बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय का स्वर्णयुग है कुलपति प्रो० मुकेश पाण्डेय का कार्यकाल - कुशराज

बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय का स्वर्णयुग है कुलपति प्रो० मुकेश पाण्डेय का कार्यकाल



जहाँ हर पत्थर में वीरता की कथा गूँजती है। जहाँ माटी से संस्कृति की सुगंध आती है, वही है हमाओ बुंदेलखंड। जो आदिकाल से ही ज्ञान की राजधानी के रूप में विश्व में विख्यात रहा है। इसी बुंदेली धरती से भारतीय ज्ञान परंपरा की शुरूआत हुई और साहित्य, संस्कृति एवं शिक्षा-पद्धति का प्रादुर्भाव हुआ। महर्षि वेदव्यास, आदिकवि वाल्मीकि, गुरू द्रोणाचार्य ने यहाँ अपने-अपने आश्रमों में रहकर ज्ञान की लोककल्याणकारी धारा प्रवाहित की।  तो वहीं झाँसी की रानी वीरांगना लक्ष्मीबाई ने विश्व में नारी सशक्तिकरण की अनोखी मिसाल प्रस्तुत की। अखंड बुंदेलखंड की सांस्कृतिक और राजनैतिक राजधानी झाँसी, कलम-कला-कृपाण-किसान की भूमि है। 


झाँसी स्थित बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय अखंड बुंदेलखंड में अद्वितीय ज्ञान का केन्द्र है। जिसकी स्थापना 26 अगस्त सन 1975 में की गई थी। वर्ष 1975 में बुन्देलखण्ड कॉलेज, झाँसी में एक कमरा किराए पर लेकर बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय का संचालन शुरू किया गया था। अब वर्ष 2025 में विश्वविद्यालय परिसर का विस्तार 185 एकड़ भूमि में हो गया है। कैमासन की पहाड़ी की तलहटी में स्थित इसका हरा-भरा कैम्पस सबको आकर्षित करता है। इसका कार्यक्षेत्र उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र से सात जिलों - झाँसी, ललितपुर, जालौन, हमीरपुर, महोबा, बाँदा, चित्रकूट तक विस्तृत है। एक कमरे से शुरू हुए इस विश्वविद्यालय में शुरुआत में सिर्फ सात पाठ्यक्रम संचालित थे और आज 90 से अधिक पाठ्यक्रम संचालित हो रहे हैं। वर्तमान में विश्वविद्यालय से 374 कॉलेज सम्बद्ध हैं। उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र की उच्च शिक्षा का आधार यही विश्वविद्यालय है। इस विश्वविद्यालय को उत्तर प्रदेश का सर्वोच्च विश्वविद्यालय / यूपी की नम्बर-1 यूनिवर्सिटी का दर्जा मिल चुका है।



कुलपति प्रो० मुकेश पाण्डेय के प्रेरणादायी नेतृत्व में 26 अगस्त 2025 को बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झाँसी की स्थापना के 50 वर्ष पूरे होने पर स्वर्ण जयंती मनायी गई। इस वर्ष विश्वविद्यालय का 30वां दीक्षांत समारोह विश्वविद्यालय की माननीया कुलाधिपति एवं उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता और डीआरडीओ की महानिदेशक डॉ० चंद्रिका कौशिक के मुख्य आतिथ्य में आयोजित किया गया। जिसमें 34 छात्र-छात्राओं को कुलाधिपति पदक एवं 67 शोध उपाधियाँ प्रदान की गईं। इसके साथ ही विश्वविद्यालय परिसर और सम्बद्ध महाविद्यालयों की 35009 स्नातक-परास्नातक उपाधियाँ प्रदान की गईं।



कुलपति प्रो० मुकेश पाण्डेय के शैक्षिक दर्शन ने विश्वविद्यालय के नाम कई उपलब्धियाँ दर्ज कीं इसलिए इनका कार्यकाल बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय का स्वर्णयुग है। इनका पहला कार्यकाल दिसम्बर 2021 से दिसम्बर 2024 तक रहा। सितंबर 2022 में इन्हें उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा परिषद का सदस्य नामित किया गया और फिर अप्रैल 2023 में इन्हें रक्षा मंत्रालय द्वारा एनसीसी के कर्नल की मानद उपाधि से अलंकृत किया गया। 


