झाँसी के युवा लेखक गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज झाँसी' को नेपाल में दिया जाएगा नोबुल टैलेंट इंटरनेशनलअवॉर्ड 2024

*** झाँसी के युवा लेखक गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज झाँसी' को नेपाल में दिया जाएगा नोबुल टैलेंट इंटरनेशनलअवॉर्ड 2024 ***



भगवान बुद्ध की जन्मभूमि लुम्बिनी नेपाल में शब्द प्रतिभा बहुक्षेत्रीय सम्मान फाउंडेशन नेपाल द्वारा आयोजित होने वाले कार्यक्रम नोबुल टैलेंट इंटरनेशनल  अवॉर्ड प्रोग्राम 2024 में मिलने वाले सम्मान - नोबुल टैलेंट इंटरनेशनलअवॉर्ड 2024 हेतु झाँसी के जरबो गॉंव, बरूआसागर निवासी किसान हीरालाल कुशवाहा एवं किसानिन ममता कुशवाहा के पुत्र और समाजसेवी पीताराम कुशवाहा के पोते युवा लेखक गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज झाँसी' का हिन्दी साहित्य सेवा और हिन्दी भाषा के उत्थान में अमूल्य योगदान हेतु चयन हुआ है। चयन होने पर झाँसी के साहित्यकारों और साथियों ने बधाई दी। इनके साहित्यिक गुरू बुंदेलखंड के वरिष्ठ साहित्यकार - संस्कृतिकर्मी डॉ० रामशंकर भारती जी हैं।




कुशराज हिन्दी और बुन्देली भाषा में कहानियाँ, कविताएँ, डायरी, वैचारिक लेख, स्त्री विमर्श, इतिहास आदि लिखते हैं। विशेषकर ये किसान विमर्श, पुरुष विमर्श और वेश्या विमर्श को अस्मितामूलक विमर्श की मुख्यधारा में लाने हेतु और बुंदेली को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने हेतु संघर्षरत हैं।




कुशराज की पहली किताब - पंचायत सन 2022 में झाँसी के यशस्वी कमिश्नर डॉ० अजय शंकर पांडेय के मार्गदर्शन और सुप्रसिद्ध लेखक, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के तत्कालीन विभागाध्यक्ष आचार्य पुनीत बिसारिया की अध्यक्षता में गठित बुंदेलखंड साहित्य उन्नयन समिति की पहल गुमनाम से नाम की ओर के अंतर्गत अनामिका प्रकाशन प्रयागराज से प्रकाशित हुई है। कुशराज बुन्देलखंड साहित्य उन्नयन समिति झाँसी के सदस्य हैं और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व कार्यकर्त्ता रहें हैं।




कुशराज ने संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के कार्यक्रम आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत डीडीआर प्रोजेक्ट के लिए भारतीय इतिहास के स्वर्णिम पन्ने - स्वतंत्रता संग्राम की कहानियाँ लिखीं हैं और अब तक आठ कहानियाँ आजादी का अमृत महोत्सव पोर्टल पर प्रकाशित भी हो चुकी हैं। 




कुशराज बचपन से ही प्रतिभाशाली रहे हैं। इन्होंने सन 2013 में लेखन शुरू किया था। इनकी इंटरमीडिएट तक शिक्षा सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज, बरूआसागर, झाँसी से हुई, जहाँ ये छात्रसंसद में उपप्रधानमंत्री और प्रधानमंत्री रहे। इन्हें साहित्य के लिए पहला सम्मान इनके विद्यालय सरस्वती विद्या मंदिर द्वारा सर्वश्रेष्ठ कवि सम्मान - 2016 मिला था।



इन्होंने उच्च शिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज से अर्जित की। जहाँ इन्होंने बी० ए० हिन्दी ऑनर्स की डिग्री की और कॉलेज की विभिन्न समितियों में सक्रिय रहकर हिन्दी साहित्य परिषद एवं इक्वल अपॉर्च्युनिटी सेल के महासचिव पद को सुशोभित किया। इनको दिव्यांगों की सेवा हेतु हंसराज कॉलेज की इनेबलिंग यूनिट एण्ड इक्वल अपॉर्च्युनिटी सेल ने बेस्ट वालिंटियर अवॉर्ड - 2018 से सम्मानित किया। ये हंसराज कॉलेज छात्र - संघ 2019 - 20 में सविच पद के उम्मीदवार भी रहे। 




कोरोना काल में दिल्ली से ये अपनी जन्मभूमि वापिस लौट आए फिर इन्होंने बीकेडी कॉलेज से एल० एल० बी० की डिग्री ली और बुन्देलखंड विश्वविद्यालय के छात्र - छात्राओं की समस्याओं को दूर करने में संघर्ष किया। इसके साथ ही इन्होंने वंचित छात्र - छात्राओं को बदलाओ की पाठशाला का संचालन करके निःशुल्क कोचिंग दी। इसके साथ ही अपने एनजीओ बदलाओ - जन जागरूकता के लानें के द्वारा पर्यावरण संरक्षण हेतु विगत 3 सालों से वृक्षारोपण और वृक्ष रक्षासूत्र बंधन कार्यक्रम चलाते आ रहे हैं। कुशराज वर्तमान में लेखन और सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहते हुए बुंदेलखंड कॉलेज से हिन्दी से एम० ए० कर रहे हैं।




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