Thursday, 30 January 2025

डॉ० मधु ढिल्लों की किसान विमर्श की कविता पर किसानवादी युवा आलोचक गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज' की टिप्पणी

डॉ० मधु ढिल्लों की किसान विमर्श की कविता पर किसानवादी युवा आलोचक गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज' की टिप्पणी -

"डॉ० मधु ढिल्लों ने 'किसान भाईयों! जागो फिर एक बार' कविता में 21वीं सदी के भारतीय किसानों की दशा और दिशा का बखूबी चित्रण किया है। तमाम गुटों और हजारों जातियों में बटें किसान वर्ग से एकजुट होने की अपील की है और अपनी फसलों के दाम तय कराने हेतु यानी सभी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू कराने हेतु किसान आंदोलन में शामिल होने की अपील की है और ये चेतावनी दी है कि यदि किसान अभी नहीं जागे तो फिर उनकी आने वाली पीढ़ियां किसानी धर्म से विमुख हो जायेगीं। डॉ० मधु ढिल्लों को किसान चेतना की कविता के प्रणयन हेतु भौत-भौत बधाई।"

३० जनवरी २०२५, झाँसी

(अखंड बुंदेलखंड)


कविता : किसान भाईयों! जागो फिर एक बार 

अलग अलग गुटों में बंटा है 

आज देश का किसान 

देश के किसान भाईयों 

जरा सोचो एक बार आप

सबसे पहले हो आप किसान 

बाद में हो आप सैनी,

अहीर, जाट, गुज्जर,

नाई, तेली और ब्राह्मण।


अपनी फसलों के दाम के लिए 

तो इक्ट्ठे हो जाओ

नहीं तो वो दिन दूर नहीं है 

जब अपनी आँखों के सामने आप

अपनी जमीन को बिकते देखोगे 

आपकी आने वाली पीढ़ी

खेती से मुख मोड़ लेगी,

जरा सोचा फिर एक बार

किसान भाईयों! जागो फिर एक बार। 

  ©️ डॉ० मधु ढिल्लों 

सहायक आचार्य हिन्दी 

राजकीय महिला महाविद्यालय, हिसार (हरियाणा)

