Thursday 15 November 2018

हे राम! हमें वही भारत लौटा दो।


कविता - " हे राम! हमें वही भारत लौटा दो। "


हे राम! हमें वही भारत लौटा दो।

जब देश सोने की चिड़िया था,
अपार धन - धान्य से परिपूर्ण था।
जब देश विश्वगुरु था,
ज्ञान - विज्ञान का खूब प्रचार - प्रसार था।
हे राम!..........
जब गुरूकुल में गुरू - शिष्य में सम्मान था,
एकलव्य सा शिष्य गुरू की प्रतिमा से ही शिक्षा पाता था।
जब शिक्षा देशी धर्म, दर्शन, साहित्य की वाहक थी,
साथ - साथ संस्कारों और मानवमूल्यों की पोषक थी।
हे राम!..........
जब देश मातृभाषा में ही सारा कामकाज करता था,
विदेशी भाषा का तो नाममात्र का प्रयोग करता था।
जब भाषा आज की भाँति संस्कृति और अस्मिता की वाहक थी,
कई भाषाऐं होने के वाबजूद देशी ही राजभाषा और राष्ट्रभाषा थी।
हे राम!..........
जब बलात्कार,यौनशोषण,बालश्रम से अत्याचारों से देशमुक्त था,
भ्रष्टाचार,आतंकवाद,मार्क्सवाद सी दानवी हरकतों से समाजमुक्त
था।
जब राजपरिवारों में स्वयंवरों से विवाहसंस्कार होता था,
आज सा प्रेमी - प्रेमिका का घर से भागकर विवाह करना न होता था।
हे राम!..........
जब कई राजा बहुविवाह और कई एक ही विवाह करते थे,
लेकिन राम सा राजा समाज आरोपण से अपनी एकमात्र रानी सीता का भी त्याग कर देता है।
जब लव - कुश से पूत माँ के सम्मान हेतु पिता से प्रश्न करते हैं,
सीता मैया सी नारी को पवित्रनारी साबित करते हैं।
हे राम!..........
जब स्वदेशी वस्तुओं की बिक्री ज्यादा थी,
आज सी विदेशी वस्तुओं की बिक्री नाममात्र भी न थी।
जब हर देशवासी वीर - जवान देश पर मर मिट जाता था,
कोई भी किसी से और न ही अपनों से धोखेबाजी करता था।
हे राम!..........
जब न राम - मन्दिर अयोध्या पर विवाद था,
और न ही भगवान राजनीति के घेरे में थे।
जब सत्य का बोलबाला और सत्य की ही जीत थी,
झूठ का नाम नहीँ और रावण से असत्य की हार थी।
हे राम! हमें वही भारत लौटा दो।।
               
          
      - कुशराज झाँसी

  _15/11/2018_10:11 दिन _ दिल्ली


आलोचना -:


                 सबसे पहले तो आपको बधाई कि आप आज भी भारत की सांस्कृतिक विरासत और संस्कृति के प्रति चिंतित हो। यही हंसराज कॉलेज की विशेषता है जो अपने युवाओं को निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा देने के साथ ही अपनी जड़ों से जुड़े रहना सिखाता है। 

                 जहाँ तक कविता का सवाल है तो इस तरह की कवितायेँ पहले भी लिखी गई हैं। आपकी कविता का भाव सुन्दर है। यह ठीक है कि हमें अपने अतीत को नहीं भूलना चाहिए लेकिन उसके प्रति इतना भी आग्रही भी नहीं होना चाहिए। यह जरुर है कि आपने जिन चीजों की माँग राम से की, उसे स्वयं इकट्ठा करना होगा। यह प्रामाणिक सत्य है कि देश और समाज को बेहतर बनाने की जिम्मेदारी हमेशा मनुष्य के कंधों पर होती है। ईश्वर यह जिम्मेदारी इसलिए हमारे कंधे पर सौंपता है कि हम जिम्मेदार बन सकें और अपने समय और समाज के विकास में अपना सहयोग दे सकें। आपने अपनी कविता में राम से जो माँग की, वह आप जैसे युवाओं द्वारा ही संभव है। हंसराज एक विश्वस्तरीय संस्था है जहाँ से आप कोई भी आवाज उठाएंगे, लोगों तक पहुँचेगी। व्यक्ति को अपनी संस्था और गरिमा का ध्यान रखते हुए उसके संसाधनों का उचित प्रयोग करना चाहिए। मैं आप जैसे युवाओं पर पूरा भरोसा करती हूँ। कविता का कथ्य सामयिक है। भाषा और शिल्प पर कार्य करने की जरूरत है। निरंतर लिखते रहो, धीरे-धीरे अच्छा लिखोगे। बधाई!

    -  डॉ. रमा

 (प्राचार्या, हंसराज कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय)
   _ 15/11/2018_04:44 शाम _ दिल्ली


Very Beautiful.
The poet has emphasized the concept of "Made in India", it's a great thought towards promoting Nationalism. Hopefully the prayers of the poet to Lord Rama will come true and we will get our India back.

✍दिव्यांशा खजूरिया (Divyansha Khajuria)
{BSc. Anthropology Hons., Hansraj College, Delhi University}

_20/11/2018_10:00pm



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