बुंदेलखंड में उच्च शिक्षा का अग्रदूत है झाँसी का बुंदेलखंड कॉलेज - कुशराज
बुंदेलखंड में उच्च शिक्षा का अग्रदूत है झाँसी का बुंदेलखंड कॉलेज
बुंदेलखंड प्राचीनकाल से ही ज्ञान की राजधानी के रूप में विश्व में प्रसिद्ध रहा है। यहीं से भारतीय ज्ञान परंपरा की शुरूआत एवं साहित्य, संस्कृति और शिक्षा व्यवस्था का प्रादुर्भाव हुआ है। यहाँ महर्षि वेदव्यास, आदिकवि वाल्मीकि, अगस्त मुनि, अत्रि ऋषि, विदुषी लोपामुद्रा, गुरू द्रोणाचार्य ने अपने-अपने आश्रमों में रहकर ज्ञान की लोककल्याणकारी धारा प्रवाहित की। तो वहीं आचार्य चाणक्य ने राजनीति का अनोखा पाठ पढ़ाया। लोककवि जगनिक ने वीरता का संचार किया तो वहीं गोस्वामी तुलसीदास ने जनमानस को रामकथा का रसपान कराया। आचार्य केशवदास ने कविता करना सिखलाया तो वहीं ईसुरी ने लोक के दर्शन कराए। झाँसी की रानी वीरांगना लक्ष्मीबाई ने मातृभूमि के लिए लड़ना सिखलाया तो वहीं राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ने भारत भूमि से प्रेम का पाठ पढ़ाया। वृंदावनलाल वर्मा ने इतिहास से परिचित कराया तो वहीं मेजर ध्यानचंद दद्दा ने हॉकी का जादू दिखलाया। पंडित रामनारायण शर्मा ने आयुर्वेद का पाठ पढ़ाया तो वहीं प्रोफेसर राधाचरण गुप्त ने वैदिक गणित के सूत्र समझाए।
आधुनिक बुंदेलखंड के इतिहास, आधुनिक भारत के इतिहास और अकादमिक जगत के इतिहास में भारत की आजादी के दो वर्ष बाद 12 जुलाई सन 1949 में बुंदेलखंड कॉलेज, झाँसी की स्थापना होने से नए युग का सूत्रपात हुआ। बुंदेलखंड कॉलेज की स्थापना अंबिकाप्रसाद सक्सेना रज्जन बाबू, प्रोफेसर क्रांतिवीर डॉ० भगवानदास माहौर, प्रोफेसर शेरसिंह कोठारी, प्राचार्य सुखस्वरूप ने समाजसेवियों और जनता के आर्थिक सहयोग से की थी।
बुंदेलखंड कॉलेज बीकेडी नाम से चर्चित है। इसे बुंदेलखंड कालिज और बुन्देलखण्ड महाविद्यालय के नाम से भी जाना जाता है। झाँसी का बुंदेलखंड कॉलेज बुंदेलखंड में उच्च शिक्षा का अग्रदूत है। इसने बुंदेलखंड में शिक्षा के समस्त संस्थानों का मार्गदर्शन किया है। चाहे वह बुंदेलखंड विश्वविद्यालय परिसर हो या फिर बुंदेलखंड के अन्य महाविद्यालय, संस्थान और विद्यालय। यह महाविद्यालय अखंड बुंदेलखंड का प्राचीन महाविद्यालय है। प्रारंभ में महाविद्यालय आगरा विश्वविद्यालय, आगरा से और फिर कानपुर विश्वविद्यालय, कानपुर से संबद्ध रहा। वर्तमान में बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झाँसी से संबद्ध है।
सन 1975 में स्थापित बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झाँसी ने बुंदेली-साहित्य-इतिहास-संस्कृति-शोध-विकास-परिषद द्वारा जब सन 1978 में त्रैमासिक पत्रिका - बेतवावाणी का प्रकाशन शुरू किया तब सम्पादक और समीक्षक का दायित्व कालजयी ग्रंथ - यश की धरोहर के लेखक, हिन्दी विभाग - बुंदेलखंड कॉलेज, झाँसी के यशस्वी प्रोफेसर क्रांतिवीर डॉ० भगवानदास माहौर को सौंपा। जिससे बेतवावाणी ने बुंदेलखंड पर शोध के क्षेत्र में नए आयाम गढ़े।