Wednesday, 29 January 2025

अभिनय उत्सव 2025 में सम्मानित हुए संस्कृतिकर्मी


अभिनय उत्सव 2025 में सम्मानित हुए संस्कृतिकर्मी


झाँसी : विगत 27 जनवरी 2025 को वीरांगना झलकारीबाई नाट्य समिति और अभिनय गुरूकुल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित पाँच दिवसीय अभिनय उत्सव 2025 का वीरांगना झलकारीबाई नाट्य समिति  के मंच पर रंगारंग समापन हो गया। समापन समारोह के अवसर पर आयोजित रंगगोष्ठी के पहले सत्र में  बुंदेली रंगमंच और सिनेमा पर बुंदेली-बुंदेलखंड अधिकार कार्यकर्त्ता गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज' ने शोधपत्र का वाचन करते हुए कहा चरखारी के पारसी थियेटर से बुंदेली रंगमंच और सिनेमा की शुरुआत हुई, इसके विकास में राजा बुंदेला की प्रथा, देवदत्त बुधौलिया की ढडकोला, आरिफ शहडोली की गुठली लड्डू, माताप्रसाद शाक्य के नाटक टैसू, टीवी धारावाहिक गुड़िया हमारी सब पे भारी का ऐतिहासिक योगदान रहा है, बुंदेली रंगमंच और सिनेमा ने बुंदेली भाषा, संस्कृति और बुंदेलखंड की विश्व पटल पर अनोखी पहचान बनाने में सफलता पायी है। लोकसंस्कृतिकर्मी डॉ० रामशंकर भारती ने अध्यक्षीय वक्तव्य में रंगमंच की उपयोगिता पर प्रकाश डाला। मुख्य अतिथि डॉ० बी० डी० आर्य ने कहा रंगमंच और थिएटर की दुनिया से निकलकर जो कलाकार फिल्म जगत में अपनी पहचान बना रहे हैं, उसमें थिएटर और रंगमंच का बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने रंगकर्मियों के प्रोत्साहन के लिए आर्थिक सहयोग देने की बात कही। विशिष्ट अतिथि हंसराज बौद्ध, निहालचंद्र शिवहरे, हरिप्रकाश परिहार, श्यामशरण नायक 'सत्य' और गंगाराम रहे। साहित्यकार निहाल चंद्र शिवहरे ने बुंदेली रंगमंच के संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया। इस दौरान सत्य सनातन संस्कृति मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्यामशरण नायक 'सत्य' द्वारा रंगमंच गुरू रामस्वरूप चक और रंगकर्मी माताप्रसाद शाक्य को न्यास द्वारा कलाभूषण सम्मान से अलंकृत किया गया। संगोष्ठी के दूसरे सत्र में जाने-माने रंगकर्मी और फिल्म अभिनेता आरिफ शहडोली निर्देशित नाटक 'बुद्धम् शरणम् गच्छामि' का मंचन वरिष्ठ रंगकर्मी माताप्रसाद शाक्य द्वारा किया गया। माताप्रसाद शाक्य ने एकल नाटक में भगवान बुद्ध, डाकू अंगुलीमाल, अम्बालिका और सम्राट अशोक के जीवन की मनमोहक प्रस्तुति दी। जिसे दर्शकों ने बहुत सराहा। इस दौरान बुंदेलखंड के साहित्य, कला, संगीत, रंगमंच और फिल्म से जुड़े संस्कृतिकर्मियों में ब्रह्मा दीनबंधु, अभिनेता देवदत्त बुधौलिया, रंगकर्मी नंदू झा, युवा आलोचक गिरजाशंकर कुशवाहा कुशराज, रंगकर्मी गायत्री, संस्कृतिकर्मी जफर, रंगकर्मी वीरेन्द्र भदौरिया, अभिनेत्री शीतल आदि को सम्मानित किया गया।समारोह का संचालन अभिनय गुरुकुल के निदेशक आरिफ शहडोली ने किया। रंगकर्मी माताप्रसाद शाक्य ने आभार व्यक्त किया।

















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Sunday, 26 January 2025

केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान झाँसी में हुआ डॉ० सुनीता वर्मा की कृति 'आयुर्वेद मर्मज्ञ गोस्वामी तुलसीदास' का विमोचन

केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान झाँसी में हुआ डॉ० सुनीता वर्मा की कृति 'आयुर्वेद मर्मज्ञ गोस्वामी तुलसीदास' का विमोचन 


कल 25 जनवरी 2025 को केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान झाँसी में हिन्दी विभाग, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय की सहायक आचार्या डॉ० सुनीता वर्मा की कृति 'आयुर्वेद मर्मज्ञ गोस्वामी तुलसीदास' के विमोचन समारोह में हम शामिल हुए। तुलसीदास के साहित्य में आयुर्वेद पर केंद्रित अनुपम कृति का विमोचन केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ० सी० एच० वेंकट नरसिम्हा की अध्यक्षता और वरिष्ठ मण्डल वाणिज्य प्रबंधक झाँसी रेलवे अमन वर्मा के मुख्य आतिथ्य में हुआ। इस समारोह में हिन्दी विभाग, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष आचार्य पुनीत बिसारिया, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के पूर्व सहायक कुलसचिव मनीराम वर्मा एवं केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान झाँसी के आर्युवेद शोध अधिकारी संजीव कुमार विशिष्ट अतिथि रहे। हिन्दी विभाग, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के सहायक आचार्य डॉ० नवीन चंद्र पटेल ने बीज वक्तव्य दिया और संस्कृत शोधपीठ, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झाँसी के निदेशक आचार्य बलभद्र त्रिपाठी ने संचालन किया। इस अवसर पर डॉ० रामशंकर भारती, पन्नालाल असर, श्यामशरण नायक, डॉ० विजयप्रकाश सैनी, संजीव कुमार वर्मा,  साकेत सुमन चतुर्वेदी, शिबानी वर्मा, निहालचंद्र शिवहरे, देवेंद्र भारद्वाज, निर्मला वर्मा, मालती चौधरी, आरती पाल, रजिया समेत साहित्यकार, आचार्यगण, संस्थान के अधिकारी-कमर्चारी एवं छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे।

