब तक...?' - कुशराज

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जल्द आ रही है कविता की नई किताब 'आखिर कब तक...?'


 


प्रिय पाठकों, 

हमें आपको सूचित करते हुए बहुत खुशी हो रही है कि आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में हिन्दुस्तानी एकेडमी सम्मान से विभूषित साहित्यकार, सुप्रसिद्ध संस्कृतिकर्मी और आलोचक हमारे पूजनीय गुरूजी 'डॉ० रामशंकर भारती' Ramshankar Bharti की समकालीन विमर्शों - स्त्री, किसान, दलित और आदिवासी आदि पर केंद्रित 75 कविताओं का संकलन 'आखिर कब तक...?' हमारे संपादन में स्वतंत्र प्रकाशन, दिल्ली स्वतंत्र प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड से शीघ्र ही प्रकाशित हो रहा है। कविताओं का चयन और संपादन का दायित्त्व हमें सौंपने हेतु गुरूजी डॉ० रामशंकर भारती तथा स्वतंत्र प्रकाशन, दिल्ली के निदेशक-प्रकाशक आदरणीय सुशील स्वतंत्र जी Sushil Swatantra का हम हृदय से आभार व्यक्त करते हैं।


          हमें पूर्ण विश्वास है कि समकालीनता को समर्पित काव्य-संग्रह 'आखिर कब तक...?' पाठकों, छात्र-छात्राओं, शोधार्थियों और आलोचकों के बीच सराहा जाएगा।


- किसान गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज'

(प्रवर्त्तक - बदलाओकारी विचारधारा, किसानवादी लेखक, बुंदेली-बुंदेलखंड अधिकार कार्यकर्त्ता)

16/09/2024, झाँसी, अखंड बुंदेलखंड


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