सन 1949 में बुंदेलखंड कॉलेज प्रबंध समिति का गठन हुआ था, जिसमें सतीशचंद्र बनर्जी अध्यक्ष और अंबिकाप्रसाद सक्सेना रज्जन बाबू प्रबंधमंत्री बने थे। बिपिन बिहारी इंटर कॉलेज, झाँसी के सभागार में तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार के शिक्षा मंत्री माननीय डॉ० संपूर्णानंद जी के मुख्य आतिथ्य में आयोजित एक सभा में बुंदेलखंड कॉलेज, झाँसी की स्थापना की घोषणा की गई थी। शुरूआत में कुछ महीनों तक बिपिन बिहारी इंटर कॉलेज की दूसरी मंजिल पर कुछ कमरों में बुंदेलखंड कॉलेज की बी०ए० की कक्षाएँ चलीं। इसके बाद इलाहाबाद बैंक चैराहे के समीप एक इमारत के कुछ हिस्से को किराए पर लेकर कक्षाएँ चलीं। सुचारु रूप से बुंदेलखंड कॉलेज का संचालन प्राचार्य शंकरलाल अग्रवाल जी के कुशल नेतृत्व में 3 बड़े कमरों, 2 छोटे कमरों और 2-3 बरामदों वाले भवन से शुरू हुआ। सन 1952 में इस कॉलेज में मात्र 35 विद्यार्थी और 7 शिक्षक थे। सन 1954 तक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, झाँसी मुख्यालय के समीप एक भवन में कॉलेज चला। उस समय झाँसी के कुछ लोग इस कॉलेज को टपरा कॉलेज बोलते थे। उस समय बुंदेलखंड कॉलेज आगरा विश्वविद्यालय, आगरा से संबद्घ था। कॉलेज के वर्तमान भवन हेतु सन 1955 में तत्कालीन प्राचार्य सुखस्वरूप जी और प्रोफेसर शेरसिंह कोठारी जी की प्रेरणा से स्वतंत्रता सेनानी अब्दुल करीम खान जी ने 75 हजार रुपए, पंडित रामनारायण शर्मा वैद्य जी ने 50 हजार रुपए दान किए थे। प्रोफेसर शेरसिंह कोठारी जी के कुशल नेतृत्त्व में तत्कालीन प्राचार्य सुखस्वरूप, प्रोफेसर बी०पी० दरबारी, बिलास राय मिश्रा, गिरीशचंद शर्मा, पी०के० उपाध्याय, सुरेंद्रनाथ वर्मा, छात्र- छात्राएं और समाजसेवी संस्थाओं के सदस्य बाजार, रेलवे प्लेटफॉर्म और विभिन्न कार्यालयों में जाकर कॉलेज के भवन निर्माण हेतु चंदा एकत्रित किया था, जो धनराशि 30 हजार रुपए से अधिक हो गई थी। इसके साथ ही कॉलेज के प्रोफेसर, छात्र-छात्राओं, समाजसेवियों और सरकारी-गैरसरकारी संस्थाओं ने आर्थिक सहयोग किया। सन 1960 में कॉलेज का वर्तमान भवन निर्मित हुआ और उसी वर्ष कॉलेज को विश्वविद्यालय से स्थायी सम्बद्धता मिल गई। शुरूआत में बुंदेलखंड कॉलेज को कला संकाय के इन विषयों की मान्यता मिली थी - हिन्दी, अंग्रेजी, राजनीतिशास्त्र, अर्थशास्त्र, इतिहास, दर्शनशास्त्र, गणित इत्यादि। सन 1961 से विधि की शिक्षा प्रदान करके बुंदेलखंड कॉलेज समाज को न्याय दिलाने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
वर्तमान में बुंदेलखंड कॉलेज प्राचार्य प्रो० एस०के० राय के नेतृत्व में ग्वालियर रोड, सिविल लाइंस झाँसी, अखंड बुंदेलखंड में स्थित भव्य भवन के हरित और स्वच्छ परिसर में कला, वाणिज्य, विधि और शिक्षा संकाय में स्नातक, स्नातकोत्तर और शोध उपाधि न्यूनतम शुल्क में प्रदान कर रहा है। कला संकाय में हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत, राजनीतिशास्त्र, अर्थशास्त्र, इतिहास, गणित, समाजशास्त्र, दर्शनशास्त्र, शिक्षाशास्त्र, भूगोल, मनोविज्ञान इत्यादि विषयों में बी०ए० पाठ्यक्रम और