अनुष्का मद्धेशिया द्वारा कुशराज की कहानी 'घर से फरार जिंदगियाँ' पर की गई टिप्पणी
अनुष्का मद्धेशिया द्वारा कुशराज की कहानी 'घर से फरार जिंदगियाँ' पर की गई टिप्पणी -
'घर से फरार जिंदगियाँ' कहानी का शीर्षक ही इतना रोचक है कि वो पाठक को पढ़ने के लिए मजबूर करती है। हर्ष और साक्षी का अबोध प्रेम उनके साहस से विवाह में तब्दील होता है। हर्ष एक ब्राह्मण कुल और मध्यम वर्गीय परिवार का लड़का है, जो उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहा है। उसे अपने अच्छे बुरे की परख है, वहीं साक्षी जो मेधावी छात्रा है, लेकिन प्रेम की भावुकता में स्वविवेक का उपयोग करती नहीं दिखाई गई है। वह हर्ष पर आँखें मूंदकर विश्वास करती चित्रित की गई है। हालांकि हर्ष ने उसके विश्वास का मान रखा है। कहानी का अन्त हर्ष के फॉरेंसिक इंस्पेक्टर के रूप में चयनित होकर, अपनी शादी को घर और समाज में स्वीकार कराने से हुआ है। कहानीकार ने इस ओर भी इंगित किया है कि जब तक आप सफल नहीं हो, आपको अपनी इच्छाओं का गला घोंटकर समाज की परंपराओं और रूढ़ियों को मानने के लिए विवश होना पड़ेगा।
कुशराज को बहुत शुभकामनाएँ, वो ऐसे ही आंचलिक और अपनी लोकभाषा के साहित्य को समृद्ध करते रहें।
©️ अनुष्का मद्धेशिया
(शोधार्थी - हिन्दी विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी)
10/02/2025, 11:16 दिन
बीएचयू, वाराणसी
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