बुन्देली विरासत दीर्घा का लोगो लोकार्पण समारोह - कुशराज

 

 बुंदेलखंडी युवा की डायरी 

 12 नवम्बर 2025, झाँसी, अखंड बुंदेलखंड 

बुन्देली विरासत दीर्घा का लोगो लोकार्पण समारोह




प्यारी क्रान्ति,
                  नमस्कार! भौत दिनों बाद मिल रहे अपन। यार पता, पिछले दो-ढाई महीने से हम माननीय कुलपति प्रो० मुकेश पाण्डेय के संरक्षण और गुरूजी प्रो० पुनीत बिसारिया के निर्देशन में बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झाँसी के हिन्दी विभाग में शिक्षक-शिक्षिकाओं, स्नातक-परास्नातक के छात्र-छात्राओं, शोधार्थियों, पुरातन छात्रों और मित्रों के साथ बुन्देली विरासत दीर्घा की स्थापना में लगे हुए थे। बुन्देली विरासत दीर्घा अखंड बुंदेलखंड की समृद्ध विरासत की अनोखी झलक प्रस्तुत करती है। दीर्घा की स्थापना संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार के सहयोग बुन्देली विरासत को जीवंत बनाए रखने हेतु की जा रही है। अपनी बुंदेली संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीनतम संस्कृतियों में से एक है। बुंदेली माटी की कालपी नगरी जिला जालौन में हिन्दूओं के आदिग्रंथ वेद रचे गए। महोबा में विश्व की सबसे प्रचलित लोकगाथा आल्हा की सर्जना हुई। झाँसी की रानी वीरांगना लक्ष्मीबाई ने झाँसी से 'मैं अपनी झाँसी नहीं दूँगी' का उद्घोष करके हर किसी को अपनी माटी, अपनी राज्य, अपनी भाषा और अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए कमर कसने को प्रेरित किया।

आज बुन्देली विरासत दीर्घा के लोगो यानी प्रतीक चिह्न का लोकार्पण समारोह आयोजित हुआ। जिसमें माननीय कुलपति प्रो० मुकेश पाण्डेय, कुलसचिव ज्ञानेन्द्र कुमार और परीक्षा नियंत्रक राजबहादुर ने लोगो का लोकार्पण किया। समारोह को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो० मुकेश पाण्डेय ने कहा - "राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उद्देश्यों में विद्यार्थियों की रचनात्मक क्षमता को उभारना और उन्हें अपनी विरासत की खुशबू से जोड़ना भी शामिल है। हर्ष का विषय है कि दीर्घा के निदेशक, अधिष्ठाता कला संकाय एवं हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो० पुनीत बिसारिया के कुशल संयोजन में विद्यार्थियों ने अपनी रचनात्मक प्रतिभा को प्रस्तुत किया है, जिसका परिणाम बुन्देली विरासत दीर्घा में तैयार की गई कलाकृतियाँ, मूर्तियाँ, चित्र, म्यूरल और थ्री डी मॉडल हैं।"



इस ऐतिहासिक अवसर पर कुलसचिव ज्ञानेन्द्र कुमार ने कहा - "बुन्देली विरासत दीर्घा का भ्रमण करने से संपूर्ण बुन्देलखण्ड की झलक जीवंत हो जाती है। इसमें बनाए गए शिल्प बहुमूल्य हैं और विद्यार्थियों के कला कौशल का शानदार उदाहरण हैं।"

परीक्षा नियंत्रक राजबहादुर ने लोगो के सूत्रवाक्य 'भारतस्य हृदयस्थलम् बुन्देलखण्ड' की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि बुन्देलखण्ड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को एक स्थान पर संजोने का यह अभिनव प्रयास सराहनीय है। बुन्देली विरासत दीर्घा के लोगो की परिकल्पना और रचना हमने और हंसराज वर्मा ने की। लोगो में हम लोगों ने बुन्देली विरासत की एक झलक दर्शायी है इसमें हम लोगों ने कलम-कृपाण-किसान की धरती बुन्देलखण्ड को दिखाते हुए उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र के समस्त सात जिलों - झाँसी, ललितपुर, जालौन, हमीरपुर, महोबा, बाँदा, चित्रकूट आदि की एक-एक प्रतिनिधि सांस्कृतिक-ऐतिहासिक धरोहर को शामिल किया है। इसके साथ ही आधुनिक बुन्देलखण्ड की ज्ञान की राजधानी - बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय को चित्रित किया है और बुन्देलखण्ड  भारत का केन्द्र है, यह दर्शाने हेतु पुराणों में वर्णित सूत्रवाक्य 'भारतस्य हृदयस्थलम्' को विशेष रूप से प्रदर्शित किया है।