- किसान गिरजाशंकर कुशवाहा 'कुशराज'

(युवा आलोचक, बुंदेली-बुंदेलखंड अधिकार कार्यकर्त्ता)

२६/०१/२०२५, झाँसी










Monday, 13 January 2025

बुड़की (Budki) - कुसराज (Kushraj)

बुंदेलखंडी युबा की डायरी - १३/१/२०२५, जरबौ गॉंओं, झाँसी, अखंड बुंदेलखंड

 बुड़की 


पियारी किरांती,

                     बुड़की मनाबे कल्ल हम झाँसी सें अपने घरे जरबौ गॉंओं आ गए। बाई उर मताई नें कनक (गौंऊँ / पिसी), चांवर, तिली, मूमफली, लाई, देउल समेत केऊ तरा के लडूआ बांदे हैंगे, हर बुड़की पे घरे बने भए लडुआ उर खिचड़ी खाबे कौ रिबाज हैगो। तुमें पतौ हमाए अखंड बुंदेलखंड में 'मकर संक्रांति' खों 'बुड़की' कई जात। बुड़की खों 'संकरांत' भी कउत हम औरें। 

बुड़की कौ मिहत्तओ हम किसानन के लानें ईसें भौत जादां हैगो कायकी बुड़की के तेऔहार सेंईं नई फसल उर नई रितू की सुरूंआंत होउत। नई फसल उर नई रितू की अगुवाई उर सुआगत-सत्कार मेंईं बुड़की मनाई जाउत। इए भारत देस में मकर संक्रांति, खिचड़ी, लोहड़ी, पोंगल, बिहू, गुघुती आदि नाओं सें भी चीनत हैंगे। बुड़की पे सब जनन खों निसचित मुहूरत में सपरबौ जरुरी उर पुन्न पाबे बाऔ मानों जाउत। हिन्दू पंचांग के हिसाब सें बुड़की माव की परमा खों मनाई जाउत उर फिरंगी किलेंडर के हिसाब सें चउदा या पन्दरा जनबरी खों मनाई जाउत। 

बुड़की पे सपरबै कौ ईसें मिहत्तओ हैगो कायकी जाड़े के मौसम में मौडी-मौडा, युबा-यूबतीं, जन-जनीं उर बुड्ढा-बुढ़िया तीन-चार दिनाँ में एकाद बैर सपरतई, जी बजै सें सरीर अलसेया जाउत, फुरती कम हो जाउत। बुड़की पे सपरबे सें तन उर मन की सुद्दी होउत ऐईसें हर काम छोडकें बड़की लएं चज्जे सबखों। बुड़की लेकें सूर्र भगबान खों अरघ देएँ चज्जे उर उनें तिली चढाएं चज्जे कायकी सूर्र भगबान की उपासना करबे सें जीबन  निरोगी हो जाउत उर अपार सक्ति मिल जाउत। बुड़की पे पितरों कौ पटा (पिंडदान) करबे की भी परंपरा हैगी।

