Wednesday 24 July 2024

वेश्या विमर्श की कविता : नेकचलनी की जिंदगी जी - सतेंद सिंघ किसान

 वेश्या विमर्श की कविता -

"नेकचलनी की जिंदगी जी"


काय री! कुलच्छनी

तैं औरत जात खों

काय बदनाम कर रई  

रण्डी तौ देह अकेलें नंईं, 

अपंईं मानमरजादा उर

अपनौं सबँई मानसम्मान बेचत है

कुल गोत खों पलीता लगाउत

खुदंई सगरी कौम कौ करिया मौं करतई।


तैं कबै समझेगी

तैं कबै सम्भलेगी

बाजारू होबो तोय उमदा लगत है का

या सीधीसादी भलमनसाहत की जिंदगी जीबौ

समाज बदल रयौ है

तैंऊ तौ बदल जा

आ हमरे संग्गै मिलकें

नेकचलनी सैं जी।


स्वाभिमानी बनकैं गरब कर

काय तैं साहस की जुआला है

औरत की इज्जत - आबरु

सगरी दुनिया कौ मान है।।


©️ सतेंद सिंघ किसान


भासा : कछियाई - बुंदेली

रचनाकाल : २४/०१/२०१९, ०८:०६दिन, दिल्ली

सुदार : २२/०७/२०२४, ०२:३५दिन, झाँसी

Tuesday 23 July 2024

समाज के नाम कुशराज का पत्र

 * समाज के नाम कुशराज का पत्र *


जीवन के अमूल्य 25 साल बीत चुके हैं। अब हम ब्रह्मचर्य आश्रम पार करके गृहस्थ आश्रम में प्रवेश करने वाले हैं। शिक्षा-दीक्षा भी पूरी हो चुकी है। दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज, दिल्ली से बी०ए० हिन्दी ऑनर्स, बुंदेलखंड़ विश्वविद्यालय के बुंदेलखंड कॉलेज, झाँसी से एलएल०बी० और बुंदेलखंड़ कॉलेज, झाँसी से ही एम०ए० हिन्दी की उपाधि अर्जित की है। विद्यार्थी जीवन में सहपाठियों, साथियों, शिक्षकों, परिचितों, अपरिचितों, वंचितों, दिव्यांगों, जरूरतमंदों और नेताओं आदि का निःस्वार्थ और निःशुल्क सहयोग किए हैं। समाजसेवा से ही हमारा अनोखा व्यक्तित्व बन पाया है। समाजसेवा ही हमारे लिए ईश्वरसेवा है।


इन 25 सालों में राजनीति, लेखन, शिक्षा, समाज, कानून, कृषि, पर्यावरण के क्षेत्र में विशेष पहचान भी बन गई है। तीन किताबें, एक लघुशोध-प्रबंध और कई शोधपत्र भी प्रकाशित हो चुके हैं। समाजसेवा करने में व्यस्त रहने के कारण अब तक बेरोजगार हैं इसलिए आजकल हम सरकारी सेवा / स्थाई नौकरी हासिल करने हेतु दिन-रात एक करके मेहनत से पढ़ाई कर रहे हैं।


जब तक सरकारी सेवा में नहीं पहुँचते तब तक हम समाजसेवा और परिचितों के किसी भी काम में निःशुल्क सहयोग करने में असमर्थ हैं। क्योंकि अपना घर चलाने के लिए इस समय हमें धन / रूपयों की बहुत आवश्यकता है। फिलहाल 2-5 साल तक आज से हम निःशुल्क सेवा से दूर हैं और समाजसेवा करने में असमर्थ हैं इसलिए समाज और ईश्वर से क्षमा प्रार्थी भी हैं। 


आप सभी को सूचित करते हैं कि कोई भी हमसे किसी भी प्रकार की सहायता और सहयोग की अपेक्षा न रखे। हम अभी किसी का कोई भी काम करने में असमर्थ हैं। आज से 2-5 सालों तक हम अपने परिवार और गुरूजनों की सेवा और सहयोग हेतु ही उपलब्ध रहेंगे।



आपका समाजसेवी -

किसान गिरजाशंकर कुशवाहा

'कुशराज झाँसी'

22/7/2024, झाँसी

Friday 19 July 2024

किसान गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज झाँसी' की आलोचना पर टिप्पणी...

" आलोचना कभी निर्मम नहीं होती, उसमें आलोचक की रचनाकार के प्रति अनोखी ममता झलकती है। "

©️ किसान गिरजाशंकर कुशवाहा

'कुशराज झाँसी'

19/7/2024_10:25रात_झाँसी


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Tuesday 9 July 2024

26वें जन्मदिन पर युवा लेखक, सामाजिक कार्यकर्त्ता कुशराज के नाम उनके गुरूजी डॉ० रामशंकर भारती का संदेश

 *** 26वें जन्मदिन पर युवा लेखक, सामाजिक कार्यकर्त्ता कुशराज के नाम उनके गुरूजी डॉ० रामशंकर भारती का संदेश ***


प्रिय कुशराज!

आज तुम्हारा जन्मदिन है। नए सकारात्मक संकल्प, नई ऊर्जा और संवेदनाओं को अपनी साँसों के साथ लेकर राष्ट्र निर्माण के महती कार्य को समर्पित होकर करते रहना है। साहित्य, समाज और संस्कृति का उद्देश्य मनुष्य निर्माण करना है। सामाजिक सरोकारों की पूर्ति के लिए जीवनमूल्यों को आत्मसात् करते रहिए।भारतीय मनीषा का अध्ययन, मनन, चिंतन करते हुए अपने भीतर के सूरज को हर उस जगह उगाना है, जहाँ अँधेरे कुण्डली मारे बैठे हैं। अपने पुरखों की गौरवशाली परंपरा को संरक्षित करते रहिए। मसिधर्मी होने के मायने भी यही हैं।

उत्तरोत्तर प्रगति करिए। परमात्मा से यही मंगल कामना करता हूँ।

जन्मदिन की अशेष शुभाकाँक्षाएँ।

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©️ डॉ० रामशंकर भारती

(बुंदेली लोकसंस्कृतिकर्मी - साहित्यकार)

३० जून २०२४, झाँसी

विजयादशमी 12 अक्टूबर 2024 से प्रकाशित पोलिटिकल बाजार के नए स्तम्भ 'कवि और कविताएँ' पर कुशराज की टिप्पणी

विजयादशमी 12 अक्टूबर 2024 से प्रकाशित पोलिटिकल बाजार के नए स्तम्भ 'कवि और कविताएँ' पर कुशराज की टिप्पणी - "पोलिटिकल बाजार के सं...