हिन्दी, अंग्रेजी, राजनीतिशास्त्र, अर्थशास्त्र, इतिहास, समाजशास्त्र, भूगोल, गणित, मनोविज्ञान में एम०ए० और पी-एच०डी० पाठ्यक्रम, वाणिज्य संकाय में बी०कॉम०, एम०कॉम० और पी-एच०डी० पाठ्यक्रम, विधि संकाय में एल-एल०बी०, एल-एल०एम० और पी-एच०डी० पाठ्यक्रम, शिक्षा संकाय में बी०एड०, एम०एड० और पी-एच०डी० पाठ्यक्रम संचालित हैं। इसके साथ ही महाविद्यालय में उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज का अध्ययन केंद्र संचालित है। महाविद्यालय में महामना मदनमोदन मालवीय केंद्रीय पुस्तकालय और डॉ० राजेन्द्र प्रसाद विधि पुस्तकालय के साथ ही राष्ट्रीय सेवा योजना (एन०एस०एस०), राष्ट्रीय कैडेट कोर (एन०सी०सी०) और स्कॉउट गाइड (रोवर्स-रेंजर्स) की इकाईयां, कम्प्यूटर प्रयोगशाला, निःशुल्क विधिक सहायता केंद्र और दिव्यांग छात्र-छात्रा सहायता केंद्र संचालित हैं। महाविद्यालय के खेलकूद एवं क्रीड़ा विभाग के खिलाड़ियों ने जहाँ राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है तो वहीं डॉ० वंदना कुशवाहा के प्रशिक्षण में यहाँ के छात्र-छात्रा बुंदेली लोकगीत, लोकनाट्य और लोकनृत्य को देश-दुनिया में प्रदर्शित करके बुंदेली संस्कृति का प्रचार-प्रसार करते हुए कॉलेज का मान बढ़ा रहे हैं। बुंदेली राई नृत्य का अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रदर्शन कर इन कलाकारों ने विशेष ख्याति पाई है। इसके साथ ही वृक्षारोपण कार्यक्रम, सड़क सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम, तिरंगा-मशाल यात्रा, झाँसी की रानी को नमन कार्यक्रम, स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, स्थापना दिवस, पुस्तक मेला, बुंदेली महोत्सव इत्यादि का भव्यता से प्रतिवर्ष आयोजन होता है। यहाँ शोध और अकादमिक क्षेत्र में नवाचार हेतु विभिन्न राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियां आयोजित होती रहती है। विभिन्न प्रतियोगिताएं जैसे निबंध लेखन, कथा वाचन, कविता पाठ, वाद-विवाद, भाषण, पोस्टर, रंगोली प्रतियोगिता इत्यादि के माध्यम छात्र-छात्राओं को अपने व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास करने के सुअवसर प्रदान किए जाते हैं।
बुंदेलखंड कॉलेज ने कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं और अब भी करता जा रहा है। बुंदेलखंड कॉलेज में कभी 24 हजार छात्र-छात्राएं अध्ययन करते थे लेकिन बुंदेलखंड विश्वविद्यालय की नई नीतियों के चलते वर्तमान में लगभग 6 हजार छात्र-छात्राएं ही अध्ययनरत हैं। बुंदेलखंड कॉलेज को नैक मूल्यांकन कराने वाला बुंदेलखंड विश्वविद्यालय का पहला कॉलेज होने का गौरव प्राप्त है। इसे बी ग्रेड प्राप्त है। साथ ही इस कॉलेज को दीक्षांत समारोह आयोजित करने वाले प्रथम कॉलेज होने का भी गौरव प्राप्त है।