प्रो० पाण्डेय के पहले ही कार्यकाल में अगस्त 2024 में विश्वविद्यालय ने अपनी उत्कृष्ट शैक्षिक गुणवत्ता से नैक की सर्वोच्च ए - प्लस प्लस ग्रेड अर्जित कर यह सिद्ध किया कि बुंदेलखंड की मिट्टी में केवल वीर ही नहीं, विद्वान भी जन्म लेते हैं। बुंदेलखंड क्षेत्र का एकमात्र यही विश्वविद्यालय है, जिसे यह उच्चतम ग्रेड मिली है। इसी कार्यकाल में फरवरी 2024 में विश्वविद्यालय को भारत सरकार की योजना प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान (पीएम-उषा) के लिए चुना गया, जिसमें विश्वविद्यालय को 100 करोड़ का अनुदान दिया गया। इसके अंतर्गत मल्टी डिसिप्लिनरी एजूकेशन एण्ड रिसर्च यूनिवर्सिटी (मेरु) के तौर पर बुंदेलखंड विश्वविद्यालय को चयनित किया गया। विश्वविद्यालय में डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी ने विश्वविद्यालय में टेक्नोलॉजी इनेबलिंग सेंटर स्थापित किया है। इसके साथ ही इनोवेशन सेंटर के द्वारा निरंतर कई पेटेंट विश्वविद्यालय के नाम दर्ज हुए। चितेरी, संचारिका आदि पत्र-पत्रिकाओं और रिसर्च जर्नल का प्रकाशन शुरू हुआ है। प्रो० पांडेय ने विश्वविद्यालय में शोध को गति प्रदान करने हेतु सीड प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई, जिसके अन्तर्गत विश्वविद्यालय के प्रोफेसर बुंदेलखंड में विकास की संभावनाओं को खोज रहे हैं। इसके साथ ही विश्वविद्यालय में एनएसएस से राष्ट्र सेवा और एनसीसी से राष्ट्र रक्षा हेतु युवा छात्र-छात्राओं को तैयार किया जा रहा है।


प्रो० पांडेय के कुशल नेतृत्व के कारण ही इन्हें 01 नवम्बर 2024 से बाँदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, बाँदा के कार्यवाहक कुलपति नियुक्त किया गया। प्रो० पाण्डेय ही बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के ऐसे दूसरे कुलपति हैं, जिन्हें लगातार दूसरा कार्यकाल मिला है। 21 वर्ष पूर्व प्रो० रमेश चंद्रा के बाद यह गौरव पुनः बुंदेलखंड विश्वविद्यालय को प्राप्त हुआ। दूसरे कार्यकाल में पांडेय जी ने विश्वविद्यालय का वर्ल्ड रैंकिंग में नाम दर्ज कराने के साथ ही एनआईआरएफ की उच्च रैंक पाने का संकल्प लिया है। अप्रैल 2025 में जारी आईआईआरएफ रैंकिंग 2025 में विश्वविद्यालय के प्रबंधन अध्ययन संस्थान को देश में 92वां और उत्तर प्रदेश में 13वां स्थान मिला है। जून 2025 में विश्वविद्यालय को लगातार तीसरे वर्ष उत्तर प्रदेश बीएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा का दायित्व मिला, जो कुलपति प्रो० पाण्डेय के अद्वितीय नेतृत्व का सूचक है। जून 2025 में प्रतिष्ठित वैश्विक उच्च शिक्षा रैंकिंग मंच - यूनीरैंक द्वारा जारी वर्ष 2025 की रैंकिंग में विश्वविद्यालय ने भारत के शीर्ष 200 विश्वविद्यालयों में 178वां स्थान प्राप्त कर वैश्विक मंच पर बुंदेलखंड की पहचान को नई ऊँचाई दी। जो यह मिसाल पेश करता है कि क्षेत्रीय संस्थान भी वैश्विक मानचित्र पर अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कर सकते हैं।  