मेस, कुम्ब, तुला समेत बारा रासिन में हर रास के हिसाब से कौऊ खों बुड़की कौरीं (सुब) होत कौऊ खों कर्री (असुब)। बुड़की पे कुम्ब सपरबे सें सबसें जादां पुन्न मिलबे की मान्यता है उर घरे सपरबे सें सबसें कम पुन्न मिलबे की। बुड़की पे साबुन-सैम्पू सें नईं सपरो जाऊत, यी परब पे तिली सें उपटन करकें सपरो जाउत। बुड़की पे तिली कौ पाँच तरां सें दान करबे कौ मिहत्तओ है। तिली सूर्र भगबान खों चढ़ाओ, तिली पानूँ में छोरो, तिली आग में डारो, तिली खों खाओ और तिली कन्या खों दान करौ।

यी बरस कल्ल १४ जनबरी खों बुड़की मनाई जैहै। कल्ल पुन्नबेला भोर ०९ बजकें ०३ मिनिट सें लेकें संजाबिरियाँ ०५ बजकें ४६ मिनिट लौक हैगी। उर महाँपुन्नबेला भोर ०९ बजकें ०३ मिनिट सें लेकें १० बजकें ४८ मिनिट लौक हैगी। यी बेला में पूजा पाठ उर बामुनों खों छोडकें गरीब किसानन, मजूरन, बनबासियन उर जनीमांसन खों दान-पुन्न करबे सें सूर्र भगबान की बिसेस किरपा मिलहै। 

यी बरस १४४ बरसन बाद पूरौ महाँकुम्ब परौ हैगो उर  आज १३ जनबरी २०२५ सें पिरयाग में गंगा-जमुना-सुरसती के संगम पे उत्तर पिरदेस के मुखमंतरी बाबा योगी आदित्तनाथ जू उर भारत के पिरधानमंतरी नरेंद मोदी जू की अगुवाई में महाँकुम्ब मेला की सुरुआंत हो गई हैगी। महाँकुम्ब हिन्दू धरम कौ सबसें बड़ौ धारमिक मेला हैगो, जौ करोरन सनातनियों की आस्था की पैचान हैगी। महाँकुम्ब हिन्दू संसकिरती उर परंपरा कौ संगम हैगो। पिरयाग महाँकुम्ब में कुम्ब की बुड़की लेबे पूरी दुनियाँ सें सनातन के तकरीबन ४०करोड़ सिरद्धालू, सादु-सादबी, नेता-नेतरी, पंडित-पंडिताइन, हीरो-हीरोइन, बेपारी-बेपारिन, किसान-किसानिन, मजूर-मजूरिन उर बनबासी-बनबासिन आ रए। पैलो इमरित इसनान १४ जनबरी, मकर संकरांत खों, दूसरौ इमरित इसनान २९ जनबरी, मौनी अमाउस खों उर तीसरौ इमरित इसनान ०३ फरबरी, बसंत पाँचें खों हैगो। इमरित इसनान करकें सें पाप धुल जैहैं उर बिसेस पुन्न मिल जैहै। ऐईसें सब जनन सें जा बिनती हैगी के सब जनें महाँकुम्ब में बुड़की लेबें उर दुनियाँ में भारतीय संसकिरती की एकता की नई मिसाल पेस करबें।

बुड़की पे पतंगें उड़ाबे उर मेला घूमबे कौ भी भौत चलन  हैगो। बुड़की पे बरूआसागर में झिन्ना पे मेला भर रओ हर बरस की तरां। कल्ल झिन्ना कौ मेला घूमबे के बाद फिर बतकाओ कतरई अपन। 

तुमें उर पूरी दुनियां खों बुड़की की भौत-भौत बधाई 🌾🪷📚❤️🚩

।। राम-राम ।।

।। जै बुंदेली मताई ।।

।। जै जै बुंदेलखंड ।।

।। जै जै बुंदेली ।।

©️ किसान गिरजासंकर कुसबाहा 'कुसराज'

(बुंदेलखंडी युबा लिखनारो, बुंदेली-बुंदेलखंड अधिकार कारीकरता, किसानबादी बिचारक)

इमरित इसनान, पिरयागराज महाँकुम्ब, 

१३/१/२०२५, ११: ३९ दिन, जरबौ गॉंओं, झाँसी, अखंड बुंदेलखंड



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