कार्यक्रम संयोजक प्रो० पुनीत बिसारिया ने अपने उद्बोधन में कहा - "वर्ष 2024 में संस्कृति विभाग से सहयोग प्राप्त होने के उपरांत बुन्देली विरासत दीर्घा का निर्माण कार्य प्रारंभ किया गया। इसके प्रतीक चिह्न में उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड के सभी सात जनपदों की विशेषताओं को उकेरा गया है। उन्होंने आगे बताया कि इस दीर्घा में वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई की अश्वारूढ़ प्रतिमा, बुन्देलखण्ड की विभूतियों के म्यूरल, चित्र, मूर्तियाँ तथा अनेक सांस्कृतिक पर्वों, मन्दिरों, परम्पराओं और लोक देवताओं एवं विभूतियों के विवरण एवं इतिहास को जीवन किया गया है। शीघ्र ही बुन्देली विरासत दीर्घा का लोकार्पण कराया जाएगा।"

बुंदेली पुनर्जागरण आंदोलन के इस ऐतिहासिक अवसर पर डॉ० अनुपम व्यास, डॉ० श्रीहरि त्रिपाठी, डॉ० नवीन चन्द पटेल, डॉ० बिपिन प्रसाद, डॉ० अनिल बोहरे, अतुल खरे, साबिर अली, डॉ०  द्युतिमालिनी, रामकुमार भतकारिया, गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज', शुभि यादव, हंसराज वर्मा, पर्वत कुमार, अनुराग शर्मा, अम्बर दीक्षित, सागर सोनी, दिशांत, सृष्टि यादव, नेहा यादव, नंदिनी राजपूत, ऋतु राजपूत, राशि चड्डा, रूपा कुशवाहा, सपना राजपूत, सौरभ सिंह, प्रतिभा, रक्षा पटेल, शिवी यादव, नैन्सी सोनी, दीपक यादव, शिखा शिवहरे, मोहिनी रायकवार 'माही', करन पाल, चाहत सिंह, महेंद्र सिंह, ब्रजपाल समेत अनेक विभागों के शिक्षक, शोधार्थी और छात्र- छात्राएँ उपस्थित रहे। डॉ० सुधा दीक्षित ने संचालन किया और डॉ० सुनीता वर्मा ने आभार व्यक्त किया।

           ।। बुंदेली मताई की जै ।।
        ।। जै जै बुंदेलखंड - जै जै बुंदेली।।

©️ किसान गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज'
(बुन्देली-बुन्देलखण्ड अधिकार कार्यकर्ता)


#बुंदेलखंडीयुवाकीडायरी
#कुशराज
#लोकार्पणसमारोह
#आओनिहारेंबुंदेलखंड
#हमाओबुंदेलखंड
#बुन्देलीविरासतदीर्घा 
#बुन्देलखण्डविश्वविद्यालय 
#झाँसी 
#अखंडबुंदेलखंड
#बुंदेली 
#बुंदेलखंड
#बुंदेलीविरासत 
#बुंदेलीसंस्कृति 
#बुंदेलीधरोहर 
#हमहैंबुंदेली

#BundelkhandiYuvaKiDairy
#Kushraaz
#LaunchingProgram 
#AaoNiharenBundelkhand
#HamaoBundelkhand
#BundeliHeritageGallery
#BundelkhandUniversity
#Jhansi
#AkhandBundelkhand
#Bundeli
#Bundelkhand
#BundeliVirasat
#BundeliCulture
#BundeliDharohar
#HumHaiBundeli

Comments