सिविल सेवा में अंग्रेजी माध्यम की अपेक्षा हिन्दी माध्यम से सिलेक्शन बहुत कम क्यों होते - कुशराज झाँसी

 लेख - " सिविल सेवा में अंग्रेजी माध्यम की अपेक्षा हिन्दी माध्यम से सिलेक्शन बहुत कम क्यों होते ?" 



          सिविल सेवा की तैयारी करते लेखक कुशराज झाँसी


हाल ही में संघ लोकसेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा 2020 के अंतिम परिणाम जारी किए गए। इस बार कुल 761 अभ्यर्थी चयनित हुए, जिसमें सिर्फ 11 अभ्यर्थी ही हिन्दी माध्यम से हैं और बाकी के अंग्रेजी माध्यम से। आखिर क्या बजह है कि अंग्रेजी माध्यम के अभ्यर्थी ही ज्यादातर सिविल सेवा में सफल होते हैं और टॉप रैंक पाते हैं और हिन्दी माध्यम से कई प्रयासों के बाद बहुत कम अभ्यर्थी सफल हो पाते हैं। क्यों देश की राजभाषा हिन्दी में सिविल सेवा परीक्षा पास करना कठिन है? क्या हिन्दी में सिविल सेवा परीक्षा हेतु मानक पाठ्यसामग्री नहीं है या फिर हिन्दी माध्यम के अभ्यर्थी कम मेहनत करते हैं, ऐसे कई सवाल हैं। जो हम सबको सोचने मजबूर करते हैं। हम चाहते हैं कि सिविल सेवा में भी भाषाई आधार पर आरक्षण की व्यवस्था हो। संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कुल 22 भाषाओं में जनसंख्या के हिसाब से अभ्यर्थियों को आरक्षण दिया जाए। जैसे देश की लगभग 50 फीसदी जनसंख्या हिन्दी भाषी है तो हिन्दी भाषियों को कम से कम 25 फीसदी सीटें आरक्षित हों और 40 फीसदी सीटें आरक्षित रखी जाएँ बाकी अन्य भाषाओं के अभ्यर्थियों हेतु आरक्षित की जाएँ तभी देश की राजभाषा हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं के अभ्यर्थियों को लोकसेवा के माध्यम से देशसेवा करने का अवसर मिलेगा। 


©️ गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज झाँसी'

(सिविल सेवा अभ्यर्थी एवं युवा लेखक, झाँसी)

_29/9/2021_09:15रात_ झाँसी

(पाठकनामा दैनिक जागरण झाँसी - 29/9/2021 हेतु)






Comments

  1. बिल्कुल बड़े भाईसाहब हिंदी माध्यम के विद्यार्थियों के लिए आरक्षित सीटें हों

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    1. आप सबका साथ मिला तो जरूर सीटें आरक्षित करवाएँगे। 8800171019 पर सम्पर्क करें

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