बुंदेली - हिन्दी सबदकोस -: सतेंद सिंघ किसान



" बुंदेली - हिन्दी सबदकोस  
-: सतेंद सिंघ किसान "


                          भूमिका

                  जब से इस धरती पर मनुष्य का जन्म हुआ तभी से भाषा का भी प्रादुर्भाव हुआ। भाषा के द्वारा ही हम मनुष्य और प्राणिजन अपने भावों, विचारों और सोच का परस्पर एक - दूसरे तक आदान - प्रदान कर पाते हैं। विचार और सोच के बल पर ही सारी दुनिया चल रही है। लिपि के आनेे से पहले भाषा का श्रव्य रूप और मौखिक रूप अनवरत् रूप से कई सालों तक विद्यमान रहा। लिपि के आने के बाद भाषा का लिखित रूप प्रचलन में आ गया, जिससे भाषा को संरक्षित और सुरक्षित करने में और भाषा का प्रचार - प्रसार करने में काफी सहूलियत हुई।

सारी दुनिया में हजारों भाषाएँ और बोलियाँ बोली जाती हैं। इसमें से कुछ भाषाओं को विश्वभाषा और अनेकों को राष्ट्रभाषा एवं राजभाषा होने का गौरव प्राप्त है। बोलियों को लोकभाषा, देहाती भाषा, किसानी भाषा, गवारूँ, जनभाषा, बोलचाल की भाषा और आम आदमी की भाषा होने का गौरव प्राप्त है। भाषा और बोलियाँ ही संस्कृति और लोकसंस्कृति की संवाहक हैं और अस्मिता की रक्षक हैं।

क्रांति, परिवर्तन और विकास प्रकृति के शाश्वत नियम हैं। विकास की दौड़ फतह करने के लिए प्रतिस्पर्धाऐं चलती रहती हैं। इसमें कईयों को तो अपनी पहचान और अस्तित्त्व बनाए रखना ही मुश्किल हो जाता है। यही नियम भाषाओं और बोलियों पर भी लागू होता है। कई समृद्ध भाषाएँ असमृद्ध भाषाओँ और बोलियों को अपने आगोश में लेकर इनकी पहचान और अस्तित्त्व को मिटाने की नाकामयाब कोशिश करती हैं। भाषाओं का अपना अस्तित्त्व है और बोलियों का अपना सिर्फ बोलने वालों की आबादी और क्षेत्र का फर्क है। इस दुनिया में सबका अपना - अपना महत्त्व और विशेषता है चाहे कोई छोटा हो और चाहे कोई कितना ही बड़ा।


हिन्दी भाषा का अपना महत्त्व है और बुन्देली भाषा का अपना। बुन्देली भाषा को हिन्दी भाषा अपनी एक बोली मानती है। जो ठीक नहीं हैं। बुन्देली समृद्ध भाषा है और इसमें साहित्य और लोकसाहित्य का अपार भण्डार है। बुन्देली बुन्देलखण्ड क्षेत्र में बहुतायत में प्रयोग की जाती है। बुन्देलखण्ड के आधार पर ही इसका नाम 'बुन्देली' पड़ा। इसे 'बुन्देलखण्डी' भी कहा जाता है। बुन्देली का केंद्र वीरभूमि जिला - झाँसी और जिला - सागर है।  बुन्देली बोलने वालों और प्रयोगकर्त्ताओं की आबादी लगभग 4 - 5 करोड़ है। बुन्देली बुन्देलखण्ड की संस्कृति और अस्मिता की रक्षक है और बुन्देलखण्डियों की पहचान है। बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झाँसी और सागर विश्वविद्यालय, सागर में बुंदेली भाषा का स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर अध्ययन - अध्यापन हो रहा है और इसमें शोध भी किए जा रहे हैं।