जुलाई 2025 में बुंदेलखंड विश्वविद्यालय को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग / यूजीसी द्वारा भारतीय उच्च शिक्षा व्यवस्था में कैटेगरी-1 विश्वविद्यालय का प्रतिष्ठित दर्जा प्रदान किया गया। इस उपलब्धि के साथ ही बुंदेलखंड विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश के 4 और देश के 24 विश्वविद्यालयों में शामिल हो गया है, जिनको यह प्रतिष्ठित दर्जा प्राप्त है। अब विश्वविद्यालय नए पाठ्यक्रम शुरू करने, विदेशी संकाय की नियुक्ति और अंतराष्ट्रीय सहयोग के लिए स्वायत्तता हासिल कर लिया है। विश्वविद्यालय के इस सम्मान को शैक्षिक गुणवत्ता, शोध, नवाचार और समर्पित शिक्षण व्यवस्था का परिदूरस्थणाम है। यह उपलब्धि बुंदेलखंड की शिक्षा में मील का पत्थर साबित हो रही है। सितंबर 2025 में जारी एनआईआरएफ रैंकिंग 2025 में विश्वविद्यालय के फार्मेसी संस्थान को देश में 68वां स्थान मिला है। सत्र 2024-25 से कला संकाय के अंतर्गत हिन्दी विभाग में इतिहास, राजनीतिशास्त्र एवं भूगोल में बीए ऑनर्स पाठ्यक्रम शुरू किए थे। इसके साथ ही संस्कृत का भी पाठ्यक्रम भी शुरू किया था।


विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप सत्र 2025-26 से कला, विज्ञान और वाणिज्य संकाय चार वर्षीय स्नातक (शोध के साथ स्नातक) पाठ्यक्रम विश्वविद्यालय परिसर के संस्थानों और सम्बद्ध महाविद्यालयों में प्रारंभ किए हैं। विश्वविद्यालय ने शीघ्र ही दूरस्थ शिक्षा एवं मुक्त शिक्षा पाठ्यक्रम शुरू करने की घोषणा की है। इसके साथ ही प्रो० पाण्डेय ने बुंदेली भाषा और संस्कृति के विकास हेतु निदेशक प्रो० पुनीत बिसारिया के नेतृत्व में हिन्दी विभाग में बुंदेली विरासत दीर्घा की स्थापना करायी है, जिसमें बुंदेलखंड की धरोहर का अध्ययन करने के साथ ही बुंदेलखंड की विरासत पर शोध किया जा सकेगा। इसके साथ ही झाँसी के यशस्वी सांसद डॉ० अनुराग शर्मा द्वारा बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय परिसर में पंडित डॉ० विश्वनाथ शर्मा बुंदेलखंड विरासत संस्थान / पंडित डॉ० विश्वनाथ शर्मा बुंदेलखंड हेरिटेज इंस्टीट्यूट की स्थापना की गई है, जिसके भवन निर्माण का कार्य चल रहा है। इस संस्थान में बुंदेलखंड के ज्ञान-विज्ञान की समस्त शाखाओं का अध्ययन-अध्यापन और शोध किया जाना है। इसमें संचालित पाठ्यक्रमों से विद्यार्थियों को बुंदेलखंडी लोक, कला, भाषा, साहित्य, संस्कृति, पर्यटन, इतिहास और बुंदेलखंडी ज्ञान परम्परा का अध्ययन कर करेंगे और भारतीय ज्ञान परंपरा में बुंदेलखंड के योगदान पर गर्वित होंगे। विश्वविद्यालय में स्थापित बुंदेली-बुंदेलखंड केंद्रित संस्थान, विभाग, पाठ्यक्रम आदि में सृजित समस्त पदों पर बुंदेलखंडी व्यक्तियों की ही नियुक्ति करके यशस्वी कुलपति प्रो० मुकेश पाण्डेय नया इतिहास रचेंगे।



आज 05 नवम्बर 2025 को जारी क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग्स - एशिया 2026 में बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय ने 901-950 रैंक और दक्षिण एशिया में 297 रैंक के साथ वैश्विक शिक्षा मानचित्र पर सशक्त उपस्थिति दर्ज कर नया कीर्तिमान रचा है। जो प्रमाण है कि यदि नेतृत्व दूरदर्शी हो, तो पहाड़ों की तलहटी से भी ज्ञान की ज्योति अखण्ड विश्व को आलोकित कर सकती है। हम क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग्स की युगान्तकारी उपलब्धि हेतु कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल और कुलपति प्रो० मुकेश पाण्डेय को भौत-भौत बधाई देते हैं। बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय उच्च शिक्षण संस्थान के साथ ही अकादमिक पुनर्जागरण का एक आंदोलन बन चुका है।

 

©️ किसान गिरजाशंकर कुशवाहा ‘कुशराज’

(बुंदेली-बुंदेलखंड अधिकार कार्यकर्ता)

    05 नवम्बर 2025,

जरबौगाँव, झाँसी, अखंड बुंदेलखंड

मो० - 9569911051, 8800171017

ईमेल - kushraazjhansi@gmail.com

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