आदर्श प्रोफेसर रहे हैं प्रोफेसर संजय सक्सेना - पुनीत बिसारिया
झाँसी : बुंदेलखंड कॉलेज झाँसी के हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर संजय सक्सेना ने पच्चीस वर्षीय सेवा के उपरांत स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली है। परास्नातक हिन्दी पूर्वार्द्ध और उत्तरार्द्ध के छात्र-छात्राओं ने अपने गुरूजी के सम्मान में अभिनंदन और विदाई समारोह महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर संतोष कुमार राय की अध्यक्षता में स्वर्ण जयंती सभागार में आयोजित किया। रूबी जैन ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की।
इस अवसर पर बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झाँसी के पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष आचार्य पुनीत बिसारिया ने कहा, हम पहली बार ऐसा देख रहे हैं कि किसी शिक्षक का विदाई समारोह उनके छात्र-छात्राएँ कर रहे हैं। प्रोफेसर संजय सक्सेना की अद्वितीय शिक्षण शैली से छात्र-छात्राएँ बहुत प्रभावित हैं। विद्वान प्रोफेसर संजय सक्सेना आदर्श प्रोफेसर हैं। उनकी समकालीन कविता, प्रेमचंद, सिनेमा और पत्रकारिता के साथ ही बुंदेली की विशेषज्ञता अनुकरणीय है।
नवनियुक्त हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर नवेन्द्र कुमार सिंह ने कहा, प्रोफेसर संजय सक्सेना हमारे अग्रज-सम हैं। उनकी हमारे जीवन में सबसे बड़ी भूमिका हमें धैर्यवान और सहनशील बनाने में रही है। हमने बुंदेलखंड कॉलेज के कुलगीत की रचना की और उसे सर्वप्रथम स्वर संजय सर ने दिया, जिसके लिए हम हमेशा आभारी रहेंगे। संजय सर सेवानिवृत्त भले ही हो रहें हों, लेकिन हिन्दी विभाग से उनका नाता हमेशा रहेगा, उन्हें हम संगोष्ठी और कार्यक्रमों में आमंत्रित करके विद्यार्थियों को उनके ज्ञान के खजाने से लाभान्वित कराते रहेगें।
प्रोफेसर संजय सक्सेना ने कहा, हमारे विद्यार्थी ही हमारी धरोहर हैं, हमारी पूँजी हैं। पच्चीस वर्षों की शैक्षिक सेवा में एक से बढ़कर एक प्रतिभाशाली विद्यार्थी मिले हैं। जो नेट-जेआरएफ उत्तीर्ण किए हैं, असिस्टेंट प्रोफेसर भी बने हैं। बुंदेलखंड के छात्र-छात्राएँ विपरीत परिस्थितियों में संघर्ष करके उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। विद्यार्थियों के साथ हमारा स्नेह और आशीर्वाद सदा बना रहेगा। वे खूब प्रगति करें। नए-नए कीर्तिमान स्थापित करें।
परास्नातक हिन्दी उत्तरार्द्ध की छात्रा शिवांगी कुमारी सेन ने कहा, प्रोफेसर संजय सर सिर्फ एक शिक्षक नहीं रहे, वो मार्गदर्शक, प्रेरणास्रोत, अभिभावक और कई बार एक मित्र की भूमिका में भी हमारे साथ रहे हैं। उन्होंने हमें किताबों से आगे बढ़कर जिंदगी के पाठ भी पढ़ाए। सर! आप जैसा ना कोई और मिलेगा, हर शब्द आपका यादों में खिलेगा। आपका जाना एक युग का अंत है, पर आपकी विरासत हमारे संग अनंत है।
परास्नातक हिन्दी उत्तरार्द्ध के छात्र प्रखर पटैरिया ने अपने दो वर्ष के अनुभव को साझा करते हुए कहा कि हमने प्रोफेसर संजय सर से वंचितों के प्रति दया भावना, मानवता और संवेदनशीलता जैसे नैतिक मूल्य सीखे। हर परिस्थिति का साहस के साथ सामना करना सीखा। संजय सर हर छात्र-छात्रा को नाम से याद रखते थे। सर की ये प्रवृत्ति छात्र-छात्राओं के लिए गौरव की बात है। सर के बताए मार्ग में सदा चलते रहेंगें।
इसके अलावा शोभित श्रीवास्तव, दीपनारायण ने भी विचार व्यक्त किए। रामरती यादव और सौरभ यादव ने गीत प्रस्तुत किए। रजनी ने स्वागत नृत्य की प्रस्तुति दी। समारोह में बुंदेलखंड विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के महामंत्री अनिरुद्ध गोयल, डॉ० श्याममोहन पटेल, डॉ० वंदना कुशवाहा, पूर्व छात्र गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज', शिवम हरी, नंदकिशोर कुशवाहा, दीपक नामदेव शामिल रहे। संयोजन अनिल साहू और प्रखर पटैरिया ने किया। शरद प्रताप और रामरती यादव ने संचालन किया। अंत में रजनी ने आभार व्यक्त किया।































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