लघुकथा : पुलिस की रिश्वतखोरी Shortstory - Police Ki Rishwatkhori
लघुकथा - पुलिस की रिश्वतखोरी
मामला फरवरी साल २०२३ के उस दिन का है। जब हम झाँसी से अपनी बुआ की शादी में गुरसरांय जा रहे थे। अपनी एलएलबी पांचवें सेमेस्टर की वायवा परीक्षा देने के बाद झटपट अपने घर खुशीपुरा आए। फटाफट बकीली की ड्रेस बदलकर और सिविल ड्रेस पहनकर झाँसी बस स्टैंड पहुँचे। दरअसल, संग में गुरसरांय तक बकालत की एक साथी को भी जाना था लेकिन वो अपने रिश्तेदारों से भेंट करने की बजह से थोड़ी लेट हो गई। इसलिए हमने उसका इंतजार करने हेतु, बस स्टैंड पर बने सरकारी शेल्टर होम में बैठना उचित समझा। जैसे ही हम शेल्टर होम के प्रवेश द्वार पर पहुँचे तो ऑफिस के कर्मचारी से हमने कहा कि भाईसाब! आधा घंटे तक हमें रुकना है यहाँ शेल्टर होम में क्योंकि उसके बाद मेरी बस है। तो कर्मचारी ने कहा - ठीक है! भैया आप रुक सकते हैं। और फिर एक पुलिसवाले के साथ हमें शेल्टर होम में अंदर भेज दिया। जिसकी ड्यूटी इस शेल्टर होम के मुसाफिरों की सुरक्षा में लगी थी। जैसे ही हम उसके साथ अंदर आए तो वो पुलिसवाला हमसे सवाल - जवाब करने लगा। कितने टैम तक रुकोगो यहाँ? कहाँ से आए हो? तब हमने कहा भाईसाब! आधा घंटे रूकेंगे हम और यहीं अपने बगल वाले खुशीपुरा से आए हैं हम। फिर पुलिसवाले ने कहा कि अच्छा! ठीक है। आप यहाँ रुक सकते हो लेकिन आपको बीस रुपए देने होंगे? बाकी आपकी मर्जी यदि नहीं रुकना चाहते तो।
चूँकि ये शेल्टर होम सरकार द्वारा मुसाफिरों, यात्रियों की सुविधा के लिए फ्री चलाए जा रहे हैं। लेकिन सरकार की पुलिस ही फ्री सेवा में चलाए जा रहे इन शेक्टर होम में रिश्वत ले रही है। पुलिस की रिश्वतखोरी की हम कड़े शब्दों में निंदा करते हैं। जब जनता की रक्षक कहलाने वाली पुलिस ही, जतना की भक्षक बनी फिर रही हो तो इस देश का विकास कैसे हो सकता है? आप ही बताईये।
हमने सोचविचार कर पुलिसवाले को बीस रुपए दिए तो फिर उसने हमें हिदायत देते हुए कहा - ये बीस रूपए के लेनदेन वाली बात बाहर किसी को मत बताना तो हमने कहा - ठीक है! भाईसाब। हम भी बकील हैं। हम समझते हैं आप लोगों को। बीस रुपए की रिश्वत लेकर वो पुलिसवाला बाहर चला गया और हम आराम करने की बजाए देश के समसामयिक हालातों पर सोच - विचार करने लगे और कहानी लिखने बैठ गए। कानून कहता है कि रिश्वत लेना और देना दोनों दण्डनीय अपराध हैं। ठीक है हम इस बात से पूरी तरह सहमत हैं लेकिन जब आपकी मजबूरी में आपसे रिश्वत ली जा रही हो और उसके सिवा कोई चारा न हो तो रिश्वतलेने वाला ही दोषी है क्योंकि यदि रिश्वत नहीं माँगी होती तो हम देते है क्यों।
जब हमने उस पुलिसवाले को बताया कि हम भी बकीली करते तो यदि उसे अपनी ड्यूटी के प्रति ईमानदारी और निष्ठा होती और इसके साथ कानून का डर होता तो वो पुलिसवाला हमारे बीस रुपए वापिस लौटा देता। लेकिन उस पुलिसवाले को अपनी ड्यूटी रिश्वत लेना ही ठीक लगा; सब कानूनी, नैतिक और व्यवहारिक बातों के जानते हुए भी कि रिश्वत लेना अपराध है। रिश्वत लेना पाप है। तो ऐसे रिश्वतखोर पुलिसवाले को दण्ड जरूर मिलना चाहिए। आज नहीं तो कल पुलिस की रिश्वतखोरी पर लगाम लगाने के लिए रिश्वतखोर पुलिसवालों को सजा देनी ही होगी। नहीं तो हो गया देश का उद्धार...।
©️ गिरजाशंकर कुशवाहा
'कुशराज झाँसी'
(युवा बुंदेलखंडी लेखक, जिलामंत्री - कलार्पण जिला झाँसी)
6/2/2023 _ 2:14 दोपहर _ झाँसी बसस्टैंड
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