बुंदेलखंड कॉलेज राजनीति की पौधशाला मानी जाती है। यहाँ के छात्र नेताओं और छात्रसंघ अध्यक्षों ने विधायक, सांसद, मंत्री बनकर राष्ट्रसेवा में अविस्मरणीय योगदान दिया है। यहाँ के पुरातन छात्र रहे राजनेताओं में हरगोविंद कुशवाहा, प्रदीप जैन आदित्य, डॉ० बाबूलाल तिवारी, भानुप्रताप सिंह वर्मा, डॉ० चंद्रपाल सिंह यादव, डॉ० अनुराग शर्मा, दीपनारायण सिंह उर्फ दीपक यादव, रवि शर्मा, राकेश गोस्वामी, प्रदीप सरावगी इत्यादि के नाम प्रमुख हैं। सन 2017 के छात्रसंघ चुनाव के बाद से अब तक बुंदेलखंड कॉलेज में छात्रसंघ चुनाव पर प्रतिबंध लगा हुआ है इसलिए अखंड बुंदेलखंड को नए छात्रनेता और राजनेता नहीं मिल पा रहे हैं लेकिन शिक्षक नेता धड़ल्ले से मिल रहे हैं। यहाँ के पुरातन छात्र-छात्रा उपर्युक्त राजने मिताओं के अलावा साहित्यकार मैत्रेयी पुष्पा, पत्रकार मोहन नेपाली, आलोचक डॉ० शिवजी श्रीवास्तव, इतिहासकार देवेंद्र कुमार सिंह, अभिनेता आरिफ शहडोली, रंगकर्मी माताप्रसाद शाक्य, युवा लेखक किसान गिरजाशंकर कुशवाहा कुशराज रहे हैं। तो वहीं यहाँ प्रोफेसर राजेंद्र सिंह, प्रोफेसर अरविंद अग्रवाल, प्रोफेसर डी०के० मिश्रा, प्रोफेसर श्रीकांत यादव, प्रोफेसर डी०पी० गुप्ता, प्रोफेसर संजय सक्सेना जैसे आदर्श प्रोफेसरों ने सेवाएं दी हैं।
बुंदेलखंड कॉलेज वार्षिक पत्रिका उन्नयन का प्रकाशन करता है, जिसमें छात्र-छात्राओं, प्राध्यापक-प्राध्यापिकाओं, कर्मचारियों को अपने विचार साझा करने का मंच मिलता है। उन्नयन के यशस्वी संपादकों में प्रो० नूतन अग्रवाल, प्रो० संजय सक्सेना, प्रो० नवेंद्र सिंह इत्यादि के नाम शुमार हैं। बुंदेलखंड के राजनेताओं, समाजसेवियों, बुद्धजीवियों और वकीलों की पाठशाला बुंदेलखंड कॉलेज ने अमृत महोत्सव वर्ष सन 2023 में अमृत सरोवर - स्वर्णिम अतीत : स्मृति अक्षर नामक स्मारिका का प्रो० नूतन अग्रवाल के प्रधान संपादन और प्रो० नवेंद्र सिंह के संपादन में प्रकाशन किया। जिसमें कॉलेज के गौरवशाली इतिहास पर पुरातन छात्र-छात्राओं और प्राध्यापक-प्राध्यापिकाओं ने संस्मरण, लेख और छात्राचित्र संकलित हैं।
बुंदेलखंड कॉलेज का अमृत काल चल रहा है। बुंदेलखंड कॉलेज अखंड बुंदेलखंड का एकमात्र कॉलेज है जिसका अपना कुलगीत है। कॉलेज की स्थापना के 76 वें वर्ष में हिंदी विभाग, बुंदेलखंड कॉलेज के अध्यक्ष आचार्य नवेन्द्र कुमार सिंह द्वारा रचित कुलगीत को अपनाया गया। कुलगीत की पंक्तियां इस प्रकार हैं -
गीता की गूँज यहाँ वीणा की तान है।
कॉलेज हमारा बुंदेलखंड की शान है।।
हम हैं महान मेरा गुरुकुल महान है।
विद्या का वरदान, गौरव - गान है।।
12 जुलाई 2025 को बुंदेलखंड कॉलेज, झाँसी ने 77 वां स्थापना दिवस मनाया। साथ ही पुरातन छात्र समिति बुंदेलखंड कॉलेज (बीकेडियन्स) द्वारा पुरातन छात्र सम्मान समारोह आयोजित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना और कुलगीत से हुआ। पुरातन छात्र समिति के अध्यक्ष प्रदीप सरावगी और छात्रसंघ अध्यक्ष ब्रजेन्द्र सिंह यादव भोजला ने अतिथियों का स्वागत किया। समारोह में पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष, छात्रनेता रहे जनप्रतिनिधियों, सेवानिवृत्त प्राध्यापकों, यूजीसी नेट और समस्त पाठ्यक्रमों के सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया गया। इस दौरान कॉलेज के कोठारी हॉल के