मुझे आशा है कि जल्द ही 'बुन्देलखण्ड पृथक राज्य' बनेगा और ' बुन्देली' उसकी राजभाषा। बुन्देली भाषा को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में स्थान दिलाने के लिए हम सब बुन्देली और बुन्देलखण्ड के लिए तत्परता से कड़ी मेहनत करेंगे। इस पुस्तक 'बुन्देली - हिन्दी शब्दकोष' के लिए मैं अपने क्षेत्रवासियों को हार्दिक धन्यवाद् ज्ञापित करता हूँ , जो हम सबकी प्यारी - दुनिया की न्यारी भाषा 'बुन्देली' का प्रयोग करते हैं। मैं उन विद्वानों, भाषाविज्ञानियों और साहित्यकारों का भी हार्दिक धन्यवाद् ज्ञापित करता हूँ, जिनके पुस्तकों से शब्दकोष निर्माण में सहायता ली। साथ ही साथ, अब मैं अपने सुख - दुःख के साथी परिजन, दद्दा - पीताराम कुशवाहा, बाई - रामकली, मताई - ममता, बाप - हीरालाल, कक्का - भानुप्रताप, काकी - माया, भज्जा - ब्रह्मानंद, ब्रजबिहारी, गौरव मानवेन्द्र, प्रशांत और बिन्नू - रोशनी कुशवाहा का हार्दिक धन्यवाद् ज्ञापित करता हूँ। जिनके सहयोग से मुझे बुन्देली रचनाएँ करने में कभी भी किसी भी प्रकार की समस्या नहीं आती।

    ।। जय बुन्देली - जय जय बुन्देलखण्ड ।।

✒ सतेंद सिंघ किसान 

_ 30 मई 2019_ 02:10 दिन _ झाँसी बुन्देलखण्ड



                  * समर्पण *
" सारी दुनिया की भूख मिटाने वाले, अन्नदाता किसानों के चरणों में सादर समर्पित..........."



          * रिस्सेदार (सगे - संबंधी/ रिश्तेदार) *

* बुन्देली             -              हिन्दी *

* मताई, अम्मा     -    माँ, माता, मम्मी, अम्बा
* बाप      -      पिता, पापा
 * कक्का    -      चाचा
* काकी     -    चाची
 * बड़े पापा      -    ताऊ
* बड़ी मम्मी    -      ताई
* दद्दा       -       दादा
* बाई         -    दादी
* बब्बा, अजा    -     परदादा
* बऊ, आजी    -     परदादी
* भज्जा     -     भाई
* भौजी     -    भाभी
* बिन्नू     -     बहिन
* जीजा     -     बहनोई
* जिज्जी     -     बड़ी बहिन, दीदी, बुआ
* हल्की, देवरानी    -    देवरानी
* लला     -      देवर
* जेठ     -    ज्येष्ठ
* लौरो     -    छोटा भाई
* जेठो     - बड़ा भाई
* बड़ी, जिठानी    -     जेठानी
* फुआ    -    बुआ
* फूपा    -     फूफा
* मम्मा     -     मामा
* माईं     -      मामी
* नन्ना    -      नाना
* बाई      -       नानी
* मौसि     -      मौसी
* मौसिया     -      मौसा
* भतीजो     -      भतीजा
* भतीजी      -       भतीजी
* भानेज       -        भांजा
* भानेजन     -      भांजी
* समदी     -       समधी
* समदिन      -       समधिन
* ककयाओंतो     -       चचेरा
* ककयाओंती      -     चचेरी
* सपूत, बेटा      -      पुत्र
* सपूतन, बेटी      -       पुत्री
* सास       -       सास
* ससुर      -       ससुर
* सारो       -         साला
* सारी        -        साली
* लोग, आदमी        -        पति
* लुगाई, जनी          -        पत्नी
* मौड़ा       -        लड़का
* मौड़ी       -          लड़की
* जुगाड़      -         गर्लफ्रैंड
* प्रेमी         -         बॉयफ्रेंड


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