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बदलाओकारी विचारधारा / कुशराजवाद / किसानवाद के प्रवर्त्तक - किसान गिरजाशंकर कुशवाहा / कुशराज झाँसी / सतेंद सिंघ किसान के साहित्यिक, भाषाई, आंचलिक, क्षेत्रीय, देहाती, शहरी, सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक, शैक्षिक, धार्मिक, नैतिक, वैज्ञानिक, सिनेमाई, पर्यावरणीय, दार्शनिक, ऐतिहासिक, विमर्शीय (किसान विमर्श, स्त्री विमर्श, आदिवासी विमर्श, पुरुष विमर्श, वेश्या विमर्श, दिव्यांग विमर्श, किन्नर विमर्श, पर्यावरण विमर्श...) और अनुदित लेखन का हिन्दी, कछियाई, बुंदेली और अंग्रेजी भाषा में संकलन...
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Showing posts from October, 2024
विजयादशमी 12 अक्टूबर 2024 से प्रकाशित पोलिटिकल बाजार के नए स्तम्भ 'कवि और कविताएँ' पर कुशराज की टिप्पणी
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कविता : मैं नहीं, वो ही जानते हैं - कुशराज
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आचार्य पुनीत बिसारिया के सिनेमा संबंधी साप्ताहिक स्तम्भ के लेख 'कैसा होगा भारतीय विशेषकर हिन्दी सिनेमा का भविष्य' पर कुशराज की टिप्पणी
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डॉ० रामशंकर भारती की कविता 'बीज' पर कुशराज की टिप्पणी
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