जीर्णोद्धार हेतु पुरातन छात्र झाँसी महापौर बिहारीलाल आर्य ने 2 करोड़ रुपए और विधान परिषद सदस्या रमा निरंजन ने 25 लाख रुपए देने की घोषणा की। इस पावन अवसर पर छात्र-छात्राओं ने स्वागत गीत, बुंदेली राई नृत्य, ऑपरेशन सिंदूर पर नृत्य नाटिका और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी। मुंबई से पधारे प्रसिद्ध गजल गायक पुरातन छात्र जसवंत सिंह ने वक्त का परिंदा रुका है कहाँ के साथ ही अन्य शानदार गजलें सुनाकर मन मोहा।
यह दिवस बुंदेलखंड के आधुनिक इतिहास का स्वर्णिम दिन का था। इस दिन अखंड बुंदेलखंड राजनेता, शिक्षाविद, कानूनविद और समाजसेवी एक मंच पर विराजमान थे। पुरातन छात्र सम्मेलन में पूर्व छात्रसंघ अध्यक्षों में परमेश्वरीनारायण श्रीवास्तव, मोहनजी गुप्त, विष्णुकांत अग्रवाल, ओमप्रकाश श्रीवास्तव, ओमप्रकाश तिवारी, काशीनाथ श्रृंगीऋषि को सम्मानित किया गया तो वहीं कार्यक्रम के अतिथि पुरातन छात्र रहे राजनेताओं में डॉ० चंद्रपाल सिंह यादव, प्रदीप जैन आदित्य, पवन गौतम, दीपनारायण सिंह उर्फ दीपक यादव, डॉ० रवीन्द्र शुक्ल, गयादीन अनुरागी को सम्मानित किया गया। इसके साथ ही बुंदेलखंड कॉलेज प्रबंध समिति के अध्यक्ष डॉ० केशभान सिंह पटेल, प्रबंधक एडवोकेट मनोहरलाल वाजपेयी, प्रबंध कार्यकारिणी सदस्य राजीव शर्मा, रामप्रकाश अग्रवाल को सम्मानित किया गया। महाविद्यालय की विभूति सम्मान से हरगोविंद कुशवाहा, लक्ष्मीकांत वर्मा, मोहन नेपाली, नरेंद्र वैद्य, सुबोध खाण्डेकर, मो० उस्मान सिद्दीकी, परशुराम यादव, प्रोफेसर किशन यादव, श्वेतांक तिवारी, आर०के० शर्मा, अलखप्रकाश साहू, राजेश पटारिया, कामिनी बघेल, प्रोफेसर आर०सी० श्रीवास्तव सम्मानित किए गए। वहीं मेधावी सम्मान से शुभि यादव, गिरजाशंकर कुशवाहा, सत्यम राज, गिरीश कुमारी पाल, ज्योति आर्य, हिमांशु बांगर इत्यादि को कॉलेज टॉपर एवं यूजीसी नेट उत्तीर्ण करने की उपलब्धि हेतु सम्मानित किया गया। पुरातन छात्र समिति के सचिव एडवोकेट विवेक कुमार वाजपेयी, नीलू साहू, अनुराधा सिंह, चंद्रभान राय और ज्योति ने संयुक्त रूप से संचालन किया। संरक्षक प्राचार्य प्रो० एस०के० राय ने आभार व्यक्त किया। बुंदेलखंड कॉलेज झाँसी की 76 वर्ष की गौरवशाली यात्रा बुंदेलखंडी शिक्षा व्यवस्था का युगांतकारी युग है और भारतीय शिक्षा व्यवस्था का स्वर्णिम युग है। हम चाहते हैं कि बुंदेलखंड कॉलेज, झाँसी को भारत सरकार के अधीन केन्द्रीय विश्वविद्यालय - बुंदेलखंड राष्ट्रीय विश्वविद्यालय, झाँसी का दर्जा दिया जाए। वर्तमान बुंदेलखंड कॉलेज परिसर को पुराना परिसर और बुंदेलखंड राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के नवीन परिसर को नया परिसर बनाया जाए ताकि बुंदेलखंड पुनः ज्ञान की राजधानी के रूप में प्रतिष्ठित हो सके।
©️ किसान गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज'
(पुरातन छात्र - बुंदेलखंड कॉलेज झाँसी, बुंदेली-बुंदेलखंड अधिकार कार्यकर्ता)
18/जुलाई/2025, झाँसी, अखंड बुंदेलखंड




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