इटावा में किसान कथावाचक मुकुट मणि सिंह के साथ ब्राह्मणवादी दबंगों द्वारा किए गए दुर्व्यवहार और सामाजिक अपमान पर किसानवादी विचारक कुशराज की प्रतिक्रिया

इटावा में किसान कथावाचक मुकुट मणि सिंह के साथ ब्राह्मणवादी दबंगों द्वारा किए गए दुर्व्यवहार और सामाजिक अपमान पर किसानवादी विचारक कुशराज की प्रतिक्रिया 

वीडिया साभार : सोशल मीडिया


उत्तर प्रदेश के इटावा में किसान जाति (यादव उपजाति) के हिन्दू धर्म के सशक्त प्रचारक, कथावाचक मुकुट मणि सिंह के साथ श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ के दौरान ब्राह्मणवादी, मनुवादी और किसान विरोधी दबंगों द्वारा कथा करने से रोकने, उसकी चोटी काटने, सिर मुड़वाने और मानव मूत्र छिड़कने जैसे किए गए अक्षम्य दुर्व्यवहार और सामाजिक अपमान की हम घोर निंदा करते हैं। हम माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी और उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से निवेदन करते हैं कि किसान कथावाचक मुकुट मणि सिंह और उसके साथियों के साथ जिन धर्म विरोधी, किसान विरोधी और जातिवादी दबंगों ने हिंसा और दुर्व्यवहार किया, उन दंबगों पर तत्काल कानूनी कार्यवाही की जाए, उनके घरों पर बुल्डोजर चलाई जाए और किसान कथावाचक के साथ न्याय किया जाए।


हम सरकार से माँग करते हैं कि केन्द्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार साथ ही अन्य राज्य सरकारें एक ऐसा कानून लागू करें, जिसमें हिन्दू धर्म के चारों वर्णों - ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र और चारों वर्गों - सामान्य वर्ग (ब्राह्मण-बनिया), अन्य पिछड़ा वर्ग (किसान), अनुसूचित जाति वर्ग (दलित), अनुसूचित जनजाति (वनवासी) के स्त्री-पुरुषों को हर संस्कृत महाविद्यालय - विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त करने और शिक्षक बनने, धार्मिक कर्मकांड, श्रीमद्भागवत कथा वाचन, श्रीरामकथा वाचन, मंदिरों में पुजारी बनने का समान अधिकार मिले। इस नए कानून में ऐसा प्रावधान हो कि जो हिन्दू धर्म का अनुयायी 'अखिल भारतीय हिन्दू धर्म प्रचारक योग्यता परीक्षा' में सफल होगा, वही धार्मिक कर्मकांड, कथावाचन इत्यादि कार्य करने का अधिकारी होगा।


जब पंडित, किसान, दलित और वनवासी सभी हिन्दू हैं तो फिर किसान, दलित और वनवासियों के पुजारी, कथावाचक बनने पर ब्राह्मणों और ब्राह्मणवादियों को ईर्ष्या - द्वैष क्यों ??? जब पंडित (ब्राह्मण) किसानी कर सकता है तो किसान (पिछड़ा) पंडिताई क्यों नहीं कर सकता। यदि पंडित अपनी सारी कृषि भूमि सरकार और किसानों को सुपुर्द करके किसानी करना छोड़ देंगे तो हम किसान भी पंडिताई करना छोड़ देंगे। यदि ऐसा नहीं हुआ तो हम किसानों को 'हिन्दू राष्ट्र भारत' में पृथक किसान राज्य 'किसान भारत' दिया जावे।


जै जै राम

जै जै सीता

जै जै किसान

जै जै किसान राज्य


©️ किसान गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज'

(किसानवादी विचारक, इतिहासकार - सीसीआरटी, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार)

24/06/2025, झाँसी, अखंड बुंदेलखंड

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